शंकरदयाल शर्मा
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शंकरदयाल शर्मा | |
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कार्य काल २५ जुलाई १९९२ – २५ जुलाई १९९७ | |
उप राष्ट्रपति | कोच्चेरी रामण नारायणन |
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पूर्ववर्ती | रामस्वामी वेंकटरमण |
उत्तरावर्ती | कोच्चेरी रामण नारायणन |
जन्म | १९ अगस्त १९१८ आमोन गाँव,जिला सीहोर, मध्यप्रदेश, भारत |
मृत्यु | २६ दिसंबर १९९९ नई दिल्ली, भारत |
राजनैतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जीवनसंगी | विमला शर्मा |
धर्म | हिन्दू |
डॉ शंकरदयाल शर्मा उच्चारण सहायता·सूचना (१९ अगस्त १९१८- २६ दिसंबर १९९९) भारत के नवें राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल २५ जुलाई १९९२ से २५ जुलाई १९९७ तक रहा। राष्ट्रपति बनने से पूर्व वे भारत के आठवे उपराष्ट्रपति भी थे,वह भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री (1952-1956) रहे तथा मध्यप्रदेश राज्य में कैबिनेट स्तर के मंत्री के रूप में उन्होंने शिक्षा, विधि, सार्वजनिक निर्माण कार्य, उद्योग तथा वाणिज्य मंत्रालय का कामकाज संभाला था। केंद्र सरकार में वे संचार मंत्री के रूप में (1974-1977) पदभार संभाला। इस दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष (1972-1974) भी रहे।
शिक्षा तथा प्रारम्भिक जीवन
[संपादित करें]डॉक्टर शर्मा ने सेंट जान्स कॉलेज आगरा, आगरा कॉलेज, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, फित्ज़विल्यम कॉलेज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, लिंकोन इन् तथा हारवर्ड ला स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। इन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत साहित्य में एम.ए. की डिग्री विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान के साथ प्राप्त की, आपने एल.एल.एम. की डिग्री भी लखनऊ विश्व विद्यालय से प्रथम स्थान के साथ प्राप्त की थी, विधि में पी.एच.डी. की डिग्री कैम्ब्रिज से प्राप्त की, उनको लखनऊ विश्विद्यालय से समाज सेवा में चक्रवर्ती स्वर्ण पदक भी प्राप्त हुआ था। इन्होंने लखनऊ विश्विद्यालय तथा कैम्ब्रिज में विधि का अध्यापन कार्य भी किया, कैम्ब्रिज में रहते समय वह टैगोर सोसायटी तथा कैम्ब्रिज मजलिस के कोषाध्यक्ष रहे, इन्होने लिंकोन इन से बैरिस्टर एट ला की डिग्री ली, उनको वहां पर मानद बेंचर तथा मास्टर चुना गया था, वो फित्ज़विल्यम कॉलेज के मानद फैलो रहे। कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय ने उनको मानद डॉक्टर ऑफ़ ला की डिग्री दे कर सम्मानित किया। उनका विवाह विमला शर्मा के साथ हुआ था। विमला शर्मा का निधन 16 अगस्त 2020 को दिल्ली में 93 वर्ष की आयु में हुआ ।विमला शर्मा रायसेन जिलें में 1985 मे विधायक निर्वाचित हुई थीं।
राजनैतिक शुरूआत
[संपादित करें]१९४० के दशक में वे भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल हो गए, इस हेतु उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली, 1952 में भोपाल के मुख्यमंत्री बन गए, इस पद पर 1956 तक रहे जब भोपाल का विलय अन्य राज्यों में कर मध्यप्रदेश की रचना हुई।
सक्रिय राजनैतिक जीवन
[संपादित करें]1960 के दशक में उन्होंने इंदिरा गांधी को कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व प्राप्त करने में सहायता दी। इंदिरा कैबिनेट में वे संचार मंत्री (1974-1977) रहे, 1971 तथा 1980 में उन्होंने भोपाल से लोक सभा की सीट जीती, इसके बाद उन्होंने कई भूष्नात्मक पदों पर कार्य किया, 1984 से वे राज्यपाल के रूप में आंध्रप्रदेश में नियुक्ति के दौरान दिल्ली में उनकी पुत्री गीतांजली तथा दामाद ललित माकन की हत्या सिख चरमपंथियों ने कर दी, 1985 से 1986 तक वे पंजाब के राज्यपाल रहे, अन्तिम राज्यपाल दायित्व उन्होंने 1986 से 1987 तक महाराष्ट्र में निभाया। इसके बाद उन्हें उप राष्ट्रपति तथा राज्य सभा के सभापति के रूप में चुन लिया गया गया इस पद पर वे १९९२ में राष्ट्रपति बनने तक रहे।
शर्मा संसदीय मानको का सख्ती से पालन करते थे, राज्य सभा में एक मौके पर वे इसलिए रो पड़े थे कि क्योंकि राज्य सभा के सदस्यों ने एक राजनैतिक मुद्दे पर सदन को जाम कर दिया था। राष्ट्रपति चुनाव उन्होंने जार्ज स्वेल को हरा के जीता था इसमे उन्हें 66% मत मिले थे। अपने अन्तिम कार्य वर्ष में उन्होंने तीन प्रधानमंत्रियो को शपथ दिलाई।
बीमारी तथा मृत्यु
[संपादित करें]अपने जीवन के अन्तिम पाँच वर्षो में वे बीमार रहे, ९ अक्टूबर १९९९ को उन्हें दिल का दौरा पड़ने पर दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहाँ 26.12.1999 उनकी मृत्यु हो गई। उनकी समाधि - कर्मभूमि में स्थित है
डॉ. शंकर दयाल शर्मा स्वर्ण पदक
[संपादित करें]डॉ शंकर दयाल शर्मा स्वर्ण पदक सभी प्रतिष्ठित भारतीय विश्वविद्यालयों में सम्मानित किया है। यह पुरस्कार वर्ष 1994 में, शंकर दयाल शर्मा से प्राप्त बंदोबस्तों द्वारा गठित किया गया था। यह पदक एक स्नातक छात्र को दिया जाता है, जिसे सामान्य दक्षता की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, जिसमें चरित्र, आचरण और अकादमिक प्रदर्शन में उत्कृष्टता, पाठ्येतर गतिविधियों और सामाजिक सेवा शामिल हैं।
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- डॉ॰ शंकरदयाल शर्मा (पाञ्चजन्य)
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