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यूनानी वर्णमाला

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यहाँ ग्रीक अक्षर अनुप्रेषित हैं।

यूनानी वर्णमाला चौबीस अक्षरों की वर्ण व्यवस्था है जिनके प्रयोग से यूनानी भाषा को आठवीं सदी ईसा-पूर्व से लिखा जा रहा है। प्रत्येक स्वर एवं व्यंजन लिए पृथक चिन्ह वाली यह पहली एवं प्राचीनतम वर्णमाला है।[1] यह वर्णमाला फ़ोनीशियाई वर्णमाला से उत्पन्न हुई थी और यूरोप की कई वर्ण-व्यवस्थाएँ इसी से जन्मी हैं। अंग्रेज़ी लिखने के लिये प्रयुक्त रोमन लिपि तथा रूसी भाषा लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली सीरिलिक वर्णमाला दोनों यूनानी लिपि से जन्मी हैं। दूसरी शताब्दी ईसापूर्व के बाद गणितज्ञों ने यूनानी अक्षरों को अंक दर्शाने के लिए भी प्रयोग करना शुरू कर दिया।[1] यूनानी वर्णों का प्रयोग विज्ञान के कई क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे भौतिकी में तत्वों के नाम, सितारों के नाम, बिरादरी एवं साथी सम्प्रदाय के नाम, ऊष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के नाम के लिए।

यूनानी वर्ण
Α
अल्फा
Β
बीटा
Γ
गामा
Δ
डेल्टा
Ε
एप्सिलन
Ζ
जीटा
Η
एटा
Θ
थीटा
Ι
आयोटा
Κ
कप्पा
Λ
लैम्डा
Μ
म्यू
Ν
न्यू
Ξ
जाई
Ο
ओमिक्रान
Π
पाई
Ρ
रो
Σ
सिग्मा
Τ
टाऊ
Υ
अप्सिलन
Φ
फाई
Χ
चाई
Ψ
साई
Ω
ओमेगा

यूनानी वर्णमाला का उद्भव माइसीनियाई (Mycenaean) सभ्यता के पतन के शताब्दियों बाद एवं पूर्ववर्ती यूनानी लेखन प्रणाली, रेखीय बी (B) लिपि के अप्रयुक्त होने के बाद आठवीं सदी ई. पू.[2] के मध्य में हुआ। रेखीय बी (B) का उद्भव रेखीय ए (A) से हुआ जो कि मिनोआई सभ्यता द्वारा विकसित थी, जिनकी भाषा यूनानी से संबन्धित नहीं थी, परिणामस्वरूप मिनोआई अक्षरमाला यूनानी भाषा की ध्वनियों के लिप्यंतरण हेतु आदर्श माध्यम उपलब्ध नहीं करातीं।

आज प्रचलित यूनानी वर्णमाला का विकास यूनानी अंधकार काल के बाद हुआ, यानि माइसीनियाई सभ्यता के पतन (सी ए. 1200 ई.पू) एवं प्राचीन यूनान (यूनान) के उत्कर्ष, जो कि लगभग 800 ई. पू. में होमर के महाकाव्यों एवं 776 ई. पूर्व में प्राचीन ओलंपिक खेलों की शुरूआत से प्रारम्भ हुआ, के मध्य का समय था। ध्वन्यात्मक फ़ोनीशियाई वर्णमाला के एक अनुकलन के रूप में, इसका सबसे उल्लेखनीय परिवर्तन, स्वर अक्षरों का समावेशन है, जिसके बिना यूनानी अपठनीय होती।[1]

सेमीटिक (Semitic) वर्णमाला में स्वर चिन्ह मूलतः प्रयोग नहीं किये गए। पूर्ववर्ती पश्चिमी सीमिटिक (Semitic) लिपि परिवार (फ़ोनीशियाई, इब्रानी, मोआबाइट इत्यादि) में, एक अविशिष्ट स्वर के साथ व्यंजन हेतु एक अक्षर हमेशा प्रयुक्त किया गया। इसने पठनीयता को कम नहीं किया क्योंकि सीमिटिक (Semitic) भाषाओं में शब्द त्रिअक्षरी जड़ों पर आधारित है जो कि केवल व्यंजन की उपस्थिति मात्र से अर्थ स्पष्ट करता है एवं संदर्भ द्वारा स्वर स्पष्ट होते हैं। विपरीत, यूनानी एक भारोपीय भाषा है अतः स्वर में अन्तर अर्थ में बड़ा अन्तर पैदा करता है। अतएव, यूनानी वर्णमाला ने अक्षरों को दो श्रेणियों - स्वर एवं व्यंजन (चीजें जो साथ में ध्वनित होतीं हैं) में विभक्त कर दिया, जहाँ एक व्यंजन को एक उच्चारण योग्य इकाई बनने के लिए स्वर के साथ प्रयोग करना आवश्यक है। यद्यपि प्राचीन युगारिटिक (Ugaritic) वर्णमाला ने मेट्रिस लेक्ष्निस (mater lectionis) का विकास किया, यानि प्रणालीगत रूप से प्रयोग न किये गए स्वरों को प्रकट करने के लिए व्यंजन अक्षरों का प्रयोग।

प्रथम स्वर अक्षर A (अल्फा (alpha)), Ε (एप्सिलॉन (epsilon)), Ι (आयोटा (iota)), Ο (ऑमिक्रॉन (omicron)), एवं Υ (ऊप्सिलॉन (upsilon)) थे जो कि सीमिटिक ग्लोटल (Semitic glottal), फारिंगिअल (pharyngeal) या धीरे निकलने वाले वालेव्यंजनों (glide consonant) के परिवर्तन थे, जिनमें से ज्यादातर ग्रीक भाषा में आवश्यकता से अधिक थे क्रमशः /ʔ/ ('aleph), /h/ (he), /j/ (yodh), /ʕ/ ([[|ʿayin]]) एवं /w/ (waw). पूर्वी ग्रीक में, जिसमें कि पूरी तरह से उच्चारण का अभाव था, सीमिटिक ग्लोटल (Semitic glottal) व्यंजन /ħ/(heth) का एच (H) (ईटा (eta)) दीर्घ स्वरों के लिए भी प्रयोग होता था /ɛː/ एवं अन्ततः Ω (ओमेगा (omega)) अक्षर का प्रयोग दीर्घ के लिए प्रारम्भ हुआ /ɔː/. दीर्घ खुले अक्षरों e एवं o के शामिल करने का कारण भाषा के मौखिक रूपविज्ञान अध्ययन (morphology) में निहित है। परंपरागत ग्रीक में निश्चयात्मक एवं संभावनार्थक अक्षरों में स्पष्ट भेद था जो कि ‘ε (इ (E)) vs. η (एच (H))’ एवं ‘ο (ओ (O)) vs. ω (Ω)’ के नवप्रवर्तन द्वारा स्पष्ट किया गया। अन्य स्वरों में दीर्घ एवं हृस्व के मध्य ग्राफिक अन्तर की आवश्यकता नहीं है। शाब्दिक सामग्रियों हेतु, सामान्यतः यह एक पर्याप्त लक्षण होगा लेकिन जब कभी भी मौखिक प्रणाली के बाहर दीर्घ स्वर η and ω आते हैं - एवं वे α, ι and υ की तरह सर्वव्यापी होते हैं - उन पर चित्रात्मक (ग्राफिक) रूप से विचार करना होगा. दो अन्य दीर्घ स्वर चित्रात्मक भेद प्राप्त करते हैं - दीर्घ बंद e (ει) एवं दीर्घ बंद u (ου) - दोनों चित्र द्वारा समझे जाते हैं।

ग्रीक ने तीन नये व्यंजन अक्षरों Φ (फाई (phi)), Χ (ची (chi)) and Ψ (साई (psi)) को भी शामिल किया जो कि अपने विकास के अनुसार वर्णमाला के अन्त में दिये गए हैं। ये व्यंजन ध्वन्यात्मक (Phoenician) अक्षरों में तुलना योग्य उच्चारणों के अभाव में बने थे। पश्चिमी ग्रीक में, X का प्रयोग /ks/ हेतु तथा Ψ का प्रयोग /kʰ/ हेतु किया गया था - अतः लैटिन अक्षर X पश्चिमी ग्रीक वर्णमाला से लिया गया है। इन अक्षरों की मूल उत्पत्ति विवादास्पद है।

अक्षर Ϻ (सन (San)) का प्रयोग Σ (सिग्मा (sigma)) से भिन्न किया गया था। प्राचीन काल से ही सिग्मा (sigma) जीता एवं सन वर्णमाला से विलुप्त हो गया। अक्षर Ϝ (Wau, बाद में डिगाम्मा (Digamma) संबोधित) एवं Ϙ (कोप्पा (Koppa)) भी अप्रयुक्त हो गए। पूर्व में इनका प्रयोग पश्चिमी बोली के लिए ही आवश्यक था बाद में वास्तव में इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी। लेकिन ये अक्षर आयोनिक अंकीय प्रणाली में प्रयोग होते रहे जिसमें कि संक्षिप्त अंकीय मूल्यों के अक्षरों की श्रेणी शामिल थी। Ϡ (संपी (Sampi)), प्रत्यक्षतः आयोनिया (Ionia) का दुर्लभ स्थानीय glyph रूप था, जो बाद में 900 दर्शाने के लिए शामिल किया गया। हजार को ऊपरी बायें कोने पर मार्क के द्वारा लिखा गया (1000 हेतु 'A, इत्यादि)।

चूँकि ग्रीक अति लघु अक्षर (minuscule) काफी अर्से बाद अस्तित्व में आए, अतएव सन हेतु वास्तव में कोई भी ऐतिहासिक लघुरूप अक्षर मौजूद नहीं है। अन्य अक्षरों हेतु लघु रूपों का प्रयोग केवल अंक के रूप में हुआ। आधुनिक ग्रीक अंक 6 हेतु वौ (Wau) के स्थान पर स्टिग्मा (stigma) (Ϛ,ϛ) नामक एक पुराने बन्ध का प्रयोग करता है, या ΣΤ/στ यदि यह उपलब्ध न हो. 90 के लिए Z -आकार के कोप्पा (Koppa) रूप प्रयोग किये गए :Ϟ, ϟ. (ध्यान दें कि कुछ वेब ब्राउजर/फ़ॉन्ट संयुग्म यहाँ अन्य कोप्पा (Koppa) दर्शाएंगे.)

मूल रूप से, ग्रीक वर्णमाला के कई रूप थे, जिनमें पश्चिमी (केलसीडियन (chalcidian)) एवं पूर्वी (आयोनिक) ग्रीक प्रमुख हैं। पूर्ववर्ती ने पुरानी इटैलिक वर्णमाला तथा बाद में लैटिन वर्णमाला, जबकि उत्तरवर्ती वर्तमान ग्रीक वर्णमाला का आधार है। एथेंस ने मूल रूप से शासकीय दस्तावेज़ों हेतु एटिक (Attic) लिपि का प्रयोग किया जैसेकि कानून संबन्धी दस्तावेज़ एवं होमर की रचनायें; इसमें अल्फा से लेकर ऊप्सिलॉन तक के अक्षर शामिल हैं एवं "e" के स्थान पर ईटा (eta) अक्षर का प्रयोग है। 403 ई.पू. में, एथेंस ने अपने मानक के रूप में आयोनिक लिपि को अपनाया एवं जल्द ही अन्य संस्करण विलुप्त हो गए।

एथेंस के राष्ट्रीय पुरातात्त्विक संग्रहालय में मिट्टी के बर्तनों पर प्रारम्भिक ग्रीक वर्णमाला

तब तक ग्रीक बांऐं से दांयें लिखी जाती थी, लेकिन मूल रूप से यह दांयें से बांऐं लिखी जाती थी (असमरूप अक्षरों को पलटने के साथ) एवं बीच में किसी भी ओर से लिखी जाती थी - या सर्वाधिक संभाव्य रूप में, तथा कथित boustrophedon तरीके से, जिसमें एक के बाद एक पंक्तियाँ दिशा परिवर्तित करती थीं।

हैलनिस्टिक काल में, बाईज़ेनटियम (Byzantium) के एरीसटोफेनिस (Aristophanes) ने उच्चारण विशिष्टता के लिए ग्रीक अक्षरों के विशेषक चिन्ह (diacritic) को प्रारम्भ किया। मध्यकाल के दौरान ग्रीक लिपि में लैटिन वर्णमाला के समानांतर परिवर्तन हुये : जबकि पुराने रूप यादगार लिपि के रूप में बने रहे, वहीं एक इंची (Uncial) एवं अन्ततः लघु रूप प्रभावी हुये. लैटिन दीर्घ और हृस्व s के समान शब्द के अन्त में σ को समान रूप से ς लिखा गया।

अक्षरों के नाम

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प्रत्येक ध्वन्यात्मक (Phoenician) अक्षर के नाम एक शब्द था जो कि उस अक्षर की ध्वनि से प्रारम्भ होता था ; अतः "ox" हेतु ʾaleph शब्द को ग्लोटल अवरोध (glottal stop) /ʔ/ हेतु अपनाया गया, bet, या "घर" ("house"), /b/ ध्वनि हेतु एवं अन्य कई. जब ग्रीक द्वारा अक्षरों को अपनाया गया, ज्यादातर ध्वन्यात्मक (Phoenician) नाम ग्रीक ध्वनि विज्ञान (Phonology) के अनुरूप बनाये रखे गए/ हल्के परिवर्धित किये गए ; अतः ʾaleph, bet, gimel अल्फा, बीटा, गामा हो गए। इन अपनाये गए नामों का ग्रीक में कोई मतलब नहीं था सिवाए अक्षरों के संबोधन के. हालांकि, बाद में ग्रीकों के द्वारा जोड़े गए या परिवर्धित किये गए कुछ चिन्हों के वास्तव में नाम व अर्थ थे। उदाहरण के लिए - ओ मिक्रोन (o mikron) एवं ओ मेगा (o mega) मतलब है "छोटा ओ (o)" एवं "बड़ा ओ (o)". इसी प्रकार, ए प्सिलॉन (e psilon) एवं अ प्सिलॉन (u psilon) का मतलब है "सादा इ (e)" एवं "सादा यू (u)"।

मुख्य अक्षर

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यूनानी अक्षरों और उनके बराबर के लिप्यन्तरित देवनागरी अक्षर नीचे की तालिका में दिए गए हैं। तालिका में समकक्ष फ़ोनीशियाई अक्षर भी दिया गया है जिससे प्रत्येक यूनानी अक्षर लिया गया है। अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला का प्रयोग करते हुये उच्चारण लिखे गए हैं। नीचे दिया गया "शास्त्रीय उच्चारण" ५वीं सदी उत्तरार्ध एवं ४वीं सदी पूर्वार्ध (ई.पू.) में ऐटिक भाषाओँ (Attic) के पुनर्निर्मित उच्चारण हैं। ध्यान रहे कि कुछ अक्षरों के पूर्व-शास्त्रीय युग या ग़ैर-ऐटिक बोलियों में पृथक उच्चारण थे।

अक्षर पूर्वज
फ़ोनीशियाई
अक्षर
अक्षर का नाम देवनागरी लिप्यन्तरण अ॰ध॰व॰ उच्चारण सम्बन्धित अंक
संस्कृत देवनागरी प्राचीन
यूनानी
मध्यकालीन
यूनानी
आधुनिक
यूनानी
प्राचीन
यूनानी
आधुनिक
यूनानी
शास्त्रीय
प्राचीन
यूनानी
आधुनिक
यूनानी
Α α अल्फ़ अल्फ़ अवर्ण अल्फ़ा ἄλφα άλφα अ, आ [a] [aː] [a]
Β β बॅत बॅत आवर्ण बेटा, बीटा βῆτα βήτα [b] [v]
Γ γ गम्ल गम्ल इवर्ण गामा γάμμα γάμ(μ)α ग़, ग, य [ɡ] [ɣ], [ʝ]
Δ δ दॅल्त दॅल्त ईवर्ण डेल्टा δέλτα δέλτα द, ध [d] [ð]
Ε ε हे हे उवर्ण ऍप्सिलन εἶ ἒ ψιλόν έψιλον [e]
Ζ ζ ज़ई ज़ई ऊवर्ण ज़ेटा, ज़ीटा ζῆτα ζήτα ज़ [zd, dz, zː](?) [z]
Η η ख़ॅत ख़ॅत ऋवर्ण एटा, ईटा ἦτα ήτα [ɛː] [i]
Θ θ तॅथ़ तॅथ़ ॠवर्ण थ़ेटा, थ़ीटा θῆτα θήτα थ, थ़ [tʰ] [θ]
Ι ι योद योद ळ्वर्ण आयोटा ἰῶτα (γ)ιώτα [i] [iː] [i], [ʝ] १०
Κ κ काफ़ काफ़ ळ्ळ्वर्ण कापा κάππα κάπ(π)α [k] [k], [c] २०
Λ λ लम्द लम्द एवर्ण लाम्डा λάβδα λάμβδα λάμ(β)δα [l] ३०
Μ μ मेम मेम ऐवर्ण म्यू μῦ μι/μυ [m] ४०
Ν ν नुन नुन ओवर्ण न्यू νῦ νι/νυ [n] ५०
Ξ ξ सॅम्क सॅम्क औवर्ण ज़ाइ ξεῖ ξῖ ξι क्स क्स [ks] ६०
Ο ο अईन अईन अंवर्ण ओमिक्रॉन οὖ ὂ μικρόν όμικρον [o] ७०
Π π पे पे अःवर्ण पाइ πεῖ πῖ πι [p] ८०
Ρ ρ रोश रोश यवर्ण रो ῥῶ ρω र, र्ह [r], [r̥] [r] १००
Σ σ ς शिन शिन रवर्ण सिग्मा σῖγμα σίγμα [s] २००
Τ τ तऊ तऊ लवर्ण टाऊ ταῦ ταυ त, ट [t] ३००
Υ υ वाउ वाउ ववर्ण उपसिलन, अपसिलन ὖ ψιλόν ύψιλον उ, य य, व, फ़ [ʉ(ː)], [y(ː)] [i] ४००
Φ φ उत्पत्ति मतभेदित
(लेख देखें)
शवर्ण फ़ाइ, फ़ी φεῖ φῖ φι फ़ [pʰ] [f] ५००
Χ χ षवर्ण काइ, चाइ, ख़ाइ χεῖ χῖ χι च, ख़ [kʰ] [x], [ç] ६००
Ψ ψ सवर्ण साइ, सी ψεῖ ψῖ ψι प्स [ps] ७००
Ω ω अईन अईन हवर्ण ओमेगा ὦ μέγα ωμέγα ओ, औ [ɔː] [o] ८००
  1. विवरण और विभिन्न लिप्यंतरण प्रणालियों के लिए ग्रीक की रोमनाइज़ेशन (Romanization) देखें.

भिन्न रूप

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कुछ अक्षर भिन्न आकार के होते हैं, यह मुख्यतः मध्यकालीन लघु अक्षर लिखावट से वंशागत होते हैं। हालांकि ग्रीक की सामान्य मुद्रण कला में उनका उपयोग पूरी तरह फ़ॉन्ट शैली की बात है, ऐसे कुछ भिन्नरूपों को यूनिकोड में अलग से एन्कोडिंग दी गई है।

  • चिह्न ϐ ("कर्ल्ड बीटा") बीटा का प्रवाही भिन्न रूप है (β). प्राचीन यूनानी मुद्रण कला की फ्रेंच परंपरा में β शब्द-आद्यतः में एंव ϐ शब्द-आंतरिक में इस्तेमाल होता है।
  • अक्षर एप्सिलॉन दो समान रूप से पुनरावृत्त शैलीगत रूपों में हो सकता है, या तो आकारबद्ध\एप्सिलॉन\,\! (‘ल्युनेट एप्सिलॉन’, स्ट्रोक के साथ एक अर्धवृत्त जैसा) अथवा वैरएप्सिलॉन\,\! (संख्या 3 के पार्श्वीय रूप से उल्टे रूप जैसा) चिह्न ϵ (U+03F5) नवचंद्राकार रूप के लिए होता है जिसका प्रयोग तकनीकी चिह्न के लिए किया जाता है।
  • चिह्न ϑ ("स्क्रिप्ट थीटा") थीटा (θ) का कर्सिव रूप है, जिसका प्रयोग हाथ से लिखने में अक्सर किया जाता है और तकनीकी चिह्न के रूप में विशिष्ट अर्थ के साथ किया जाता है।
  • चिह्न ϰ ("कप्पा चिह्न") कप्पा (κ) का कर्सिव रूप है और इसका प्रयोग तकनीकी चिह्न के लिए किया जाता है।
  • चिह्न ϖ ("वैरिएंट पाई") पाई (π) का प्राचीन लिपि-रूप है और इसका प्रयोग तकनीकी चिह्न के रूप में भी किया जाता है।
  • अक्षर रो (rho) (ρ) विभिन्न शैलिगत रूपों में हो सकता है जिनमें पूंछ नीचे की ओर तिरछी रूप से आने वाली अथवा सीधे नीचे की ओर आने वाली अथवा दाहिनी ओर मुड़ी हुई हो सकती है। चिह्न ϱ (U+03F1) खास तौर से मुड़े हुए रूप में तकनीकी चिह्न के रूप में प्रयुक्त होता है।
  • अक्षर सिग्मा की, मानक वर्तनी में, दो रूप होते हैं: ς जिसका प्रयोग केवल शब्दों के अन्त में, तथा σ, जिसका प्रयोग अन्यत्र होता है। ϲ("नवचंद्राकार सिग्मा", लैटिन अक्षर c के जैसा) एक मध्ययुगीन शैलिगत रूप है, जिसका प्रयोग दोनों परिवेशों में बिना अन्तिम/अनंतिम विशिष्टता के किया जा सकता है।
  • कैपिटल अक्षर ऊप्सिलॉन (Υ) अनेक शैलिगत रूपों में हो सकता है, जिनमें ऊपरी स्ट्रोक या तो लैटिन Y की तरह सीधा होता है, अथवा हल्का सा मुड़ा हुआ होता है। चिह्न ϒ (U+03D2) खासतौर से मुड़े रूप के लिए होता है, जिसका प्रयोग तकनीकी चिह्न के रूप में होता है।
  • अक्षर फाई की दो समान रूप से शैलिगत रूपों में पुनरावृत्ति होती है, जिनका रूप या तो \टेक्स्टस्टाइल\फाई\,\! (एक वृत्त जिसमें इससे होकर एक ऊर्ध्वाधर स्ट्रोक हो) अथवा \टेक्स्टस्टाइल\वैरफाई\,\! (ऊपर की ओर एक तिरछे आकार वाला). चिह्न ϕ (U+03D5) विशेष रूप से बन्द (क्लोज़्ड) रूप के लिआ होता है, जिसका प्रयोग तकनीकी चिह्न के रूप में किया जाता है।

अप्रचलित अक्षर

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निम्नलिखित अक्षर मानक ग्रीक वर्णमाला का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन पूर्व-शास्त्रीय समय में कुछ बोलियों में प्रयोग में थे। अक्षर वौ, सन, कोप्पा और संपी भी ग्रीक अंकों में इस्तेमाल किए जाते थे।

अक्षर अनुरूपी
ध्वन्यात्मक
अक्षर
नाम लिप्यंतरण उच्चारण अंकीय मूल्य
अंग्रेजी प्रारंभिक
ग्रीक
उत्तरकालीन
ग्रीक
बहुस्वरात्मक
Ϛ ϛ (Ϝ ϝ) Waw Waw स्तिग्म Stigma στίγμα एसटी st [st] 6
Ϟ ϟ (Ϙ ϙ) Qoph Qoph कोप्प Koppa ϙόππα κόππα क्यू q [k] पहले /यू/(u), /ओ/ (o) 90
Ϡ ϡ (Ͳ ͳ) मूल विवादित,
संभवतः Tsade Tsade
सम्पि Sampi σαμπῖ एसएस ss सम्भवतः स्पर्शसंघर्ष,
लेकिन समुचित मूल्य वाद विवाद में है;
[sː], [ks], [ts] प्रस्तावित हैं
900
  • वर्णमाला से वौ (Wau) विलुप्त हो गया क्योंकि आयोनिक बोली एवं अन्य बोलियों से इसके द्वारा निकलने वाली वह ध्वनि जो ओठों और कंठ द्वारा निकलती है,[w] विलुप्त हो गईं. अब यह अंक 6 को दर्शाने हेतु अंकीय चिन्ह के रूप में ही प्रयुक्त होता है। इस कार्य रूप में, यह बाद में मध्यकालीन ग्रीक हस्तलेखन में बन्ध युक्ताक्षर स्टिग्मा (ϛ) के साथ सम्मिश्रित हुआ, जिसका उसके छोटे अक्षर के रूप में समान आकार था।
  • संपी (जिसे डीसिग्मा भी कहा जाता है) ने अंकुरित स्पर्शसंघर्ष ध्वनित किया जो बाद में अधिकतर बोलियों में -σσ- (संभवतः [sː]) में एवं एटिक (Attic) में -ττ- (संभवतः [tː] में विकसित हुआ। इसके वास्तविक मान पर काफी विचार विमर्श हुआ लेकिन [ts]अक्सर प्रस्तावित होता है। इसका आधुनिक नाम इसके आकार से लिया गया है : (ω)σαν πι = like (अक्षर) pi.[3]

अक्षरों का टी (T) तक का क्रम ध्वन्यात्मक (Phoenician) या हेब्रू वर्णमाला की तरह होता है।

अक्षर अनुरूपी
ध्वन्यात्मक
अक्षर
नाम लिप्यंतरण उच्चारण अंकीय मूल्य
अंग्रेजी प्रारंभिक
ग्रीक
उत्तरकालीन
ग्रीक
बहुस्वरात्मक
Ϝ ϝ (Ͷ ͷ) Waw Waw वौ Wau (दिगम्म Digamma) ϝαῦ δίγαμμα डबल्यू w [w] 6
Ͱ ͱ Heth Heth हेत Heta ἧτα एच h [h]
Ϻ ϻ Tsade Tsade (स्थिति)
Sin Sin (नाम)
सन San ϻάν σάν एस s [s]
Ϸ ϸ Tsade Tsade (स्थिति)
Sin Sin (नाम)
शो Sho एसएच š [ʃ]

विशेषक चिन्ह

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प्राचीन ग्रीक हेतु परंपरागत रूप से प्रयुक्त बहुस्वरात्मक (polytonic) वर्तनी में स्वर, स्वराघात (accent) एवं श्वसन (breathing) नामक विशेषक चिन्ह लिए हुये हो सकते हैं। स्वराघात (accent), गहन स्वराघात (साँचा:Huge), भारी स्वराघात (साँचा:Huge) एवं स्वर की लंबाई दर्शाने वाले (सर्कमफ्लेक्स) स्वराघात (साँचा:Huge) हो सकते हैं। प्राचीन ग्रीक में, एक स्वर हेतु विभिन्न प्रकार की सुर-तीव्रता (Pitch) के स्वराघात होते हैं। रोमन साम्राज्य काल के अन्त तक, सुर तीव्रता स्वराघात (pitch accent) तनाव स्वराघात (stress accent) में विकसित हो गए एवं बाद की ग्रीक में समस्त स्वराघातों ने तनाव स्वर चिन्हित किये. ये श्वसन अनियमित या खराब श्वसन (साँचा:Huge) हैं जो शब्द के प्रारम्भ में एक ध्वनि करते हैं /h/ एवं नियमित या सुगम श्वसन हैं (साँचा:Huge) जो शब्द के प्रारम्भ में कोई ध्वनि नहीं करते /h/. अक्षर rho (ρ) यद्यपि एक स्वर नहीं है, लेकिन जब यह शब्द प्रारम्भ करता है तो हमेशा एक अनियमित ध्वनि करता है। ग्रीक में एक अन्य विशेषक चिन्ह डियाएरेसिस (diaeresis) (साँचा:Huge) है जो हिएटस (hiatus) को प्रदर्शित करता है।

1982 में पुरानी वर्णविन्यास प्रणाली, जो कि बहुस्वरात्मक (polytonic) के रूप में जानी जाती थी, को सरलीकृत करके एकल स्वरात्मक (monotonic) प्रणाली में बदल दिया गया, जो कि आज ग्रीक में शासकीय है। स्वराघातों को एक, टोनोस (tonos) तक ही सीमित कर दिया गया, तथा श्वसन समाप्त कर दिया गया।

द्विवर्ण एवं द्विस्वर

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डायग्राफ (Digraph) या द्विवर्ण, अक्षरों का एक युग्म है जिसका प्रयोग एक ध्वनि या एक से अधिक ध्वनियों, जो कि एक श्रेणी में लिखे गए अक्षरों के अनुकूल नहीं होतीं, को लिखने के लिए होता है। ग्रीक की वर्तनी में द्विवर्ण शामिल होते हैं। इसमें स्वर अक्षरों के कई जोड़े भी शामिल हैं जिनका उच्चारण द्विस्वर (dipthong) की तरह होता है लेकिन उच्चारण में इन्हें एकल स्वर (monophthong) तक कम कर दिया गया है। इनमें से ज्यादातर आधुनिक ग्रीक के चारित्रिक विकास हैं लेकिन शास्त्रीय ग्रीक में कुछ पहले से उपस्थित थे। इनमें से किसी को वर्णमाला का अक्षर नहीं माना जाता.

बाइजैन्टाइन काल के दौरान द्विवर्ण में एक आयोटा उपलिपि (iota sub script) के रूप में मूक आयोटा (Silent iota) को लिखने का रिवाज हो गया।ᾳ, ῃ, ῳ

अन्य भाषाओं हेतु ग्रीक वर्णमाला का प्रयोग

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हमेशा से ग्रीक वर्णमाला का प्राथमिक रूप से प्रयोग ग्रीक भाषा को लिखने के लिए हुआ है। लेकिन, विभिन्न कालों एवं स्थानों पर इसका प्रयोग अन्य भाषाओं को लिखने के लिए भी हुआ है।[4]

पूर्व उदाहरण

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अतिरिक्त अक्षरों के साथ

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ग्रीक वर्णमाला को सम्मिलित किये हुये कुछ वर्णमालायें कुछ अतिरिक्त अक्षर से भी पूर्ण हुई हैं:

अधिक आधुनिक काल में

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अन्यत्र से ली गईं वर्णमालायें

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ग्रीक वर्णमाला ने कई अन्य वर्णमालाओं को जन्म दिया है:[1]

यह आर्मेनियन वर्णमाला की एक संभावित उत्तराधिकारी भी मानी जाती है एवं इसका जॉर्जियाई (Georgian) वर्णमाला के विकास पर प्रभाव है।

गणित में ग्रीक

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गणित, भौतिकी एवं अन्य विज्ञानों में ग्रीक प्रतीकों का प्रयोग परंपरागत रूप से नामों के लिए होता रहा है। लैटिन अक्षरों से युग्मित करने पर, लैटिन अक्षर सामान्यतः परिवर्ती चर (variable) दर्शातें हैं जबकि ग्रीक अक्षर मानदंड (Parameter) दर्शाते हैं। कई प्रतीकों के परंपरागत अर्थ हैं जैसे कि तरल गतिविज्ञान में आक्रमण कोण (Angle of attack) के लिए अंग्रेजी भाषा के छोटे अल्फा (α), स्वैच्छिक छोटी धनात्मक संख्या हेतु छोटे एप्सिलॉन (ε), जोड़ हेतु बड़े सिग्मा (Σ) एवं मानक विचलन हेतु छोटा सिग्मा (σ) आदि.

ग्रीक एन्कोडिंग

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कंप्यूटर में उपयोग के लिए, ग्रीक ऑनलाइन के लिए एन्कोडिंग की कई किस्में इस्तेमाल की गई हैं, उनमें से कई आरएफसी (RFC) 1947 में दस्तावेज हैं।

आईएसओ/आईईसी (ISO/IEC) 8859-7 और यूनिकोड दो प्रमुख हैं जो आज भी इस्तेमाल की जाती हैं। आईएसओ (ISO) 8859-7 केवल स्वरात्मक वर्तनी का समर्थन करता है और यूनिकोड बहुस्वरात्मक वर्तनी का.

आईएसओ/आईईसी (ISO/IEC) 8859-7

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श्रेणी AO-FF (एओ-एफएफ) (हेक्स) के लिए यह यूनिकोड श्रेणी 370 -3 सीएफ (CF) (नीचे देखें) का अनुसरण करती है, सिवाय की कुछ प्रतीक जैसे ©, ½, § आदि वहा इस्तेमाल किए जाते हैं जहाँ यूनिकोड के पास अप्रयुक्त स्थान हैं। जैसे सभी आईएसओ (ISO)-8859 एन्कोडिंग यह 00-7F (एफ) (हेक्स) के लिए एएससीआईआई (ASCII) के बराबर है।

यूनिकोड में ग्रीक

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यूनिकोड आधुनिक और प्राचीन ग्रीक में आम सतत पाठ के लिए और यहाँ तक कि पुरालेख विद्या के लिए कई पुरातन रूपों के लिए बहुस्वरात्मक वर्तनी का अच्छी तरह से समर्थन करता है। अक्षरों के संयोजन के उपयोग के साथ, यूनिकोड ग्रीक भाषाशास्त्र एंव उपभाषा-शास्त्र तथा विभिन्न अन्य विशिष्ट आवश्यकताओं का भी समर्थन करता है। यद्यपि, अधिकतर मौजूदा पाठ प्रतिपादन इंजन अक्षरों के संयोजन का अच्छी तरह से समर्थन नहीं करते, तो हालांकि मेक्रोंन (macron) और गहन (acute) के साथ अल्फा U+03B1 U+0304 U+0301 के रूप में दर्शाया जा सकता है, यह कभी कभार ही ठीक रहता है: ᾱ́.[7]

यूनिकोड में ग्रीक अक्षर के 2 मुख्य ब्लॉक हैं। पहला "ग्रीक और कोप्टिक" (Coptic) (U+0370 से U+03FF) है। यह ब्लॉक आईएसओ (ISO) 8859-7 पर आधारित है और आधुनिक ग्रीक लिखने के लिए पर्याप्त है। कुछ पुरातन अक्षर और ग्रीक-आधारित तकनीकी प्रतीक भी हैं।

ब्लॉक कोप्टिक (Coptic) वर्णमाला का भी समर्थन करता है। पूर्व में, अधिकतर कोप्टिक (Coptic) अक्षर समान-दिखने वाले ग्रीक अक्षरों के साथ कोडपॉइंट्स (codepoint) बाँटते थे; लेकिन बहुत से अध्ययनशील कार्यों में, दोनों लिपियाँ काफी अलग आकार के अक्षरों के साथ प्रकट होतीं हैं, तो इसलिए यूनिकोड 4.1, कोप्टिक (Coptic) और ग्रीक एकीकृत नहीं थे। वह कोप्टिक अक्षर बिना किसी ग्रीक सम कक्ष के अभी भी इस ब्लॉक में रहते हैं।

बहुस्वरात्मक ग्रीक लिखने के लिए, एक व्यक्ति "ग्रीक विस्तारित" ब्लॉक में संयुक्त डाईएकरिटिकल (diacritical) चिन्ह या पूर्व-प्रकृतिस्थ (precomposed) अक्षरों का प्रयोग कर सकता है (U+1F00 to U+1FFF).

ग्रीक और कोप्टिक

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  0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 एक B C डी F
0370 Ͱ ͱ Ͳ ͳ ʹ ͵ Ͷ ͷ     ͺ ͻ ͼ ͽ ;  
0380         ΄ ΅ Ά · Έ Ή Ί   Ό   Ύ Ώ
0390 ΐ Α Β Γ Δ Ε Ζ Η Θ Ι Κ Λ Μ Ν Ξ Ο
03A0 Π Ρ   Σ Τ Υ Φ Χ Ψ Ω Ϊ Ϋ ά έ ή ί
03B0 ΰ α β γ δ ε ζ η θ ι κ λ μ ν ξ ο
03C0 π ρ ς σ τ υ φ χ ψ ω ϊ ϋ ό ύ ώ Ϗ
03D0 ϐ ϑ ϒ ϓ ϔ ϕ ϖ ϗ Ϙ ϙ Ϛ ϛ Ϝ ϝ Ϟ ϟ
03E0 Ϡ ϡ (कोप्टिक अक्षर यहाँ)
03F0 ϰ ϱ ϲ ϳ ϴ ϵ ϶ Ϸ ϸ Ϲ Ϻ ϻ ϼ Ͻ Ͼ Ͽ

ग्रीक विस्तारित (पूर्व-प्रकृतिस्थ (precomposed) बहुस्वरात्मक ग्रीक)

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  0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 एक B C डी F
1F00
1F10        
1F20
1F30 Ἷ
1F40        
1F50        
1F60
1F70 ά έ ή ί ό ύ ώ    
1F80
1F90
1FA0
1FB0   Ά ι ᾿
1FC0   Έ Ή
1FD0 ΐ     Ί  
1FE0 ΰ Ύ ΅ `
1FF0       Ό Ώ ´  

संयोजन और अक्षर-मुक्त विशेषक चिन्ह (diacritic)

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ग्रीक भाषा से सम्बन्धित विशेषक चिन्हों का संयोजन और अन्तरालन (अक्षर-मुक्त):

संयोजन अन्तरालन नमूना विवरण
U+0300 U+0060 ( ̀) "वारिया (varia)/भारी स्वराघात"
U+0301 U+00B4
U+0384
( ́) "ओक्सिया/ टोनोस/ गहन स्वराघात"
U+0304 U+00AF ( ̄) "मेक्रोंन" (macron)
U+0306 U+02D8 ( ̆) "वराची/ब्रीव"
U+0308 U+00A8 ( ̈) "दिअल्य्तिका/ डियाएरेसिस"
U+0313 U+02BC ( ̓) "प्सिली/ अल्पविराम से ऊपर" (स्पिरिट्स लेनिस)
U+0314 U+02BD ( ̔) "डासिया / ऊपर अल्पविराम उलट" (स्पिरिट्स एस्पर)
U+0342 ( ͂) "पेरिस्पोमेनी" (सर्कमफ्लेक्स)
U+0343 ( ̓) "कोरोनिस" (= U+0313)
U+0344 U+0385 ( ̈́) "दिअल्य्तिका टोनोस" (डेपरिकेटिड, = U+0308 U+0301)
U+0345 U+037A ( ͅ) "य्पोगेग्रम्मेनी/ आयोटा उपलिपि".

ग्रीक वर्णमाला के एक सबसेट के साथ एन्कोडिंग

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आईबीएम (IBM) कोड पृष्ठ 437, 860, 861, 862, 863, एंव 865 में अक्षर ΓΘΣΦΩαδεπστφ (साथ ही ß के लिए एक वैकल्पिक व्याख्या के रूप में β) शामिल है।

इन्हें भी देखें

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ग्रन्थ सूची

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  • Elsie, Robert (1991). "Albanian Literature in Greek Script: the Eighteenth and Early Nineteenth-Century Orthodox Tradition in Albanian Writing" (PDF 0.0 bytes). Byzantine and Modern Greek Studies. 15 (20).[मृत कड़ियाँ]
  • Humez, Alexander; Nicholas Humez (1981). Alpha to omega: the life & times of the Greek alphabet. Godine. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-87923-377-X. - एक लोकप्रिय इतिहास, जिसमें वर्णमाला के मुकाबले अंग्रेजी में ग्रीक जड़ों के बारे में अधिक जानकारी है।
  • Jeffery, Lilian Hamilton (1961). The local scripts of archaic Greece: a study of the origin of the Greek alphabet and its development from the eighth to the fifth centuries B.C. Oxford. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-19-814061-4.
  • Macrakis, Michael S. (ed.) (1996). Greek letters: from tablets to pixels: proceedings of a conference sponsored by the Greek Font Society. Oak Knoll. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1-884718-27-2.सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ: authors list (link) - हर्मन ज़प्फ़, मेथ्यु कार्टर, निकोलस बार्कर, जॉन ए. लेन, काइली मककार्टर जेरोम पिग्नोट, पिएर्रे मकके, सिल्विओ लेवी, इट अल द्वारा अक्षरों की कोडिंग, इतिहास एंव मुद्रण कला पर कागज-पत्र शामिल हैं।
  • Hansen and Quinn (1992 - especially noted for an excellent discussion on traditional accents and breathings, as well as verbal formation). Greek - An Intensive Course, Second Revised Edition. Fordham University Press. |year= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  • Powell, Barry B. (1991). Homer and the Origin of the Greek Alphabet. - होमर के ग्रन्थों के मूल के बन्धन, प्रारम्भिक अभिलेखों और डेटिंग की चर्चा करता है। आईएसबीएन (ISBN) 052158907X
  • Macrakis, Stavros M. (1996). Character codes for Greek: Problems and modern solutions. मूल से 16 दिसंबर 2005 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 मई 2010. - ग्रीक वर्णमाला की चर्चा शामिल करता है, जो ग्रीक के अलावा अन्य भाषाओं के लिए प्रयुक्त की जाती है।
  • सी.जे. रुइजघ (1998) सुर ला डेट डे ला क्रिएशन डे ल'वर्णमाला गरेक (Sur la date de la création de l’alphabet grec). म्नेमोसिन (Mnemosyne) 51, 658-687

सन्दर्भ

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  1. Coulmas, Florian (1996). The Blackwell Encyclopedia of Writing Systems. Oxford: Blackwell Publishers Ltd. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-631-21481-X.
  2. सबसे प्रारम्भ में लिखी गई वस्तुओं की तिथि; ए.डबल्यू.जॉनस्टन, "द एल्फाबेट", एन. स्टेमपोलिडिस और वी. करागिओरघिस में, इडीएस, सी रूट्स फ्रॉम सिडोंन टू हेल्वा: इंटरकनेक्शनज़स इन द मेडीटेरानियन 2003:263-76, डेटिंग पर वर्तमान छात्रवृत्ति का संक्षेप करती है।
  3. "Greek Letter Sampi". मूल से 27 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 जनवरी 2008.
  4. एस. मक्रकिस, ग्रन्थ सूची के लिए 1996 देखें
  5. न्यू फाइनडिन्ग्ज़ इन एंशीएंट अफगानिस्तान- उत्तरी हिंदू-कुश से मिला बेकटरियन (Bactrian) दस्तावेज़ Archived 2007-06-10 at the वेबैक मशीन, प्रो॰ निकोलस सिम्स-विलियम्स द्वारा व्याख्यान (लंदन विश्वविद्यालय)
  6. Dva balgarski rakopisa s gracko pismo", Balgarski starini 6, 1920; आंद्रे मेज़न (André Mazon) एंव आंद्रे वेलेंट (André Vaillant), L'Evangelaire de Kulakia, un parler slave de Bas-Vardar, Bibliothèque d'études balkaniques 6, 1938; जर्गन क्रिस्टोफ्सन (Jürgen Kristophson), "Das Lexicon Tetraglosson des Daniil Moschopolitis", Zeitschrift für Balkanologie 9 :11; Max Demeter Peyfuss, Die Druckerei von Moschopolis, 1731-1769: Buchdruck und Heiligenverehrung in Erzbistum Achrida, Wiener Archiv für Geschichte des Slawentums und Osteuropas 13, 1989.
  7. यूनिकोड में जटिल ग्रीक अक्षर रूपों की विस्तृत चर्चा के लिए देखें ग्रीक यूनिकोड मुद्दे (ग्रीक यूनिकोड इशूज़). Archived 2016-03-16 at the वेबैक मशीन

बाहरी कड़ियाँ

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