भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3

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भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क 3
GSLV MK 3 [1][2]
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र की दूसरी लॉन्चिंग पैड पर लॉन्चिंग के लिए खड़ा हुआ भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान - 3 (GSLV-III)
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र की दूसरी लॉन्चिंग पैड पर लॉन्चिंग के लिए खड़ा हुआ भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान - 3 (GSLV-III)
कार्य मध्यम उत्तोलन प्रक्षेपण यान
निर्माता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
मूल देश  भारत
आकार
ऊंचाई 43.43 मी॰ (142.5 फीट)
व्यास 4.0 मी॰ (13.1 फीट)
द्रव्यमान 640,000 कि॰ग्राम (1,410,000 पौंड)
चरण 3
क्षमता
पृथ्वी की निचली कक्षा (600 किमी) के लिए पेलोड 8,000 कि॰ग्राम (280,000 औंस) [1]
जीटीओ के लिए पेलोड 4,000 कि॰ग्राम (140,000 औंस) [1]
लॉन्च इतिहास
वर्तमान स्थिति सक्रिय
लॉन्च स्थल सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, आन्ध्र प्रदेश, भारत
कुल लॉन्च 4
सफल लॉन्च 4
असफल परीक्षण 0
प्रथम उड़ान 18 दिसंबर 2014 (2 चरण संस्करण; उपकक्षा उड़ान)
अंतिम उड़ान 22 July 2019
उल्लेखनीय पेयलोड क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुनः प्रवेश प्रयोग(CARE) ,

चंद्रयान-२ ,

बूस्टर - एस200
बूस्टर की संख्या 2
लंबाई 25 मी॰ (82 फीट)[1]
व्यास 3.2 मी॰ (10 फीट)[1]
ईंधन वजन 207,000 कि॰ग्राम (456,000 पौंड)[1]
Motor ठोस एस200
थ्रस्ट 5150 किलो न्यूटन प्रत्येक [3][4][5]
विशिष्ट आवेग 274.5 सेकंड (निर्वात)[1]
जलने का समय 130 सेकंड[1]
ईंधन HTPB[1]
कोर चरण - एल110
लंबाई 17 मी॰ (56 फीट)[1]
व्यास 4.0 मी॰ (13.1 फीट)[1]
ईंधन वजन 110,000 कि॰ग्राम (240,000 पौंड)[1]
इंजन 2 विकास इंजन
थ्रस्ट 1598 किलो न्यूटन[1][6][7]
विशिष्ट आवेग 293 सेकंड[1]
जलने का समय 200 सेकंड[1]
ईंधन UDMH/N2O4
अपर चरण - सी25
लंबाई 13.5 मी॰ (44 फीट)[1]
व्यास 4.0 मी॰ (13.1 फीट)[1]
ईंधन वजन 27,000 कि॰ग्राम (60,000 पौंड)[1]
इंजन 1 सीई-20
थ्रस्ट 200 किलोन्यूटन[1]
विशिष्ट आवेग 443 सेकंड
जलने का समय 586 सेकंड
ईंधन तरल ऑक्सीजन/तरल हाइड्रोजन

भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3 ((अंग्रेज़ी): Geosynchronous Satellite Launch Vehicle mark 3, or GSLV Mk3, जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लाँच वहीकल मार्क 3, या जीएसएलवी मार्क 3), जिसे लॉन्च वाहन मार्क 3 (LVM 3)[2] भी कहा जाता है, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित एक प्रक्षेपण वाहन (लॉन्च व्हीकल) है।[8][9]और पढ़ें|

26 मार्च, 2023 को, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने LVM3-M3/OneWeb India-2 मिशन के सफल प्रक्षेपण के साथ भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। इस मिशन ने LVM3 लॉन्च वाहन की लगातार छठी सफल उड़ान को चिन्हित किया और एक ब्रिटिश-अमेरिकी दूरसंचार कंपनी वनवेब ग्रुप कंपनी से संबंधित 36 उपग्रहों को तैनात किया, जो पृथ्वी की निम्न कक्षा उपग्रह समूह का निर्माण कर रहा था।

और पढ़ें|[10]

इसे भू-स्थिर कक्षा (जियो-स्टेशनरी ऑर्बिट) में उपग्रहों और भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रक्षेपित करने के लिये विकसित किया गया है।[11] जीएसएलवी-III में एक भारतीय तुषारजनिक (क्रायोजेनिक) रॉकेट इंजन की तीसरे चरण की भी सुविधा के अलावा वर्तमान भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान की तुलना में अधिक पेलोड (भार) ले जाने क्षमता भी है।[12][13] चंद्रयान-२ को भी जीएसएलवी एमके III द्वारा 22 जुलाई 2019 को चंद्रमा पर लॉन्च किया गया।[14][15] इसमें एक चंद्र ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल हैं, जो सभी स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं।

इतिहास[संपादित करें]

जीएसएलवी-III का विकास 2000 के दशक में शुरू हुआ। और 2009-2010 में प्रक्षेपण के लिए योजना बनाई गयी।[16] लेकिन कई कारकों के कारण कार्यक्रम में देरी हुई जिसमे 2010 में हुए भारतीय क्रायोजेनिक इंजन विफलता भी शामिल हैं। जीएसएलवी-III की एक उपकक्षा परीक्षण उड़ान तीसरे निष्क्रिय क्रायोजेनिक चरण के साथ सफलतापूर्वक 18 दिसंबर 2014 को कि गयी। और इस उड़ान में क्रू मॉड्यूल का परीक्षण भी किया गया।[17] जीएसएलवी-III की पहली कक्षीय उड़ान दिसंबर 2017 के लिए योजना बनाई है।[18] और पहली कक्षीय मानवयुक्त जीएसएलवी उड़ान 2021 मे होने की योजना है।[16]

एस200 स्थैतिक परीक्षण[संपादित करें]

एस-200 ठोस रॉकेट बूस्टर का सफलतापूर्वक 24 जनवरी 2010 को परीक्षण किया गया। बूस्टर को 130 सेकंड के लिए चलाया गया। बूस्टर ने लगभग 500 टन का थ्रस्ट उत्पन्न किया। बूस्टर के परीक्षण के दौरान 600 मानकों को जाँच गया। एस-200 का दूसरा स्थैतिक परीक्षण 4 सितंबर 2011 को किया गया।[4]

एल110 स्थैतिक परीक्षण[संपादित करें]

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के द्रव नोदन प्रणाली केंद्र, महेंद्रगिरि में प्रथम एल110 स्थैतिक परीक्षण 5 मार्च 2010 को किया गया। परीक्षण को 200 सेकंड के लिए जारी रखना था। किन्तु रिसाव के कारण परीक्षण को 150 सेकंड पर ही रोक दिया गया।[19] 8 सितंबर 2010 को इसरो ने सफलतापूर्वक पूर्ण 200 सेकंड के लिए दूसरे एल110 का स्थैतिक परीक्षण किया।[20]

उपकक्षा उड़ान परीक्षण[संपादित करें]

जीएसएलवी-III ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से 18 दिसंबर 2014 को सुबह 9.30 को अपनी पहली उड़ान भरी। 630.5 टन प्रक्षेपण यान स्टैकिंग रूप में इस प्रकार था: एक कार्यात्मक एस200 ठोस प्रणोदन चरण, एक कार्यात्मक एल110 तरल प्रणोदन चरण, एक गैर कार्यात्मक आभासी चरण (क्रायोजेनिक इंजन-20 प्रणोदन के स्थान पर) और अंत में 3.7 टन वजनी क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुनः प्रवेश प्रयोग (CARE) पेलोड चरण। पांच मिनट से अधिक उड़ान के बाद रॉकेट 126 किलोमीटर की ऊंचाई पर क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुनः प्रवेश प्रयोग (CARE) से अलग हो जाता है। और फिर केअर (CARE) उच्च गति से पृथ्वी की ओर उतरा है। इसे राकेट मोटर्स द्वारा नियंत्रित किया जाता है। 80 किमी की ऊंचाई पर, राकेट मोटर्स को बंद कर दिया जाता है। और केअर (CARE) कैप्सूल वातावरण में अपना बैलिस्टिक पुनः प्रवेश शुरू करता है। केअर (CARE) कैप्सूल की हीट शील्ड 1600 डिग्री सेल्सियस के तापमान का अनुभव करती है। इसरो रेडियो ब्लैक आउट होने से पहले बैलिस्टिक चरण के दौरान डेटा हानि से बचने के लिए लांच टेलीमेटरी डाउनलोड करती है। लगभग 15 किमी की ऊंचाई पर, कैप्सूल का शीर्ष (Apex) कवर अलग हो जाता है। और पैराशूट खुल जाते है। कैप्सूल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास बंगाल की खाड़ी में नीचे गिर जाता है।[21][22][23]

सी25 चरण परीक्षण[संपादित करें]

25 जनवरी 2017 को तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में इसरो प्रपोल्शन कॉम्प्लेक्स (आईपीआरसी) की सुविधा में सी25 क्रायोजेनिक चरण का पहला उष्ण (hot) परीक्षण किया गया था।[24] सभी चरण के कार्यों का प्रदर्शन देखने के लिए 50 सेकंड की अवधि तक चरण का उष्ण (hot) परीक्षण किया गया था। 18 फरवरी, 2017 को 640 सेकंड के लिए एक लंबी अवधि का परीक्षण पूरा किया गया।[25]

वाहन विवरण[संपादित करें]

चरण 1 - ठोस बूस्टर[संपादित करें]

जीएसएलवी-III दो एस200 (S200) ठोस बूस्टर का उपयोग करता है। प्रत्येक बूस्टर 3.2 मीटर के व्यास और 25 मीटर लंबाई के है। यह 207 टन ठोस ईंधन ले जाते है। ये बूस्टर 130 सेकंड के लिए जलते है। और 5150  किलोन्यूटन का थ्रस्ट उत्पादन करते है।[3]

एस200 बूस्टर बनाने के लिए एक अलग सुविधा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र,श्रीहरिकोटा में स्थापना की गई है। एस200 बूस्टर की अन्य प्रमुख विशेषता यह है कि एस200 के बड़े नोजल (nozzle) को एक 'फ्लेक्स सील' से लैस किया गया है। इस कारण से नोजल को घुमाया जा सकता है। जब रॉकेट के दिशानिर्देश में सुधार की जरूरत हो। [26]

उड़ान में, एस200 बूस्टर थ्रस्ट के द्वारा रॉकेट उड़ना शुरू करता है। त्वरण में गिरावट रॉकेट पर लगे सेंसर द्वारा महसूस किया जाता है। और एल110 तरल प्रणोदक चरण में लगे दो विकास इंजन प्रज्वलित हो जाते है। इससे पहले एस200 रॉकेट से अलग होकर दूर गिर जाते है। ठोस बूस्टर और विकास इंजन समय की एक छोटी अवधि के लिए एक साथ काम करते हैं।[26]

चरण 2 - तरल मोटर[संपादित करें]

एल110 कोर चरण एक 4 मीटर व्यास और 110 टन UDMH और N2O4 तरल ईंधन ले जाने वाला चरण है। यह पहला भारतीय समूहबद्ध डिजाइन तरल इंजन है। और दो उन्नत विकास (रॉकेट इंजन) का उपयोग करता है। प्रत्येक लगभग 700  किलोन्यूटन का उत्पादन करते है।[6][7] उन्नत विकास इंजन पहले विकास इंजन की तुलना में बेहतर कूलिंग, बेहतर वजन और बेहतर विशिष्ट आवेग प्रदान करता है। एल110 कोर चरण राकेट की उड़ान के 113 सेकंड बाद प्रज्वलित होते है। और लगभग 200 सेकंड के लिए जलते रहते है।.[7][27]

चरण 3 - क्रायोजेनिक अपर स्टेज[संपादित करें]

क्रायोजेनिक अपर स्टेज को सी25 नाम से नामित किया गया है। और इसे भारतीय विकसित क्रायोजेनिक इंजन-20 इंजन द्वारा संचालित किया जाएगा। यह इंजन तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन को जला कर 186  किलोन्यूटन का थ्रस्ट उत्पादन करेगा। सी-25 व्यास में 4 मीटर (13 फुट) और 13.5 मीटर (44 फुट) लंबा होगा। और 27 टन ईधन ले जायेगा।.[27]

इस इंजन को शुरू में 2015 तक परीक्षण के लिए पूरा होने उम्मीद की गई थी। इसरो ने 19 फरवरी 2016 को 640 सेकंड की अवधि के लिए क्रायोजेनिक इंजन-20 का सफल उष्ण (hot) परीक्षण किया। यह जीएसएलवी-III वाहन के क्रायोजेनिक इंजन-20 के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। परीक्षण में इंजन ने थ्रस्ट, गैस जनरेटर, टर्बो पंप और नियंत्रण घटकों आदि अपने सभी उप प्रणालियों के साथ अच्छा प्रदर्शन किया। इंजन के सभी मानक ने अपना अच्छा प्रदर्शन किया।[28][29][30]

पहला सी25 चरण का उपयोग जीएसएलवी-3 डी-1 मिशन पर जून 2017 के लॉन्च में किया जाएगा।[28][29] यह मिशन जीसैट-19ई संचार उपग्रह को कक्षा में छोडेगा।[30] जीएसएलवी-3 के ऊपरी चरण के लिए सी25 चरण और सीई-20 इंजन पर 2003 में काम शुरू किया गया था, इसरो के सीई-7.5 क्रायोजेनिक इंजन की समस्याओं के कारण इसमे देरी हुई। सीई-7.5 क्रायोजेनिक इंजन भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान का अपर स्टेज है।

पेलोड फ़ेयरिंग[संपादित करें]

पेलोड फ़ेयरिंग 5 मीटर (16 फुट) व्यास और 110 घन मीटर(3,900 घन फुट) आयतन वाली है।[1]

लॉन्च[संपादित करें]

उड़ान लॉन्च की तारीख / समय (यूटीसी) प्रकार लांच पैड पेलोड पेलोड वजन परिणाम
X 18 दिसंबर 2014
04:00[31]
एलवीएम-X द्वितीय लांच पैड क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुनः प्रवेश प्रयोग(CARE) 3,775 किलोग्राम[32] सफलता
उपकक्षा विकास परीक्षण उड़ान[33][34][35]
इस उड़ान में अपने वजन और गुण अनुकरण करने के लिए सीई-20 ऊपरी स्तर का एक गैर कार्यात्मक संस्करण लेकर गया था।[26][28] 18 दिसंबर को एलवीएम3 वाहन का प्रक्षेपण सफल रहा था, दोनों प्रक्षेपण वाहन और क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुनः प्रवेश प्रयोग(CARE) मिशन के मापदंडों पर सफल हुआ।[2]
डी1 5 जून 2017
17:28
मार्क 3 द्वितीय लांच पैड जीसैट-19ई 3,775 किलोग्राम[28] सफलता
जीसैट 3.5 टन वजन के उपग्रह के प्रक्षेपण प्रारंभ करने में।[28][30][36]
और एक कार्यात्मक क्रायोजेनिक चरण का परीक्षण होगा।[28] जीसैट-19 में केए/केयू बैंड ट्रांसपोंडर पेलोड होगे। जो 4 गीगाबाइट्स प्रति सेकंड पर डाटा संचारित करने में सक्षम होगे। प्रायोगिक आयन थ्रूस्टर प्रयोजनों के लिए भी परीक्षण किया जाएगा।
डी2 14 नवम्बर 2018 मार्क 3 द्वितीय लांच पैड जीसैट-29 3,700 किलोग्राम[28] सफलता
जीएसएलवी-3 की दूसरी कक्षीय परीक्षण उड़ान।
एफ01 2018


मार्क 3 द्वितीय लांच पैड जीसैट-20 3,650 किलोग्राम[28]
जीएसएलवी एमके 3 की पहली परिचालन उड़ान।
2019 मार्क 3 द्वितीय लांच पैड चंद्रयान-२ 3,650 किलोग्राम[37]
चंद्रयान-2 उपग्रह का वजन बढ़ गया है।।

भविष्य में सुधार[संपादित करें]

जीएसएलवी-III के एल110 कोर चरण को भविष्य में स्वदेशी सेमी क्रायोजेनिक इंजन-200[38] से बदलने की योजना है। जिससे इसकी भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा की क्षमता 4 टन से 6 टन हो जाएगी।[39]

चित्र दीर्घा[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "एलवीएम३". मूल से 28 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जून 2017.
  2. "इसरो सक्सेसफुली लॉन्चेज़ जीएसएलवी मार्क-३, इण्डियाज़ लार्जेस्ट रॉकेट". द हिन्दू. मूल से 19 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १८ दिसम्बर २०१४.
  3. "ISRO Press Release: S200 First Static Test (S-200-ST-01)" (PDF). मूल (PDF) से 11 मार्च 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जनवरी 2017.
  4. "Isro successfully tests world's 3rd largest solid booster". dna. मूल से 5 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 October 2014.
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  7. "L110 test to follow S200". IndianSpaceWeb. मूल से 14 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 October 2014.
  8. "इसरो का 'बाहुबली' रॉकेट, जो पहली बार भारतीय को अंतरिक्ष में ले जाएगा". मूल से 15 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 नवंबर 2018.
  9. "'India masters rocket science': Here's why the new ISRO launch is special". मूल से 15 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 नवंबर 2018.
  10. "Lvm3-m3/oneweb india-2". always updated 2023 || best news blog (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-04-03.
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  14. "Apollo-11 took 4 days to reach Moon, Chandrayaan-2 taking 48 days. Explained". मूल से 9 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अगस्त 2019.
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  16. "India's GSLV Mk-3 First Flight Pushed Back to April 2014". Sawfnews. 4 April 2013. मूल से 10 April 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 December 2014.
  17. "ISRO inches closer to manned mission". Timesofindia.indiatimes.com. 2014-01-10. मूल से 13 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2014-01-10. We will be checking the crew capsule for all parameters.
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  20. "ISRO Press Release:Successful Static Testing of L 110 Liquid Core Stage of GSLV - Mk III". मूल से 2 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जनवरी 2017.
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