"बोकारो": अवतरणों में अंतर

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बोकारो स्टील सिटी घूमने के लिए हैं ढेर सारे खूबसूरत पर्यटन स्थल
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== दर्शनीय स्थल ==
== दर्शनीय स्थल ==
गरगा डैम, तेनुघाट डैम,हथिया पत्थर, नेहरू पार्क,ललपनिया छरछरिया झरना,लुगु बुरू इत्यादि।
'''तेनुघाट बांध'''


'''घूमने के लिए उपयुक्त मौसम''' : सितंबर से फ़रवरी तक
यह बाँध 1978 ई में दामोदर घाटी निगम के निर्माण हेतु दामोदर नदी पर बनाया गया है जिसके कारण तेनुघाट के पश्चिम में काफी जलाशय का निर्माण हो गया। यह बाँध बोकारो जिले के पेटरवार ब्लॉक के तेनुघाट में अवस्थित है यह पिकनिक मनाने वाली जगह के रूप में भी जाना जाता है।<ref>{{Cite news|url=https://www.prabhatkhabar.com/life-and-style/travel-and-tourism-jharkhand-tourist-destinations-visit-steel-city-bokaro-of-jharkhand-and-enjoy-these-tourist-sports-bokaro-steel-plant-parasnath-hills-jagannath-temple-tenughat-dam-sry|title=बोकारो स्टील सिटी घूमने के लिए खूबसूरत पर्यटन स्थल|date=2 अगस्त 2023|work=प्रभात खबर|access-date=13 दिसंबर 2023}}</ref>
इस क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषाएँ : [[हिन्दी]], [[उर्दू भाषा|उर्दू]], [[बाङ्ला भाषा|बांग्ला]] [बोकारो जब भी आप घूमने आते ह आपके मन में सिर्फ स्टील प्लांट ही रहता है लकिन इसके अलावा भी बोकारो कई जगह देखने लायक ही लकिन इसके अधिक जानकारी नहीं होने के कारन ये स्थल गुमनामी में है

मै एक ऐसा ही उधर शिम्फोर टावर के बारे में देना चाहता हु इसका निर्माण 1854 के आसपास अंगरेजों द्वारा किया गया था
'''सूर्य मंदिर, बोकारो'''
ये स्थल चंदनकियारी के बाबूडीह ग्राम में हैं

इसकी उचाई लगभग 75 फ़ीट होगी ! इसके इतिहास के बारे इसके आसपास के लोगो को बहुत कम जानकारी , ये टावर उस समय टेलीफोन संचार के रूप जाना था |लकिन ये परियोजना अशफल रही |
सूर्य मंदिर बोकारो जिले का एक प्रसिद्ध मंदिर है. यह मंदिर बोकारो जिले में सेक्टर 4 एफ में स्थित है।यह मंदिर सूर्य भगवान जी को समर्पित है।

'''बोकारो स्टील प्लांट'''

यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात संयंत्र है और यह अपने विशाल परिसर और आधुनिक उपकरणों के लिए जाना जाता है।

'''चंद्रपुरा का वाटर रिजर्वायर'''

चंद्रपुरा प्लांट से सटे वाटर रिजर्वायर व उसके बगल में बहती दामोदर नदी भी लोगों को आकर्षित करती है. नदी के मुहाने और इसके ऊपर के हिस्सों में पिकनिक मनाने के लिए अब चंद्रपुरा कॉलोनी के लोग काफी संख्या में आने लगे हैं।

'''जगन्नाथ मंदिर, बोकारो'''

जगन्नाथ मंदिर बोकारो का टूरिस्ट प्लेस है. यह बोकारो शहर का एक प्रसिद्ध मंदिर है. यह मंदिर मुख्य सिटी में है. यह मंदिर बोकारो जिले में जवाहरलाल नेहरू जैविक उद्यान के सामने स्थित है.

'''राजाबेड़ा नदी तट'''

चंद्रपुरा-भंडारीदह सड़क मार्ग में राजाबेड़ा में दामोदर नदी के तट आसपास के जंगल के कारण लोगों का मन हर लेता है. नदी के ऊपर गुजरा रेल पुल भी लोगों को आकर्षित करता है।

इनके अलावा, [[बोकारो]] में कई अन्य ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं। आप यहां आदिवासी संस्कृति और विरासत के बारे में भी जान सकते हैं।


== शौक्षणिक परिदृश्य ==
== शौक्षणिक परिदृश्य ==

15:34, 19 दिसम्बर 2023 का अवतरण

बोकारो
ᱵᱚᱠᱟᱨᱚ
—  शहर  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य झारखंड
उपायुक्त श्री मुकेश कुमार
जनसंख्या 17,75,961 (2011 के अनुसार )
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)

• 210 मीटर (689 फी॰)
आधिकारिक जालस्थल: bokaro.nic.in

निर्देशांक: 23°17′N 86°05′E / 23.29°N 86.09°E / 23.29; 86.09 बोकारो (संथाली: ᱵᱚᱠᱟᱨᱚ) झारखंड राज्य का एक जिला है। यह शहर अपने सरकारी क्षेत्र के इस्पात उद्योग के लिये प्रसिद्ध है तथा "स्टील सिटी" के नाम से जाना जाता है। बोकारो छोटानागपुर पठार में स्थित है।

बोकारो जिला झारखंड का 11वां सबसे बड़ा जिला है।बोकारो का क्षेत्रफल 3,223 वर्ग किलोमीटर है।

बोकारो जिला झारखंड के पूर्वी भाग में स्थित है। यह धनबाद, रामगढ़, गिरिडीह और हजारीबाग जिलों से घिरा हुआ है।

बोकारो का नाम बोकारो स्टील सिटी के नाम पर रखा गया है, जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात संयंत्र है।बोकारो स्टील प्लांट, जो सेल्फ-रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (SAIL) के अंतर्गत है, एक बड़ा स्टील निर्माण केंद्र है और यह नगर इसके आसपास के क्षेत्रों को अपने साथ आकर्षित करता है। बोकारो स्टील प्लांट ने नाम बनाया है और यह विश्वस्तरीय तकनीकी उच्चता के साथ अपने उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है। बोकारो जिला अपनी समृद्ध औद्योगिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।[1]

इतिहास

बोकारो का इतिहास प्राचीन काल से रहा है। यह क्षेत्र कभी मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था। बोकारो स्टील सिटी की स्थापना 1960 के दशक में भारत सरकार द्वारा की गई थी।यह पहले धनबाद जिले का हिस्सा था, लेकिन 1 अप्रैल 1991 को इसे एक अलग जिले के रूप में बनाया गया था।

अर्थव्यवस्था

बोकारो के मुख्य अर्थव्यवस्था का आधार बोकारो इस्पात संयंत्र है। बोकारो के अधिकतर निवासी मानसूनी कृषि पर निर्भर रहती है | यहाँ के किसान मुख्यतया धान की खेती करते है |कुछ किसान जिनके पास सिचाई के लिए कुए है वे मौसमी सब्जी की भी खेती करते है |

भौगोलिक स्थिति

बोकारो भारत के पूर्वी हिस्से में 23°29′ ऊतर 86°09′ पूर्वी देशांतर के बीच बसा है। दामोदर नदी के दक्षिणी हिस्से में पारसनाथ की पहाड़ियों के बीच स्थित है। बोकारो के दझिण-पूरब दिशा में गरगा नदी स्थित है इसके अलावा गुवाई नदी भी हैं|

जनसँख्या

२००१ के जनगणना के अनुसार बोकारो जिला की जनसन्ख्या 26,75,961 है। बोकारो की जनसंख्या घनत्व 809 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

दर्शनीय स्थल

गरगा डैम, तेनुघाट डैम,हथिया पत्थर, नेहरू पार्क,ललपनिया छरछरिया झरना,लुगु बुरू इत्यादि।

घूमने के लिए उपयुक्त मौसम : सितंबर से फ़रवरी तक इस क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषाएँ : हिन्दी, उर्दू, बांग्ला [बोकारो जब भी आप घूमने आते ह आपके मन में सिर्फ स्टील प्लांट ही रहता है लकिन इसके अलावा भी बोकारो कई जगह देखने लायक ही लकिन इसके अधिक जानकारी नहीं होने के कारन ये स्थल गुमनामी में है मै एक ऐसा ही उधर शिम्फोर टावर के बारे में देना चाहता हु इसका निर्माण 1854 के आसपास अंगरेजों द्वारा किया गया था ये स्थल चंदनकियारी के बाबूडीह ग्राम में हैं इसकी उचाई लगभग 75 फ़ीट होगी  ! इसके इतिहास के बारे इसके आसपास के लोगो को बहुत कम जानकारी , ये टावर उस समय टेलीफोन संचार के रूप जाना था |लकिन ये परियोजना अशफल रही |

शौक्षणिक परिदृश्य

बोकारो में जबर्दस्त शैक्षणिक माहौल है। जन शिक्षण संस्थान बोकारो ने १५ से ३५ साल के युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए अभियान चला रखा है। इस संस्थान के चेयरमैन किशोर कुमार हैं। वह झारखंड में वर्षों सक्रिय पत्रकारिता करने के बाद सामाजिक क्षेत्र से पूरी तरह जुड़ गए। वह खुद भी केंद्र सरकार के इस अभियान को सफल बनाने में जुटे रहते हैं।

जन शिक्षण संस्थान बोकारो

मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित जन शिक्षण संस्थान बोकारो जिले में सन् 2004 से संचालित है। इस संस्थान द्वारा जिले के विभिन्न भागों में मोबाइल सेंटर खोलकर समाज के अंतिम जन के युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए हुनरमंद बनाने का काम किया जाता है। इसके तहत मोमबत्ती निर्माण से लेकर फर्नीचर मेकिंग तक का प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही प्रशिक्षित युवा अपने पैरों पर खड़े हो सकें, इस काम में उनकी मदद की जाती है। जन‍ शिक्षण संस्‍थान (जेएसएस) या इंस्‍टीट्यूट ऑफ पीपल्‍स एजुकेशन की शुरूआत बहुसंयोजक या बहु पहलू वयस्‍क शिक्षा कार्यक्रम के रूप में की गई है, जिसका लक्ष्‍य व्‍यावसायिक कौशल और जीवन की गुणवत्ता आने लाभानुभोगियों को सुधारना है। योजना का उद्देश्‍य शहरी / ग्रामीण जनसंख्‍या, विशेषकर नए साक्षरों, अर्ध साक्षर, अनु. जाति, अनु. जनजाति, महिला और बालिकाओं, झुग्‍गी - झोंपडियों के निवासियों, प्रवासी कामगारों आदि के लिए सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़े और शैक्षिक रूप से अलाभ प्राप्‍त समूहों के लिए शैक्षिक, व्‍यावसायिक और व्‍यावसायिक विकास करना है। वर्तमान में देश में 221 जेएसएस हैं। वे असंख्‍य व्‍यावसायिक कार्यक्रम चलाते हैं, जिसकी विभिन्‍न कौशल के लिए अलग-अलग अवधि है। लगभग 380 व्‍यावसायिक पाठ्यक्रम इन संस्‍थानों द्वारा प्रस्‍तावित किए जाते हैं। ट्रेड/पाठ्यक्रम जिनके लिए प्रशिक्षण दिया जाता है, उनमें कटाई, सिलाई और परिधान बनाना, बुनाई और कढ़ाई, सौन्‍दर्य वर्धन और स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल, हस्‍तशिल्‍प, कला, चित्रांकन और चित्रकारी, इलेक्‍ट्रोनिक साफ्टवेयर की मरम्‍मत आदि शामिल हैं। लगभग 16.89 लाख व्‍यक्तियों को 2006-07 के दौरान आयोजित व्‍यावसायिक कार्यक्रमों एवं अन्‍य गतिविधियों द्वारा लाभ‍ मिला है।

इग्नू का स्टडी सेंटर

बोकारो में पहली बार इग्नू के सौजन्य से तारा कम्युनिटी कालेज का स्टडी सेंटर खुला है। इस सेंटर में एमसीए, बीसीए तथा पीजीडीसीए की पढ़ाई हो रही है। पहले बोकारो के छात्रों को इग्नू के इन कोर्सों के अध्ययन के लिए धनबाद अथवा हजारीबाग जाना पड़ता था। यह स्टडी सेंटर रणधीर वर्मा इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नालाजी चला रहा है।

स्वास्थय सेवाएँ

बोकरो जेनरल अस्पताल (BGH) शहर अस्पताल है।

सन्दर्भ

  1. "आर्थिक नाकेबंदी व हिंसक झड़प से ईएसएल स्टील (वेदांता) को हुआ 100 करोड़ का नुकसान". प्रभात खबर. 30 नवंबर 2023.