प्रदीप (गीतकार)
कवि प्रदीप | |
---|---|
![]() | |
जन्म |
रामचन्द्र नारायणजी द्विवेदी 06 फ़रवरी 1915 |
मौत |
दिसम्बर 11, 1998 | (उम्र 83 वर्ष)
पेशा | कवि, गीतकार |
कवि प्रदीप (मूल नाम : रामचन्द्र नारायणजी द्विवेदी ; ६ फ़रवरी १९१५ - ११ दिसम्बर १९९८) भारतीय कवि एवं गीतकार थे जो देशभक्ति गीत ऐ मेरे वतन के लोगों की रचना के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि में ये गीत लिखा था। लता मंगेशकर द्वारा गाए इस गीत का तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में 26 जनवरी 1963 को दिल्ली के रामलीला मैदान में सीधा प्रसारण किया गया।[1] गीत सुनकर जवाहरलाल नेहरू के आंख भर आए थे।[2] कवि प्रदीप ने इस गीत का राजस्व युद्ध विधवा कोष में जमा करने की अपील की। मुंबई उच्च न्यायालय ने 25 अगस्त 2005 को संगीत कंपनी एचएमवी को इस कोष में अग्रिम रूप से ₹10 लाख जमा करने का आदेश दिया। [3].Sonu The Super Hero Cor ☠️fkfkcicjcjgigigihd=-7]<]'/डङङयठङरठङ
परिचय
[संपादित करें]कवि प्रदीप का मूल नाम 'रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी' था। उनका जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन में बड़नगर नामक स्थान में हुआ। कवि प्रदीप की पहचान 1940 में रिलीज हुई फिल्म बंधन से बनी। हालांकि 1943 की स्वर्ण जयंती हिट फिल्म किस्मत के गीत "दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है" ने उन्हें देशभक्ति गीत के रचनाकारों में अमर कर दिया। गीत के अर्थ से क्रोधित तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिए। इससे बचने के लिए कवि प्रदीप को भूमिगत होना पड़ा.[2].
पांच दशक के अपने पेशे में कवि प्रदीप ने 71 फिल्मों के लिए 1700 गीत लिखे.[4] उनके देशभक्ति गीतों में, फिल्म बंधन (1940) में "चल चल रे नौजवान", फिल्म जागृति (1954) में "आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं", "दे दी हमें आजादी बिना खडग ढाल" और फिल्म जय संतोषी मां (1975) में "यहां वहां जहां तहां मत पूछो कहां-कहां" है। इस गीत को उन्होंने फिल्म के लिए स्वयं गाया भी था।[5][6].
आपने हिंदी फ़िल्मों के लिये कई यादगार गीत लिखे। भारत सरकार ने उन्हें सन 1997-98 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया।
कवि प्रदीप कुमार के सम्मान में मध्यप्रदेश सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग ने कवि प्रदीप राष्ट्रीय सम्मान की स्थापना वर्ष 2013 में की । Archived 2020-02-06 at the वेबैक मशीन पहला कवि प्रदीप राष्ट्रीय सम्मान पुरस्कार उत्तर प्रदेश के प्रसिध्द गीतकार गोपालदास नीरज को दिया गया।
लोकप्रिय गीत
[संपादित करें]- "ऐ मेरे वतन के लोगों" (कंगन)
- "सूनी पड़ी रे सितार" (कंगन)
- "नाचो नाचो प्यारे मन के मोर" (पुनर्मिलन)
- "चल चल रे नौजवान" (बंधन)
- "चने जोर गरम बाबू" (बंधन)
- "पीयू पीयू बोल प्राण पपीहे" (बंधन)
- "रुक न सको तो जाओ" (बंधन)
- "खींचो कमान खींचो" (अंजान)
- "झूले के संग झूलो" (झूला)
- "न जाने किधर आज मेरी नाव चली रे" (झूला)
- "मैं तो दिल्ली से दुल्हन लायारे" (झूला)
- "आज मौसम सलोना सलोना रे" (झूला)
- "मेरे बिछड़े हुए साथी" (झूला)
- "दूर हटो ऐ दुनियावालो हिंदुस्तान हमारा है" (किस्मत)
- "धीरे धीरे आरे बदल" (किस्मत)
- "पपीहा रे, मेरे पियासे" (किस्मत)
- "घर घर में दिवाली है मेरे घर में अँधेरा" (किस्मत)
- "अब तेरे सिवा कौन मेरा" (किस्मत)
- "हर हर महादेव अल्लाह-ओ-अकबर" (चल चल रे नौजवान)
- "रामभरोसे मेरी गाड़ी" (गर्ल्स स्कूल)
- "ऊपर गगन विशाल" (मशाल)
- "किसकी किस्मत में क्या लिखा" (मशाल)
- "आज एशिया के लोगों का काफिला चला" (काफिला)
- "कोयल बोले कु" (बाप बेटी)
- "कान्हा बजाए बंसरी" (नास्तिक)
- "जय जय राम रघुराई" (नास्तिक)
- "कितना बदलगया इंसान" (नास्तिक)
- "गगन झंझना राजा" (नास्तिक)
- "तेरे फूलों से भी प्यार" (नास्तिक)
- "साबरमती के संत" (जागृती)
- "हम लाये हैं तूफ़ान से" (जागृती)
- "चलो चलें माँ" (जागृती)
- "आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ" (जागृती)
- "तेरे द्वार खड़ा भगवान" (वामन अवतार)
- "कहेको बिसरा हरिनाम, माटी के पुतले" (चक्रधारी)
- "दूसरो का दुखड़ा दूर करनेवाले" (दशहरा)
- "तुंनक तुंनक बोले रे मेरा इकतारा" (रामनवमी)
- "पिंजरे के पंछी रे" (नागमणि)
- "कोई लाख करे चतुराई" (चंडी पूजा)
- "नई उम्र की कलियों तुमको देख रही दुनिया सारी" (तलाक़)
- "बिगुल बजरहा आज़ादी का" (तलाक़)
- "मेरे जीवन में किरण बनके" (तलाक़)
- "मुखड़ा देखले प्राणी" (दो बहन)
- "इन्सान का इंसान से हो भाईचारा" (पैग़ाम)
- "ओ अमीरों के परमेश्वर" (पैग़ाम)
- "जवानी में अकेलापन" (पैग़ाम)
- "ओ दिलदार बोलो एक बार" (स्कूल मास्टर)
- "आज सुनो हम गीत विदा का गारहे" (स्कूल मास्टर)
- "सांवरिया रे अपनी मीरा को भूल न जाना" (आँचल)
- "न जाने कहाँ तुम थे" (जिंदगी और ख्वाब)
- "आजके इस इंसान को ये क्या होगया" (अमर रहे ये प्यार)
- "सूरज रे जलते रहना" (हरिश्चंद्र तारामती)
- "टूटगई है माला" (हरिश्चंद्र तारामती)
- "जन्मभूमि माँ" (नेताजी सुभाषचंद्र बोस)
- "सुनो सुनो देशके हिन्दू - मुस्लमान" (नेताजी सुभाषचंद्र बोस)
- "भारत के लिए भगवन का एक वरदान है गंगा" (हर हर गंगे)
- "ये ख़ुशी लेके मैं क्या करूँ" (हर हर गंगे)
- "चल अकेला चल अकेला" (संबंध)
- "तुमको तो करोड़ों साल हुए" (संबंध)
- "जो दिया था तुमने एक दिन" (संबंध)
- "अँधेरे में जो बैठे हो" (संबंध)
- "सुख दुःख दोनों रहते" (कभी धूप कभी छाँव)
- "हाय रे संजोग क्या घडी दिखलाई" (कभी धूप कभी छाँव)
- "चल मुसाफिर चल" (कभी धूप कभी छाँव)
- "जय जय नारायण नारायण हरी हरी" (हरिदर्शन)
- "प्रभु के भरोसे हांको गाडी" (हरिदर्शन)
- "मारनेवाला है भगवन बचानेवाला है भगवन" (हरिदर्शन)
- "मैं इस पार" (अग्निरेखा)
- "मैं तो आरती उतरूँ" (जय संतोषी माँ)
- "यहाँ वहां जहाँ तहां" (जय संतोषी माँ)
- "मत रो मत रो आज" (जय संतोषी माँ)
- "करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं" (जय संतोषी माँ)
- "मदद करो संतोषी माता" (जय संतोषी माँ)
- "हे मारुती सारी रामकथा साकार" (बजरंगबली)
- "बंजा हूँ मैं" (आँख का तारा)
- "ऐ मेरे वतनके लोगों"
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ हिन्दुस्तान टाइम्स: राष्ट्रीय उत्साह के यादगार गीत, १४ अगस्त २००८, कुशाल
- ↑ अ आ "रेडिफ.कॉम: राष्ट्रीय गीत के नायक, ८४ वर्ष के कवि प्रदीप का निधन". Archived from the original on 11 अप्रैल 2010. Retrieved 16 मार्च 2010.
- ↑ स्क्रीन: ‘ऐ मेरे वतन के लोगों...’ न्यायिक संघर्ष समाप्त, १६ सितंबर २००५[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "श्रद्धांजली: कवि प्रदीप". दि इंडिपेंडेंट. लंदन. १५ दिसम्बर १९९८. Archived from the original on 26 फ़रवरी 2014. Retrieved १४-मई-२०११.
{{cite news}}
:|first=
missing|last=
(help); Check date values in:|accessdate=
(help) - ↑ "जय संतोषी मां (१९७५) के गीत". Archived from the original on 20 जुलाई 2011. Retrieved 16 मार्च 2010.
- ↑ इंडियन एक्सप्रेस: प्रसिद्ध गीतकार व राष्ट्र कवि प्रदीप का निधन, ११ दिसम्बर १९९८
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- कविताकोश पर प्रदीप
- राष्ट्रीय एकता में देशभक्ति गीतों की महत्ता शुरू से
- कवि प्रदीप: सिनेमा से आम जन तक पहुँचे (बीबीसी)