भारतीय दण्ड संहिता
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 | |
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भारत के लिए एक सामान्य दण्ड संहिता प्रदान करने के लिए एक अधिनियम | |
शीर्षक | Act No. 45 of 1860 |
प्रादेशिक सीमा | भारत |
द्वारा अधिनियमित | शाही विधान परिषद |
अधिनियमित करने की तिथि | 6 अक्टूबर 1860 |
अनुमति-तिथि | 6 अक्टूबर 1860 |
शुरूआत-तिथि | 1 जनवरी 1862 |
समिति की रिपोर्ट | प्रथम विधि आयोग |
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संबंधित कानून | |
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (भारत) | |
स्थिति : मूलतः संसोधित |
भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में भी अब भारतीय दण्ड संहिता (IPC) लागू है।
भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1860 में लागू हुई। इसके बाद इसमे समय-समय पर संशोधन होते रहे (विशेषकर भारत के स्वतन्त्र होने के बाद)। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों (बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि) में भी लागू की गयी थी। लेकिन इसमें अब तक बहुत से संशोधन किये जा चुके है। भारतीय न्याय संहिता 2023 ने इसे विस्थापित कर दिया।
अध्याय 1
[संपादित करें]उद्देशिका
[संपादित करें]- धारा 1 संहिता का नाम और उसके प्रर्वतन का विस्तार !
यह अधिनियम भारतीय दण्ड संहिता (IPC) कहलायेगा, और इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर होगा।
- अनुच्छेद 370 के हटाए जाने पर भारतीय दण्ड संहिता संपूर्ण भारत पर लागू होगा जिसमे केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर भी शामिल है |[1] संविधान के अनुसूची 5 के तहत 109 कानून अब जम्मू और कश्मीर पर भी लागू होंगे जिसमें भारतीय दण्ड संहिता के साथ-साथ हिन्दू विवाह अधिनियम भी सम्मिलित हैं।
- धारा 2 भारत के भीतर किए गये अपराधों का दण्ड
हर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा अन्यथा नहीं ।
- धारा 3 भारत से परे किए गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड
भारत से परे किए गए अपराध के लिए जो कोई व्यक्ति किसी भारतीय विधि के अनुसार विचारण का पात्र हो, भारत से परे किए गए किसी कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानो वह कार्य भारत के भीतर किया गया था ।
- धारा 4 राज्य-क्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार
इस संहिता के उपबन्ध -
(1) भारत के बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा ;
(2) भारत में पञ्जीकृत किसी पोत या विमान पर, चाहे वह कहीं भी हो किसी व्यक्ति द्वारा, किए गए किसी अपराध को भी लागू है
स्पष्टीकरण - इस धारा में “अपराध” शब्द के अन्तर्गत भारत से बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो, इस संहिता के अधीन दण्डनीय होता ।
- दृष्टान्त
क. जो भारत का नागरिक है उगाण्डा में हत्या करता है । वह भारत के किसी स्थान में, जहाँ वह पाया जाए, हत्या के लिए विचारित और दोषसिद्ध किया जा सकता है ।
- धारा 5 कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना
इस अधिनियम में की कोई बात भारत सरकार की सेवा के ऑफिसरों, सैनिकों, नौसैनिकों या वायु सैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्यजन को दण्डित करने वाले किसी अधिनियम के उपबन्धों, या किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबन्धों, पर प्रभाव नहीं डालेगी ।
अध्याय 2
[संपादित करें]- साधारण स्पष्टीकरणI
- धारा 6 संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना
इस संहिता में सर्वत्र, अपराध की हर परिभाषा, हर दण्ड उपबन्ध और हर ऐसी परिभाषा या दण्ड उपबन्ध का हर दृष्टान्त, “साधारण अपवाद” शीर्षक वाले अध्याय में अन्तर्विष्ट अपवादों के अध्यधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, दण्ड उपबन्ध या दृष्टान्त में दुहराया न गया हो ।
दृष्टांत : (क) इस संहिता की वे धाराएँ, जिनमें अपराधों की परिभाषाएँ अन्तर्विष्ट हैं, यह अभिव्यक्त नहीं करती कि सात वर्ष से कम आयु का शिशु ऐसे अपराध नहीं कर सकता, किन्तु परिभाषाएँ उस साधारण अपवाद के अध्यधीन समझी जानी हैं जिसमें यह उपबन्धित है कि कोई बात, जो सात वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा की जाती है, अपराध नहीं है ।
(ख) 'क' , एक पुलिस ऑफिसर, वारण्ट के बिना, 'य' को, जिसने हत्या की है, पकड़ लेता है । यहाँ 'क' सदोष परिरोध के अपराध का दोषी नहीं है, क्योंकि वह 'य' को पकड़ने के लिए विधि द्वारा आबद्ध था, और इसलिए यह मामला उस साधारण अपवाद के अन्तर्गत आ जाता है, जिसमें यह उपबन्धित है कि “कोई बात अपराध नहीं है जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो ।
- धारा 7 एक बार स्पष्टीकृत पद का भाव
हर पद, जिसका स्पष्टीकरण इस संहिता के किसी भाग में किया गया है, इस संहिता के हर भाग में उस स्पष्टीकरण के अनुरूप ही प्रयोग किया गया है ।
- धारा 8 लिंग
पुलिंग वाचक शब्द जहाँ प्रयोग किए गए हैं, वे हर व्यक्ति के बारे में लागू हैं, चाहे नर हो या नारी ।
- धारा 9 वचन
जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल प्रतीत न हो, एकवचन द्योतक शब्दों के अन्तर्गत बहुवचन आता है, और बहुवचन द्योतक शब्दों के अन्तर्गत एकवचन आता है ।
- धारा 10 पुरूष, स्त्री
“पुरुष” शब्द किसी भी आयु के मानव नर का द्योतक है ; “स्त्री” शब्द किसी भी आयु की मानव नारी का द्योतक है ।
- धारा 11 व्यक्ति
कोई भी कम्पनी या संगम, या व्यक्ति निकाय चाहे वह निगमित हो या नहीं, “व्यक्ति” शब्द के अन्तर्गत आता है ।
- धारा 12 लोक
लोक का कोई भी वर्ग या कोई भी समुदाय “लोक” शब्द के अन्तर्गत आता है ।
- धारा 13 निरसित
“क्वीन” की परिभाषा विधि अनुकूलन आदेश, 1950 द्वारा निरसित ।
- धारा 14 सरकार का सेवक
"सरकार का सेवक" शब्द सरकार के प्राधिकार के द्वारा या अधीन, भारत के भीतर उस रूप में बने रहने दिए गए, नियुक्त किए गए, या नियोजित किए गए किसी भी ऑफिसर या सेवक के द्योतक हैं ।
- धारा 15 निरसित
ब्रिटिश इण्डिया” की परिभाषा विधि अनुकूलन आदेश, 1937 द्वारा निरसित ।
- धारा 16 निरसित
“गवर्नमेंट आफ इण्डिया” की परिभाषा भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश, 1937 द्वारा निरसित ।
- धारा 17 सरकार
“सरकार” केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य की सरकार का द्योतक है ।
- धारा 18 भारत
“भारत” से भारत का राज्यक्षेत्र अभिप्रेत है ।
- धारा 19 न्यायाधीश
“न्यायाधीश” शब्द न केवल हर ऐसे व्यक्ति का द्योतक है, जो पद रूप से न्यायाधीश अभिहित हो, किन्तु उस हर व्यक्ति का भी द्योतक है,
जो किसी विधि कार्यवाही में, चाहे वह सिविल हो या दाण्डिक, अन्तिम निर्णय या ऐसा निर्णय, जो उसके विरुद्ध अपील न होने पर अन्तिम हो जाए या ऐसा निर्णय, जो किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा पुष्ट किए जाने पर अन्तिम हो जाए, देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो,
अथवा जो उस व्यक्ति निकाय में से एक हो, जो व्यक्ति निकाय ऐसा निर्णय देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो ।
दृष्टान्त (क) सन् 1859 के अधिनियम 10 के अधीन किसी वाद में अधिकारिता का प्रयोग करने वाला कलक्टर न्यायाधीश है ।
(ख) किसी आरोप के सम्बन्ध में, जिसके लिए उसे जुर्माना या कारावास का दण्ड देने की शक्ति प्राप्त है, चाहे उसकी अपील होती हो या न होती हो, अधिकारिता का प्रयोग करने वाला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश है ।
(ग) मद्रास संहिता के सन् 1816 के विनियम 7 के अधीन वादों का विचारण करने की और अवधारण करने की शक्ति रखने वाली पंचायत का सदस्य न्यायाधीश है ।
(घ) किसी आरोप के सम्बन्ध में, जिनके लिए उसे केवल अन्य न्यायालय को विचारणार्थ सुपुर्द करने की शक्ति प्राप्त है, अधिकारिता का प्रयोग करने वाला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश नहीं है ।
- धारा 20 न्यायालय
“न्यायालय” शब्द उस न्यायाधीश का, जिसे अकेले ही को न्यायिकत: कार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, या उस न्यायाधीश-निकाय का, जिसे एक निकाय के रूप में न्यायिकत: कार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, जबकि ऐसा न्यायाधीश या न्यायाधीश-निकाय न्यायिकत: कार्य कर रहा हो, द्योतक है ।
- दृष्टान्त :
मद्रास संहिता के सन् 1816 के विनियम 7 के अधीन कार्य करने वाली पंचायत[5], जिसे वादों का विचारण करने और अवधारण करने की शक्ति प्राप्त है, न्यायालय है ।
- धारा 21 लोक सेवक
“लोक सेवक” शब्द उस व्यक्ति के द्योतक है जो एतस्मिन् पश्चात् निम्नगत वर्णनों में से किसी में आता है,
अर्थात् : 01 - पहले खण्ड का आलोप किया गया।
02 - भारत की सेना, नौ सेना या वायु सेना का हर आयुक्त ऑफिसर ;
03 - हर न्यायाधीश जिसके अन्तर्गत ऐसे कोई भी व्यक्ति आता है जो किन्हीं न्यायनिर्णयिक कॄत्यों का चाहे स्वयं या व्यक्तियों के किसी निकाय के सदस्य के रूप में निर्वहन करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो ;]
04 - न्यायालय का हर ऑफिसर (जिसके अन्तर्गत समापक, रिसीवर या कमिश्नर आता है) जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह विधि या तथ्य के किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करे, या कोई दस्तावेज बनाए, अधिप्रमाणीकॄत करे, या रखे, या किसी सम्पत्ति का भार सम्भाले या उस सम्पत्ति का व्ययन करे, या किसी न्यायिक आदेशिका का निष्पादन करे, या कोई शपथ ग्रहण कराए या निर्वचन करे, या न्यायालय में व्यवस्था बनाए रखे और हर व्यक्ति, जिसे ऐसे कर्तव्यों में से किन्हीं का पालन करने का प्राधिकार न्यायालय द्वारा विशेष रूप से दिया गया हो ;
05 - किसी न्यायालय या लोक सेवक की सहायता करने वाला हर जूरी-सदस्य, असेसर या पंचायत का सदस्य ;
06 - हर मध्यस्थ या अन्य व्यक्ति, जिसको किसी न्यायालय द्वारा, या किसी अन्य सक्षम लोक प्राधिकारी द्वारा, कोई मामला या विषय, विनिश्चित या रिपोर्ट के लिए निर्देशित किया गया हो ;
07 - हर व्यक्ति जो किसी ऐसे पद को धारण कर्ता हो, जिसके आधार से वह किसी व्यक्ति को परिरोध में करने या रखने के लिए सशक्त हो ;
08 - सरकार का हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह अपराधों का निवारण करे, अपराधों की इत्तिला दे, अप्राधियों को न्याय के लिए उपस्थित करे, या लोक के स्वास्थ्य, क्षेम या सुविधा की संरक्षा करे ;
09 - हर ऑफिसर जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह सरकार की ओर से किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त करे, रखे, व्यय करे, या सरकार की ओर से कोई सर्वेक्षण, निर्धारण या संविदा करे, या किसी राजस्व आदेशिका का निष्पादन करे, या 8[सरकार] के धन-सम्बन्धी हितों पर प्रभाव डालने वाले किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करे या 8[सरकार] के धन सम्बन्धी हितों से सम्बन्धित किसी दस्तावेज को बनाए, अधिप्रमाणीकॄत करे या रखे, या 8[सरकार] 3।।। धन-सम्बन्धी हितों की संरक्षा के लिए किसी विधि के व्यतिक्रम को रोके ;
10 - हर ऑफिसर, जिसका ऐसे ऑफिसर के नाते यह कर्तव्य हो कि वह किसी ग्राम, नगर या जिले के किसी धर्मनिरपेक्ष सामान्य प्रयोजन के लिए किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त करे, रखे या व्यय करे, कोई सर्वेक्षण या निर्धारण करे, या कोई रेट या कर उद्गॄहीत करे, या किसी ग्राम, नगर या जिले के लोगों के अधिकारों के अभिनिश्चयन के लिए कोई दस्तावेज बनाए, अधिप्रमाणीकॄत करे या रखे ;
11 - हर व्यक्ति जो कोई ऐसे पद धारण कर्ता हो जिसके आधार से वह निर्वाचक नामावली तैयार करने, प्रकाशित करने, बनाए रखने, या पुनरीक्षित करने के लिए या निर्वाचन या निर्वाचन के लिए भाग को संचालित करने के लिए सशक्त हो ;
12 - हर व्यक्ति, जो - (क) सरकार की सेवा या वेतन में हो, या किसी लोक कर्तव्य के पालन के लिए सरकार से फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता हो ;
(ख) स्थानीय प्राधिकारी की, अथवा केन्द्र, प्रान्त या राज्य के अधिनियम के द्वारा या अधीन स्थापित निगम की अथवा कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 617 में यथा परिभाषित सरकारी कम्पनी की, सेवा या वेतन में हो ।
- दृष्टांत :
नगरपालिका आयुक्त लोक सेवक है ।
स्पष्टीकरण 1 - ऊपर के वर्णनों में से किसी में आने वाले व्यक्ति लोक सेवक हैं, चाहे वे सरकार द्वारा नियुक्त किए गए हों या नहीं ।
स्पष्टीकरण 2 - जहाँ कहीं “लोक सेवक” शब्द आएँ हैं, वे उस हर व्यक्ति के सम्बन्ध में समझे जाएँगे जो लोक सेवक के पद को वास्तव में धारण किए हुए हों, चाहे उस पद को धारण करने के उसके अधिकार में कैसी ही विधिक त्रुटि हो ।
स्पष्टीकरण 3 - “निर्वाचन” शब्द ऐसे किसी विधायी, नगरपालिक या अन्य लोक प्राधिकारी के नाते, चाहे वह कैसे ही स्वरूप का हो, सदस्यों के वरणार्थ निर्वाचन का द्योतक है जिसके लिए वरण करने की पद्धति किसी विधि के द्वारा या अधीन निर्वाचन के रूप में विहित की गई हो ।
- धारा 22 जंगम सम्पत्ति
“जंगम सम्पत्ति” शब्दों से यह आशयित है कि इनके अन्तर्गत हर भाँति की मूर्त सम्पत्ति आती है, किन्तु भूमि और वे चीजें, जो भू-बद्ध हों या भू-बद्ध किसी चीज से स्थायी रूप से जकड़ी हुई हों, इनके अन्तर्गत नहीं आता ।
- धारा 23 सदोष अभिलाभ
- सदोष अभिलाभ
- सदोष हानि
- सदोष अभिलाभ प्राप्त करना/सदोष हानि उठाना
- धारा 24 बेईमानी से
- धारा 25 कपटपूर्वक
- धारा 26 विश्वास करने का कारण
- धारा 27 पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्ति
- धारा 28 कूटकरण
- धारा 29 दस्तावेज
- धारा 29 क इलेक्ट्रानिक अभिलेख
- धारा 30 मूल्यवान प्रतिभूति
- धारा 31 बिल
- धारा 32 कार्यों का निर्देश करने वाले शब्दों के अन्तर्गत अवैध लोप आता है
- धारा 33 कार्य, लोप
- धारा 34 सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किये गये कार्य
- धारा 35 जब कि ऐसा कार्य इस कारण अपराधित है कि वह अपराध्कि ज्ञान या आशय से किया गया है
- धारा 36 अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित परिणाम
- धारा 37 किसी अपराध को गठित करने वाले कई कार्यों में से किसी एक को करके सहयोग करना
- धारा 38 अपराधिक कार्य में संपृक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे
- धारा 39 स्वेच्छया
- धारा 40 अपराध
- धारा 41 विशेष विधि
- धारा 42 स्थानीय विधि
- धारा 43 अवैध, करने के लिये वैध रूप से आबद्ध
- धारा 44 क्षति
- धारा 45 जीवन
- धारा 46 मृत्यु
- धारा 47 जीव जन्तु
- धारा 48 जलयान
- धारा 49 वर्ष, मास
- धारा 50 धारा
- धारा 51 शपथ
- धारा 52 सद्भावनापूर्वक
- धारा 52 क संश्रय
अध्याय 3
[संपादित करें]- दण्डों के विषय में
- धारा 53 दण्ड
- धारा 53 क निर्वसन के प्रति निर्देश का अर्थ लगाना
- धारा 54 लघु दण्डादेश का लघुकरण
- धारा 55 आजीवन कारावास के दण्डादेश का लघुकरण
- धारा 55 क समुचित सरकार की परिभाषा
- धारा 56 निरसित
- धारा 57 दण्ड अवधियों की भिन्ने
- धारा 58 निरसित
- धारा 59 निरसित
- धारा 60 दण्डादिष्ट कारावास के कतिपय मामलों में संपूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन या सादा हो सकेगा
- धारा 61 निरसित
- धारा 62 निरसित
- धारा 63 जुर्माने की रकम
- धारा 64 जुर्माना न देने पर कारावास का दण्डादेश
- धारा 65 जबकि कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किये जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास, जबकि अपराध केवल जुर्माने से दण्डनीय हो
- धारा 66 जुर्माना न देने पर किस भाॅंति का कारावास दिया जाय
- धारा 67 जुर्माना न देने पर कारावास, जबकि अपराध केवल जुर्माने से दण्डनीय हो
- धारा 68 जुर्माना देने पर कारावास का पर्यवसान हो जाना
- धारा 69 जुर्माने के आनुपातिक भाग के दे दिये जाने की दशा में कारावास का पर्यवसान
- धारा 70 जुर्माने का छः वर्ष के भीतर या कारावास के दौरान में उदग्रहणीय होना
- धारा 71 कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिये दण्ड की अवधि
- धारा 72 कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ति के लिये दण्ड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेह है कि वह किस अपराध का दोषी है
- धारा 73 एकांत परिरोध
- धारा 74 एकांत परिरोध की अवधि
- धारा 75 पूर्व दोषसिद्धि के पश्च्यात अध्याय १२ या अध्याय १७ के अधीन कतिपय अपराधों के लिये वर्धित दण्ड
अध्याय 4
[संपादित करें]- साधारण अपवाद
- धारा 76 विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आप को विधि द्वारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य
- धारा 77 न्यायिकत: कार्य करने हेतु न्यायाधीश का कार्य
- धारा 78 न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य
- धारा 79 विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य
- धारा 80 विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना
- धारा 81 कार्य जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय के बिना और अन्य अपहानि के निवारण के लिये किया गया है
- धारा 82 सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य
- धारा 83 सात वर्ष से ऊपर किन्तु बारह वर्ष से कम आयु अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य
- धारा 84 विकृतिचित्त व्यक्ति का कार्य
- धारा 85 ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरूद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है
- धारा 86 किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है
- धारा 87 सम्मति से किया गया कार्य जिसमें मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय हो और न उसकी सम्भव्यता का ज्ञान हो
- धारा 88 किसी व्यक्ति के फायदे के लिये सम्मति से सदभवनापूर्वक किया गया कार्य जिससे मृत्यु कारित करने का आशय नहीं है
- धारा 89 संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिये सद्भावनापूर्वक किया गया कार्य
- धारा 90 सम्मति
- उन्मत्त व्यक्ति की सम्मति
- शिशु की सम्मति
- धारा 91 एसे कार्यों का अपवर्णन जो कारित अपहानि के बिना भी स्वतः अपराध है
- धारा 92 सम्मति के बिना किसी ब्यक्ति के फायदे के लिये सदभावना पूर्वक किया गया कार्य
- धारा 93 सदभावनापूर्वक दी गयी संसूचना
- धारा 94 वह कार्य जिसको करने के लिये कोई ब्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है
- धारा 95 तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्य
- निजी प्रतिरक्षा के अधिकार के विषय में
- धारा 96 निजी प्रतिरक्षा में दी गयी बातें
- धारा 97 शरीर तथा सम्पत्ति पर निजी प्रतिरक्षा का अधिकार
- धारा 98 ऐसे ब्यक्ति का कार्य के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का अधिकार जो विकृत आदि हो
- धारा 99 कार्य, जिनके विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है इस अधिकार के प्रयोग का विस्तार
- धारा 100 शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने पर कब होता है
- धारा 101 कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है
- धारा 102 शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहना
- धारा 103 कब सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने तक का होता है
- धारा 104 ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का कब होता है
- धारा 105 सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहना
- धारा 106 घातक हमले के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा के अधिकार जबकि निर्दोश व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम है
अध्याय 5
[संपादित करें]- दुष्प्रेरण के विषय में
- धारा 107 किसी बात का दुष्प्रेरण
- धारा 108 दुष्प्रेरक
- धारा 108 क भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरण
- धारा 109 दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए और जहां तक कि उसके दण्ड के लिये कोई अभिव्यक्त उपबंध नहीं है
- धारा 110 दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है
- धारा 111 दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है
- धारा 112 दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेरित कार्य के लिये और किये गये कार्य के लिए आकलित दण्ड से दण्डनीय है
- धारा 113 दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक दवारा आशयित से भिन्न हो
- धारा 114 अपराध किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थिति
- धारा 115 मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण यदि अपराध नहीं किया जाता यदि अपहानि करने वाला कार्य परिणामस्वरूप किया जाता है
- धारा 116 कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण आदि अपराध न किया जाए यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोक सेवक है, जिसका कर्तव्य अपराध निवारित करना हो
- धारा 117 लोक साधारण दवारा या दस से अधिक व्यक्तियों दवारा अपराध किये जाने का दुष्प्रेरण
- धारा 118 मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना यदि अपराध कर दिया जाए - यदि अपराध नहीं किया जाए
- धारा 119 किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक दवारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना उसका कर्तव्य है
- यदि अपराध कर दिया जाय
- यदि अपराध मृत्यु, आदि से दण्डनीय है
- यदि अपराध नहीं किया जाय
- धारा 120 कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना
- यदि अपराध कर दिया जाए - यदि अपराध नहीं किया जाए
अध्याय 5 क
[संपादित करें]- आपराधिक षडयन्त्र
- धारा 120 क आपराधिक षडयंत्र की परिभाषा
- धारा 120 ख आपराधिक षडयंत्र का दण्ड
अध्याय 6
[संपादित करें]- राज्य के विरूद्ध अपराधों के विषय में
- धारा 121 भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करना
- धारा 121 क धारा 121 दवारा दण्डनीय अपराधों को करने का षडयंत्र
- धारा 122 भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करने के आशय से आयुध आदि संग्रह करना
- धारा 123 युद्ध करने की परिकल्पना को सफल बनाने के आशय से छुपाना
- धारा 124 किसी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश करने या उसका प्रयोग अवरोपित करने के आशय से राट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करना
- धारा 124 क राजद्रोह
- धारा 125 भारत सरकार से मैत्री सम्बंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के विरूद्ध युद्ध करना
- धारा 126 भारत सरकार के साथ शान्ति का संबंध रखने वाली शक्ति के राज्य क्षेत्र में लूटपाट करना
- धारा 127 धारा 125 व 126 में वर्णित युद्ध या लूटपाट दवारा ली गयी सम्पत्ति प्राप्त करना
- धारा 128 लोक सेवक का स्व ईच्छा राजकैदी या युद्धकैदी को निकल भागने देना
- धारा 129 उपेक्षा से लोक सेवक का ऐसे कैदी का निकल भागना सहन करना
- धारा 130 ऐसे कैदी के निकल भागने में सहायता देना, उसे छुडाना या संश्रय देना
अध्याय 7
[संपादित करें]- सेना, नौसेना और वायुसेना से सम्बन्धित अपराधें के विषय में
- धारा 131 विद्रोह का दुष्प्रेरण का किसी सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करना
- धारा 132 विद्रोह का दुष्प्रेरण, यदि उसके परिणामस्वरूप विद्रोह हो जाए।
- धारा 133 सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारी, जब कि वह अधिकारी अपने पद-निष्पादन में हो, पर हमले का दुष्प्रेरण।
- धारा 134 हमले का दुष्प्रेरण जिसके परिणामस्वरूप हमला किया जाए।
- धारा 135 सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा परित्याग का दुष्प्रेरण।
- धारा 136 अभित्याजक को संश्रय देना
- धारा 137 मास्टर की उपेक्षा से किसी वाणिज्यिक जलयान पर छुपा हुआ अभित्याजक
- धारा 138 सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अनधीनता के कार्य का दुष्प्रेरण।
- धारा 138 क पूर्वोक्त धाराओं का भारतीय सामुद्रिक सेवा को लागू होना
- धारा 139 कुछ अधिनियमों के अध्यधीन व्यक्ति।
- धारा 140 सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक पहनना या प्रतीक चिह्न धारण करना।
अध्याय 8
[संपादित करें]- सार्वजनिक शान्ति के विरुद्ध अपराध
- धारा 141 विधिविरुद्ध जनसमूह।
- धारा 142 विधिविरुद्ध जनसमूह का सदस्य होना।
- धारा 143 गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य होने के नाते दंड
- धारा 144 घातक आयुध से सज्जित होकर विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित होना।
- धारा 145 किसी विधिविरुद्ध जनसमूह, जिसे बिखर जाने का समादेश दिया गया है, में जानबूझकर शामिल होना या बने रहना।
- धारा 146 उपद्रव करना
- धारा 147 बल्वा करने के लिए दण्ड
- धारा 148 घातक आयुध से सज्जित होकर उपद्रव करना।
- धारा 149 विधिविरुद्ध जनसमूह का हर सदस्य, समान लक्ष्य का अभियोजन करने में किए गए अपराध का दोषी।
- धारा 150 विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित करने के लिए व्यक्तियों का भाड़े पर लेना या भाड़े पर लेने के लिए बढ़ावा देना।
- धारा 151 पांच या अधिक व्यक्तियों के जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश दिए जाने के पश्चात् जानबूझकर शामिल होना या बने रहना
- धारा 152 लोक सेवक के उपद्रव / दंगे आदि को दबाने के प्रयास में हमला करना या बाधा डालना।
- धारा 153 उपद्रव कराने के आशय से बेहूदगी से प्रकोपित करना
- धारा 153 क धर्म, मूलवंश, भाषा, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, इत्यादि के आधारों पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना।
- धारा 153 ख राष्ट्रीय अखण्डता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन, प्राख्यान
- धारा 154 उस भूमि का स्वामी या अधिवासी, जिस पर गैरकानूनी जनसमूह एकत्रित हो
- धारा 155 व्यक्ति जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो का दायित्व
- धारा 156/3 उस स्वामी या अधिवासी के अभिकर्ता का दायित्व, जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया जाता है
- धारा 157 विधिविरुद्ध जनसमूह के लिए भाड़े पर लाए गए व्यक्तियों को संश्रय देना।
- धारा 158 विधिविरुद्ध जमाव या बल्वे में भाग लेने के लिए भाड़े पर जाना
- धारा 159 दंगा
- धारा 160 उपद्रव करने के लिए दण्ड।
अध्याय 9
[संपादित करें]- लोकसेवकों द्वारा या उनसे सम्बन्धित अपराध
- धारा 161 से 164 लोक सेवकों द्वारा या उनसे संबंधित अपराधों के विषय में
- धारा 166 लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को क्षति पहुँचाने के आशय से विधि की अवज्ञा करना।
- धारा 166 क कानून के तहत महीने दिशा अवहेलना लोक सेवक
- धारा 166 ख अस्पताल द्वारा शिकार की गैर उपचार
- धारा 167 लोक सेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है।
- धारा 168 लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से व्यापार में लगता है
- धारा 169 लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से संपत्ति क्रय करता है या उसके लिए बोली लगाता है।
- धारा 170 लोक सेवक का प्रतिरूपण।
- धारा 171 कपटपूर्ण आशय से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक पहनना या निशानी को धारण करना।
अध्याय 9 A
[संपादित करें]- चुनाव सम्बन्धी अपराध
- धारा 171 A अभ्यर्थी, निर्वाचन अधिकार परिभाषित
- धारा 171 B रिश्वत
- धारा 171 C निर्वाचनों में असम्यक् असर डालना
- धारा 171 D निर्वाचनों में प्रतिरूपण
- धारा 171 E रिश्वत के लिए दण्ड
- धारा 171 F निर्वाचनों में असम्यक् असर डालने या प्रतिरूपण के लिए दण्ड
- धारा 171 G निर्वाचन के सिलसिले में मिथ्या कथन
- धारा 171 H निर्वाचन के सिलसिले में अवैध संदाय
- धारा 171 I निर्वाचन लेखा रखने में असफलता
अध्याय 10
[संपादित करें]- लोकसेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार के विरुद्ध अवमानना
- धारा 172 समनों की तामील या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाना
- धारा 173 समन की तामील का या अन्य कार्यवाही का या उसके प्रकाशन का निवारण करना।
- धारा 174 लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहना
- धारा 175 दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख पेश करने के लिए वैध रूप से आबद्ध व्यक्ति का लोक सेवक को १[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] पेश करने का लोप
- धारा 176 सूचना या इत्तिला देने के लिए कानूनी तौर पर आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को सूचना या इत्तिला देने का लोप।
- धारा 177 झूठी सूचना देना।
- धारा 178 शपथ या प्रतिज्ञान से इंकार करना, जबकि लोक सेवक द्वारा वह वैसा करने के लिए सम्यक् रूप से अपेक्षित किया जाए
- धारा 179 प्रश्न करने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक को उत्तर देने से इंकार करना।
- धारा 180 कथन पर हस्ताक्षर करने से इंकार
- धारा 181 शपथ दिलाने या अभिपुष्टि कराने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक के, या व्यक्ति के समक्ष शपथ या अभिपुष्टि पर झूठा बयान।
- धारा 182 लोक सेवक को अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति की क्षति करने के आशय से झूठी सूचना देना
- धारा 183 लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा संपत्ति लिए जाने का प्रतिरोध
- धारा १८४ लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति के विक्रय में बाधा डालना।
- धारा १८५ लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति का अवैध क्रय या उसके लिए अवैध बोली लगाना।
- धारा १८६ लोक सेवक के लोक कॄत्यों के निर्वहन में बाधा डालना।
- धारा १८७ लोक सेवक की सहायता करने का लोप, जबकि सहायता देने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो
- धारा १८८ लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा।
- धारा १८९ लोक सेवक को क्षति करने की धमकी
- धारा १९० लोक सेवक से संरक्षा के लिए आवेदन करने से रोकने हेतु किसी व्यक्ति को उत्प्रेरित करने के लिए क्षति की धमकी।
अध्याय 11
[संपादित करें]- झूठा साक्ष्य तथा लोकन्याय के विरुद्ध अपराध
- धार 191 झूठा साक्ष्य देना।
- धारा 192 झूठा साक्ष्य गढ़ना।
- धारा 193 मिथ्या साक्ष्य के लिए दंड
- धारा 194 मॄत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि कराने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़ना।
- धारा 195 आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि प्राप्त करने के आशय से झूठा साक्ष्य देना या गढ़ना
- धारा 196 उस साक्ष्य को काम में लाना जिसका मिथ्या होना ज्ञात है
- धारा 197 मिथ्या प्रमाणपत्र जारी करना या हस्ताक्षरित करना
- धारा 198 प्रमाणपत्र जिसका नकली होना ज्ञात है, असली के रूप में प्रयोग करना।
- धारा 199 विधि द्वारा साक्ष्य के रूप में लिये जाने योग्य घोषणा में किया गया मिथ्या कथन।
- धारा 200 ऐसी घोषणा का मिथ्या होना जानते हुए सच्ची के रूप में प्रयोग करना।
- धारा 201 अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए झूठी जानकारी देना।
- धारा 202 सूचना देने के लिए आबद्ध व्यक्ति द्वारा अपराध की सूचना देने का साशय लोप।
- धारा 203 किए गए अपराध के विषय में मिथ्या इत्तिला देना
- धारा 204 साक्ष्य के रूप में किसी ३[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख] का पेश किया जाना निवारित करने के लिए उसको नष्ट करना
- धारा 205 वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरूपण
- धारा 206 संपत्ति को समपहरण किए जाने में या निष्पादन में अभिगॄहीत किए जाने से निवारित करने के लिए उसे कपटपूर्वक हटाना या छिपाना
- धारा 207 संपत्ति पर उसके जब्त किए जाने या निष्पादन में अभिगॄहीत किए जाने से बचाने के लिए कपटपूर्वक दावा।
- धारा 208 ऐसी राशि के लिए जो शोध्य न हो कपटपूर्वक डिक्री होने देना सहन करना
- धारा 209 बेईमानी से न्यायालय में मिथ्या दावा करना
- धारा 210 ऐसी राशि के लिए जो शोध्य नहीं है कपटपूर्वक डिक्री अभिप्राप्त करना
- धारा 211 क्षति करने के आशय से अपराध का झूठा आरोप।
- धारा 212 अपराधी को संश्रय देना।
- धारा 213 अपराधी को दंड से प्रतिच्छादित करने के लिए उपहार आदि लेना
- धारा 214 अपराधी के प्रतिच्छादन के प्रतिफलस्वरूप उपहार की प्रस्थापना या संपत्ति का प्रत्यावर्तन
- धारा 215 चोरी की संपत्ति इत्यादि के वापस लेने में सहायता करने के लिए उपहार लेना
- धारा 216 ऐसे अपराधी को संश्रय देना, जो अभिरक्षा से निकल भागा है या जिसको पकड़ने का आदेश दिया जा चुका है।
- धारा 216क लुटेरों या डाकुओं को संश्रय देने के लिए शास्ति
- धारा 216ख धारा २१२, धारा २१६ और धारा २१६क में संश्रय की परिभाषा
- धारा 217 लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति के समपहरण से बचाने के आशय से विधि के निदेश की अवज्ञा
- धारा 218 किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति को समपहरण से बचाने के आशय से लोक सेवक द्वारा अशुद्ध अभिलेख या लेख की रचना
- धारा 219 न्यायिक कार्यवाही में विधि के प्रतिकूल रिपोर्ट आदि का लोक सेवक द्वारा भ्रष्टतापूर्वक किया जाना
- धारा 220 प्राधिकार वाले व्यक्ति द्वारा जो यह जानता है कि वह विधि के प्रतिकूल कार्य कर रहा है, विचारण के लिए या परिरोध करने के लिए सुपुर्दगी
- धारा 221 पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप
- धारा 222 दंडादेश के अधीन या विधिपूर्वक सुपुर्द किए गए व्यक्ति को पकड़ने के लिए आबद्ध लोक सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप
- धारा 223 लोक सेवक द्वारा उपेक्षा से परिरोध या अभिरक्षा में से निकल भागना सहन करना।
- धारा 224 किसी व्यक्ति द्वारा विधि के अनुसार अपने पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा।
- धारा 225 किसी अन्य व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा
- धारा 225 क उन दशाओं में जिनके लिए अन्यथा उपबंध नहीं है लोक सेवक द्वारा पकड़ने का लोप या निकल भागना सहन करना
- धारा 225 ख अन्यथा अनुपबंधित दशाओं में विधिपूर्वक पकड़ने में प्रतिरोध या बाधा या निकल भागना या छुड़ाना
- धारा 226 निर्वासन से विधिविरुद्ध वापसी।
- धारा 227 दंड के परिहार की शर्त का अतिक्रमण
- धारा 228 न्यायिक कार्यवाही में बैठे हुए लोक सेवक का साशय अपमान या उसके कार्य में विघ्न
- धारा 229क कतिपय अपराधों आदि से पीड़ित व्यक्ति की पहचान का प्रकटीकरण
- धारा 229b जूरी सदस्य या आंकलन कर्ता का प्रतिरूपण।
अध्याय 12
[संपादित करें]- सिक्के तथा सरकारी स्टाम्प से सम्बन्धित अपराध
- धारा 230 सिक्का की परिभाषा
- धारा 231 सिक्के का कूटकरण
- धारा 232 भारतीय सिक्के का कूटकरण
- धारा 233 सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना
- धारा 234 भारतीय सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना
- धारा 235 सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखना
- धारा 236 भारत से बाहर सिक्के के कूटकरण का भारत में दुष्प्रेरण
- धारा 237 कूटकॄत सिक्के का आयात या निर्यात
- धारा 238 भारतीय सिक्के की कूटकॄतियों का आयात या निर्यात
- धारा 239 सिक्के का परिदान जिसका कूटकॄत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था
- धारा 240 उस भारतीय सिक्के का परिदान जिसका कूटकॄत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था
- धारा 241 किसी सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान, जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, कूटकॄत होना नहीं जानता था
- धारा 242 कूटकॄत सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उस समय उसका कूटकॄत होना जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था
- धारा 243 भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उसका कूटकॄत होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था
- धारा 244 टकसाल में नियोजित व्यक्ति द्वारा सिक्के को उस वजन या मिश्रण से भिन्न कारित किया जाना जो विधि द्वारा नियत है
- धारा 245 टकसाल से सिक्का बनाने का उपकरण विधिविरुद्ध रूप से लेना
- धारा 246 कपटपूर्वक या बेईमानी से सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना
- धारा 247 कपटपूर्वक या बेईमानी से भारतीय सिक्के का वजन कम करना या मिश्रण परिवर्तित करना
- धारा 248 इस आशय से किसी सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए
- धारा 249 इस आशय से भारतीय सिक्के का रूप परिवर्तित करना कि वह भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए
- धारा 250 ऐसे सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है
- धारा 251 भारतीय सिक्के का परिदान जो इस ज्ञान के साथ कब्जे में आया हो कि उसे परिवर्तित किया गया है
- धारा 252 ऐसे व्यक्ति द्वारा सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया
- धारा 253 ऐसे व्यक्ति द्वारा भारतीय सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया
- धारा 254 सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, परिवर्तित होना नहीं जानता था
- धारा 255 सरकारी स्टाम्प का कूटकरण
- धारा 256 सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री कब्जे में रखना
- धारा 257 सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के लिए उपकरण बनाना या बेचना
- धारा 258 कूटकॄत सरकारी स्टाम्प का विक्रय
- धारा 259 सरकारी कूटकॄत स्टाम्प को कब्जे में रखना
- धारा 260 किसी सरकारी स्टाम्प को, कूटकॄत जानते हुए उसे असली स्टाम्प के रूप में उपयोग में लाना
- धारा 271 इस आशय से कि सरकार को हानि कारित हो, उस पदार्थ पर से, जिस पर सरकारी स्टाम्प लगा हुआ है, लेख मिटाना या दस्तावेज से वह स्टाम्प हटाना जो उसके लिए उपयोग में लाया गया है
- धारा 272 ऐसे सरकारी स्टाम्प का उपयोग जिसके बारे में ज्ञात है कि उसका पहले उपयोग हो चुका है
- धारा 273 स्टाम्प के उपयोग किए जा चुकने के द्योतक चिन्ह का छीलकर मिटाना
- धारा 273क बनावटी स्टाम्पों का प्रतिषेघ
अध्याय 13
[संपादित करें]- माप और तौल से सम्बन्धित अपराध
- धारा 274 तोलने के लिए खोटे उपकरणों का कपटपूर्वक उपयोग
- धारा 275 खोटे बाट या माप का कपटपूर्वक उपयोग
- धारा 276 खोटे बाट या माप को कब्जे में रखना
- धारा 277 खोटे बाट या माप का बनाना या बेचना
अध्याय 14
[संपादित करें]- लोक स्वास्थ्य, सुरक्षा, सुविधा आदि से सम्बन्धित अपराध
- धारा 278 लोक न्यूसेन्स
- धारा 279 उपेक्षापूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रमण फैलना संभाव्य हो
- धारा 280 परिद्वेषपूर्ण कार्य, जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य हो
- धारा 281 करन्तीन के नियम की अवज्ञा
- धारा 282 विक्रय के लिए आशयित खाद्य या पेय वस्तु का अपमिश्रण।
- धारा 283 अपायकर खाद्य या पेय का विक्रय
- धारा 284 औषधियों का अपमिश्रण
- धारा 285 अपमिश्रित ओषधियों का विक्रय
- धारा 286 ओषधि का भिन्न औषधि या निर्मिति के तौर पर विक्रय
- धारा 287 लोक जल-स्रोत या जलाशय का जल कलुषित करना
- धारा 288 वायुमण्डल को स्वास्थ्य के लिए अपायकर बनाना
- धारा 289 सार्वजनिक मार्ग पर उतावलेपन से वाहन चलाना या हांकना
- धारा 290 जलयान का उतावलेपन से चलाना
- धारा 291 भ्रामक प्रकाश, चिन्ह या बोये का प्रदर्शन
- धारा 292 अक्षमकर या अति लदे हुए जलयान में भाड़े के लिए जलमार्ग से किसी व्यक्ति का प्रवहण
- धारा 293 लोक मार्ग या पथ-प्रदर्शन मार्ग में संकट या बाधा कारित करना।
- धारा 294 विषैले पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण
- धारा 295 अग्नि या ज्वलनशील पदार्थ के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
- धारा 296 विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरण
- धारा 297 मशीनरी के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण
- धारा 298 किसी निर्माण को गिराने या उसकी मरम्मत करने के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण
- धारा 299 जीवजन्तु के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण।
- धारा 300 अन्यथा अनुपबन्धित मामलों में लोक बाधा के लिए दण्ड।
- धारा 301 न्यूसेन्स बन्द करने के व्यादेश के पश्चात् उसका चालू रखना
- धारा 302 अश्लील पुस्तकों आदि का विक्रय आदि।
- धारा 302 क ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से अश्लील सामग्री प्रिन्ट करना
- धारा 303 तरुण व्यक्ति को अश्लील वस्तुओ का विक्रय आदि
- धारा 304 अश्लील कार्य और गाने
- धारा 304 क लाटरी कार्यालय रखना
अध्याय 15
[संपादित करें]- धर्म से सम्बन्धित अपराध
- धारा २९५ किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान को क्षति करना या अपवित्र करना।
- धारा २९६ धार्मिक जमाव में विघ्न करना
- धारा २९७ कब्रिस्तानों आदि में अतिचार करना
- धारा २९८ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के सविचार आशय से शब्द उच्चारित करना आदि।
अध्याय 16
[संपादित करें]- मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध
- धारा 299 आपराधिक मानव वध
- धारा 300 हत्या
- धारा 301 जिस व्यक्ति की मॄत्यु कारित करने का आशय था उससे भिन्न व्यक्ति की मॄत्यु करके आपराधिक मानव वध करना।
- धारा 302 हत्या के लिए दण्ड
- धारा 303 आजीवन कारावास से दण्डित व्यक्ति द्वारा हत्या के लिए दण्ड।
- धारा 304 हत्या की श्रेणी में न आने वाली गैर इरादतन हत्या के लिए दण्ड
- धारा 304 क उपेक्षा द्वारा मॄत्यु कारित करना
- धारा 304 ख दहेज मॄत्यु
- धारा 305 शिशु या उन्मत्त व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण।
- धारा 306 आत्महत्या का दुष्प्रेरण
- धारा 307 हत्या करने का प्रयत्न
- धारा 308 गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास
- धारा 309 आत्महत्या करने का प्रयत्न।
- धारा 310 ठग।
- धारा 311 ठगी के लिए दण्ड।
- धारा 312 गर्भपात कारित करना।
- धारा 313 स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात कारित करना।
- धारा 314 गर्भपात कारित करने के आशय से किए गए कार्यों द्वारा कारित मॄत्यु।
- धारा 315 शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी मॄत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य।
- धारा 316 ऐसे कार्य द्वारा जो गैर-इरादतन हत्या की कोटि में आता है, किसी सजीव अजात शिशु की मॄत्यु कारित करना।
- धारा 317 शिशु के पिता या माता या उसकी देखरेख रखने वाले व्यक्ति द्वारा बारह वर्ष से कम आयु के शिशु का परित्याग और अरक्षित डाल दिया जाना।
- धारा 318 मॄत शरीर के गुप्त व्ययन द्वारा जन्म छिपाना
- धारा 319 क्षति पहुँचाना।
- धारा 320 घोर आघात।
- धारा 321 स्वेच्छया उपहति कारित करना
- धारा 322 स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना
- धारा 323 जानबूझ कर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुँचाने के लिए दण्ड, यह एक असंज्ञेय अपराध है तथा पुलिस द्वारा जमानतीय है ।
- धारा 324 खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया उपहति कारित करना
- धारा 325 स्वेच्छापूर्वक किसी को गंभीर चोट पहुचाने के लिए दण्ड
- धारा 326 खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छापूर्वक घोर उपहति कारित करना।
- धारा 326 क एसिड हमले
- धारा 326 ख एसिड हमला करने का प्रयास
- धारा 327 संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छापूर्वक चोट पहुँचाना।
- धारा 328 अपराध करने के आशय से विष इत्यादि द्वारा क्षति कारित करना।
- धारा 329 सम्पत्ति उद्दापित करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना
- धारा 330 संस्वीकॄति जबरन वसूली करने या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया क्षति कारित करना।
- धारा 331 संस्वीकॄति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन कराने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना
- धारा 332 लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाना
- धारा 333 लोक सेवक को अपने कर्तव्यों से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया घोर क्षति कारित करना।
- धारा 334 प्रकोपन पर स्वेच्छया क्षति करना
- धारा 335 प्रकोपन पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना
- धारा 336 दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा पहुँचाने वाला कार्य।
- धारा 337 किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, चोट पहुँचाना कारित करना
- धारा 338 किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुँचाना कारित करना
- धारा 339 सदोष अवरोध।
- धारा 340 सदोष परिरोध या गलत तरीके से प्रतिबंधित करना।
- धारा 341 सदोष अवरोध के लिए दण्ड
- धारा 342 ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करने के लिए दण्ड।
- धारा 343 तीन या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध।
- धारा 344 दस या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध।
- धारा 345 ऐसे व्यक्ति का सदोष परिरोध जिसके छोड़ने के लिए रिट निकल चुका है
- धारा 346 गुप्त स्थान में सदोष परिरोध।
- धारा 347 सम्पत्ति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए सदोष परिरोध।
- धारा 348 संस्वीकॄति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन करने के लिए सदोष परिरोध
- धारा 349 बल।
- धारा 350 आपराधिक बल
- धारा 351 हमला।
- धारा 352 गम्भीर प्रकोपन के बिना हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए दण्ड
- धारा 353 लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
- धारा 354 स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
- धारा 354 क यौन उत्पीड़न
- धारा 354 ख एक औरत नंगा करने के इरादे के साथ कार्य
- धारा 354 ग छिप कर देखना
- धारा 354 घ पीछा
- धारा 355 गम्भीर प्रकोपन होने से अन्यथा किसी व्यक्ति का अनादर करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
- धारा 356 हमला या आपराधिक बल प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति द्वारा ले जाई जाने वाली संपत्ति की चोरी का प्रयास।
- धारा 357 किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्नों में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
- धारा 358 गम्भीर प्रकोपन मिलने पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
- धारा 359 व्यपहरण
- धारा 360 भारत में से व्यपहरण।
- धारा 361 विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण
- धारा 362 अपहरण।
- धारा 363 व्यपहरण के लिए दण्ड
- धारा 363 क भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए अप्राप्तवय का व्यपहरण का विकलांगीकरण
- धारा 364 हत्या करने के लिए व्यपहरण या अपहरण करना।
- धारा 364क फिरौती, आदि के लिए व्यपहरण।
- धारा 365 किसी व्यक्ति का गुप्त और अनुचित रूप से सीमित / क़ैद करने के आशय से व्यपहरण या अपहरण।
- धारा 366 विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहृत करना, अपहृत करना या उत्प्रेरित करना।
- धारा 366 क अप्राप्तवय लड़की का उपापन
- धारा 366 ख विदेश से लड़की का आयात करना
- धारा 367 व्यक्ति को घोर उपहति, दासत्व, आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण।
- धारा 368 व्यपहृत या अपहृत व्यक्ति को गलत तरीके से छिपाना या क़ैद करना।
- धारा 369 दस वर्ष से कम आयु के शिशु के शरीर पर से चोरी करने के आशय से उसका व्यपहरण या अपहरण
- धारा 370 मानव तस्करी दास के रूप में किसी व्यक्ति को खरीदना या बेचना।
- धारा 371 दासों का आभ्यासिक व्यवहार करना।
- धारा 372 वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को बेचना।
- धारा 373 वेश्यावॄत्ति आदि के प्रयोजन के लिए नाबालिग को खरीदना।
- धारा 374 विधिविरुद्ध बलपूर्वक श्रम।
- धारा 375 बलात्संग
- धारा 376 बलात्कार के लिए दण्ड
- धारा 376 क पॄथक् कर दिए जाने के दौरान किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग्र
- धारा 376 ख लोक सेवक द्वारा अपनी अभिरक्षा में की किसी स्त्री के साथ संभोग
- धारा 376 ग जेल, प्रतिप्रेषण गॄह आदि के अधीक्षक द्वारा संभोग
- धारा 376 घ अस्पताल के प्रबन्ध या कर्मचारिवॄन्द आदि के किसी सदस्य द्वारा उस अस्पताल में किसी स्त्री के साथ संभोग
- धारा 376 (E) पुनरावृति अपराधियों के लिए सजा की व्यवस्था
- धारा 377 प्रकॄति विरुद्ध अपराध
अध्याय १७
[संपादित करें]- सम्पत्ति के विरुद्ध अपराध
- धारा ३७८ चोरी
- धारा ३७९ चोरी के लिए दंड
- धारा ३८० निवास-गॄह आदि में चोरी
- धारा ३८१ लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे में संपत्ति की चोरी।
- धारा ३८२ चोरी करने के लिए मॄत्यु, क्षति या अवरोध कारित करने की तैयारी के पश्चात् चोरी करना।
- धारा ३८३ उद्दापन / जबरन वसूली
- धारा ३८४ ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए दण्ड।
- धारा ३८५ ज़बरदस्ती वसूली के लिए किसी व्यक्ति को क्षति के भय में डालना।
- धारा ३८६ किसी व्यक्ति को मॄत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करना।
- धारा ३८७ ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को मॄत्यु या घोर आघात के भय में डालना।
- धारा ३८८ मॄत्यु या आजीवन कारावास, आदि से दंडनीय अपराध का अभियोग लगाने की धमकी देकर उद्दापन
- धारा ३८९ जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को अपराध का आरोप लगाने के भय में डालना।
- धारा ३९० लूट
- धारा ३९१ डकैती
- धारा ३९२ लूट के लिए दण्ड
- धारा ३९३ लूट करने का प्रयत्न
- धारा ३९४ लूट करने में स्वेच्छापूर्वक किसी को चोट पहुँचाना
- धारा ३९५ डकैती के लिए दण्ड
- धारा ३९६ हत्या सहित डकैती।
- धारा ३९७ मॄत्यु या घोर आघात कारित करने के प्रयत्न के साथ लूट या डकैती।
- धारा ३९८ घातक आयुध से सज्जित होकर लूट या डकैती करने का प्रयत्न।
- धारा ३९९ डकैती करने के लिए तैयारी करना।
- धारा ४०० डाकुओं की टोली का होने के लिए दण्ड
- धारा ४०१ चोरों के गिरोह का होने के लिए दण्ड।
- धारा ४०२ डकैती करने के प्रयोजन से एकत्रित होना।
- धारा ४०३ सम्पत्ति का बेईमानी से गबन / दुरुपयोग।
- धारा ४०४ मॄत व्यक्ति की मॄत्यु के समय उसके कब्जे में सम्पत्ति का बेईमानी से गबन / दुरुपयोग।
- धारा ४०५ आपराधिक विश्वासघात।
- धारा ४०६ विश्वास का आपराधिक हनन
- धारा ४०७ कार्यवाहक, आदि द्वारा आपराधिक विश्वासघात।
- धारा ४०८ लिपिक या सेवक द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन
- धारा ४०९ लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन
- धारा ४१० चुराई हुई संपत्ति
- धारा ४११ चुराई हुई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना
- धारा ४१२ ऐसी संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना जो डकैती करने में चुराई गई है।
- धारा ४१३ चुराई हुई संपत्ति का अभ्यासतः व्यापार करना।
- धारा ४१४ चुराई हुई संपत्ति छिपाने में सहायता करना।
- धारा ४१५ छल
- धारा ४१६ प्रतिरूपण द्वारा छल
- धारा ४१७ छल के लिए दण्ड।
- धारा ४१८ इस ज्ञान के साथ छल करना कि उस व्यक्ति को सदोष हानि हो सकती है जिसका हित संरक्षित रखने के लिए अपराधी आबद्ध है
- धारा ४१९ प्रतिरूपण द्वारा छल के लिए दण्ड।
- धारा ४२० छल करना और बेईमानी से बहुमूल्य वस्तु / संपत्ति देने के लिए प्रेरित करना
- धारा ४२१ लेनदारों में वितरण निवारित करने के लिए संपत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारण या छिपाना
- धारा ४२२ त्रऐंण को लेनदारों के लिए उपलब्ध होने से बेईमानी से या कपटपूर्वक निवारित करना
- धारा ४२३ अन्तरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के संबंध में मिथ्या कथन अन्तर्विष्ट है, बेईमानी से या कपटपूर्वक निष्पादन
- धारा ४२४ सम्पत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारण या छिपाया जाना
- धारा ४२५ रिष्टि / कुचेष्टा।
- धारा ४२६ रिष्टि के लिए दण्ड
- धारा ४२७ कुचेष्टा जिससे पचास रुपए का नुकसान होता है
- धारा ४२८ दस रुपए के मूल्य के जीवजन्तु को वध करने या उसे विकलांग करने द्वारा रिष्टि
- धारा ४२९ किसी मूल्य के ढोर, आदि को या पचास रुपए के मूल्य के किसी जीवजन्तु का वध करने या उसे विकलांग करने आदि द्वारा कुचेष्टा।
- धारा ४३० सिंचन संकर्म को क्षति करने या जल को दोषपूर्वक मोड़ने द्वारा रिष्टि
- धारा ४३१ लोक सड़क, पुल, नदी या जलसरणी को क्षति पहुंचाकर रिष्टि
- धारा ४३२ लोक जल निकास में नुकसानप्रद जलप्लावन या बाधा कारित करने द्वारा रिष्टि
- धारा ४३३ किसी दीपगॄह या समुद्री-चिह्न को नष्ट करके, हटाकर या कम उपयोगी बनाकर रिष्टि
- धारा ४३४ लोक प्राधिकारी द्वारा लगाए गए भूमि चिह्न के नष्ट करने या हटाने आदि द्वारा रिष्टि
- धारा ४३५ सौ रुपए का या (कॄषि उपज की दशा में) दस रुपए का नुकसान कारित करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा।
- धारा ४३६ गॄह आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा।
- धारा ४३७ किसी तल्लायुक्त या बीस टन बोझ वाले जलयान को नष्ट करने या असुरक्षित बनाने के आशय से कुचेष्टा।
- धारा ४३८ धारा ४३७ में वर्णित अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा की गई कुचेष्टा के लिए दण्ड।
- धारा ४३९ चोरी, आदि करने के आशय से जलयान को साशय भूमि या किनारे पर चढ़ा देने के लिए दण्ड।
- धारा ४४० मॄत्यु या उपहति कारित करने की तैयारी के पश्चात् की गई रिष्टि
- धारा ४४१ आपराधिक अतिचार।
- धारा ४४२ गॄह-अतिचार
- धारा ४४३ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार
- धारा ४४४ रात्रौ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार
- धारा ४४५ गॄह-भेदन।
- धारा ४४६ रात्रौ गॄह-भेदन
- धारा ४४७ आपराधिक अतिचार के लिए दण्ड।
- धारा ४४८ गॄह-अतिचार के लिए दण्ड।
- धारा ४४९ मॄत्यु से दंडनीय अपराध को रोकने के लिए गॄह-अतिचार
- धारा ४५० अपजीवन कारावास से दंडनीय अपराध को करने के लिए गॄह-अतिचार
- धारा ४५१ कारावास से दण्डनीय अपराध को करने के लिए गॄह-अतिचार।
- धारा ४५२ बिना अनुमति घर में घुसना, चोट पहुंचाने के लिए हमले की तैयारी, हमला या गलत तरीके से दबाव बनाना
- धारा ४५३ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन के लिए दंड
- धारा ४५४ कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करना।
- धारा ४५५ उपहति, हमले या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन
धारा ४५६ रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन के लिए दण्ड।
- धारा ४५७ कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करना।
- धारा ४५८ क्षति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के करके रात में गॄह-अतिचार।
- धारा ४५९ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करते समय घोर उपहति कारित हो
- धारा ४६० रात्रौ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या रात्रौ गॄह-भेदन में संयुक्ततः सम्पॄक्त समस्त व्यक्ति दंडनीय हैं, जबकि उनमें से एक द्वारा मॄत्यु या घोर उपहति कारित हो
- धारा ४६१ ऐसे पात्र को, जिसमें संपत्ति है, बेईमानी से तोड़कर खोलना
- धारा ४६२ उसी अपराध के लिए दंड, जब कि वह ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया है जिसे अभिरक्षा न्यस्त की गई है।
अध्याय 18
[संपादित करें]- दस्तावेज तथा सम्पत्ति-चिह्नों से सम्बन्धित अपराध
- धारा ४६३ कूटरचना
- धारा ४६४ मिथ्या दस्तावेज रचना
- धारा ४६५ कूटरचना के लिए दण्ड।
- धारा ४६६ न्यायालय के अभिलेख की या लोक रजिस्टर आदि की कूटरचना
- धारा ४६७ मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत, इत्यादि की कूटरचना
- धारा ४६८ छल के प्रयोजन से कूटरचना
- धारा ४६९ ख्याति को अपहानि पहुंचाने के आशय से कूटरचन्न
- धारा ४७० कूटरचित २[दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेखट
- धारा ४७१ कूटरचित दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख का असली के रूप में उपयोग में लाना
- धारा ४७२ धारा ४६७ के अधीन दण्डनीय कूटरचना करने के आशय से कूटकॄत मुद्रा, आदि का बनाना या कब्जे में रखना
- धारा ४७३ अन्यथा दण्डनीय कूटरचना करने के आशय से कूटकॄत मुद्रा, आदि का बनाना या कब्जे में रखना
- धारा ४७४ धारा ४६६ या ४६७ में वर्णित दस्तावेज को, उसे कूटरचित जानते हुए और उसे असली के रूप में उपयोग में लाने का आशय रखते हुए, कब्जे में रखना
- धारा ४७५ धारा ४६७ में वर्णित दस्तावेजों के अधिप्रमाणीकरण के लिए उपयोग में लाई जाने वाली अभिलक्षणा या चिह्न की कूटकॄति बनाना या कूटकॄत चिह्नयुक्त पदार्थ को कब्जे में रखना
- धारा ४७६ धारा ४६७ में वर्णित दस्तावेजों से भिन्न दस्तावेजों के अधिप्रमाणीकरण के लिए उपयोग में लाई जाने वाली अभिलक्षणा या चिह्न की कूटकॄति बनाना या कूटकॄत चिह्नयुक्त पदार्थ को कब्जे में रखना
- धारा ४७७ विल, दत्तकग्रहण प्राधिकार-पत्र या मूल्यवान प्रतिभूति को कपटपूर्वक रदद्, नष्ट, आदि करना
- धारा ४७७ क लेखा का मिथ्याकरण
- धारा ४७८ व्यापार चिह्न
- धारा ४७९ सम्पत्ति-चिह्न
- धारा ४८० मिथ्या व्यापार चिह्न का प्रयोग किया जाना
- धारा ४८१ मिथ्या सम्पत्ति-चिह्न को उपयोग में लाना
- धारा ४८२ मिथ्या सम्पत्ति-चिह्न को उपयोग करने के लिए दण्ड।
- धारा ४८३ अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाए गए सम्पत्ति चिह्न का कूटकरण
- धारा ४८४ लोक सेवक द्वारा उपयोग में लाए गए चिह्न का कूटकरण
- धारा ४८५ सम्पत्ति-चिह्न के कूटकरण के लिए कोई उपकरण बनाना या उस पर कब्जा
- धारा ४८६ कूटकॄत सम्पत्ति-चिह्न से चिन्हित माल का विक्रय
- धारा ४८७ किसी ऐसे पात्र के ऊपर मिथ्या चिह्न बनाना जिसमें माल रखा है।
- धारा ४८८ किसी ऐसे मिथ्या चिह्न को उपयोग में लाने के लिए दण्ड
- धारा ४८९ क्षति कारित करने के आशय से सम्पत्ति-चिह्न को बिगाड़ना
- धारा ४८९ क करेन्सी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण
- धारा ४८९ ख कूटरचित या कूटकॄत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को असली के रूप में उपयोग में लाना
- धारा ४८९ ग कूटरचित या कूटकॄत करेन्सी नोटों या बैंक नोटों को कब्जे में रखना
- धारा ४८९ घ करेन्सी नोटों या बैंक नोटों की कूटरचना या कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री बनाना या कब्जे में रखना
- धारा ४८९ ङ करेन्सी नोटों या बैंक नोटों से सदृश्य रखने वाली दस्तावेजों की रचना या उपयोग
अध्याय १९
[संपादित करें]- सेवा-संविदा का आपराधिक भंजन
- धारा ४९० समुद्र यात्रा या यात्रा के दौरान सेवा भंग
- धारा ४९१ असहाय व्यक्ति की परिचर्या करने की और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की संविदा का भंग
- धारा ४९२ दूर वाले स्थान पर सेवा करने का संविदा भंग जहां सेवक को मालिक के खर्चे पर ले जाया जाता है।
अध्याय २०
[संपादित करें]- विवाह से सम्बन्धित अपराध
- धारा ४९३ विधिपूर्ण विवाह का धोखे से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास।
- धारा ४९४ पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना
- धारा ४९५ वही अपराध पूर्ववर्ती विवाह को उस व्यक्ति से छिपाकर जिसके साथ आगामी विवाह किया जाता है।
- धारा ४९६ विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा करना।
- धारा ४९७ व्यभिचार
- धारा ४९८ विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना, या निरुद्ध रखना
अध्याय २० क
[संपादित करें]- पति या पति के सम्बन्धियों द्वारा निर्दयता
- धारा 498 क किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना
अध्याय 21
[संपादित करें]- धारा 499 मानहानि
- धारा 500 मानहानि के लिए दण्ड।
- धारा 501 मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित या उत्कीर्ण करना।
- धारा 502 मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री का बेचना।
अध्याय 22
[संपादित करें]आपराधिक अभित्रास, अपमान एवं रिष्टिकरण
- धारा 503 आपराधिक अभित्रास।
- धारा 504 शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना
- धारा 505 लोक रिष्टिकारक वक्तव्य।
- धारा 506 धमकाना, आईपीसी की धारा 506 में अपना बचाव कैसे करें?
- धारा 507 अनाम संसूचना द्वारा आपराधिक अभित्रास।
- धारा 508 व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके कि वह दैवी अप्रसाद का भाजन होगा कराया गया कार्य
- धारा 509 शब्द, अंगविक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिए आशयित है
- धारा 510 शराबी व्यक्ति द्वारा लोक स्थान में दुराचार।
अध्याय २३
[संपादित करें]- अपराध करने के प्रयत्न
- धारा ५११ आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय अपराधों को करने का प्रयत्न करने के लिए दण्ड
संशोधन
[संपादित करें]इस संहिता में अनेकों बार संशोधन हुए हैं।[2][3]
क्रमांक | संशोधित कानून का लघु शीर्षक | संख्या | वर्ष |
---|---|---|---|
1 | The Repealing Act, 1870 | 14 | 1870 |
2 | The Indian Penal Code Amendment Act, 1870 | 27 | 1870 |
3 | The Indian Penal Code Amendment Act, 1872 | 19 | 1872 |
4 | The Indian Oaths Act, 1873 | 10 | 1873 |
5 | The Indian Penal Code Amendment Act, 1882 | 8 | 1882 |
6 | The Code of Criminal Procedure, 1882 | 10 | 1882 |
7 | The Indian Criminal Law Amendment Act, 1886 | 10 | 1886 |
8 | The Indian Marine Act, 1887 | 14 | 1887 |
9 | The Metal Tokens Act, 1889 | 1 | 1889 |
10 | The Indian Merchandise Marks Act, 1889 | 4 | 1889 |
11 | The Cantonments Act, 1889 | 13 | |
12 | The Indian Railways Act, 1890 | 9 | |
13 | The Indian Criminal Law Amendment Act, 1891 | 10 | |
14 | The Amending Act, 1891 | 12 | |
15 | The Indian Criminal Law Amendment Act, 1894 | 3 | |
16 | The Indian Criminal Law Amendment Act, 1895 | 3 | |
17 | The Indian Penal Code Amendment Act, 1896 | 6 | 1896 |
18 | The Indian Penal Code Amendment Act, 1898 | 4 | 1898 |
19 | The Currency-Notes Forgery Act, 1899 | 12 | 1899 |
20 | The Indian Penal Code Amendment Act, 1910 | 3 | 1910 |
21 | The Indian Criminal Law Amendment Act, 1913 | 8 | 1913 |
22 | The Indian Elections Offences and Inquiries Act, 1920 | 39 | 1920 |
23 | The Indian Penal Code (Amendment) Act, 1921 | 16 | |
24 | The Indian Penal Code (Amendment) Act, 1923 | 20 | |
25 | The Indian Penal Code (Amendment) Act, 1924 | 5 | |
26 | The Indian Criminal Law Amendment Act, 1924 | 18 | |
27 | The Workmen's Breach of Contract (Repealing) Act, 1925 | 3 | |
29 | The Obscene Publications Act, 1925 | 8 | |
29 | The Indian Penal Code (Amendment) Act, 1925 | 29 | |
30 | The Repealing and Amending Act, 1927 | 10 | |
31 | आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 1927 | 25 | |
32 | The Repealing and Amending Act, 1930 | 8 | |
33 | The Indian Air Force Act, 1932 | 14 | |
34 | The Amending Act, 1934 | 35 | |
35 | The Government of India (Adaptation of Indian Laws) Order, 1937 | लागू नहीं | 1937 |
36 | आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 1939 | 22 | |
37 | The Offences on Ships and Aircraft Act, 1940 | 4 | |
38 | The Indian Merchandise Marks (Amendment) Act, 1941 | 2 | |
39 | The Indian Penal Code (Amendment) Act, 1942 | 8 | |
40 | The Indian Penal Code (Amendment) Act, 1943 | 6 | |
41 | The Indian Independence (Adaptation of Central Acts and Ordinances) Order, 1948 | लागू नहीं | 1948 |
42 | आपराधिक कानून (नस्लीय भेदभाव हटाना) अधिनियम, 1949 | 17 | |
43 | The Indian Penal Code and the Code of Criminal Procedure (Amendment) Act, 1949 | 42 | 1949 |
44 | The Adaptation of Laws Order, 1950 | लागू नहीं | 1950 |
45 | The Repealing and Amending Act, 1950 | 35 | |
46 | The Part B States (Laws) Act, 1951 | 3 | |
47 | आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 1952 | 46 | |
48 | The Repealing and Amending Act, 1952 | 48 | |
49 | The Repealing and Amending Act, 1953 | 42 | |
50 | The Code of Criminal Procedure (Amendment) Act, 1955 | 26 | |
51 | The Adaptation of Laws (No.2) Order, 1956 | लागू नहीं | 1956 |
52 | The Repealing and Amending Act, 1957 | 36 | |
53 | आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 1958 | 2 | |
54 | The Trade and Merchandise Marks Act, 1958 | 43 | |
55 | The Indian Penal Code (Amendment) Act, 1959 | 52 | |
56 | The Indian Penal Code (Amendment) Act, 1961 | 41 | |
57 | The Anti-Corruption Laws (Amendment) Act, 1964 | 40 | |
58 | The Criminal and Election Laws Amendment Act, 1969 | 35 | |
59 | The Indian Penal Code (Amendment) Act, 1969 | 36 | |
60 | आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 1972 | 31 | |
61 | The Employees' Provident Funds and Family Pension Fund (Amendment) Act, 1973 | 40 | |
62 | The Employees' State Insurance (Amendment) Act, 1975 | 38 | |
63 | The Election Laws (Amendment) Act, 1975 | 40 | |
64 | आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 1983 | 43 | |
65 | आपराधिक कानून (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 1983 | 46 | |
66 | The Dowry Prohibition (Amendment) Act, 1986 | 43 | |
67 | The Employees' Provident Funds and Miscellaneous Provisions (Amendment) Act, 1988 | 33 | |
68 | The Prevention of Corruption Act, 1988 | 49 | |
69 | आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 1993 | 42 | |
70 | The Indian Penal Code (Amendment) Act, 1995 | 24 | |
71 | सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 | 21 | 2000 |
72 | The Election Laws (Amendment) Act, 2003 | 24 | 2003 |
73 | The Code of Criminal Procedure (Amendment) Act, 2005 | 25 | 2005 |
74 | आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2005 | 2 | 2006 |
75 | सूचना तकनीक अधिनियम, 2008 | 10 | 2009 |
76 | आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 | 13 | 2013 |
भारतीय दण्ड संहिता की विभिन्न धाराओं में देय दण्ड
[संपादित करें]धाराओं के नाम | अपराध | दण्ड (सजा) |
---|---|---|
13 | जुआ खेलना/सट्टा लगाना | 1 वर्ष की सजा और 1000 रूपये जुर्माना |
34 | सामान आशय | – |
99 से 106 | व्यक्तिगत प्रतिरक्षा के लिए बल प्रयोग का अधिकार | – |
110 | दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है | तीन वर्ष |
120 | षडयंत्र रचना | – |
141 | विधिविरुद्ध जमाव | आजीवन कारावास या जुर्माना |
147 | बलवा करना | 2 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों |
156 (3) | स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का उपद्रव के निवारण के लिए क़ानूनी साधनों का उपयोग न करना। | आर्थिक दंड |
156 | स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का उपद्रव के निवारण के लिए क़ानूनी साधनों का उपयोग न करना। | आर्थिक दंड |
161 | रिश्वत लेना/देना | 3 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों |
171 | चुनाव में घूस लेना/देना | 1 वर्ष की सजा/500 रुपये जुर्माना |
177 | सरकारी कर्मचारी/पुलिस को गलत सूचना देना | 6 माह की सजा/1000 रूपये जुर्माना |
186 | सरकारी काम में बाधा पहुँचाना | 3 माह की सजा/500 रूपये जुर्माना |
191 | झूठे सबूत देना | 7 साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान |
193 | न्यायालयीन प्रकरणों में झूठी गवाही | 3/ 7 वर्ष की सजा और जुर्माना |
201 | साक्ष्य मिटाना | – |
217 | लोक सेवक होते हुए भी झूठे सबूत देना | 2 साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान |
216 | लुटेरे/डाकुओं को आश्रय देने के लिए दंड | 3 साल की सजा |
224/25 | विधिपूर्वक अभिरक्षा से छुड़ाना | 2 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों |
231/32 | जाली सिक्के बनाना | 7 वर्ष की सजा और जुर्माना |
255 | सरकारी स्टाम्प का कूटकरण | 10 वर्ष या आजीवन कारावास की सजा |
264 | गलत तौल के बांटों का प्रयोग | 1 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों |
267 | औषधि में मिलावट करना | 6 माह की सजा |
272 | खाने/पीने की चीजों में मिलावट | 6 महीने की सजा/1000 रूपये जुर्माना |
274 /75 | मिलावट की हुई औषधियां बेचना | – |
279 | सड़क पर उतावलेपन/उपेक्षा से वाहन चलाना | 6 माह की सजा या 1000 रूपये का जुर्माना |
292 | अश्लील पुस्तकों का बेचना | 2 वर्ष की सजा और 2000 रूपये जुर्माना |
294 | किसी धर्म/धार्मिक स्थान का अपमान | 2 वर्ष की सजा |
297 | कब्रिस्तानों आदि में अतिचार करना | 1 साल की सजा और जुर्माना दोनो |
298 | किसी दूसरे इंसान की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना | 1 साल की सजा या जुर्माना या दोनों |
299 | मानव वध | – |
302 | हत्या/कत्ल | आजीवन कारावास/मौत की सजा |
306 | आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण | 10 वर्ष की सजा और जुर्माना |
308 | गैर-इरादतन हत्या की कोशिश | 7 वर्ष की सजा और जुर्माना |
309 | आत्महत्या करने की चेष्टा करना | 1 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों |
310 | ठगी करना | आजीवन कारावास और जुर्माना |
312 | गर्भपात करना | – |
313 | महिला की बिना सहमति के गर्भपात कराना | – |
323 | जानबूझ कर चोट पहुँचाना | – |
326 | चोट पहुँचाना | – |
351 | हमला करना | – |
354 | किसी स्त्री का लज्जा भंग करना | 2 वर्ष का कारावास/जुर्माना/दोनों |
362 | अपहरण | – |
363 | किसी स्त्री को ले भागना | 7 वर्ष का कारावास और जुर्माना |
366 | नाबालिग लड़की को ले भागना | – |
376 | बलात्कार करना | 10 वर्ष/आजीवन कारावास |
377 | अप्राकृतिक कृत्य अपराध | 5 वर्ष की सजा और जुर्माना |
379 | चोरी (सम्पत्ति) करना | 3 वर्ष का कारावास /जुर्माना/दोनों |
392 | लूट | 10 वर्ष की सजा |
395 | डकैती | 10 वर्ष या आजीवन कारावास |
396 | डकैती के दौरान हत्या | - |
406 | विश्वास का आपराधिक हनन | 3 वर्ष कारावास/जुर्माना/दोनों |
415 | छल करना | – |
417 | छल/दगा करना | 1 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों |
420 | छल/बेईमानी से सम्पत्ति अर्जित करना | 7 वर्ष की सजा और जुर्माना |
445 | गृहभेदन | – |
446 | रात में नकबजनी करना | – |
426 | किसी से शरारत करना | 3 माह की सजा/जुर्माना/दोनों |
463 | कूट-रचना/जालसाजी | – |
477(क) | झूठा हिसाब करना | – |
489 | जाली नोट बनाना/चलाना | 10 वर्ष की सजा/आजीवन कारावास |
493 | धोखे से शादी करना | 10 वर्षों की सजा और जुर्माना |
494 | पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना | 7 वर्ष की सजा और जुर्माना |
495 | पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना और दोनों रिश्तें चलाना | 10 साल की सजा और जुर्माना |
496 | बगैर रजामंदी के शादी करना या जबरदस्ती विवाह करना | 07 साल की सजा और जुर्माना |
497 | जारकर्म करना | 5 वर्ष की सजा और जुर्माना |
498 | विवाहित स्त्री को भगाकर ले जाना या धोखे से ले जाना | 2 साल का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों |
499 | मानहानि | – |
500 | मान हानि | 2 वर्ष की सजा और जुर्माना |
506 | आपराधिक धमकी देना | – |
509 | स्त्री को अपशब्द कहना/अंगविक्षेप करना | सादा कारावास या जुर्माना |
511 | आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न के लिए दंड | – |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "IPC और CrPC सहित 37 केंद्रीय कानून जम्मू-कश्मीर में लागू". NDTVIndia. अभिगमन तिथि 17 नवम्बर 2021.
- ↑ Parliament of India. "The Indian Penal Code" (PDF). childlineindia.org.in. मूल (PDF) से 16 जून 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 June 2015. This article incorporates text from this source, which is in the सार्वजनिक डोमेन.
- ↑ The Indian Penal Code, 1860. Current Publications. 7 May 2015. मूल से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 June 2015.
[1] राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीन नए अपराधिक विधेयक 2023 को दी स्वीकृति
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- भारतीय दंड संहिता हिंदी iPhone एप
- भारतीय दण्ड संहिता, १८६० (गूगल पुस्तक ; उपकार प्रकाशन)
- भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता (गूगल पुस्तक ; उपकार प्रकाशन)
- भारतीय दण्ड संहिता (अंग्रेजी में)
- भारत का संविधान (हिन्दी और अंगरेजी में)
- भारतीय दण्ड संहिता 1860 क्या है?