संघर्ष (1999 फ़िल्म)
संघर्ष | |
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निर्देशक | तनुजा चन्द्रा |
लेखक |
महेश भट्ट गिरिश धमिजा (संवाद) |
निर्माता | मुकेश भट्ट |
अभिनेता |
अक्षय कुमार प्रीति ज़िंटा आशुतोष राणा |
छायाकार | धर्म तेजा |
संपादक | अमित सक्सेना |
संगीतकार | जतिन-ललित |
वितरक | विशेष फ़िल्म्स |
प्रदर्शन तिथि |
3 सितम्बर 1999 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
लागत | ₹4 करोड़ (US$5,84,000) |
कुल कारोबार | ₹10 करोड़ (US$1.46 मिलियन) |
संघर्ष तनुजा चन्द्रा द्वारा निर्देशित 1999 की बॉलीवुड मनोवैज्ञानिक थ्रिलर फ़िल्म है। इसमें अक्षय कुमार, प्रीति ज़िंटा और आशुतोष राणा मुख्य अभिनय भूमिका में हैं।[1]
संक्षेप
[संपादित करें]बाल अपहरण और हत्याओं की एक श्रृंखला ने पुलिस को परेशान कर दिया है और वह मामले को हल करने में असमर्थ रही है। इसलिए मामला सीबीआई को सौंप दिया जाता है, जो इस मामले को हल करने के लिए प्रशिक्षु रीत ओबेरॉय (प्रीति जिंटा) को नामित करती है। कुछ जाँच के बाद साक्ष्य लज्जा शंकर पांडे (आशुतोष राणा) की ओर इशारा करते हैं, जो कि धार्मिक कट्टरपंथी है जो बच्चों के बलिदान से अमरत्व प्राप्त करने में विश्वास करता है। पांडे के अनियमित व्यवहार और रीत के आघात के चलते (एक बच्चे के रूप में उसके आतंकवादी बड़े भाई जस्सी को उसके घर में पुलिस द्वारा मार दिया गया था), वह एक कैदी से मदद लेने के लिए मजबूर होती है। निहित प्रतिभा लिये प्रोफेसर अमन वर्मा (अक्षय कुमार) को अन्यायपूर्ण तरीके से सजा दी गई थी।
शुरू में वह रीत की तरफ अशिष्ट है और उसकी मदद करने से इंकार कर देता है। लेकिन कुछ मदद के साथ वह उसे अपनी मदद करने के लिये मना लेती है। मामला और भी कठिन हो जाता है क्योंकि उन्हें पता चला कि गृह मंत्री के एकमात्र बच्चे का पांडे ने अपहरण कर लिया है। रीत अपने दर्दनाक बचपन और भय के कारण अकेले दबाव को संभाल नहीं सकती। वह वर्मा के तरीकों के कारण आंशिक रूप से स्थानीय पुलिस से विरोध का सामना भी करती है। जैसे-जैसे वे एक साथ अधिक समय बिताना शुरू करते हैं, वह उसका डर दूर करने में मदद करता है और वे दोनों एक दूसरे के साथ प्यार में पड़ जाते हैं।
अंततः वे पांडे को ढूंढ लेते हैं, जो सूर्य ग्रहण के दिन अंतिम बलिदान शुरू करने जा रहा है। उसका मानना है कि अंततः उसे अमरत्व प्राप्त करने में इससे मदद मिलेगी। अमन और रीत अंततः बच्चे को बचाते हैं और इस प्रक्रिया में पांडे की हत्या करते हैं। लेकिन अमन को गंभीर रूप से चोट पहुँचती है और वह मृत्यु के कगार पर होता है। अमन रीत की बाहों में मर जाता है। रीत का नायक के रूप में स्वागत किया जाता है और उसे अपने आप में जीवन की एक नई भावना मिलती है।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- अक्षय कुमार - प्रोफेसर अमन वर्मा
- प्रीति ज़िंटा - सी बी आई ऑफीसर रीत ओबेरॉय
- आशुतोष राणा - लज्जा शंकर पांडे
- विश्वजीत प्रधान - सी बी आई प्रमुख
- अमन वर्मा - अमित
- आलिया भट्ट - छोटी रीत
संगीत
[संपादित करें]सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत जतिन-ललित द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "दिल का करार बलिये" | सोनू निगम, श्रद्धा पंडित | 5:28 |
2. | "नाराज सवेरा है" | कुमार सानु | 5:11 |
3. | "मंजिल ना हो" (I) | रेमो फर्नांडीस, जसपिंदर नरूला | 5:26 |
4. | "मुझे रात दिन बस" | सोनू निगम | 5:12 |
5. | "मंजिल ना हो" (II) | रेमो फर्नांडीस | 5:26 |
6. | "नजदीक सवेरा है" | कुमार सानु | 2:19 |
7. | "हम बड़ी दूर चले" | सोनू निगम, श्रद्धा पंडित | 4:36 |
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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2000 | आशुतोष राणा | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार | जीत |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ रवि, पी॰आर॰ (२६ सितम्बर १९९९). "I want to tell my story from the woman's point of view" [मैं अपनी कहानी एक महिला के दृष्टिकोण से बताती हूँ]. द ट्रिब्यून (अंग्रेज़ी में). मूल से 31 अगस्त 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १८ सितम्बर २०१६.