साथी (1991 फ़िल्म)
साथी | |
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साथी का पोस्टर | |
निर्देशक | महेश भट्ट |
लेखक | रोबिन भट्ट |
निर्माता | मुकेश दुग्गल |
अभिनेता |
आदित्य पंचोली, मोहसिन ख़ान, वर्षा उसगांवकर |
छायाकार | प्रवीण भट्ट |
संगीतकार | नदीम-श्रवण |
प्रदर्शन तिथि |
1991 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
साथी 1991 की महेश भट्ट द्वारा निर्देशित हिन्दी भाषा की अपराध पर केन्द्रित नाटकीय फिल्म है। इसमें आदित्य पंचोली, मोहसिन ख़ान और वर्षा उसगांवकर मुख्य भूमिकाओं में हैं। अन्य कलाकारों में अनुपम खेर और परेश रावल हैं जिन्होंने नकारात्मक भूमिकाएँ अदा की। यह फिल्म आदित्य पंचोली के करियर की सबसे सफल फिल्म रही।[1]
संक्षेप
[संपादित करें]छोटी सी आयु में सूरज (आदित्य पंचोली) और अमर (मोहसिन ख़ान) ने अपने पिता को पुलिस द्वारा क्रूरता से पिटता हुआ देखा था। दोनों बड़े हो जाते हैं और छोटे-मोटे अपराधी बन जाते हैं। इससे उन्हें बड़ा गैंगस्टर पाशा (परेश रावल) मिलता है। वे अलग-अलग रास्ते चले जाते हैं क्योंकि अमर पाशा के गिरोह की गतिविधियों से नफरत करता है। चूँकि वह नशीली दवाओं का व्यापार करता है। दूसरी ओर सूरज अमीर बनना चाहता है। सूरज पाशा को मार देता है और एक बड़ा गिरोह का नेता बन जाता है। अमर भयभीत है कि अपराध की दुनिया में सूरज खो गया है और मानवता भूल गया है। फिल्म के समापन में, सुल्तान (अनुपम खेर) सूरज को फोन करता है और उसको अमर को मारने के लिए कहता है। वह ऐसा करने से मना कर देता है।
उस दिन बाद में, सूरज का पीछा पुलिस करती है और वो घायल हो जाता है। जबकि उसके अंगरक्षक की हत्या हो जाती है। सूरज उस जगह पहुंचता है जहां अमर और सूरज बचपन में जाते थे। अमर, जिसने अपने दोस्त की आवाज़ को सुन लिया, उस जगह पर पहुँच जाता है। इंस्पेक्टर कोटवाल वहां पहुंचते हैं और अमर उन्हें बताता है कि सूरज आत्मसमर्पण करना चाहता है। इंस्पेक्टर कोटवाल बताता है कि वह वास्तव में असली डॉन सुल्तान है और सूरज को मारने का प्रयास करता है। अमर सूरज को बचाता है और यह सोचकर कि उसने सुल्तान को मार दिया, सूरज की तरफ लौटता है। तभी, सुल्तान, जो मरा नहीं था, पीछे से आता है और अमर को चाकू से भोंकने का प्रयास करता है। सूरज अमर की रक्षा करने के लिए सामने आ जाता है और सुल्तान द्वारा मारा जाता है। सुल्तान को अंत में अमर द्वारा मारा जाता है।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- आदित्य पंचोली ... सूरज
- मोहसिन ख़ान ... अमर
- वर्षा उसगांवकर ... निशा
- परेश रावल ... पाशा
- अनुपम खेर ... इंस्पेक्टर कोटवाल
- मुश्ताक खान ... शेट्टी
- अवतार गिल ... समंत
- जावेद ख़ान
- सोनी राज़दान
संगीत
[संपादित करें]संगीत नदीम-श्रवण द्वारा रचित। "हुई आँख नम" एल्बम का सबसे लोकप्रिय गीत अनुराधा पौडवाल द्वारा गाया गया था। "जिंदगी की तलाश में" आज भी एक हिट गीत है। साउंडट्रैक पर अन्य सफल गीत "याराना यार का" और "आज हम तुम ओ सनम" हैं।
साथी | ||||
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साउंडट्रैक नदीम श्रवण द्वारा | ||||
जारी | 1991 | |||
संगीत शैली | फिल्म साउंडट्रैक | |||
लंबाई | 41:25 | |||
लेबल | टी-सीरीज़ | |||
निर्माता | नदीम श्रवण | |||
नदीम श्रवण कालक्रम | ||||
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सभी नदीम-श्रवण द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "जिंदगी की तलाश में" | समीर | कुमार सानु | 5:51 |
2. | "हुई आँख नम" | नवाब आरज़ू | अनुराधा पौडवाल | 5:04 |
3. | "आज हम तुम ओ सनम" | समीर | जॉली मुखर्जी, अनुराधा पौडवाल | 4:20 |
4. | "याराना यार का" | हसरत जयपुरी | कुमार सानु, विपिन सचदेव | 4:01 |
5. | "ऐसा भी देखो वक्त" | सुरेंद्र साथी | कुमार सानु, अनवर हुसैन | 4:54 |
6. | "हर घड़ी बेखुदी" | समीर | उदित नारायण, अनुराधा पौडवाल | 5:40 |
7. | "मोहब्बत को दुनिया" | समीर | कुमार सानु, देबाशीष दासगुप्त | 5:36 |
8. | "तेरा नाम सबके लब पे" | समीर | अनुराधा पौडवाल | 6:08 |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "4 जनवरी: आज आप अपना बर्थडे इनके साथ शेयर कर रहे हैं". द क्विंट (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 30 जून 2018.