पाई
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गणितीय नियतांक π पर लेख श्रृंखला का एक भाग |
गणितीय नियतांक π |
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उपयोग |
चकती का क्षेत्रफल • परिधि • अन्य सूत्रों में प्रयोग |
गुणधर्म |
अपरिमेयता • उत्कृष्टता |
परिमाण |
२२/७ से कम • सन्निकटन • स्मृतिकरण |
लोग |
आर्यभट • आर्किमिडिज़ • लियू हुई • जू चोंग्ज्ही • संगमग्राम के माधव • विलियम जोन्स • जॉन मेचिन • जॉन रिंच • लुडॉल्फ वान स्युलेन |
इतिहास |
कालक्रम • पुस्तकें |
संस्कृति में |
कानून • π दिवस |
सम्बंधित विषय |
वृत का वर्गफलीकरण • बेसल समस्या • फाइनमेन बिन्दु • π से सम्बंधित अन्य विषय |

पाई या π एक गणितीय नियतांक है जिसका संख्यात्मक मान किसी वृत्त की परिधि और उसके व्यास के अनुपात के बराबर होता है। इस अनुपात के लिये π संकेत का प्रयोग सर्वप्रथम सन् १७०६ में विलियम जोन्स ने सुझाया। इसका मान लगभग 3.14159 के बराबर होता है। यह एक अपरिमेय राशि है।
पाई सबसे महत्वपूर्ण गणितीय एवं भौतिक नियतांकों में से एक है। गणित, विज्ञान एवं इंजीनियरी के बहुत से सूत्रों में π आता है।[1]
इतिहास[संपादित करें]
पुरातन[संपादित करें]
2589–2566 ई. पूर्व बने गीजा की महान पिरामिड का परिमाप १७६० क्यूबिट और ऊंचाई २८० क्यूबिट थी; जिसका अनुपात १७६०/२८० ≈ ६.२८५७ पाई के मान के लगभग २ गुणा है। इस अनुपात के आधार पर, कुछ मिस्रविद्य मानते हैं कि पिरामिड बनाने वाले π का ज्ञान रखते थे और वृत के गुणधर्मों को निगमित करने वाले पिरामिड जान - बूझकर बनाए।[2] अन्य मतों के अनुसार π से सम्बंधित उपरोक्त सुझाव केवल संयोग है, क्योंकि इसका कोई प्रमाण उपलब्द्ध नहीं है कि पिरामिड बनाने वालों को π के बारे में जानकारी थी और चूंकि पिरामिड की विमाएं अन्य कारकों पर भी निर्भर करती हैं।[3]
π के शीघ्रातिशीघ्र लिखित सन्निकट मिस्र और बाबिल में मिले हैं, ये दोनों माप १ प्रतिशत की शुद्धता के साथ हैं। बाबिल में ई. पूर्व १९००-१६०० दिनांक वाली क्ले गोली पर ज्यामितीय कथन है कि π का निहित अर्थ २५/८=३.१२५० है।[4] मिस्र में ई. पूर्व १६५० दिनांकित, en:Rhind Papyrus, परन्तु यह ई. पूर्व १८५० दिनांकित एक लेखपत्र की प्रतिलिपी है जिसमें वृत के क्षेत्रफल का सूत्र दिया गया है जो π को (१६/९)२ ≈ ३.१६०५ के रूप में उपयोग करता है।[4]
भारतीय गणित में पाई[संपादित करें]
भारत में ई. पूर्व ६०० में शुल्ब सूत्रों (संस्कृत ग्रन्थ जो गणितिय गणनाओं में बहुत पहुँचे हुए हैं।) में π को (९७८५/५५६८)२ ≈ ३.०८८ लिखा गया है।[5] ई. पूर्व १५९ अथवा शायद इससे भी पहले में भारतीय स्रोत π को ≈ ३.१६२२ लिखते थे।[6]
आर्यभट ने निम्नलिखित श्लोक में पाई का मान दिया है-
- चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्त्राणाम्।
- अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्य आसन्नौ वृत्तपरिणाहः॥
- १०० में चार जोड़ें, आठ से गुणा करें और फिर ६२००० जोड़ें। इस नियम से २०००० परिधि के एक वृत्त का व्यास ज्ञात किया जा सकता है।
- ( (१००+४)*८+६२०००/२००००=३.१४१६ )
इसके अनुसार व्यास और परिधि का अनुपात ((४ + १००) × ८ + ६२०००) / २०००० = ३.१४१६ है, जो दशमलव के पाँच अंकों तक बिलकुल टीक है।
** इसके अनुसार Circumference और Diameter का अनुपात ((४ + १००) × ८ + ६२०००) / २०००० = ३.१४१६ है, जो दशमलव के पाँच अंकों तक बिलकुल टीक है।[7]
शंकर वर्मन ने सद्रत्नमाला में पाई का मान निम्नलिखित श्लोक में दिया है, जो कटपयादि प्रणाली का उपयोग करके लिखा गया है-
- भद्राम्बुद्धिसिद्धजन्मगणितश्रद्धा स्म यद् भूपगी:
- = 3.1415926535897932384626433832795 (इकतीस दशमलव स्थानों तक।)
कुछ प्रमुख भारतीय गणित ग्रन्थों में पाई के मान निम्नलिखित हैं-[8]
शुल्बसूत्र | पाई का मान |
---|---|
1) B.SI. 1-113 | 3 |
2) M.SI. 1.27 | 3.16049 |
3) M.SI. (मजुमदार) | 2.99, 3.029 |
4) M.SI. 10.1.1.8 | 3.088 |
5) M.Si. 10.1.8 | 3.308 |
6) K.SI. 3-13 | 3.0852 |
7) K.SI. 3-14 | 3.004 |
8) B.SI. 1-60 | 3.004 |
9) B.SI. 1-59 | 3.0971 |
10) द्वारकानाथ यज्वा | 3.157991 |
11) आर्यभटीयम् 2-10 | 3.1416 |
12) B.SI. 2-10 | 3.14159 |
13) लीलावती (p-277) | 3.1415926535 |
14) K.SI. 3-13 | 3.088 |
15) B.SI. 16-6-11 | 3.114 |
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ Howard Whitley Eves (1969). An Introduction to the History of Mathematics. Holt, Rinehart & Winston.
- ↑ "हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं यद्यपि प्राचीन मिस्रविद्यों के अनुसार π का शुद्ध मान नहीं प्राप्त किया जा सकता, व्यवहारिक जीवन में उन्होनें इसका प्रयोग किया।" Verner, M. (2003). The Pyramids: Their Archaeology and History., p. 70.
Petrie (1940). Wisdom of the Egyptians., p. 30.
See also Legon, J. A. R. (1991). "On Pyramid Dimensions and Proportions". Discussions in Egyptology. 20: 25–34. मूल से 18 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 मार्च 2013..
See also Petrie, W. M. F. (1925). "Surveys of the Great Pyramids". Nature Journal. 116 (2930): 942–942. डीओआइ:10.1038/116942a0. बिबकोड:1925Natur.116..942P. - ↑ मिस्रविद्य: रोजी, कोरिन्ना, Architecture and Mathematics in Ancient Egypt, Cambridge University Press, 2004, pp 60–70, 200, ISBN 9780521829540.
Skeptics: Shermer, Michael, The Skeptic Encyclopedia of Pseudoscience, ABC-CLIO, 2002, pp 407–408, ISBN 9781576076538.
See also Fagan, Garrett G., Archaeological Fantasies: How Pseudoarchaeology Misrepresents The Past and Misleads the Public, Routledge, 2006, ISBN 9780415305938.
For a list of explanations for the shape that do not involve π, see Roger Herz-Fischler (2000). The Shape of the Great Pyramid. Wilfrid Laurier University Press. पपृ॰ 67–77, 165–166. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780889203242. - ↑ अ आ Arndt & Haenel 2006, पृष्ठ 167
- ↑ Arndt & Haenel 2006, पृष्ठ 168–169
- ↑ Arndt & Haenel 2006, पृष्ठ 169
- ↑ How Aryabhata got the earth's circumference right Archived 15 जनवरी 2017 at the वेबैक मशीन.
- ↑ Value of Pi in Some mathematical calculations in various texts
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- Pi in Indian Mathematics
- Formulas for π at MathWorld
- Representations of Pi at Wolfram Alpha
- Pi at PlanetMath
- Determination of π at Cut-the-knot
- Statistical Distribution Information on PI Archived 9 जनवरी 2010 at the वेबैक मशीन. based on 1.2 trillion digits of PI