मुरुद जंजीरा
मुरुद | |
— शहर — | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | ![]() |
राज्य | महाराष्ट्र |
ज़िला | रायगढ़ |
जनसंख्या | 12,551 (2001 के अनुसार [update]) |
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
• 7 मीटर (23 फी॰) |
निर्देशांक: 18°20′N 72°58′E / 18.33°N 72.96°E मुरुद या मुरुद जंजीरा एक गांव है जो महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले में स्थित है। यह अलीबाग से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मुरुड का नाम सुनते ही दिमाग में जंजीरा के अपराजेय किले की तस्वीर उभरती है। यह किला इतिहास में जंजीरा के सिद्दिकियों के राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है। यह किला बीच समुद्र में बना हुआ है। लेकिन आज यह स्थान एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो चुका है। यह अपने खूबसूरत बीच रिजॉर्टों के लिए प्रसिद्ध है।
मुख्य आकर्षण[संपादित करें]
मुरुड सिद्दिकियों का आखिरी चौकी था। सिद्दिकी लोग अफ्रीका महादेश के सुदूरवर्ती देश अबीसीनिया से यहां आए थे। इन्होंने यहाँ शासन किया था। इनके शासन काल में बने भवनों के अवशेष पूरे क्षेत्र में भरे पड़े हैं। इन अवशेषों के अलावा यहाँ के खूबसूरत बीच भी पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं।
जंजीरा किला[संपादित करें]
यह किला 350 वर्ष पुराना है। स्थानीय लोग इसे अजिनक्या कहते हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ अजेय होता है। माना जाता है कि यह किला पंच पीर पंजातन शाह बाबा के संरक्षण में है। शाह बाबा का मकबरा भी इसी किले में है। यह किला समुद्र तल से 90 फीट ऊंचा है। इसकी नींव 20 फीट गहरी है। यह किला सिद्दी जौहर द्वारा बनवाया गया था। इस किले का निर्माण 22 वर्षों में हुआ था। यह किला 22 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें 22 सुरक्षा चौकियाँ है। ब्रिटिश, पुर्तगाली, शिवाजी, कान्होजी आंग्रे, चिम्माजी अप्पा तथा शंभाजी ने इस किले को जीतने का काफी प्रयास किया था, लेकिन कोई सफल नहीं हो सका। इस किले में सिद्दिकी शासकों की कई तोपें अभी भी रखी हुई हैं।
जंजीरा का किला जाने के लिए ऑटोरिक्शा से मुरुड से राजपुरी जाना होता है। यहां से नाव द्वारा जंजीरा का किला जाया जा सकता है। एक व्यक्ित का नाव का किराया 12 रु. है। समय: सुबह 7 बजे से शाम 6 से 7 के बीच। यह किला शुक्रवार को दोपहर से 2 बजे तक बंद रहता है।
पद्मदुर्ग किला[संपादित करें]
वर्तमान समय का कासा किला ही पहले पद्मदुर्ग किला के नाम से जाना जाता था। इस किले का निर्माण शिवाजी के उत्तराधिकारी और पुत्र शंभाजी ने सिद्दिकियों के जंजीरा किले के जबाव के रूप में करवाया था। यह किला 81.5 एकड़ में फैला हुआ है। इस किले में मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की अनुमति से ही प्रवेश किया जा सकता है।
अहमदगंज महल[संपादित करें]
अहमदगंज महल भी सिद्दी नवाबों के जागीर का हिस्सा था। यह महल 45 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यह महल वर्तमान नवाब सिद्दी महमूद खान का आवास है। इस महल में एक मस्जिद तथा पिछले दो नवाबों सिद्दी अहमद खान तथा सिद्दी मुहम्मद खान का मकबरा है।
मुरुड बीच[संपादित करें]
यह बीच 1.75 किलोमीटर लंबा है। इस बीच का बालू सफेद है। इस बीच में बिना खतरे के स्नान का आनंद उठा सकते हैं। बीच में काफी आगे खतरे का निशान बना हुआ है। यह निशान दो केसरिया रंग के झण्डों के माध्यम से दर्शाया गया है।
गारामंबी झरना[संपादित करें]
यह झरना 100 फीट ऊंचा है। यह मुरुड से 4 किलोमीटर की दूरी पर है। इस झरने का पानी महाराष्ट्र में सबसे शुद्ध माना जाता है। इस कारण इस पानी को पीया भी जा सकता है। इसी के पास गारामंबी डैम भी है। इस डैम का निर्माण नवाब सिद्दी अहमद खान ने करवाया था। इसे विक्टोरिया जुबली कहा जाता था। इस डैम से पूरे मुरुड को पानी की आपूर्ति होती है।
निकटवर्ती स्थल[संपादित करें]
नंदगांव[संपादित करें]
(9 किलोमीटर) नंदगांव समुद्रतट पर स्थित है। यह बीच 2 किलोमीटर लंबा है। इस समुद्र का बालू उजला और काला है। यहाँ का समुद्र बहुत ही आकर्षक है। अन्य समुद्रों की तरह यहाँ काफी भीड़भाड़ नहीं होती है। यहाँ आप समुद्र में गोते लगाकर पूरा आनंद उठा सकते है। यहाँ भगवान गणेश का एक बहुत ही प्राचीन तथा भव्य मंदिर भी है। 1036 ई. से इस मंदिर के होने का प्रमाण मिलता है।
भोजन[संपादित करें]
मुरुड मछलियों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के प्रसिद्ध रेस्टोरेंट पाटिल खानवल में तली हुई तथा करी वाली मछलियाँ मिलती है। यह रेस्टोरेंट समुद्रतट पर स्थित है। यहाँ कई प्रकार की मछलियाँ जैसे रावाज, सुरमई, पौम्फ्रेट, प्रावानस मछलियाँ का व्यंजन भी मिलता है। होटल परेश की बिरयानी तथा पाटिल होटल का आलूबडा प्रसिद्ध है। यह बडा इमली की चटनी के साथ परोसा जाता है। सैंडपाइपर रेस्टोरेंट में कोंकणी भोजन के अलावा चाइनीज भोजन भी मिलता है।
== खरीदारी ==
यहाँ की नारियल की चिक्की तथा बर्फी प्रसिद्ध है। यह आपको 70 रु. से लेकर 150 रु. तक मिल जाएगा। इसके अलावा यहाँ से मछली खरीदी जा सकती है। यहाँ से मछली का निर्यात मुंबई होता है।
आवागमन[संपादित करें]
- हवाई मार्ग
यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा मुंबई है।
- रेल मार्ग
रोह यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। मुंबई से कोंकण कन्या एक्सप्रेस रोह जाती है।
- सड़क मार्ग
मुंबई सेंट्रल तथा वोरीबली से मुरुड जाने के लिए बसें खुलती हैं।
- जल मार्ग
फेरी वर्फ से रोह के लिए नियमित रूप से जलयान चलता है।