ऋषिकेश मुखर्जी

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ऋषिकेश मुखर्जी
जन्म 30 सितंबर 1922[1][2][3][4]
कोलकाता[5]
मौत 27 अगस्त 2006[6][1][2][3][4] Edit this on Wikidata
मुम्बई[5] Edit this on Wikidata
मौत की वजह प्राकृतिक मृत्यु Edit this on Wikidata
नागरिकता ब्रिटिश राज, भारत, भारतीय अधिराज्य Edit this on Wikidata
शिक्षा कोलकाता विश्वविद्यालय Edit this on Wikidata
पेशा फ़िल्म निर्देशक,[5] पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्माता,[5] फिल्म संपादक, निदेशक[5] Edit this on Wikidata
धर्म सनातन धर्म Edit this on Wikidata
पुरस्कार दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, कला में पद्मश्री श्री, पद्म विभूषण Edit this on Wikidata
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

ऋषिकेश/हृषिकेश मुखर्जी एक भारतीय फिल्मकार थे। हृषिकेश दा का भारतीय सिनेमा जगत में अपने विशिष्ट योगदान के लिए जाने जाते हैं।

जीवन[संपादित करें]

ऋषिकेश मुखर्जी का जन्म ३० सितम्बर १९२२ को कोलकाता मेंं हुआ था और उनकी मृत्यु २७ अगस्त सन २००६ को मुम्बई में हुई थी। उन्होंंने विज्ञान विषय से पढ़ाई की थी और कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंंने अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई रसायन शास्त्र मेंं पूरी की थी और कुछ समय तक अध्यापक के रूप में भी काम किया था।

आरंभ[संपादित करें]

'आनंद' और 'मिली' जैसी फ़िल्मों से भारतीय सिनेमा जगत को एक नया मुकाम देने वाले हृषिकेश मुखर्जी ने फ़िल्म 'दो बीघा ज़मीन' में बतौर सहायक निर्देशक के रूप में १९५३ में अपने कैरियर की शुरुआत की थी। हृषिकेश मुखर्जी की सबसे बाद में बनी फ़िल्म थी, 'झूठ बोले कौवा काटे' जो १९९८ में रिलीज़ हुई थी।

व्यक्तिगत जीवन[संपादित करें]

ऋषिकेश मुखर्जी विवाहित थे और उनकी ३ पुत्रियाँ और २ पुत्र हैंं। उनकी पत्नी की मृत्यु ३० साल पहले ही हो चुकी थी। वह पशु प्रेमी थे और उनके बान्द्रा स्थित घर मेंं बहुत सारे कुत्ते और एक बिल्ली थी।

एक भारतीय छाप[संपादित करें]

खासियत[संपादित करें]

मुखर्जी की फ़िल्मों की सबसे बड़ी ख़ासियत है उनका सामाजिक संदर्भ.

हृषिकेश मुखर्जी को याद करते हुए जानी-मानी गायिका लता मंगेशकर कहती हैं, "मैं उन्हें एक निर्देशक और अपने बड़े भाई के रूप में याद करती हूँ. उनसे मेरे काफ़ी अच्छे संबंध थे। उनकी पहली फ़िल्म से मैंने उनके साथ काम किया था।"

लता मानती हैं - "गुरुदत्त, शांताराम और बिमल दा के बाद हृषिकेश दा ही थे जिनकी फ़िल्मों में हिंदुस्तान नज़र आता था। उनकी फ़िल्मों में गाँवों और शहरों में रहने वाला असली हिंदुस्तान नज़र आता था"

हृषिकेश दा के साथ बीते वक्त को याद करते हुए लता मंगेशकर बताती हैं, "कई राज्यों में सफ़ेद साड़ी किसी के गुज़र जाने पर पहनी जाती है। मैं हमेशा से सफ़ेद साड़ी पसंद करती रही हूँ. मुझे याद है कि वो मुझे इसके लिए हमेशा टोकते थे। उन्होंने मुझसे कहा था कि मेरे पास किनारेदार साड़ी पहनकर ही आना और इसलिए मैं उनके पास वैसी ही साड़ी पहनकर जाती थी।"

गीतकार जावेद अख़्तर बताते हैं, "वो एक फ़िल्मकार के अलावा एक शिक्षक भी थे। फ़िल्मों को एडिट करते वक्त उन्होंने कई बातें हम लोगों को बताई जो मैंने हमेशा ध्यान रखी और वो बातें हमारे बहुत काम आई

प्रमुख फिल्में[संपादित करें]

बतौर निर्देशक[संपादित करें]

वर्ष फ़िल्म टिप्पणी
1983 रंग बिरंगी
1979 गोल माल
1978 नौकरी
1977 आलाप
1971 बुड्ढा मिल गया
1970 आनन्द
1968 आशीर्वाद

अन्य निर्माण भूमिका[संपादित करें]

वर्ष फिल्म निर्माण भूमिका टिप्पणी
1947 तथापि
1950 माँ
1951 दो बीघा ज़मीन परिदृश्य, संपादक, सहायक निर्देशक
1953 परिणीता संपादक
1954 बिराज बहू संपादक
1955 देवदास
1958 मधुमती संपादक
1959 हीरा मोती
1961 चार दीवारी संपादक
1970 दस्तक संपादक
1977 आलाप कथा, निर्माता
1983 कुली संपादक

टीवी धारावाहिक[संपादित करें]

  • हम हिन्दुस्तानी (1986)
  • तलाश (1992)
  • धूप छाँव
  • रिश्ते
  • उजाले की ओर

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

इंटरनेट मूवी डेटाबेस पर ऋषिकेश मुखर्जी

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