चिरसम्मत यांत्रिकी का इतिहास
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विज्ञान का इतिहास |
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पृष्ठभूमि |
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इस अनुच्छेद का सम्बंध चिरसम्मत यांत्रिकी के इतिहास से है।
प्राचीनता[संपादित करें]
प्राचीन यूनानी दार्शनिक, मुख्य रूप से अरस्तु प्रथम व्यक्ति माना जाता है जिसने अमूर्त प्राकृतिक नियमों का उल्लेख किया।
मध्यकालीन सोच[संपादित करें]
फ्रांसीसी पादरी जीन बुरिदन ने आवेग सिद्धान्त दिया जिसे अरस्तु सिद्धन्त का सहायक सिद्धन्त भी माना जाता है।
आधुनिक युग - चिरसम्मत यांत्रिकी का निर्माण[संपादित करें]
यह युग गैलिलीयो के सिद्धन्तों से आरम्भ होता है।
वर्तमान[संपादित करें]
२० वीं शताब्दी के अन्त तक चिरसम्मत सिद्धान्त भौतिकी में आत्मनिर्भर सिद्धान्त नहीं रह पाया। चिरसम्मत विद्युत चुम्बकत्व के साथ-साथ इसको आपेक्षिक क्वांटम यांत्रिकी अथवा क्वांटम क्षेत्र सिद्धान्त का एक भाग मात्र बन गई।
सन्दर्भ[संपादित करें]
- René Dugas A History of Mechanics Dover, (1988) ISBN 0-486-65632-2