वित्र
इस्लाम |
---|
![]() |
वित्र अरबी भाषा में विषम को कहते हैं। इस्लाम में दैनिक अनिवार्य नमाज़ों के अलावा वित्र की नमाज़ भी पढ़ी जााती है। इस नमाज़ में तीन रकात अर्थात विभाज्य संख्या होने के कारण वित्र की नमाज़ कहते हैं।
विवरण:
वित्र नमाज़ पढ़ने का समय
[संपादित करें]हनफ़ी मुसलमान वित्र नमाज़ रात की ईशा की नमाज़ के आखिर में पढ़ते हैं।
सभी मुसलमानों की मान्यता है कि नमाज़े वित्र का वक़्त इशा की नमाज़ के बाद से सुबह होने तक रहता है
वित्र के बारे में हदीस
[संपादित करें]'निःसंदेह अल्लाह ने तुम्हें एक (अतिरिक्त) नमाज़ प्रदान की है, और वह वित्र है, जिसे अल्लाह ने तुम्हारे लिए इशा की नमाज़ और फज्र उदय होने के बीच में निर्धारित किया है। इस हदीस को तिर्मिज़ी (हदीस संख्याः 425) ने रिवायत किया है और शैख अल्बानी ने “सहीहुत्तिर्मिज़ी” में इसे सहीह क़रार दिया है।
हनफी न्यायशास्त्र के अनुसार
[संपादित करें]वित्र नमाज़ तीन रकअत है और प्रत्येक रकअत में सूरह अल-फातिहा का पाठ करना अनिवार्य है।[1] तीसरी रकात में यानी अल-तहियात का पाठ करने के बाद ही क़ायदा में खड़ा होना है, और दुआ क़ुनूत का पाठ करना अनिवार्य है। वित्र की नमाज़ के सभी तरीक़े सुन्नत से प्रमाणित हैं और सबसे उत्तम यह है कि मुसलमान व्यक्ति हमेशा एक ही तरीक़े पर नमाज़े वित्र न पढ़े, बल्कि कभी इस तरीक़े से और कभी दूसरे तरीक़े से पढ़े ताकि सुन्नत के सब तरीक़ों पर अमल हो जाए।[2]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "वित्र की नमाज़ के वर्णित तरीक़ों का विवरण".
{{cite journal}}
: Cite journal requires|journal=
(help) - ↑ "वित्र की नमाज़ कैसे पढ़ें". Archived from the original on 13 मई 2020. Retrieved 26 अप्रैल 2020.
{{cite journal}}
: Cite journal requires|journal=
(help)