भारत का भूविज्ञान



भारतीय भूवैज्ञानिक क्षेत्र व्यापक रूप से भौतिक विशेषताओं का पालन करते हैं और इन्हें तीन क्षेत्रों के समूह में रखा जा सकता है:
- (1) हिमाचल पर्वत शृंखला और उनके संबद्ध पर्वत समूह,
- (२) भारत-गंगा मैदान क्षेत्र, और
- (३) प्रायद्वीपीय ओट।
उत्तर में हिमाचलय पर्वत क्षेत्र, पूर्व में नागालुशाई पर्वत पर्वत निर्माण गतिविधि के क्षेत्र है। इस क्षेत्र का अधिकांश भाग जो वर्तमान समय में विश्व का सार्वधिक सुंदर पर्वत दृश्य प्रस्तुत करता है, 600 मिलियन वर्ष पहले समुद्री क्षेत्र में था। 70 मिलियन वर्ष पहले शुरु हुए पर्वत-निर्माण गतिविधियों की श्रृंखला में तलछटें और आधार चट्टानें काफी ऊँचाई तक पहुँच गई। आज हम जो इन पर उभार देखते हैं, उनको उत्पन्न करने में अपक्षय और अपरदक कारकताओं ने कार्य किया। भारत-गंगा के मैदानी क्षेत्र एक जलोढ़ भूभाग हैं जो दक्षिण के प्रायद्वीप से उत्तर में हिमाचल को अलग करते हैं।
प्रायद्वीप सापेक्ष स्थिरता और कभी-कभार भूकंपीय परेशानियों का क्षेत्र है। 380 करोड़ वर्ष पहले के प्रारंभिक काल की अत्याधिक कायांतरित चट्टानें इस क्षेत्र में पायी जाती हैं, बाकी क्षेत्र गोंदवाना के तटवर्ती क्षेत्र से घिरा है, दक्कन में सीढ़ीदार रचना और छोटी तलछटें लावा के प्रवाह से निर्मित हैं।
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- भारतीय भूविज्ञान सर्वेक्षण
- भारत की भूगर्भिक सरंचना Archived 2020-06-28 at the Wayback Machine
- भारत की भूगर्भिक संरचना Archived 2020-06-28 at the Wayback Machine
- भारत की भूगर्भिक चट्टानें और उनमें मिलने वाले खनिज