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भूगोल पृथ्वी, उसकी विशेषताओं और उस पर होने वाली घटनाओं का एक व्यवस्थित अध्ययन है।
भूगोल पृथ्वी, उसकी विशेषताओं और उस पर होने वाली घटनाओं का एक व्यवस्थित अध्ययन है।
भूगोल के क्षेत्र में आने के लिए आम तौर पर किसी प्रकार के स्थानिक घटक की आवश्यकता होती है जिसे [[मानचित्र]] पर रखा जा सकता है, जैसे [[निर्देशांक]], स्थान के नाम या पते। इसने भूगोल को [[मानचित्रकला]] और स्थान के नामों से जोड़ दिया है। हालांकि कई भूगोलवेत्ताओं को [[स्थलाकृति]] और मानचित्र विज्ञान में प्रशिक्षित किया जाता है, यह उनका मुख्य व्यवसाय नहीं है। भूगोलवेत्ता पृथ्वी के स्थानिक (Spatial) और लौकिक (Temporal) वितरण, घटनाओं, प्रक्रियाओं और विशेषताओं के साथ-साथ मनुष्यों और उनके पर्यावरण की अंतःक्रिया का अध्ययन करते हैं।<ref name="Hayes1">{{Cite web |last=Hayes-Bohanan |first=James |date=29 September 2009 |title=What is Environmental Geography, Anyway? |url=http://webhost.bridgew.edu/jhayesboh/environmentalgeography.htm |url-status=live |archive-url=https://web.archive.org/web/20061026054331/http://webhost.bridgew.edu/jhayesboh/environmentalgeography.htm |archive-date=26 October 2006 |access-date=10 November 2016 |website=webhost.bridgew.edu |publisher=[[Bridgewater State University]] }}</ref>
भूगोल के क्षेत्र में आने के लिए आम तौर पर किसी प्रकार के स्थानिक घटक की आवश्यकता होती है जिसे [[मानचित्र]] पर रखा जा सकता है, जैसे [[निर्देशांक]], स्थान के नाम या पते। इसने भूगोल को [[मानचित्रकला]] और स्थान के नामों से जोड़ दिया है। हालांकि कई भूगोलवेत्ताओं को [[स्थलाकृति]] और मानचित्र विज्ञान में प्रशिक्षित किया जाता है, यह उनका मुख्य व्यवसाय नहीं है। भूगोलवेत्ता पृथ्वी के स्थानिक (Spatial) और लौकिक (Temporal) वितरण, घटनाओं, प्रक्रियाओं और विशेषताओं के साथ-साथ मनुष्यों और उनके पर्यावरण की अंतःक्रिया का अध्ययन करते हैं।<ref name="Hayes1">{{Cite web |last=Hayes-Bohanan |first=James |date=29 September 2009 |title=What is Environmental Geography, Anyway? |url=http://webhost.bridgew.edu/jhayesboh/environmentalgeography.htm |url-status=live |archive-url=https://web.archive.org/web/20061026054331/http://webhost.bridgew.edu/jhayesboh/environmentalgeography.htm |archive-date=26 October 2006 |access-date=10 November 2016 |website=webhost.bridgew.edu |publisher=[[Bridgewater State University]] }}</ref>

क्योंकि स्पेस और स्थान विभिन्न प्रकार के विषयों को प्रभावित करते हैं, जैसे कि अर्थशास्त्र, स्वास्थ्य, जलवायु, पौधे और जानवर, भूगोल अत्यधिक अन्तः अनुशासित है। भौगोलिक दृष्टिकोण की अन्तः अनुशासित प्रकृति भौतिक और मानवीय घटनाओं और उनके स्थानिक पैटर्न के बीच संबंधों पर ध्यान देने पर निर्भर करती है।<ref name="Hornby11">{{Cite book |last1=Hornby |first1=William F. |url=https://books.google.com/books?id=DLpzQgAACAAJ |title=An introduction to Settlement Geography |last2=Jones |first2=Melvyn |date=29 June 1991 |publisher=[[Cambridge University Press]] |isbn=978-0-521-28263-5 |archive-url=https://web.archive.org/web/20161225074059/https://books.google.com/books/about/An_Introduction_to_Settlement_Geography.html?id=DLpzQgAACAAJ |archive-date=25 December 2016 |url-status=live }}</ref> भूगोल पृथ्वी ग्रह विशिष्ट रूप से जुड़ा है, और अन्य खगोलीय पिंडों को भी इसमें शामिल किया गया है, जैसे "[[मंगल_ग्रह#भूगोल|मंगल ग्रह का भूगोल]]", या अन्य नाम ''एरियोग्राफी'' (Areography) दिए गए हैं।<ref>{{cite web |title=Areography |url=https://www.merriam-webster.com/dictionary/areography |website=Merriam-Webster.com |access-date=27 July 2022}}</ref><ref>{{cite journal |title=Areography |last1=Lowell |first1=Percival |journal=Proceedings of the American Philosophical Society |date=April 1902 |volume=41 |issue=170 |pages=225–234 |jstor=983554 |url=https://www.jstor.org/stable/983554 |access-date=27 July 2022}}</ref><ref>{{cite journal |last1=Sheehan |first1=William |title=Geography of Mars, or Areography |journal=Astrophysics and Space Science Library |date=19 September 2014 |volume=409 |pages=435–441 |doi=10.1007/978-3-319-09641-4_7|isbn=978-3-319-09640-7 }}</ref>


यह एक ओर अन्य श्रृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक उत्पत्ति संबंधी धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी उत्पत्ति संबंधी धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है:
यह एक ओर अन्य श्रृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक उत्पत्ति संबंधी धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी उत्पत्ति संबंधी धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है:

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पृथ्वी का मानचित्र (प्राकृतिक प्रक्षेप)
पृथ्वी का राजनीतिक मानचित्र

भूगोल (अंग्रेज़ी: Geography) शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- भू + गोल। यहाँ भू शब्द का तात्पर्य पृथ्वी और गोल शब्द का तात्पर्य उसके गोल आकार से है। यह एक विज्ञान है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महाद्वीप, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, जल-संधियाँ, वन आदि) का ज्ञान होता है। [1]प्राकृतिक विज्ञानों के निष्कर्षों के बीच कार्य-कारण संबंध स्थापित करते हुए पृथ्वीतल की विभिन्नताओं का मानवीय दृष्टिकोण से अध्ययन ही भूगोल का सार तत्व है। पृथ्वी की सतह पर जो स्थान विशेष हैं उनकी समताओं तथा विषमताओं का कारण और उनका स्पष्टीकरण भूगोल का निजी क्षेत्र है।

सर्वप्रथम प्राचीन यूनानी विद्वान इरैटोस्थनिज़ ने भूगोल को धरातल के एक विशिष्टविज्ञान के रूप में मान्यता दी। जिओग्राफिया शब्द का पहला रिकॉर्ड किया गया उपयोग ग्रीक विद्वान इरैटोस्थनिज़ (276-194 ईसा पूर्व) की एक पुस्तक के शीर्षक के रूप में था।[2] इसके बाद हिरोडोटस तथा रोमन विद्वान स्ट्रैबो तथा क्लाडियस टॉलमी ने भूगोल को सुनिश्चित स्वरुप प्रदान किया।

हालांकि भूगोल पृथ्वी से विशिष्ट रूप से जुड़ा है फिर भी ग्रह विज्ञान के क्षेत्र में अन्य खगोलीय पिंडों के लिए कई अवधारणाओं को अधिक व्यापक रूप से लागू किया जा सकता है।[3] ऐसी ही एक अवधारणा, वाल्डो टॉबलर द्वारा प्रस्तावित भूगोल का पहला नियम है, " हर चीज अन्य हर चीज से संबंधित है, लेकिन निकट की चीजें दूर की चीजों से अधिक संबंधित हैं।"[4][5] भूगोल को "विश्व अनुशासन" और "मानव और भौतिक विज्ञान के बीच का पुल कहा गया है।"

परिचय

भूगोल पृथ्वी, उसकी विशेषताओं और उस पर होने वाली घटनाओं का एक व्यवस्थित अध्ययन है। भूगोल के क्षेत्र में आने के लिए आम तौर पर किसी प्रकार के स्थानिक घटक की आवश्यकता होती है जिसे मानचित्र पर रखा जा सकता है, जैसे निर्देशांक, स्थान के नाम या पते। इसने भूगोल को मानचित्रकला और स्थान के नामों से जोड़ दिया है। हालांकि कई भूगोलवेत्ताओं को स्थलाकृति और मानचित्र विज्ञान में प्रशिक्षित किया जाता है, यह उनका मुख्य व्यवसाय नहीं है। भूगोलवेत्ता पृथ्वी के स्थानिक (Spatial) और लौकिक (Temporal) वितरण, घटनाओं, प्रक्रियाओं और विशेषताओं के साथ-साथ मनुष्यों और उनके पर्यावरण की अंतःक्रिया का अध्ययन करते हैं।[6]

क्योंकि स्पेस और स्थान विभिन्न प्रकार के विषयों को प्रभावित करते हैं, जैसे कि अर्थशास्त्र, स्वास्थ्य, जलवायु, पौधे और जानवर, भूगोल अत्यधिक अन्तः अनुशासित है। भौगोलिक दृष्टिकोण की अन्तः अनुशासित प्रकृति भौतिक और मानवीय घटनाओं और उनके स्थानिक पैटर्न के बीच संबंधों पर ध्यान देने पर निर्भर करती है।[7] भूगोल पृथ्वी ग्रह विशिष्ट रूप से जुड़ा है, और अन्य खगोलीय पिंडों को भी इसमें शामिल किया गया है, जैसे "मंगल ग्रह का भूगोल", या अन्य नाम एरियोग्राफी (Areography) दिए गए हैं।[8][9][10]

यह एक ओर अन्य श्रृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक उत्पत्ति संबंधी धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी उत्पत्ति संबंधी धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है:

  1. विज्ञानों से प्राप्त तथ्यों का विवेचन करके मानवीय निवास स्थान के रूप में पृथ्वी का अध्ययन करता है।
  2. अन्य विज्ञानों के द्वारा विकसित धारणाओं में अंतर्निहित तथ्य की परीक्षा का अवसर देता है, क्योंकि भूगोल उन धारणाओं का स्थान विशेष पर प्रयोग कर सकता है।
  3. यह सार्वजनिक अथवा निजी नीतियों के निर्धारण में अपनी विशिष्ट पृष्ठभूमि प्रदान करता है, जिसके आधार पर समस्याओं का स्पष्टीकरण सुविधाजनक होता है।

परिभाषा

  • भूगोल पृथ्वी कि झलक को स्वर्ग में देखने वाला आभामय विज्ञान हैं -- क्लाडियस टॉलमी
  • भूगोल एक ऐसा स्वतंत्र विषय है, जिसका उद्देश्य लोगों को इस विश्व का, आकाशीय पिण्डो का, स्थल, महासागर, जीव-जन्तुओं, वनस्पतियों, फलों तथा भूधरातल के क्षेत्रों मे देखी जाने वाली प्रत्येक अन्य वस्तु का ज्ञान प्राप्त कराना हैं -- स्ट्रैबो

भूगोल एक प्राचीनतम विज्ञान है और इसकी नींव प्रारंभिक यूनानी विद्वानों के कार्यों में दिखाई पड़ती है। भूगोल शब्द का प्रथम प्रयोग यूनानी विद्वान इरैटोस्थनीज ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में किया था। भूगोल विस्तृत पैमाने पर सभी भौतिक व मानवीय तथ्यों की अन्तर्क्रियाओं और इन अन्तर्क्रियाओं से उत्पन्न स्थलरूपों का अध्ययन करता है। यह बताता है कि कैसे, क्यों और कहाँ मानवीय व प्राकृतिक क्रियाकलापों का उद्भव होता है और कैसे ये क्रियाकलाप एक दूसरे से अन्तर्संबंधित हैं।

भूगोल की अध्ययन विधि परिवर्तित होती रही है। प्रारंभिक विद्वान वर्णनात्मक भूगोलवेत्ता थे। बाद में, भूगोल विश्लेषणात्मक भूगोल के रूप में विकसित हुआ। आज यह विषय न केवल वर्णन करता है, बल्कि विश्लेषण के साथ-साथ भविष्यवाणी भी करता है।

पूर्व-आधुनिक काल

यह काल 15वीं सदी के मध्य से शुरू होकर 18वीं सदी के पूर्व तक चला। यह काल आरंभिक भूगोलवेत्ताओं की खोजों और अन्वेषणों द्वारा विश्व की भौतिक व सांस्कृतिक प्रकृति के बारे में वृहत ज्ञान प्रदान करता है। 17वीं सदी का प्रारंभिक काल नवीन 'वैज्ञानिक भूगोल' की शुरूआत का गवाह बना। कोलम्बस, वास्कोडिगामा, मैगलेन और थॉमस कुक इस काल के प्रमुख अन्वेषणकर्त्ता थे। वारेनियस, कान्ट, हम्बोल्ट और रिटर इस काल के प्रमुख भूगोलवेत्ता थे। इन विद्वानों ने मानचित्रकला के विकास में योगदान दिया और नवीन स्थलों की खोज की, जिसके फलस्वरूप भूगोल एक वैज्ञानिक विषय के रूप में विकसित हुआ।

आधुनिक काल

रिटर और हम्बोल्ट का उल्लेख बहुधा आधुनिक भूगोल के संस्थापक के रूप में किया जाता है। सामान्यतः 19वीं सदी के उत्तरार्ध का काल आधुनिक भूगोल का काल माना जाता है। वस्तुतः रेट्जेल प्रथम आधुनिक भूगोलवेत्ता थे, जिन्होंने चिरसम्मत भूगोलवेत्ताओं द्वारा स्थापित नींव पर आधुनिक भूगोल की संरचना का निर्माण किया।

नवीन काल

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भूगोल का विकास बड़ी तीव्र गति से हुआ। हार्टशॉर्न जैसे अमेरिकी और यूरोपीय भूगोलवेत्ताओं ने इस दौरान अधिकतम योगदान दिया। हार्टशॉर्न ने भूगोल को एक ऐसे विज्ञान के रूप में परिभाषित किया जो क्षेत्रीय विभिन्नताओं का अध्ययन करता है। वर्तमान भूगोलवेत्ता प्रादेशिक उपागम और क्रमबद्ध उपागम को विरोधाभासी की जगह पूरक उपागम के रूप में देखते हैं।

अंग तथा शाखाएँ

भूगोल ने आज विज्ञान का दर्जा प्राप्त कर लिया है,सचित्र भोजाकोर जो पृथ्वी तल पर उपस्थित विविध प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूपों की व्याख्या करता है। भूगोल एक समग्र और अन्तर्सम्बंधित क्षेत्रीय अध्ययन है जो स्थानिक संरचना में भूत से भविष्य में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करता है। इस तरह भूगोल का क्षेत्र विविध विषयों जैसे सैन्य सेवाओं, पर्यावरण प्रबंधन, जल संसाधन, आपदा प्रबंधन, मौसम विज्ञान, नियोजन और विविध सामाजिक विज्ञानों में है। इसके अलावा भूगोलवेत्ता दैनिक जीवन से सम्बंधित घटनाओं जैसे पर्यटन, स्थान परिवर्तन, आवासों तथा स्वास्थ्य सम्बंधी क्रियाकलापों में सहायक हो सकता है

विद्वानों ने भूगोल के तीन मुख्य विभाग किए हैं- गणितीय भूगोल, भौतिक भूगोल तथा मानव भूगोल। पहले विभाग में पृथ्वी का सौर जगत के अन्यान्य ग्रहों और उपग्रहों आदि से संबंध बतलाया जाता है और उन सबके साथ उसके सापेक्षिक संबंध का वर्णन होता है। इस विभाग का बहुत कुछ संबंध गणित ज्योतिष से भी है। दूसरे विभाग में पृथ्वी के भौतिक रूप का वर्णन होता है और उससे यह जाना जाता है कि नदी, पहाड़, देश, नगर आदि किसे कहते है और अमुक देश, नगर, नदी या पहाड़ आदि कहाँ हैं। साधारणतः भूगोल से उसके इसी विभाग का अर्थ लिया जाता है। भूगोल का तीसरा विभाग मानव भूगोल है जिसके अन्तर्गत राजनीतिक भूगोल भी आता है जिसमें इस बात का विवेचन होता है कि राजनीति, शासन, भाषा, जाति और सभ्यता आदि के विचार से पृथ्वी के कौन विभाग है और उन विभागों का विस्तार और सीमा आदि क्या है।

एक अन्य दृष्टि से भूगोल के दो प्रधान अंग है : शृंखलाबद्ध भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल। पृथ्वी के किसी स्थानविशेष पर शृंखलाबद्ध भूगोल की शाखाओं के समन्वय को केंद्रित करने का प्रतिफल प्रादेशिक भूगोल है।

भूगोल एक प्रगतिशील विज्ञान है। प्रत्येक देश में विशेषज्ञ अपने अपने क्षेत्रों का विकास कर रहे हैं। फलत: इसकी निम्नलिखित अनेक शाखाएँ तथा उपशाखाएँ हो गई है :

आर्थिक भूगोल-- इसकी शाखाएँ कृषि, उद्योग, खनिज, शक्ति तथा भंडार भूगोल और भू उपभोग, व्यावसायिक, परिवहन एवं यातायात भूगोल हैं। अर्थिक संरचना संबंधी योजना भी भूगोल की शाखा है।

राजनीतिक भूगोल -- इसके अंग भूराजनीतिक शास्त्र, अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, औपनिवेशिक भूगोल, शीत युद्ध का भूगोल, सामरिक एवं सैनिक भूगोल हैं।

ऐतिहासिक भूगोल --प्राचीन, मध्यकालीन, आधुनिक वैदिक, पौराणिक, इंजील संबंधी तथा अरबी भूगोल भी इसके अंग है।

रचनात्मक भूगोल-- इसके भिन्न भिन्न अंग रचना मिति, सर्वेक्षण आकृति-अंकन, चित्रांकन, आलोकचित्र, कलामिति (फोटोग्रामेटरी) तथा स्थाननामाध्ययन हैं।

इसके अतिरिक्त भूगोल के अन्य खंड भी विकसित हो रहे हैं जैसे ग्रंथ विज्ञानीय, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, गणित शास्त्रीय, ज्योतिष शास्त्रीय एवं भ्रमण भूगोल तथा स्थाननामाध्ययन हैं।

भौतिक भूगोल

भौतिक भूगोल -- इसके भिन्न भिन्न शास्त्रीय अंग स्थलाकृति, हिम-क्रिया-विज्ञान, तटीय स्थल रचना, भूस्पंदनशास्त्र, समुद्र विज्ञान, वायु विज्ञान, मृत्तिका विज्ञान, जीव विज्ञान, चिकित्सा या भैषजिक भूगोल तथा पुरालिपि शास्त्र हैं।

भू-आकृति (स्थलाकृति) विज्ञान

पृथ्वी पर 7 महाद्वीप हैं: एशिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका

पृथ्वी पर 5 महासागर हैं: अटलांटिक महासागर, आर्कटिक महासागर,हिंद महासागर, प्रशान्त महासागर | दक्षिण महासागर स्थलाकृति विज्ञान -

शैल - (1) आग्नेय शैल (2) कायांतरित शैल (3) अवसादी शैल |

महासागरीय विज्ञान

जलवायु-विज्ञान

वायुमण्डल, ऋतु, तापमान, गर्मी, उष्णता, क्षय ऊष्मा, आर्द्रता |

मानव भूगोल

मानव भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जो मानव समाज के क्रियाकलापों और उनके परिणाम स्वरूप बने भौगोलिक प्रतिरूपों का अध्ययन करता है। इसके अन्तर्गत मानव के राजनैतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक तथा आर्थिक पहलू आते हैं। मानव भूगोल को अनेक श्रेणियों में बांटा जा सकता है, जैसे:'

भूगोल एक अन्तर्सम्बंधित विज्ञान के रूप में

इतिहास के भिन्न कालों में भूगोल को विभिन्न रूपों में परिभाषित किया गया है। प्राचीन यूनानी विद्वानों ने भौगोलिक धारणाओं को दो पक्षों में रखा था-

  • प्रथम गणितीय पक्ष, जो कि पृथ्वी की सतह पर स्थानों की अवस्थिति को केन्द्रित करता था
  • दूसरा यात्राओं और क्षेत्रीय कार्यों द्वारा भौगोलिक सूचनाओं को एकत्र करता था। इनके अनुसार, भूगोल का मुख्य उद्देश्य विश्व के विभिन्न भागों की भौतिक आकृतियों और दशाओं का वर्णन करना है।

भूगोल में प्रादेशिक उपागम का उद्भव भी भूगोल की वर्णनात्मक प्रकृति पर बल देता है। हम्बोल्ट के अनुसार, भूगोल प्रकृति से सम्बंधित विज्ञान है और यह पृथ्वी पर पाये जाने वाले सभी साधनों का अध्ययन व वर्णन करता है।

हेटनर और हार्टशॉर्न पर आधारित भूगोल की तीन मुख्य शाखाएँ है : भौतिक भूगोल, मानव भूगोल और प्रादेशिक भूगोल। भौतिक भूगोल में प्राकृतिक परिघटनाओं का उल्लेख होता है, जैसे कि जलवायु विज्ञान, मृदा और वनस्पति। मानव भूगोल भूतल और मानव समाज के सम्बंधों का वर्णन करता है। भूगोल एक अन्तरा-अनुशासनिक विषय है।

भूगोल का गणित, प्राकृतिक विज्ञानों और सामाजिक विज्ञानों के साथ घनिष्ठ सम्बंध है। जबकि अन्य विज्ञान विशिष्ट प्रकार की परिघटनाओं का ही वर्णन करते हैं, भूगोल विविध प्रकार की उन परिघटनाओं का भी अध्ययन करता है, जिनका अध्ययन अन्यविज्ञानों में भी शामिल होता है। इस प्रकार भूगोल ने स्वयं को अन्तर्सम्बंधित व्यवहारों के संश्लेषित अध्ययन के रूप में स्थापित किया है।

भूगोल स्थानों का विज्ञान है। भूगोल प्राकृतिक व सामाजिक दोनों ही विज्ञान है, जोकि मानव व पर्यावरण दोनों का ही अध्ययन करता है। यह भौतिक व सांस्कृतिक विश्व को जोड़ता है। भौतिक भूगोल पृथ्वी की व्यवस्था से उत्पन्न प्राकृतिक पर्यावरणका अध्ययन करता है। मानव भूगोल राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और जनांकिकीय प्रक्रियाओं से सम्बंधित है। यह संसाधनों के विविध प्रयोगों से भी सम्बंधित है। प्रारंभिक भूगोल सिर्फ स्थानों का वर्णन करता था। हालाँकि यह आज भी भूगोल के अध्ययन में शामिल है परन्तु पिछले कुछ वर्षों में इसके प्रतिरूपों के वर्णन में परिवर्तन हुआ है। भौगोलिक परिघटनाओंं का वर्णन सामान्यतः दो उपागमों के आधार पर किया जाता है जैसे (१) प्रादेशिक और (२) क्रमबद्ध। प्रादेशिक उपागम प्रदेशों के निर्माण व विशेषताओं की व्याख्या करता है। यह इस बात का वर्णन करने का प्रयास करता है कि कोई क्षेत्र कैसे और क्यों एक दूसरे से अलग है। प्रदेश भौतिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, जनांकिकीय आदि हो सकता है। क्रमबद्ध उपागम परिघटनाओं तथा सामान्य भौगोलिक महत्वों के द्वारा संचालित है। प्रत्येक परिघटना का अध्ययन क्षेत्रीय विभिन्नताओं व दूसरे के साथ उनके संबंधों का अध्ययन भूगोल आधार पर किया जाता है।

भूगोल का भौतिक विज्ञानों से संबंध

भूगोल और गणित

भूगोल की प्रायः सभी शाखाओं विशेष रूप से भौतिक भूगोल की शाखाओं में तथ्यों के विश्लेषण में गणितीय विधियों का प्रयोग किया जाता है।

भूगोल और खगोल विज्ञान (Geography and Astronomy)

खगोल विज्ञान में आकाशीय पिण्डों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। भूतल की घटनाओं और तत्वों पर आकाशीय पिण्डों - सूर्य, चंद्रमा, धूमकेतुओं आदि का प्रत्यक्ष प्रभाव होता है। इसीलिए भूगोल में सौरमंडल, सूर्य का अपने आभासी पथ पर गमन, पृथ्वी की दैनिक और वार्षि गतियों तथा उनके परिणामस्वरूप होने वाले परिवर्तनों - दिन-रात और ऋतु परिवर्तन, चन्द्र कलाओं, सूर्य ग्रहण, चन्द्रगहण आदि का अध्ययन किया जाता है। इन तत्वों और घटनाओं का मौलिक अध्ययन खगोल विज्ञान में किया जाता है। इस प्रकार भूगोल का खगोल विज्ञान से घनिष्ट संबंध परिलक्षित होता है।

भूगोल और भूविज्ञान (Geography and Geology)

भू-विज्ञान पृथ्वी के संगठन, संरचना तथा इतिहास के वैज्ञानिक अध्ययन सं संबंधित है। इसके अंतर्गत पृथ्वी के संघठक पदार्थों, भूतल पर क्रियाशील शक्तियों तथा उनसे उत्पन्न संरचनाओं, भूपटल की शैलें की संरचना एवं वितरण, पृथ्वी के भू-वैज्ञानिक कालों आदि का अध्ययन सम्मिलित होता है। भूगोल में स्थलरूपों के विश्लेषण में भूविज्ञान के सिद्धान्तों तथा साक्ष्यों का सहारा लिया जाता है। इस प्रकार भौतिक भूगोल विशेषतः भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology) का भू-विज्ञान से अत्यंत घनिष्ट संबंध है।

भूगोल और मौसम विज्ञान

भूतल को प्रभावित करने वाले भौगोलिक कारकों में जलवायु सर्वाधिक प्रभावशाली और महत्वपूर्ण कारक है। मौसम विज्ञान वायुमण्डल विशेषतः उसमें घटित होने वाले भौतिक प्रक्रमों तथा उससे सम्बद्ध स्थलमंडल और जलमंडल के विविध प्रक्रमों का अध्ययन करता है। इसके अंतर्गत वायुदाब, तापमान, पवन, आर्द्रता, वर्षण, मेघाच्छादन, सूर्य प्रकाश आदि का अध्ययन किया जाता है। मौसम विज्ञान के इन तत्वों का विश्लेषण भूगोल में भी किया जाता है।

भूगोल और जल विज्ञान (Geography and Hydrology)

जल विज्ञान पृथ्वी पर स्थित जल के अध्ययन से संबंधित है। इसके साथ ही इसमें जल के अन्वेषण, प्रयोग, नियंत्रण और संरक्षण का अध्यन भी समाहित होता है। महासारीय तत्वों के स्थानिक वितरण का अध्ययन भूगोल की एक शखा समुद्र विज्ञन (Oceanography) में किया जाता है। समद्र विज्ञान में महसागयी जल केकर पशुओं के पीने, फसलों की सिंचई करने, काखानों में जलापूर्ति, जशक्ति, जल रिवहन, मत्स्यखेट आदि विभिन्न रूपों में जल आवश्यक ही नहीं अनवर्य होता है। इस प्रकार हम पाते हैं कि भूगोल और जल विज्ञान में अत्यंत निकट का और घनिष्ट संबंध है।

भूगोल और मृदा विज्ञान (Geography and Pedology)

मृदा विज्ञान (Pedology or soil science) मिट्टी के निर्माण, संरचना और विशेषता का वैज्ञानिक अध्ययन करता है। भूतल पर मिट्टियों के वितरण का अध्ययन मृदा भूगोल (Pedogeogaphy or Soil Geography) के अंतर्गत किया जाता है। मिट्टी का अध्ययन कृषि भूगोल का भी महत्वपूर्ण विषय है। इस प्रकार भूगोल की घनिष्टता मृदा विज्ञान से भी पायी जाती है।

भूगोल और वनस्पति विज्ञान

पेड़-पौधों का मानव जीवन से गहरा संबंध है। वनस्पति विज्ञान पादप जीवन (Plant life) और उसके संपूर्ण विश्व रूपों का वैज्ञानिक अध्यय करता है। प्राकृतिक वनस्पतियों के स्थानिक वितरण और विशेषताओं का विश्लेषण भौतिक भूगोल की शाखा जैव भूगोल (Biogeography) और उपशाखा वनस्पति या पादप भूगोल (Plant Geography) में की जाती है।

भूगोल और जन्तु विज्ञान

जन्तु विज्ञान या प्राणि समस्त प्रकार के प्राणि जीवन की संरचना, वर्गीकरण तथा कार्यों का वैज्ञानिक अध्ययन है। मनुष्य के लिए जन्तु जगत् और पशु संसाधन (Animal resource) का अत्यधिक महत्व है। पशु मनुष्य के लिए बहु-उपयोगी हैं। मनुष्य को पशुओं से अनेक उपयोगी पदार्थ यथा दूध, मांस, ऊन, चमड़ा आदि प्राप्त होते हैं और कुछ पशुओं का प्रयोग सामान ढोने और परिवहन या सवारी करने के लिए भी किया जाता है। जैव भूगोल की एक उप-शाखा है जंतु भूगोल (Animal Geography) जिसमें विभिन्न प्राणियों के स्थानिक वितरण और विशेषताओं का विश्लेषण किया जाता है। मानव जीवन के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक सभी क्षेत्रों में पशु जगत का महत्वपूर्ण स्थान होने के कारण इसको भौगोलिक अध्ययनों में भी विशिष्ट स्थान प्राप्त है। अतः भूगोल का जन्तु विज्ञान से भी घनिष्ट संबंध प्रमाणित होता है।

भूगोल का सामाजिक विज्ञानों से संबंध

भूगोल और अर्थ शास्त्र

भोजन, वस्त्र और आश्रय मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएं हैं जो किसी भी देश, काल या परिस्थिति में प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनिवार्य होती हैं। इसके साथ ही मानव या मानव समूह की अन्यान्य सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक आदि आवश्यकताएं भी होती हैं जो बहुत कुछ अर्थव्यवस्था पर आधारित होती हैं। अर्थव्यवस्था (economy) का अध्ययन करना अर्थशास्त्र का मूल विषय है। किसी स्थान, क्षेत्र या जनसमुदाय के समस्त जीविका स्रोतों या आर्थिक संसाधनों के प्रबंध, संगठन तथा प्रशासन को ही अर्थव्यवस्था कहते हैं। विविध आर्थिक पक्षों स्थानिक अध्ययन भूगोल की एक विशिष्ट शाखा आर्थिक भूगोल में किया जाता है।

भूगोल और समाजशास्त्र

समाजशास्त्र मनुष्यों के सामाजिक जीवन, व्यवहार तथा सामाजिक क्रिया का अध्ययन है जिसमें मानव समाज की उत्पत्ति, विकास, संरचना तथा सामाजिक संस्थाओं का अध्ययन सम्मिलित होता है। समाजशास्त्र मानव समाज के विकास, प्रवृत्ति तथा नियमों की वैज्ञानिक व्याख्या करता है। समस्त मानव समाज अनेक वर्गों, समूहों तथा समुदायों में विभक्त है जिसके अपने-अपने रीति-रिवाज, प्रथाएं, परंपराएं तथा नियम होते हैं जिन पर भौगोलिक पर्यावरण का प्रभाव निश्चित रूप से पाया जाता है। अतः समाजशास्त्रीय अध्ययनों में भौगोलिक ज्ञान आवश्यक होता है।

भूगोल और इतिहास

मानव भूगोल मानव सभ्यता के इतिहास तथा मानव समाज के विकास का अध्ययन भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में करता है। किसी भी देश या प्रदेश के इतिहास पर वहां के भौगोलिक पर्यावरण तथा परिस्थितियों का गहरा प्रभाव पाया जाता है। प्राकृतिक तथा मानवीय या सांस्कृतिक तथ्य का विश्लेषण विकासात्मक दृष्टिकोण से करते हैं तब मनुष्य और पृथ्वी के परिवर्तनशील संबंधों का स्पष्टीकरण हो जाता है। किसी प्रदेश में जनसंख्या, कृषि, पशुपालन, खनन, उद्योग धंधों, परिवहन के साधनों, व्यापारिक एवं वाणिज्कि संस्थाओं आदि के ऐतिहासिक विकास का अध्ययन मानव भूगोल में किया जाता है जिसके लिए उपयुक्त साक्ष्य और प्रमाण इतिहास से ही प्राप्त होते हैं।

भूगोल और राजनीति विज्ञान

राजनीति विज्ञान के अध्ययन का केन्द्र बिन्दु ‘शासन व्यवस्था’ है। इसमें विभिनन राष्ट्रों एवं राज्यों की शासन प्रणालियों, सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों आदि का अध्ययन किया जाता है। राजनीतिक भूगोल मानव भूगोल की एक शाखा है जिसमें राजनीतिक रूप से संगठित क्षेत्रों की सीमा, विस्तार, उनके विभिनन घटकों, उप-विभागों, शासित भू-भागों, संसाधनों, आंतरिक तथा विदेशी राजनीतिक संबंधों आदि का अध्ययन सम्मिलित होता है। मानव भूगोल की एक अन्य शाखा भूराजनीति (Geopolitics) भी है जिसके अंतर्गत भूतल के विभिन्न प्रदेशों की राजनीतिक प्रणाली विशेष रूप से अंतर्राष्टींय राजनीति पर भौगोलिक कारकों के प्रभाव की व्याख्या की जाती है। इन तथ्यों से स्पष्ट है कि भूगोल और राजनीति विज्ञान परस्पर घनिष्ट रूप से संबंधित हैं।

भूगोल और जनांकिकी (Geography and Demography)

जनांकिकी या जनसांख्यिकी के अंतर्गत जनसंख्या के आकार, संरचना, विकास आदि का परिमाणात्मक अध्ययन किया जाता है। इसमें जनसंख्या संबंधी आंकड़ों के एकत्रण, वर्गीकरण, मूल्यांकन, विश्लेषण तथा प्रक्षेपण के साथ ही जनांकिकीय प्रतिरूपों तथा प्रक्रियाओं की भी व्याख्या की जाती है। मानव भूगोल और उसकी उपशाखा जनसंख्या भूगोल में भौगोलिक पर्यावरण के संबंध में जनांकिकीय प्रक्रमों तथा प्रतिरूपों में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार विषय सादृश्य के कारण भूगोल और जनांकिकी में घनिष्ट संबंध पाया जाता है।

भूगोल में प्रयुक्त तकनीकें

मानचित्र कला

गेरार्डस मेर्केटर
  • नकशा बनाना
  • नाप, कम्पास
  • दिक्सूचक
  • मापन, पैमाइश करना
  • आकाशी मानचित्र
  • समोच्च रेखी
  • भू- वैज्ञानिक मानचित्र
  • आधार मानचित्र
  • समोच्च नक्शा
  • कार्नो प्रतिचित्र
  • बिट प्रतिचित्र प्रोटोकॉल
  • खंड प्रतिचित्र सारणी
  • नक्शानवीसी
  • मानचित्र

भौगोलिक सूचना तंत्र

सुदूर संवेदन

भूसांख्यिकीय विधियाँ

भूमिति

सर्वेक्षण

  • प्रत्याशा सर्वेक्षण
  • आर्थिक सर्वेक्षण
  • खेत प्रबंध सर्वेक्षण
  • भूमिगत जल सर्वेक्षण
  • जल सर्वेक्षण
  • प्रायोगिक सर्वेक
  • ग्राम सर्वेक्षण

सन्दर्भ

  1. "Geography Archived 2006-11-09 at the वेबैक मशीन" - The American Heritage Dictionary/ of the English Language, Fourth Edition. Houghton Mifflin Company. Retrieved October 9, 2006.
  2. Dahlman, Carl; Renwick, William (2014). Introduction to Geography: People, Places & Environment (6 संस्करण). Pearson. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780137504510.
  3. Burt, Tim (2009). Key Concepts in Geography: Scale, Resolution, Analysis, and Synthesis in Physical Geography (2 संस्करण). John Wiley & Sons. पपृ॰ 85–96. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4051-9146-3.
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इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

  • भूगोल (गूगल पुस्तक ; लेखक - यश पाल सिंह)