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झारखंड के पर्यटन स्थल

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(झारखंड का पर्यटन से अनुप्रेषित)

झारखंड को प्रकृति ने अप्रतिम सौंदर्य और असीमित पर्यटन स्थलों से नवाजा है। एक ओर सदियों के प्राकृतिक परिवर्तनों ने इन नयनाभिराम दृश्यों और स्थलों की रचना की है, जिनमें ख़ूबसूरत झरने, नदी, पहाड़, पठार और वन्य प्रदेश शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर कई मानवनिर्मित पर्यटन भी हैं जैसे उद्यान, मंदिर और प्राचीन कला स्थल। झारखंड क्षेत्र विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों एवं धर्मों का संगम क्षेत्र है। यहां आदिवासियों का अनूठा जीवन और उनके विविधतापूर्ण रीति-रिवाज भी पर्यटकों का बरबस मन मोह लेते हैं।

प्रकृति के अनुपम उपहार

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हज़ारीबाग़ की पाषाणकालीन गुफाएं : हजारीबाग के बड़कागांव प्रखंड में अवस्थित इन पाषाणकालीन गुफाओं में प्राचीन चित्रकारी के नमूने अब भी लोगों को चकित कर देते हैं।[1]

सारंडा वन : यह 700 पहाड़ों का घर और यहाँ भव्य साल वन है। सारंडा वन एशिया का सबसे बड़ा और घना वन है जिसमे उड़ने वाली छिपकली, रेंगने वाला कीड़ा है। यह माना जाता है कि इसके कुछ हिस्से इतने घने है कि सूर्य के प्रकाश भी पार नहीं कर सकते हैं। यह वन साहसिक पारिस्थितिकी उत्साही यात्री के लिए बड़े आनन्द की जगह है।[2]

हुंडरू जलप्रपाप्त, रांची : रांची-मुरी मार्ग में स्वर्णरेखा नदी पर स्थित यह झरना प्रकृति का अनुपम उपहार है। हुंडरू जलप्रपात झारखंड में सर्वाधिक ऊँचाई से गिरने वाला प्रपात है।[3]

जोन्हा जलप्रपात, रांची : यह रांची-मुरी रोड पर है, जिसकी सुंदरता देखते बनती है।[4]

दशम जलप्रपात : रांची-जमशेदपुर रोड पर स्थित बुंडू कस्बे में यह मनोहारी झरना है।[5]

पंचघाघ जलप्रपात : छोटा नागपुर पठार के प्रदेश का यह जलप्रपात रांची-चाईबासा के बीच खूंटी-चकरधरपुर इलाके में पड़ता है।[6]

प्रमुख पार्क और उद्यान

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बेतला अभयारण्य : पलामू का बेतला राष्ट्रीय उद्यान देश की प्रमुख बाघ और हाथी परियोज़ना के रूप में भी मशहूर है। इस परियोज़ना ने एक और जहाँ वन्य प्राणियों को आश्रय प्रदान किया है, वहीँ आसपास के इलाकों जैसे नेतरहाट आदि को प्रसिद्ध कर दिया है। बेतला का पार्क हाथियों के सरंक्षण के अलावा सैलानियों के आकर्षण का भी केंद्र है।[7]

नेतरहाट का पहाड़ और सनसेट प्वाइंट : गर्मियों में भी नेतरहाट का मौसम बेहद सुकून भरा रहता है, यहां मंगोलिया पॉइन्ट, पाइन फारेस्ट, नेतरहाट स्कूल दर्शनीय स्थल हैं।[8]

दलमा वन जीवन अभयारण्य: रांची-जमशेदपुर मार्ग पर अवस्थित यह दलमा अभयारण्य सैकड़ों वन्य प्राणियों का प्राकृतिक आश्रय स्थल है।[9]

बिरसा जैविक उद्यान, ओरमांझी: रांची-हज़ारीबाग़ रोड पर स्थित यह उद्यान सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है।[10]

संजय गांधी जैविक उद्यान, हज़ारीबाग़ : कभी हजारीबाग को हज़ार बागों का शहर कहा जाता था, यह जैविक उद्यान उसी कड़ी का एक हिस्सा है।

प्रमुख धार्मिक स्थल

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बाबा टाँगीनाथ धाम: डुमरी गुमला झारखंड के प्राकृतिक सौंदर्य के बीच बाबा टांगीनाथ धाम पहाड़ी पर स्थित है बाबा टांगीनाथ धाम सेव स्थल होने के साथ-साथ शक्ति तथा सूर्य एवं वैष्णव धर्म समूह के प्राचीन मूर्तियां देखने को मिलती है इनके साथ यहां का विशेष आकर्षण अद्भुत अद्वितीय अक्षय त्रिशूल जो कि खुले आकाश के नीचे लगभग चौथी से छठी शताब्दी के आसपास से यहां पर बिना जंग के खुले आसमान के नीचे अपना सीना तान खड़ी है यहां महाशिवरात्रि तथा श्रावण मास कार्तिक पूर्णिमा में हजारों लाखों श्रद्धालु एवं भक्त पूजा के लिए आते हैं।

वैद्यनाथ धाम, देवघर : देवघर में हर साल सावन के महिने में और महाशिवरात्रि में लाखों श्रद्धालु भगवान शिव लिंग को जल अर्पित करने कई राज्यों से आते हैं। बैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग स्थित होने के कारण इस स्‍थान को देवघर नाम मिला है।[11]

वासुकीनाथ मंदिर, दुमका : देवघर के शिवालय के अलावा हिन्दू श्रद्धालु इसके दर्शन के लिए भी आते हैं। वैद्यनाथ मन्दिर की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक दुमका जिला के वासुकीनाथ मंदिर में दर्शन नहीं किये जाते।[12]

रजरप्पा का छिन्मस्तिका मंदिर : इसे देश का प्रमुख शक्तिपीठ माना जाता है।[13]

जगन्नाथ मंदिर और मेला, रांची : उड़ीसा के पुरी जगन्नाथ रथ की तरह यहां भी रथ मेला लगता है और मंदिर भी पुरी धाम की अनुकृति है।[14]

इटखोरी का बौद्ध अवशेष और काली काली मंदिर : इस जगह पर बुद्ध परंपरा के प्राचीन अवशेष हैं और पास में ही भद्रकाली का भव्य मंदिर है।[15]

पहाड़ी मंदिर, रांची : शहर के मध्य में स्थित शिव का यह मंदिर बेहद लोकप्रिय है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां तिरंगा झंडा फहराया जाता है।[16]

सूर्य मंदिर, बुंडू : भगवान सूर्य की आराधना के लिए समर्पित यह मंदिर बेहद मनोहारी है।[17]

दिउड़ी मंदिर या दिउड़ी दिरि, तमाड़ : यहां 700 वर्ष पुरानी देवी दुर्गा की प्राचीन प्रतिमा है, जो बहुत से लोगों को आकर्षित करती है। यहां आदिवासी और हिंदू संस्कृति का संगम देखा जा सकता है।[18]

पारसनाथ स्थल : श्री समेद शिखरजी तीर्थस्थल जैनियों का पवित्र स्थल है।[19]

आकर्षिणी पीठ, खरसावां: खरसावां में मां आकर्षिणी की महीमा भक्तों को आकर्षित करती है।[20]

रंकिणी मंदिर, जादूगोड़ा: पहाड़ों और घने जंगलों के बीच स्थित एक प्राचीन धार्मिक स्थल। यहां प्राचीन काल से भूमिज आदिवासियों की देवी रंकिणी की पूजा घाटी पर स्थित एक शीला पर होती है, अठारहवीं शताब्दी में इसके कुछ दूरी पर सड़क किनारे बाद में हिन्दूओं द्वारा मंदिर बनाया गया।[21]

लुगुबुरु घंटाबाड़ी, बोकारो: लुगुबुरु पहाड़ी पर स्थित संथाल आदिवासियों का प्रमुख धार्मिक स्थल।[22]

हाथी खेदा ठाकुर, बोड़ाम: यहां हाथियों की पूजा आदिवासी भूमिज परंपरा के अनुसार होती है। वर्तमान में हिंदू लोग भी यहां पूजा करने आते हैं।[23]

जीइएल चर्च, रांची : गोस्सनर एवंजलिकल चर्च रांची के सबसे पुराने गिरिजाघर में से एक है।[24]

संत मारिया रोमन कैथोलिक चर्च : रांची में स्थित यह रोमन कैथोलिक चर्च कामिल बुल्के पथ पर मौजूद है, जो सबसे प्रमुख मसीही संस्थान है।[25]

प्रमुख दर्शनीय स्थल

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मैक्लुस्कीगंज, रांची : एंग्लो-इंडियन समुदाय के एकमात्र गांव को एक इंग्लिश अफसर मैक्लुस्की ने देश भर के एंग्लो-इंडियन को बुलाकर बसाया था हालाँकि पहले वाली बात नहीं रही और ना उस संख्या में एंग्लो इंडियन समुदाय, पर अब भी कई कॉटेज, हवेली यहां मौजूद हैं, जिसे देखने लोग आते हैं।[26]

टैगोर हिल, रांची : कवि रवीन्द्र नाथ टैगोर फुर्सत के पलों में अपने रांची प्रवास के दौरान यहां आया करते थे। मोरहाबादी इलाके की इस पहाड़ी का नामकरण उनकी याद में किया गया है।[27]

झारखण्ड वार मेमोरियल, रांची : यह सैनिकों की अदम्य वीरता की याद कायम करने के लिए दीपाटोली में स्थापित किया गया है।[28]

नक्षत्र वन, रांची : राजभवन यानि गवर्नर हाउस में इसे औषधीय पौंधों और फूलों के बगीचे के साथ इसे बनाया गया है।[29]

रातू का किला : छोटानागपुर महाराजा का इस्टेट और महल रांची से कुछ ही दूरी पर है, जो कई समारोह का केंद्र बनता है।[30]

जुबली पार्क, जमशेदपुर : टाटा स्टील कंपनी के सौजन्य से यह पार्क जमशेदपुर में बनाया गया है, जो शहर की शान है।[31]

पतरातु वैली : पतरातु वैली को रांची का शिमला कहा जाता है, यहां पर आप अपने वाहन से आसानी से आ सकते हैं, यहां की खूबसूरत वादियां व घुमावदार सड़कें आपको शिमला की याद दिला देगी।[32]

सन्दर्भ

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  1. "Exclusive Pics : झारखंड में मिलीं पाषाणकाल की गुफाएं और पत्थरों के औजारों की क्या है खासियत, पढ़िए ये रिपोर्ट". Prabhat Khabar. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  2. "SARANDA FOREST". www.sarandaforest.in. मूल से 26 मार्च 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  3. "हुन्डरु जलप्रपात | जिला राँची, झारखण्ड सरकार | भारत". अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  4. "जोनहा जलप्रपात | जिला राँची, झारखण्ड सरकार | भारत". अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  5. "दशम जलप्रपात | जिला राँची, झारखण्ड सरकार | भारत". अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  6. "लोकप्रिय स्थान | जिला खूँटी, झारखण्ड सरकार | भारत". अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  7. "रुचि के स्थान | लातेहार, झारखण्ड सरकार | भारत". अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  8. "नेतरहाट के मैग्नोलिया प्वाइंट से देखिए सूर्योदय एवं सूर्यास्त का अद्भुत नजारा". Prabhat Khabar. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  9. "दालमा वन्य जीवन अभयारण्य | पूर्वी सिंहभूम | India". अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  10. "बिरसा जैविक उद्यान | Bhagwan Birsa Biological Park | Ormanjhi Zoo - Ranchi Ki Shaan". Ranchi Talk (अंग्रेज़ी में). मूल से 2 जनवरी 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  11. "भगवान परशुराम का तपो स्थली है बाबा टांगीनाथ धाम". Hindustan. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  12. "बाबा बासुकिनाथ धाम | जिला दुमका, झारखण्ड सरकार | India". अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  13. "छिन्नमस्तिके मंदिर | रामगढ़ जिला, झारखंड सरकार | भारत". अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  14. "रांची में रथ मेला का इतिहास : एनीनाथ शाहदेव ने 1691 में जगन्नाथपुर मंदिर का कराया था निर्माण, देखें PICS". Prabhat Khabar. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  15. "Bhadrakali Temple Itkhori: यहां भद्र रूप में विराजमान हैं मां काली, कार्तिक अमावस्या पर आप भी आइए". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  16. "यहां शिव से पहले होती है नाग की पूजा, फहराया जाता है तिरंगा". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  17. "बुंडू का सूर्य मंदिर, पड़ोसी राज्यों के छठव्रती भी अर्ध्य देने आते हैं". News18 हिंदी. 2017-10-27. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  18. "700 साल पुराना है रांची का मां देवड़ी मंदिर, धोनी भी लगाते हैं हाजिरी, जानें स्थापना से जुड़ी मान्यताएं". News18 हिंदी. 2022-04-05. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  19. "पारसनाथ | जिला गिरिडीह, झारखण्ड सरकार | भारत". अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  20. News, Lagatar (2022-01-14). "खरसावां : मां आकर्षणी पीठ पर आखान पूजा कल, पारंपरि". Lagatar (अंग्रेज़ी में). मूल से 2 जनवरी 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  21. "मां रंकिणी का पाषाण और जागृत रूप जानिए मां की महिमा". ETV Bharat News. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  22. "लूगुबरु घंटबाड़ी, बोकारो | जिला बोकारो, झारखण्ड सरकार | India". अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  23. sanjay.chaturvedi. "झारखंड के इस मंदिर में देवी-देवताओं की नहीं बल्कि हाथी की होती है पूजा, 300 साल पहले शुरू हुई ये परंपरा". Asianet News Network Pvt Ltd. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  24. "Oldest Church: झारखंड का सबसे पुराना GEL चर्च, चार गोलों के बाद भी नहीं हुआ था नुकसान". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  25. News, Lagatar (2020-12-05). "गिरजाघर का इतिहास-2: 1906 में रखी गई थी रांची के संत मारिया गिरजाघर की नींव". Lagatar (अंग्रेज़ी में). मूल से 2 जनवरी 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  26. "यह है झारखंड का लंदन, इस गोरों के गांव का नाम है मैक्लुस्कीगंज". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  27. "टैगोर हिल | जिला राँची, झारखण्ड सरकार | भारत". अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  28. "झारखंड वार मेमोरियल में 108 फीट ऊंचा तिरंगा लहराया राज्यपाल और नवीन जिंदल ने किया उद्धाटन". ETV Bharat News. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  29. "Nakshtra Van". cm.jharkhand.gov.in (Hindi में). 2017-11-30. अभिगमन तिथि 2023-01-02.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)[मृत कड़ियाँ]
  30. "रातू महाराज के किले का है ऐतिहासिक महत्व देखिए कैसी है इसकी शानो शौकत". ETV Bharat News. अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  31. "जुबली पार्क | पूर्वी सिंहभूम | India". अभिगमन तिथि 2023-01-02.
  32. "झारखण्ड आये तो ज़रूर घूमे इन जगह पर". २ सितम्बर २०२३.

बाहरी कड़ियाँ

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