लॉर्ड डलहौजी
द मोस्ट ऑनरेबल द मार्क्वेस ऑफ डलहौजी | |
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कार्यकाल 1848 – 1856 | |
शासक | विक्टोरिया |
पूर्व अधिकारी | विस्काउंट हार्डिंग |
उत्तराधिकारी | चार्ल्स कैनिंग |
जन्म | 22 अप्रैल 1812 डलहौजी किला, मिडलोथियान |
मृत्यु | 19 दिसम्बर 1860 | (उम्र 48 वर्ष)
राष्ट्रीयता | ब्रिटिश |
जीवन संगी | लेडी सूजन हे (मृत्यु:1853) |
विद्या अर्जन | क्राइस्ट चर्च, ऑक्सफोर्ड |
लॉर्ड डलहौजी भारत में ब्रिटिश राज का गवर्नर जनरल था और उसका प्रशासन चलाने का तरीका साम्राज्यवाद से प्रेरित था। उसके काल मे राज्य विस्तार का काम अपने चरम पर था।
डलहौजी के सुधार:
- 1) सामाजिक सुधार
- 2) व्यावसायिक सुधार
- 3) सिंचाई की व्यवस्था
- 4) सैनिक सुधार
- 5) सार्वजनिक निर्माण कार्य
- 6) शिक्षा संबंधी सुधार
- 7) रेल-तार तथा डाकघर की स्थापना
प्रमुख (कुख्यात) कार्य
[संपादित करें]- पंजाब का विलय 1849।
- महाराजा दलीप सिंह को पेंशन दे कर इंग्लैंड भिजवा दिया।
- अवध का विलय 1856 जो 1857 के विद्रोह का कारण बन गया था।
- लेप्स सिद्धान्त जिसे उसने अनेक देशी राज्यों को हड़पने मे प्रयोग किया था।
- उसने लोअर बर्मा भी जीत लिया था।
उपनिवेशवादी नीतियां
[संपादित करें]- शैक्षनिक नीतियां वुड्स डिस्पैच 1854 के द्वारा आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा का प्रारम्भ किया।
- प्राथमिक, माध्यमिक, विश्वविद्यालयी शिक्षा का वर्गीकरण किया।
- भारत के पहले तीन विश्वविद्यालय शुरू हुए।
- लोक शिक्षा निदेशक नियुक्त किए गए।
- रूड़की अभियांत्रिकी महाविद्यालय खोला गया।
- 1854 के एक्ट द्वारा डाकघर शुरू किए गए, तार व्यवस्था भी शुरू हुई।
रेलवे का प्रारम्भ
[संपादित करें]भारत में रेलवे की नींव डालने वाला डलहौजी ही था।
- पहली रेलवे:- 16 अप्रैल 1853 मे दोडि थी। मुंबई से ठाणे,कुल:-34km तीन डिब्बे:-1-सिंध, 2 -साहेब, 3-सुलतान।
भारत मे उसके लक्ष्य थे।
- इतने विशाल राज्य की रक्षा हेतु तीव्र साधन चाहिए थे।
- भारत के सभी भागो मे बसी सैन्य छावानियों हेतु संचार का तीव्र और सस्ता साधन चाहिए था।
- ब्रिटेन का माल बेचने हेतु, भारत से कच्चा माल निकालने हेतु आधुनिक यातायात जरूरी था ताकि इस उपनिवेश से अधिकतम लाभ उठाया जा सके।
- इस काल तक ब्रिटेन वित्तीय पूँजी के काल मे प्रवेश कर चुका था उसके पूँजीपती पूँजी निवेश का लाभदायक स्थान चाहते थे जो भारत मे मिल गया ता उनकी पूँजी पर ५% लाभ की गारंटी दी गयी थी इस से भारत तो गरीब हुआ लेकिन ब्रिटेन अमीर हो गया।
- रेलवे का विकास करने से ब्रिटेन के लोहा इस्पात उधोग को भारी मात्रा मे काम मिला उनके इंजन उद्योग, ठेकेदारी फर्मों को भारी लाभ हुआ।
- प्रशासन के निरीक्षण हेतु भी यातायात के साधन चाहिए थे।
रेलवे निर्माण के प्रभाव
[संपादित करें]- सरकार ने रेलवे भारत के आधुनिकीकरण हेतु नहीं अपितु अपने साम्राज्यी हितों के लिए बनाई थी, इसके साथ ही गारंटी प्रणाली के द्वारा भारत से धन निकासी का नया मार्ग बना।
- रेलवे ब्रिटेन के लिए तो लाभप्रद था ही पर इसने भारत को भी लाभ दिए, एडविन अर्नाल्ड के शब्दों मे जो काम भारत के सफलतम वंश न कर पाए वो रेलवे ने कर दिया, इसने भारत को एक राष्ट्र बना दिया।
- रेलवे निर्माण के बाद भारत के विभिन्न भाषी लोग जो की बँटे हुए थे एक होते चले गए इस से राष्ट्रवाद का जन्म हुआ था।
- डलहौजी ने गृष्मकालीन राजधानी शिमला मे बनाया
सामजिक योगदान
[संपादित करें]सामाजिक भेदभाव जो जाति पर आधारित था रेलवे के आगमन के बाद काफी कमजोर हो गया[तथ्य वांछित], इस से एक नयी सामाजिक क्रांति पैदा होने लगी, रेलवे निर्माण के बाद ब्रिटिश पूँजी भारत मे लगी जिस ने रोजगार के नए अवसर पैदा किए थे अभी तक पिछड़े क्षेत्रो का विकास होने लगा था रेलवे ने ही कृषि का वाण्जियीकरण शुरू किया था। जूट, कपास, गन्ना, चाय, काफी, नील, अफीम आदि फसलें भारत के धन निकासी का नया स्रोत बन गई थी।