अशोक सिंघल
अशोक सिंघल | |
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अशोक सिंघल | |
जन्म | आश्विन कृष्ण षष्ठी[1] भारत |
मृत्यु | 17 नवम्बर 2015 | (उम्र 89 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
जीवन संगी | अविवाहित |
पेशा | सामाजिक कार्यकर्ता |
धर्म | हिन्दू |
हिंदू हृदय सम्राट[2] अशोक सिंघल (१९२६ - २०१५) हिन्दू संगठन विश्व हिन्दू परिषद के २० वर्षों तक अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। दिसंबर २०११ [3] में बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण उन्हें अपना स्थान छोड़ना पड़ा और प्रवीण तोगड़िया ने उनका स्थान लिया।[4] आज वि॰हि॰प॰ की जो वैश्विक ख्याति है, उसमें अशोक सिंहल का योगदान सर्वाधिक है।[5] अशोक सिंघल परिषद के काम के विस्तार के लिए विदेश प्रवास पर भी जाते रहे। वे आजीवन अविवाहित रहे।
जीवन परिचय
[संपादित करें]अशोक सिंघल का जन्म 15 सितम्बर 1926 को आगरा में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी दफ्तर में कार्यरत थे। १९४२ में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। उन्होने १९५० में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (अब, आई आई टी) से धातुकर्म में इंजीनियरिंग पूरी की। इसके पश्चात इंजीनियर की नौकरी करने के बजाये उन्होंने समाज सेवा का मार्ग चुना और आगे चलकर आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक बन गये। उन्होंने उत्तर प्रदेश और आस-पास की जगहों पर आरएसएस के लिये लंबे समय के लिये काम किया और फिर दिल्ली-हरियाणा में प्रांत प्रचारक बने।
1975 से 1977 तक देश में आपातकाल और संघ पर प्रतिबन्ध रहा। इस दौरान अशोक सिंघल इंदिरा गांधी की तानाशाही के विरुद्ध हुए संघर्ष में लोगों को जुटाते रहे। आपातकाल के बाद वे दिल्ली के प्रान्त प्रचारक बनाये गये। 1981 में डा० कर्ण सिंह के नेतृत्व में दिल्ली में एक विराट हिन्दू सम्मेलन हुआ; पर उसके पीछे शक्ति अशोक सिंघल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की थी। उसके बाद अशोक सिंघल को विश्व हिन्दू परिषद् के काम में लगा दिया गया।
इसके बाद परिषद के काम में धर्म जागरण, सेवा, संस्कृत, परावर्तन, गोरक्षा आदि अनेक नये आयाम जुड़े। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आन्दोलन, जिससे परिषद का काम गाँव-गाँव तक पहुँच गया। इसने देश की सामाजिक और राजनीतिक दिशा बदल दी।
राम जन्मभूमि आन्दोलन
[संपादित करें]1984 में दिल्ली के विज्ञान भवन में एक धर्म संसद का आयोजन किया गया। सिंहल इस के मुख्य संचालक थे। यहीं पर राम जन्मभूमि आंदोलन की रणनीति तय की गई। यहीं से सिंघल ने पूरी योजना के साथ कारसेवकों को अपने साथ जोड़ना शुरू किया। उन्होने देश भर से 50 हजार कारसेवक जुटाये। सभी कारसेवकों ने राम जन्मभूमि पर राम मंदिर स्थापना करने की कसम देश की प्रमुख नदियों के किनारे खायी। 1992 में विवादित ढाँचा तोड़ने वाले कारसेवकों का नेतृत्व सिंघल ने ही किया था।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "One dies in police firing in Hubli". The Hindu. 15 Sep 2001. 25 नवंबर 2005 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 15 नवंबर 2015.
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(help) - ↑ "नहीं रहे हिंदू हृदय सम्राट अशोक सिंघल, ट्विटर पर मना शोक". India TV (Hindi भाषा में).
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: CS1 maint: unrecognized language (link) - ↑ "Veteran VHP leader Ashok Singhal replaced as VHP Int.president". Kochi: Indian Express. Press Trust of India. 20 December 2011. 29 सितंबर 2013 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 2012-03-26.
- ↑ "Change in VHP sweet for Sangh". Kolkata: The Telegraph. 20 December 2011. 24 सितंबर 2015 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 2012-03-26.
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(help) - ↑ "विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंहल". मूल से से 24 दिसंबर 2016 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 24 दिसंबर 2016.
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बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- अशोक सिंहल फाउण्डेशन का जालघर Archived 2022-10-24 at the वेबैक मशीन