"अजमेर": अवतरणों में अंतर
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'''अजमेर''' [[राजस्थान]] प्रान्त में [[अजमेर जिला|अजमेर जिला]] एवं मुख्य नगर है। यह [[अरावली|अरावली पर्वत श्रेणी]] की तारागढ़ पहाड़ी की ढाल पर स्थित है। यह नगर सातवीं शताब्दी में [[अजयराज|अजयराज सिंह]] नामक एक चौहान राजा द्वारा बसाया गया था। इस नगर का मूल नाम 'अजयमेरु' था। सन् १३६५ में [[मेवाड़]] के शासक, १५५६ में अकबर और १७७० से १८८० तक मेवाड़ तथा [[मारवाड़]] के अनेक शासकों द्वारा शासित होकर अंत में १८८१ में यह अंग्रेजों के आधिपत्य में चला गया। |
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अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम भी भील पूर्वजों के वंशज हैं। 1236 ईस्वी में निर्मित, तीर्थस्थल ख्वाजा मोइन-उद दीन चिश्ती, एक प्रसिद्ध फारसी सुफी संत को समर्पित है। सुंदर 12 वीं सदी की कृत्रिम झील आना सागर एक और पसंदीदा पर्यटन स्थल है। |
अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम भी भील पूर्वजों के वंशज हैं। 1236 ईस्वी में निर्मित, तीर्थस्थल ख्वाजा मोइन-उद दीन चिश्ती, एक प्रसिद्ध फारसी सुफी संत को समर्पित है। सुंदर 12 वीं सदी की कृत्रिम झील आना सागर एक और पसंदीदा पर्यटन स्थल है। |
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अजमेर के खड़े हुए शहर की रख-रखाव दुनिया में सबसे पुराना पहाड़ी किलों में से एक है – तारगढ़ किला जो चौहान राजवंश की सीट थी। अजमेर जैन मंदिर (जो सोनजी की नसीयन के नाम से भी जाना जाता है) अजमेर में एक और पर्यटन स्थल है। |
अजमेर के खड़े हुए शहर की रख-रखाव दुनिया में सबसे पुराना पहाड़ी किलों में से एक है – तारगढ़ किला जो चौहान राजवंश की सीट थी। अजमेर जैन मंदिर (जो सोनजी की नसीयन के नाम से भी जाना जाता है) अजमेर में एक और पर्यटन स्थल है। |
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[[चित्र:आनासागर झील.jpg|अंगूठाकार]] |
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==दर्शनीय स्थल तथा स्मारक== |
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अजमेर के लिए आने वाले सभी लोगों ने भी नाग पहाहर का दौरा किया – आधे घंटे की बस यात्रा से पुष्कर का शहर |
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07:52, 12 मार्च 2020 का अवतरण
अजमेर अजयमेरू[1] | |
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महानगर | |
अजमेर | |
मेयो कॉलेज, अजमेर | |
निर्देशांक: 26°27′00″N 74°38′24″E / 26.4499°N 74.6399°Eनिर्देशांक: 26°27′00″N 74°38′24″E / 26.4499°N 74.6399°E | |
देश | भारत |
राज्य | राजस्थान |
जिला | अजमेर |
संस्थापक | अजयराज प्रथम या अजयराज द्वितीय |
नाम स्रोत | अजयराज प्रथम या अजयराज द्वितीय |
शासन | |
• सभा | अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA), अजमेर नगर निगम (AMC) |
ऊँचाई | 480 मी (1,570 फीट) |
जनसंख्या (2011)[2] | |
• महानगर | 542,321 |
• महानगर | 551,101 |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) |
पिन | 305001 to 305023 |
Telephone code | 0145, +91145 |
वाहन पंजीकरण | RJ-01(अजमेर)
RJ-36 (ब्यावर) |
वेबसाइट | www |
अजमेर राजस्थान प्रान्त में अजमेर जिला एवं मुख्य नगर है। यह अरावली पर्वत श्रेणी की तारागढ़ पहाड़ी की ढाल पर स्थित है। यह नगर सातवीं शताब्दी में अजयराज सिंह नामक एक चौहान राजा द्वारा बसाया गया था। इस नगर का मूल नाम 'अजयमेरु' था। सन् १३६५ में मेवाड़ के शासक, १५५६ में अकबर और १७७० से १८८० तक मेवाड़ तथा मारवाड़ के अनेक शासकों द्वारा शासित होकर अंत में १८८१ में यह अंग्रेजों के आधिपत्य में चला गया।
अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम भी भील पूर्वजों के वंशज हैं। 1236 ईस्वी में निर्मित, तीर्थस्थल ख्वाजा मोइन-उद दीन चिश्ती, एक प्रसिद्ध फारसी सुफी संत को समर्पित है। सुंदर 12 वीं सदी की कृत्रिम झील आना सागर एक और पसंदीदा पर्यटन स्थल है।
अजमेर के खड़े हुए शहर की रख-रखाव दुनिया में सबसे पुराना पहाड़ी किलों में से एक है – तारगढ़ किला जो चौहान राजवंश की सीट थी। अजमेर जैन मंदिर (जो सोनजी की नसीयन के नाम से भी जाना जाता है) अजमेर में एक और पर्यटन स्थल है।
इतिहास
अजमेर शहर की स्थापना 7 वीं सदी में राजा अजय पाल चौहान ने की है, जिन्होंने मुस्लिमों के हमले तक शासन नहीं किया जाने तक बेहद सम्मानित चौहान वंश को स्थापित किया है जो लगातार भारत का शासन करता है।
चौहान का मजबूत पकड़ 11 9 5 में अजमेर में बना रहा, जब तक मोहम्मद घोरी, एक अफगान शासक ने आखिरी चौहान के सम्राट को हराया। उस समय तक अंतिम चौहान सम्राट पृथ्वीराज चौहान थे। उसके बाद से तेजी से बदलते सम्राटों के बाद से अजमेर को अराजक काल का सामना करना पड़ा था।
अंत में, 1556 में, मुगल सम्राट अकबर ने अजमेर जीता और अजमेर को राजस्थान राज्य में अपने सभी अभियानों के मुख्य मुख्यालय के रूप में इस्तेमाल किया। मुगलों की गिरावट के बाद, अजमेर शहर का नियंत्रण मराठों को पारित कर दिया गया है, खासकर ग्वालियर की सिंधियां
भूगोल
दर्शनीय स्थल तथा स्मारक
अजमेर, राजस्थान के केंद्र में अजमेर जिले में स्थित एक शहर और अच्छी तरह से पूर्वी तट में जयपुर और टोंक के जिलों और पश्चिमी तरफ पाली से घिरा हुआ है, जिसे ग्रीन-कार्पेट पहाड़ियों में पारिवार पवित्र शहर भी कहा जाता है।
यह शहर 7 वीं शताब्दी में राजा अजयपाल चौहान द्वारा खोजा गया । शहर इसके बाद से अपने कई पुराने स्मारकों के साथ तेजगढ़ किला, अढ़ाई-दीन का-झोपरा, दरगाह और जैन मंदिर के साथ चमक रहा है।
मुगल भारत के नक्शे में अजमेर की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐतिहासिक अजमेर भारत और विदेश से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। अजमेर में आने वाले पर्यटकों के बीच सबसे अनुकूल स्थान मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है जो समान रूप से हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के द्वारा उलट है।
अजमेर धर्म और संस्कृतियों की परंपराओं के साथ रहता है मुगल युग आर्किटेक्चर ने मसाला को इस जगह में जोड़ा है। इस शहर में कुछ साइटें अन्ना सागर, दौलत बाग, सरकार के स्वामित्व संग्रहालय, नसियान जैन मंदिर की झील और सूफी संत के उपरोक्त उद्धृत कब्र के पाठ्यक्रम शामिल हैं।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- अजमेर का वृहत् इतिहास (गूगल पुस्तक; लेखक-डॉ मोहन लाल गुप्त)
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