लॉर्ड मेयो
लॉर्ड मेयो | |
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जन्म |
21 फ़रवरी 1822 डबलिन |
मृत्यु |
8 फ़रवरी 1872 ![]() पोर्ट ब्लेयर ![]() |
मृत्यु का कारण |
मानव हत्या ![]() |
नागरिकता |
ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड का यूनाइटेड किंगडम ![]() |
शिक्षा |
ट्रिनिटी कॉलेज, डबलिन ![]() |
व्यवसाय |
राजनीतिज्ञ ![]() |
पदवी |
भारत के गवर्नर जनरल ![]() |
लॉर्ड मेयो भारत के वायसराय रहे थे।
मृत्यु 8 फरवरी 1872
शेर अली खान भारतीय होने के साथ साथ राष्ट्र प्रेमी भी थे उन्होंने भारत वायसराय लार्ड मेयो को मौत के घाट उतारा दिए थे भारत वायसराय लॉर्ड मेयो ने अंडमान निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में सेलुलर जेल के कैदियों के हालात जानने और सिक्योंरिटी इंतजामों की समीक्षा करने के लिए वहां का दौरा करने का मन बनाया । शायद मेयो का काम पूरा हो भी चुका था। शाम सात बजे का वक्त था, लॉर्ड मेयो अपनी बोट की तरफ वापस आ रहा था। उसकी बेटी "लेडी मेयो" उस वक्त बोट में ही उसका इंतजार कर रही थीं।
भारत वायसराय का कोर सिक्योरिटी दस्ता जिसमें 12 सिक्योरिटी ऑफिसर शामिल थे, वो भी साथ साथ चल रहे थे। इधर शेर अली अफरीदी खुद चूंकि इसी सिक्योरिटी दस्ते का सदस्य रह चुका थे , इसलिए बेहतर जानते थे कि वो कहां चूक करते हैं और कहां लापरवाह हो जाते हैं। हथियार उसके पास था ही, उसके नाई वाले काम का खतरनाक औजार उस्तरा या चाकू। उसके साथ था।
लार्ड मेयो जैसे ही बोट की तरफ बढ़े, उनका सिक्योरिटी दस्ता थोड़ा बेफिक्र हो गया कि चलो पूरा दिन ठीकठाक गुजर गया। वैसे भी गवर्नर जनरल तक पहुंचने की हिम्मत कौन कर सकता है,गवर्नर की सिक्योरिटी बेधने की कौन सोचेगा! लेकिन उनकी यही बेफिक्री उसके जिंदगी की सबसे बड़ी भूल हो गई। पोर्ट पर अंधेरा था, उस वक्त रोशनी के इंतजामात बहुत अच्छे नहीं होते थे।
फरवरी के महीने में वैसे भी जल्दी अंधेरा हो जाता है, बिजली की तरह एक साया छलावे की तरह वायसराय की तरफ झपटे, जब तक खुद लार्ड मेयो या सिक्योरिटी दस्ते के लोग कुछ समझते इतने खून में सराबोर हो चुका था लॉर्ड मेयो कि मौके पर ही मौत हो जाती है।
लॉर्ड मेयो की याद में उसी साल ढूंढे गए एक नए द्वीप का नाम रख दिया गया।
मेयो के द्वारा 1872 मे प्रायोगिक जनगणना करवाई गई।
मेयो द्वारा 1872 में कृषि विभाग तथा अजमेर में मेयो कॉलेज की स्थापना की गई।