ककोलत
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चित्र:Stamp-Rel109.gif भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी ककोलत का एक डाक टिकट | ||
स्थिति | गोविन्दपुर, नवादा जिला, बिहार ![]() | |
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निर्देशांक | 24°45′11″N 85°31′32″E / 24.75313222462734°N 85.52542179931528°Eनिर्देशांक: 24°45′11″N 85°31′32″E / 24.75313222462734°N 85.52542179931528°E | |
प्रकार | सेगमेन्टेड खण्ड | |
कुल ऊंछाई | १६० फ़ीट | |
ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भों से युक्त ककोलत एक बहुत ही खूबसूरत पहाड़ी के निकट बसा हुआ एक झरना है। यह झरना बिहार राज्य के नवादा जिले से 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोविन्दपुर पुलिस स्टेशन के निकट स्थित है। नवादा से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 पर 15 किलोमीटर दक्षिण रजौली की ओर जाने पर फतेहपुर से एक सड़क अलग होती है। इस सड़क को गोविन्दपुर-फतेहपुर रोड के नाम से जाना जाता है। यह सड़क सीधे थाली मोड़ को जाती है,जहाँ से तीन कीलोमीटर दक्षिण ककोलत जलप्रपात है।थाड़ी मोड़ से जलप्रपात की शीतलता का एहसास होने लगता है। रास्ते के दोनो ओर खेत,,पेड़- पौधों की हरयाली यात्रा का मजा बहुगुणित कर देती है। यह जिस पहाड़ी पर बसा है, उस पहाड़ी का नाम भी ककोलत है। ककोलत क्षेत्र खूबसूरत दृश्यों से भरा हुआ है। लेकिन इन खूबसूरत दृश्यों में भी सबसे चमकता सितारा यहां स्थित ठण्ढे पानी का झरना है। इस झरने के नीचे पानी का एक विशाल जलाशय है।
ककोलत में एक जलप्रपात है। इस जल प्रपात की ऊँचाई १६० फुट है। ठण्ढे पानी का यह झरना बिहार का एक प्रसिद्ध झरना है। गर्मी के मौसम में देश के विभिन्न भागों से लोग पिकनिक मनाने यहां आते हैं। इस झरने में 150 से 160 फीट की ऊंचाई से पानी गिरता है। इस झरने के चारो तरफ जंगल है। यहां का दृश्य अदभुत आकर्षण उत्पन्न करता है। यह दृश्य आंखो को ठंडक प्रदान करता है।
पौराणिक संदर्भ[संपादित करें]
इस झरने के संबंध में एक पौराणिक आख्याण काफी प्रचलित है। इस आख्याण के अनुसार त्रेता युग में एक राजा को किसी ऋषि ने शाप दे दिया। शाप के कारण राजा अजगर बन गया और वह यहां रहने लगा। कहा जाता है कि द्वापर युग में पाण्डव अपना वनवास व्यतीत करते हुए यहां आए थे। उनके आशीर्वाद से इस शापयुक्त राजा को यातना भरी जिन्दगी से मुक्ित मिली। शाप से मुक्ित मिलने के बाद राजा ने भविष्यवाणी की कि जो कोई भी इस झरने में स्नान करेगा, वह कभी भी सर्प योनि में जन्म नहीं लेगा। इसी कारण बड़ी संख्या में दूर-दूर से लोग इस झरने में स्नान करने के लिए आते हैं। वैशाखी और चैत्र सक्रांति के अवसर पर विषुआ मेले का आयोजन किया जाता है।इस अवसर पर अनेकों गाँव तथा अन्य लोग भी यहाँ आते है। इस मेला को ककोलत आने का औपचारिक शुरूआत भी माना जाता है,,क्योंकि यह गर्मी के शुरूआत में मनाया जाता है।
आवागमन[संपादित करें]
- वायु मार्ग
यहां का निकटतम हवाई अड्डा गया में है। लेकिन यहां वायुयानों का नियमित आना जाना नहीं होता है। इसलिए वायु मार्ग से यहां आने के लिए पटना के जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा आना होता है। यहां से सड़क मार्ग द्वारा ककोलत जाया जा सकता है।
- रेल मार्ग
नवादा में रेलवे स्टेशन है जो गया - क्यूल रेलखंड से जुड़ा हुआ है। गया जंक्शन रेल मार्ग द्वारा देश से सभी शहरो से जुड़ा हुआ है। कोडरमा स्टेशन से भी बस पकड़ कर थाली मोड़ आया जा सकता है।
- सड़क मार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर स्थित होने के कारण ककोलत देश के सभी भागों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। फतेहपर से 18 किलोमीटर की यात्रा में 15 किलोमीटर तक सार्वजनिक वाहन मिल जाते है,,आखिर के तीन किलोमीटर जो थाली मोड़ से शुरू होता है,,