ऑगस्टिन लुई कौशी

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ओग्युस्तें लुई कोशी

ओग्युस्तें लुई कोशी (Augustin Louis Cauchy / 21 अगस्त 1789 – 23 मई 1857 ई.) फ्रांस के गणितज्ञ थे। वे गणितीय विश्लेषण के अग्रदूत थे। इसके अलावा उन्होने अनन्त श्रेणियों के अभिसार/अपसार, अवकल समीकरण, सारणिक, प्रायिकता एवं गणितीय भौतिकी में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। वे फ्रांस की विज्ञान अकादमी के सदस्य तथा 'इकोल पॉलीटेक्निक' (इंजीनियरी महाविद्यलय) के प्रोफेसर भी थे। कौशी के नाम पर जितने प्रमेयों एवं संकल्पनाओं (concepts) का नामकरण हुआ है, उतना किसी और गणितज्ञ के नाम पर नहीं। उन्होने अपने जीवनकाल में ८०० शोधपत्र तथा पाँच पाठ्यपुस्तकें लिखी।

जीवनी[संपादित करें]

इनका जन्म २१ अगस्त १७८९ ई. को पेरिस में हुआ। १८१० ई. में वे एकॉल से इंजीनियर बनकर शैरबुर चले गए; वहाँ लाप्लास की मेकानिक सेलैस्त (Mecanique Celeste) और लाग्रांज की फौंक्स्योंजनालितिक (Fonctions Analytiques) का अध्ययन करते रहे। तीन वर्ष पश्चात् स्वास्थ के कारण ये पेरिस लौटे और लाप्लास और लाग्रांज के आग्रह पर इंजीनियरी त्याग गणित को अपनाया। २३ मार्च १८५७ ई. को उनका देहांत हुआ।

कार्य[संपादित करें]

कौशी उर्वरबुद्धि एवं परम व्युत्पन्न गणितज्ञ थे। उन्होंने श्रेणियों, काल्पनिक राशियों, संख्याओं के सिद्धांत, अवकल समीरकणों, प्रतिस्थापन के सिद्धांत, फलनों के सिद्धांत, सारणिकों, समिश्र-फलन, गणितीय खगोलशास्त्र, प्रकाशिकी और प्रत्यास्थता इत्यादि की शुद्ध एवं अप्रयुक्त दोनों शाखाओं पर अन्वेषण किए। १८२१ ई. में अपने ‘कूर दानलीज द लेकौल रॉयाल पोलितेक्निक' (Coursa Analyse de 1 Eole Royal Polytechnique) को प्रकाशित कर इन्होंने विश्लेषण में अंकगणितीकरण युग का श्रीगणेश किया। सर्वप्रथम कोशी ने ही टेलर के प्रमेय का निर्दोष प्रमाण दिया और चलन कलन के मूल सिद्धांतों की अपने नवीन फलन के सिद्धांत एवं सीमा के नियम पर आधारित अतिशोधित व्याख्या प्रदान की।

उनके प्रमुख कार्यों की सूची नीचे दी गई है:

  • तरंग सिद्धान्त, यांत्रिकी, प्रत्यास्थता
  • संख्या सिद्धान्त
  • समिश्र फलन (Complex functions)
  • गणितीय विश्लेषण
  • टेलर का प्रमेय
  • स्थायित्व (stability)

इन्हें भी देखें[संपादित करें]