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20:06, 16 फ़रवरी 2017 का अवतरण
मदुरई / मदुरै | |||||||
— शहर — | |||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||
देश | भारत | ||||||
राज्य | तमिल नाडु | ||||||
ज़िला | मदुरई जिला | ||||||
महापौर | राजन चेल्लप्पा | ||||||
जनसंख्या • घनत्व |
1,016,885 (2011 के अनुसार [update]) | ||||||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
109 km² (42 sq mi) • 8 मीटर (26 फी॰) | ||||||
विभिन्न कोड
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आधिकारिक जालस्थल: www.maduraicorporation.in |
निर्देशांक: 9°48′N 78°06′E / 9.8°N 78.10°E मदुरै या मदुरई (तमिल: மதுரை एवं उच्चारण: [mɐd̪ɯrəj]), दक्षिण भारत के तमिल नाडु राज्य के मदुरई जिले का मुख्यालय नगर है। यह भारतीय प्रायद्वीप के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक है।[1] इस शहर को अपने प्राचीन मंदिरों के लिये जाना जाता है। यहाँ का मीनाक्षी मंदिर विश्व के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस शहर को कई अन्य नामों से बुलाते हैं, जैसे कूडल मानगर, तुंगानगर (कभी ना सोने वाली नगरी), मल्लिगई मानगर (मोगरे की नगरी) था पूर्व का एथेंस। यह वैगई नदी के किनारे स्थित है। लगभग २५०० वर्ष पुराना यह स्थान तमिल नाडु राज्य का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और व्यावसायिक केंद्र है। यहां का मुख्य आकर्षण मीनाक्षी मंदिर है जिसके ऊंचे गोपुरम और दुर्लभ मूर्तिशिल्प श्रद्धालुओं और सैलानियों को आकर्षित करते हैं। इस कारणं इसे मंदिरों का शहर भी कहते हैं।[1] मदुरै एक समय में तमिल शिक्षा का मुख्य केंद्र था और आज भी यहां शुद्ध तमिल बोली जाती है। यहाँ शिक्षा का प्रबंध उत्तम है। यह नगर जिले का व्यापारिक, औद्योगिक तथा धार्मिक केंद्र है। उद्योगों में सूत कातने, रँगने, मलमल बुनने, लकड़ी पर खुदाई का काम तथा पीतल का काम होता है। यहाँ की जनसंख्या ११ लाख ८ हजार ७५५ (२००४ अनुमानित) है।[2] आधुनिक युग में यह प्रगति के पथ पर अग्रसर है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पाने में प्रयासरत है, किंतु अपनी समृद्ध परंपरा और संस्कृति को भी संरक्षित किए हुए है। इस शहर के प्राचीन यूनान एवं रोम की सभ्यताओं से ५५० ई.पू. में भी व्यापारिक संपर्क थे।[3][1]
भूगोल एवं मौसम
मदुरई | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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जलवायु सारणी (व्याख्या) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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मदुरई शहर का क्षेत्रफल ५२ कि॰मी॰² है, जिसका शहरी क्षेत्र अब १३० कि.मी²[5] तक फैल चुका है। इसकी स्थिति 9°56′N 78°07′E / 9.93°N 78.12°E पर है।[6] इस शहर की औसत समुद्रतल से ऊंचाई १०१ मीटर है। यहां का मौसम शुष्क एवं गर्म है, जो अक्टूबर-दिसम्बर में वर्षा के कारण आर्द्र हो जाता है। ग्रीष्म काल में तापमान अधिकतम ४० डि. एवं न्यूनतम २६.३ डि. से. रहता है। शीतकाल में यह २९.६ तथा १८ डि.से. के बीच रहता है। औसत वार्षिक वर्षा ८५ से.मी. होती है।
जनसाँख्यिकी
भारत की २००१ की जनगणनुसार[7], मदुरई शहर की नगरपालिका सीमा के भीतर जनसंख्या ९२८,८६९ है, एवं शहरी क्षेत्र की जनसंख्या १,१९४,६६५ है। इसमें से ५१% पुरुष एवं ४९% स्त्रियां हैं। मदुरई की औसत साक्षरता दर ७९% है, जो राष्ट्रीय दर ५९.५% से कहीं ऊंची है। पुरुष दर ८४% एवं स्त्री दर ७४% है। शहर की १०% जनसंख्या ६ वर्ष से नीचे की है। शहर में प्रत्येक १००० पुरुषों पर ९६८ स्त्रियों की संख्या है।[8]
इतिहास
पहले इसका नाम मधुरा या मधुरापुरी था। कतिपय शिलालेखों तथा ताम्रपत्रों से विदित होता है कि ११वीं शती तक यहाँ, बीच में कुछ समय को छोड़कर पांड्य राजवंश का शासन था। संगम-काल के कवि नक्कीरर ने ही सुंदरेश्वरर के कुछ अंश रचे थे- जो आज भी मंदिर के पारंपरिक उत्सवों पर आयोजित नाट्य होते हैं।[9] मदुरई शहर का उत्थान दसवीं शताब्दी तक हुआ, जब इस पर चोल वंश के राजा का अधिकार हुआ।[9] मदुरई की संपन्नता शताब्दी के आरंभिक भाग में कुछ कम स्तर पर फिर से वापस आई, फिर यह शहर विजयनगर साम्राज्य के अधीन हो गया और यहां नायक वंश के राजा आए, जिनमें सर्वप्रथम तिरुमल नायक था।[9] पांड्य वंश के अंतिम राजा सुंदर पांड्य के समय मलिक काफूर ने मदुरा पर आक्रमण किया (१३११ ई)। १३७२ में कंपन उदैया ने इसपर अधिकार कर लिया और यह विजयनगर साम्राज्य में मिला लिया गया। १५५९-६३ ई० तक नायक वंश के प्रतिष्ठाता विश्वनाथ ने राज्य का विस्तार किया। १६५९ में राजा तिरुमल की मृत्यु के बाद मदुरा राज्य की शक्ति क्षीण होनी लगी। १७४० में चाँद साहब के आक्रमण के बाद नायक वंश की सत्ता समाप्त हो गई। कुछ समय पश्चात् इसपर अंग्रेजों का शासन स्थापित हो गया। मूर्ति और मंदिर निर्माण के शिल्प की दृष्टि से मदुरा का विशेष महत्व है। मीनाक्षी और सुंदरेश्वर शिव के मंदिर प्राचीन भारतीय शिल्प के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
स्थापत्य
मदुरई शहर मीनाक्षी सुंदरेश्वरर मंदिर को घेरे हुए आसपास बसा हुआ है। मंदिर के किनारे से एक दूसरे को घेरे हुए आयताकार सड़कें, महानगर की शहरी संरचना का भास देती हैं। पूरा शहर एक कमल के रूप में रचा हुआ है।[9]।
भाषा
मदुरई और निकटवर्ती क्षेत्रों में मुख्यतः तमिल भाषा ही बोली जाती है। मदुरई तमिल की बोली कोंगू तमिल, नेल्लई तमिल, रामनाड तमिल एवं चेन्नई तमिल से भिन्न है। तमिल के संग अन्य बोली जाने वाली भाषाएं हैं हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दु, सौराष्ट्र, मलयालम एवं कन्नड़, हालांकि उन सभी भाषाओं में यहां तमिल शब्द समा गए हैं।
प्रमुख आकर्षण
वंदीयुर मरियम्मन तेप्पाकुलम
वंदीयुर मरियम्मन तेप्पाकुलम एक विशाल कुंड है। सरोवर के उत्तर में तमिलनाडु की ग्रामीण देवी मरियम्मन का मंदिर है। १६३६ में बना यह कुंड मदुरै का पत्थर से बना सबसे बड़ा कुंड है। इसका निर्माण राजा तिरुमलई नायक ने करवाया था। उनकी वर्षगांठ (जनवरी-फरवरी) पर यहां रंगबिरंगे फ्लोट फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है जिसमें सरोवर को रोशनी और दियों से सजाया जाता है। इस उत्सव में भाग लेने के लिए स्थानीय लोगों के अलावा बड़ी संख्या में सैलानी भी यहां आते हैं।
तिरुमलई नायक पैलेस
तिरुमलई नायक पैलेस मदुरै का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। इसका निर्माण १६३६ में किया गया था। इटली के एक वास्तुकार ने राजा के लिए इसे बनाया था। राजा और उनका परिवार यहां रहते थे। स्वर्गविलास और रंगविलास महल के दो हिस्से हैं। इसके अलावा भी महल मे अनेक स्थान हैं जहां पर्यटकों को जाने की अनुमति है। इस महल में घूमने के लिए प्रवेश शुल्क देना पड़ता है। कहा जाता है कि ब्रिटिश राज में इस जगह का इस्तेमाल प्रशासनिक कार्यो के लिए किया जाता था। अब इसकी देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करता है और इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जा चुका है। शाम को यहां ध्वनि एवं प्रकाश कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमें रोशनी और ध्वनि के माध्यम से राजा के जीवन और उनके मदुरै में शासन के बार में बताया जाता है।
गांधी संग्रहालय
गांधी संग्रहालय रानी मंगम्मल के लगभग ३०० वर्ष पुराने महल में स्थित है। यह संग्रहालय देश के उन सात संग्रहालयों में से एक है जिनका निर्माण गांधी मेमोरियल ट्रस्ट ने करवाया था। यहां पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और कार्यो को दर्शाया गया है। संग्रहालय में गांधीजी की किताबों और पत्रों, दक्षिण भारतीय ग्रामीण उद्योगों एवं हस्तशिल्प का सुंदर संग्रह देखा जा सकता है। इसे कुछ भागों के बांटा जा सकता है जैसे- प्रदर्शिनी, फोटो गैलरी, खादी, ग्रामीण उद्योग विभाग, ओपन एयर थिएटर और संग्रहालय।
मीनाक्षी मंदिर
देवी मीनाक्षी को समर्पित मीनाक्षी मंदिर मदुरै की पहचान है। यह देश के प्रमुख शक्ति पीठों में से एक है। यहां प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। 65 हजार वर्ग मीटर में फैले इस विशाल मंदिर को यहां शासन करने वाले विभिन्न वंशों ने विस्तार प्रदान किया। दक्षिण में स्थित इमारत सबसे ऊंची है जिसकी ऊंचाई १६० फीट है। इसका निर्माण १६वीं शताब्दी में किया गया था। मंदिर परिसर का सबसे प्रमुख आकर्षण हजार स्तंभों वाला कक्ष है जो सबसे बाहर की ओर स्थित है। दर्शन का समय: सुबह ५ बजे-दोपहर १३:३० बजे, शाम ४ बजे-रात ०९:३० बजे
तिरुप्परनकुंद्रम
भगवान मुरुगन के छ: निवास स्थानों में से एक तिरुप्परनकुंद्रम मदुरै से १० किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यहां साल भर भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। इसी स्थान पर भगवान मुरुगन का देवयानी के साथ विवाह हुआ था इसलिए यह स्थान शादी करने के लिए पवित्र माना जाता है। चट्टानों को काट कर बनाए गए इस मंदिर में भगवान गणपति, शिव, दुर्गा, विष्णु आदि के अलग से मंदिर भी बने हुए हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके सबसे भीतरी मंदिर को एक ही चट्टान से काटकर बनाया गया है। इस मंदिर की एक और विशेषता यहां के गुफा मंदिर हैं जिनमें तराशी गई भगवान की प्रतिमाएं समान दूरी पर बनाई गई हैं। उनकी यह समानता सभी को आकर्षित करती है। इन गुफाओं तक आने के लिए संकर अंधियारे रास्ते से होकर जाना पड़ता है।
अजगर कोइल
मदुरै शहर से २१ किलोमीटर दूर अजगर भगवान विष्णु का खूबसूरत मंदिर हे। यहां पर भगवान विष्णु को अजगर नाम से पुकारा जाता है। वे देवी मीनाक्षी के भाई थे। जब चित्रई माह में देवी का विवाह हुआ था तो अजगर शादी में शामिल होने के लिए यहां से मदुरै गए थे। भगवान सुब्रमण्यम के छ: निवासों में से एक पलामुधिरसोलक्षर अजगर कोइल के ऊपर चार किलोमीटर दूर है। पहाड़ी की चोटी पर नुबुरगंगई नामक झरना है जहां तीर्थयात्री स्नान करते हैं।
निकटवर्ती स्थल
परियार वन्यजीव अभयारण्य
मदुरै से १५५ किलोमीटर दूर पेरियार वन्यजीव अभयारण्य है। मुख्य रूप से यह अभयारण्य भारतीय हाथियों के निवास स्थान के रूप में जाना जाता है। अभयारण्य में एक मानव निर्मित झील है जहां हाथी, गौर और सांभर को पानी पीते देखा जा सकता है। अक्टूबर से जून यहां आने का सही समय होता है।
रामेश्वरम
यह मंदिर हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। हिन्दू मान्यतानुसार एक हिंदू के लिए मुक्ति प्राप्ति की यात्रा बनारस में शुरु होती है और रामेश्वरम में खत्म होती है। हिंदू महाकाव्यों के अनुसार यहीं पर भगवान राम ने शिव की उपासना की थी। इसलिए वैष्णव और शैव दोनों के लिए यह स्थान महत्व रखता है। समुद्र के पूर्वी किनारे पर स्थित रामनाथस्वामी मंदिर अपने अद्भुत आकार और खूबसूरती से तराशे गए स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का गलियारा एशिया का सबसे बड़ा गलियारा है। इस मंदिर का निर्माण १२वीं शताब्दी के बाद के विभिन्न वंशों ने विभिन्न समय अवधियों के दौरान किया था।
आज रामेश्वरम की पहचान पर्यटक स्थल के साथ-साथ दक्षिण भारत के प्रमुख समुद्री भोजन केंद्र के रूप में की जाती है। रामेश्वरम में एक भारत-नॉर्वे मछलीपालन परियोजना चलाई जा रही है जहां आधुनिक मछली उद्योग के विकास में सहायता की जाती है।
कोडईकनाल
यह दक्षिण भारत का एक प्रमुख पर्वतीय स्थल है। समुद्र तल से २१३० मीटर की ऊंचाई पर स्थित कोडईकनाल को कोडई नाम से भी पुकारा जाता है। पहाड़ों से घिरे इस स्थान पर पूरे वर्ष मौसम सुहाना बना रहता है। यहां अनेक प्रकार के फूल भी देखे जा सकते हैं। बारह साल में एक बार खिलने वाला कुरिंजी फूल यहां देखा जा सकता है। यहां के खूबसूरत झरने और झील पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं।
आवागमन
- वायु मार्ग
मदुरै विमानक्षेत्र नियमित उड़ानों के जरिए चेन्नई, कालीकट, मुंबई और पांडिचेरी से जुड़ा हुआ है।
- रेल मार्ग
मदुरै रेलवे स्टेशन शहर को चेन्नई और तिरुनेलवेली से जोड़ता है। यह दक्षिणी रेलवे का महत्वपूर्ण जंक्शन है। इन दो शहरों के अलावा भी यह देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग
मदुरै से चेन्नई, बंगलुरु, कोयंबटूर, कन्याकुमारी, रामेश्वरम, पांडिचेरी आदि दक्षिण भारतीय शहरों के लिए नियमित बसें चलती हैं।
क्रय-विक्रय
मदुरै अपने मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों के लिए ही नहीं बल्कि सूत और रेशम के लिए भी प्रसिद्ध है। इनका प्रमुख बाजार पुथु मंडपम में है। यह एक स्तंभ वाला हॉल मीनाक्षी मंदिर के प्रवेश द्वार के पास है। यह स्थान सूत की दुकानों के लिए प्रसिद्ध है। मदुरै की सनगुंडी साड़ी भी प्रसिद्धह हैं। यह साड़ी महिलाओं के बीच बहुत पसंद की जाती है। सजावट के लिए मदुरै से लकड़ी और पीतल से बनी सजावटी वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं।
सन्दर्भ
- ↑ अ आ इ फ्रॉमर्स इण्डिया, द्वारा: पिप्पा देब्र्यून, कीथ बैन, नीलोफर वेंकटरमन, शोनार जोशी
- ↑ द्वितीय बड़ शहर- त.ना. राज्य सरकार
- ↑ http://www.madurai.com/madurai.htm
- ↑ "तापमान एवं वर्षा सारणी". निर्वाण टूर. अभिगमन तिथि 2008-05-25.
- ↑ "मदुरई जनरल इन्फॉर्मेशन". अभिगमन तिथि 2008-06-15.
- ↑ "Maps, Weather, and Airports for Madurai, भारत". Falling Rain Genomics, Inc. अभिगमन तिथि 2008-06-15.
- ↑ त.ना.(भारत) जनगणना, शहरी की नगरपालिका सीमा के भीतर
- ↑ "स्त्री विकास" (PDF).
- ↑ अ आ इ ई http://www.madurai.com/history.htm
बाहरी कड़ियाँ
विकिमीडिया कॉमन्स पर मदुरई से सम्बन्धित मीडिया है। |
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- मदुरई विमानक्षेत्र
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- मदर्स रेसिपीस पर मदुरई
- मदुरई सुधार हेतु ब्लॉग
- मदुरई शहर की डिजिटल मार्गदर्शिका
- द मदुरई
- मदुरई- संपन्नता का प्रवेशद्वार
- मदुरई से अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानें