"युग वर्णन": अवतरणों में अंतर

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{{ज्ञानसन्दूक देवी देवता
| Image = Bhagavan Vishnu.jpg
| Caption = चतुर्भुजी विष्णु
| Name = विष्णु
| Devanagari = विष्णु
| Sanskrit_Transliteration =
| Pali_Transliteration =
| Tamil_script =
| Affiliation = [[हिन्दू देवता]]
| God_of = सृष्टि के पालनकर्ता
| Abode = [[वैकुंठ]]
| Mantra = ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
| Weapon = [[शंख|पांचजन्य शंख]], [[चक्र|सुदर्शन चक्र]], [[गदा|कौमुदी गदा]] [[कमल|पद्म]]
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| Planet =
}}

'''युग''' का अर्थ होता है एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि। उदाहरणः [[कलियुग]], [[द्वापर]], [[सत्य युग|सत्ययुग]], [[त्रेतायुग]] आदि । '''युग वर्णन''' का अर्थ होता है की उस युग में किस प्रकार से व्यक्ति का जीवन, आयु, ऊचाई होता है एवं उनमे होने वाले अवतारो के बारे में बिस्तार से परिचय दे ।
'''युग''' का अर्थ होता है एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि। उदाहरणः [[कलियुग]], [[द्वापर]], [[सत्य युग|सत्ययुग]], [[त्रेतायुग]] आदि । '''युग वर्णन''' का अर्थ होता है की उस युग में किस प्रकार से व्यक्ति का जीवन, आयु, ऊचाई होता है एवं उनमे होने वाले अवतारो के बारे में बिस्तार से परिचय दे ।


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*मनुष्य की आयु - १.००,०००
*मनुष्य की आयु - १.००,०००
*लम्बाई - ३२ फिट (लगभग) [ २१ हाथ ]
*लम्बाई - ३२ फिट (लगभग) [ २१ हाथ ]
*[[तीर्थ]] -[[पुष्कर]]
*[[तीर्थ]] - [[पुष्कर]]
*[[पाप]] - ० विश्वा
*[[पाप]] - ० विश्वा
*[[पुण्य]] - २० विश्वा
*[[पुण्य]] - २० विश्वा

15:28, 7 दिसम्बर 2014 का अवतरण

विष्णु
देवनागरी विष्णु
संबंध हिन्दू देवता
निवासस्थान वैकुंठ
मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
अस्त्र पांचजन्य शंख, सुदर्शन चक्र, कौमुदी गदा पद्म
सवारी गरुड़

युग का अर्थ होता है एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि। उदाहरणः कलियुग, द्वापर, सत्ययुग, त्रेतायुग आदि । युग वर्णन का अर्थ होता है की उस युग में किस प्रकार से व्यक्ति का जीवन, आयु, ऊचाई होता है एवं उनमे होने वाले अवतारो के बारे में बिस्तार से परिचय दे ।

प्रत्येक युग के वर्ष प्रमाण और उनकी विस्तृत जानकारी कुछ इस तरह है :

सत्ययुग

त्रेतायुग

  • पूर्ण आयु - १२,९६,०००
  • मनुष्य की आयु - १०,०००
  • लम्बाई - २१ फिट (लगभग) [ १४ हाथ ]
  • तीर्थ - नैमिषारण्य
  • पाप - ५ विश्वा
  • पुण्य - १५ विश्वा
  • अवतार – वामन, परशुराम, राम (राजा दशरथ के घर)
  • कारण – बलि का उद्धार कर पाताल भेजा, मदान्ध क्षत्रियो का संहार, रावण-वध एवं देवो को बन्धनमुक्त करने के लिए ।
  • मुद्रा – स्वर्ण
  • पात्र – चाँदी का

द्वापरयुग


कलियुग