भारतीय न्याय संहिता
भारतीय न्याय संहिता-2023 | |
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भारतीय संसद | |
यह विधेयक अपराधों से सम्बन्धित प्रावधानों को सुदृढ करेगा और उनमें संशोधन कएगा। | |
प्रादेशिक सीमा | India |
द्वारा अधिनियमित | भारतीय संसद |
अधिनियमित करने की तिथि | 11 अगस्त 2023 |
अनुमति-तिथि | अभी पारित नहीं हुआ है |
शुरूआत-तिथि | पारित होना शेष है |
द्वारा प्रशासित | भारत सरकार |
विधायी इतिहास | |
विधेयक (प्रस्तावित कानून) | भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023 |
बिल प्रकाशन की तारीख | 11 अगस्त 2023 |
द्वारा पेश | गृह मन्त्री |
कानून निरस्त | |
भारतीय दण्ड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता,भारतीय साक्ष्य अधिनियम | |
सारांश | |
इस विधेयक के द्वारा भारतीय दण्ड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम को को निरस्त कर दिया जायेगा और इनके स्थान पर भारतीय न्याय संहिता-2023 आ जायेगा। | |
स्थिति : प्रचलित |
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस-2023) भारत में १ जुलाई २०24 से लागू एक नयी न्याय संहिता (कोड) है। यह एक व्यापक संहिता है जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर लायी गयी है।[1][2]
11 अगस्त 2023 को भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 पेश किया। यह विधेयक को भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण और स्मरणीय सुधार माना जा रहा है। [3] [4] [5]
11 अगस्त 2023: गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 पेश किया।
12 दिसंबर 2023: विधेयक वापस लिया गया और उसी दिन भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक, 2023 पेश किया गया।
20 दिसंबर 2023: विधेयक लोकसभा में पारित हुआ।
21 दिसंबर 2023: विधेयक राज्यसभा में पारित हुआ।
25 दिसंबर 2023: विधेयक को भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली।
भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 के लागू होने से भारतीय न्याय प्रणाली में निम्नलिखित प्रमुख परिवर्तन हुए हैं-
[संपादित करें]- इसके द्वारा राजद्रोह कानून को निरस्त हो गया।
- इसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए विशेष प्रावधान हैं। संवेदनशील संभालन और त्वरित चिकित्सा परीक्षण सुनिश्चित करने के लिए नियमों में बदलाव किया गया है।
- इससे अपराध पीड़ितों को न्याय मिलना आसान हो जायेगा।
- यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सशक्त करेगा।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को पूर्ण रूप से हटाकर न केवल समलैंगिकता, बल्कि पुरुषों और महिलाओं के बीच सहमित या गैर-सहमति से हुए एनल और ओरल मैथुन, एवं अप्राकृतिक संभोग को भी वैध घोषित कर देगा।[6]
- हिट एंड रन: भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 में हिट-एंड-रन मामलों में धारा 106(2) को रोक दिया गया है, जबकि आपराधिक कानून के अन्य प्रावधान लागू कर दिए गए हैं।
- रिमांड: नए कानूनों के तहत रिमांड का समय पहले की तरह 15 दिनों का ही रखा गया है।
- भाषा: तीनों कानून संविधान की आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में उपलब्ध होंगे और केस भी उन्हीं भाषाओं में चलेंगे।
- फॉरेंसिक जांच: नए कानूनों में 7 साल या उससे अधिक की सज़ा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य किया गया है। इससे न्याय जल्दी मिलेगा और दोष-सिद्धि दर को 90% तक ले जाने में सहायक होगा।
- प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR): किसी भी मामले में FIR दर्ज होने से सुप्रीम कोर्ट तक 3 साल में न्याय मिल सकेगा।
- ई-एफआईआर का प्रावधान: नागरिकों की सुविधा के लिए जीरो एफआईआर यानी ई-एफआईआर की शुरुआत भी की गयी है। इसके तहत अपराध कहीं भी हुआ हो लेकिन उसे अपने थाना क्षेत्र के बाहर भी रजिस्टर कराया जा सकता है। बाद में केस को 15 दिनों के अंदर संबंधित थाने को भेजना होगा। नए नियमों के अनुसार, पुलिस थाने में एक ऐसा पुलिस अधिकारी नामित किया जायेगा जो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के परिवार को केस के बारें में सूचना देगा।
- त्वरित न्यायिक प्रक्रियाएँ: अदालती फैसले देने के लिए सख्त समय सीमाएँ। 45 दिनों के भीतर और आरोप लगाने के लिए 60 दिनों के भीतर समयबद्ध न्याय प्रदान किया जाएगा।[8]
- तकनीकी प्रगति: ऑनलाइन पुलिस शिकायतें और इलेक्ट्रॉनिक समन सेवा। कागजी कार्य को कम करने और संचार को मजबूत करने का प्रयास।
- प्रशिक्षण: नए कानूनों पर लगभग 22.5 लाख पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग के लिए 12000 मास्टर ट्रेनर्स के लक्ष्य से कहीं अधिक 23 हजार से ज्यादा मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षित।
संगठन
[संपादित करें]भारतीय न्याय संहिता में २० अध्याय और ३५८ खण्ड (सेक्शन) हैं। इसकी संरचना भारतीय दण्ड संहिता के जैसी ही है। भारतीय न्याय संहिता की रूपरेखा इस प्रकार की है:[9][10]
अध्याय | धाराएँ | अपराधों का वर्गीकरण |
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अध्याय 1 | Clauses 1 से 3 | आरम्भिक |
अध्याय 2 | धारा 4 से 13 | दण्ड के सम्बन्ध में |
अध्याय 3 | धारा 14 से 44 | सामान्य अपवाद
आत्म सुरक्षा के अधिकार के बारे में (खण्ड 34 से 44) |
अध्याय 4 | धारा 45 से 62 | Of Abetment, Criminal Conspiracy and Attempt |
अध्याय 5 | धारा 63 से 97 | Of Offences against Women and Children
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अध्याय 6 | Clauses 98 से 144 | Of Offences Affecting the Human Body
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अध्याय 7 | Clauses 145 से 156 | Of Offences Against the State |
अध्याय 8 | Clauses 157 से 166 | Of Offences Relating to the Army, Navy and Air Force |
अध्याय 9 | Clauses 167 से 175 | Of Offences Relating to Elections |
अध्याय 10 | Clauses 176 से 186 | Of Offences Relating to Coins, Bank Notes, Currency Notes and Government Stamps |
अध्याय 11 | Clauses 187 से 195 | Of Offences Against the Public Tranquility |
अध्याय 12 | Clauses 196 से 203 | Of Offences by Or Relating to Public Servants |
अध्याय 13 | Clauses 204 से 224 | Of Contempt of Lawful Authority of Public Servants |
अध्याय 14 | Clauses 225 से 267 | Of False Evidence and Offences against Public Justice. |
अध्याय 15 | Clauses 268 से 295 | Of Offences affecting the Public Health, Safety, Convince, Decency and Morals |
अध्याय 16 | Clauses 296 से 300 | Of Offences Relating to Religion |
अध्याय 17 | Clauses 301 से 332 | Of Offences against Property
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अध्याय 18 | Clauses 333 से 348 | Of Offences Relating to Documents and to Property Marks
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अध्याय 19 | Clauses 349 से 356 | Of Criminal Intimidation, Insult, Annoyance, Defamation, Etc
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इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ भूल जाइए IPC, आज से भारतीय न्याय संहिता समेत तीन नए कानून लागू
- ↑ नयी आपराधिक संहिता में कौन सी धारा अब क्या?
- ↑ "Centre's 3 bills to revamp criminal laws: 'Aim to provide justice, not punish'". India Today.
- ↑ Ghosh, Sanchari (11 August 2023). "'Will repeal offence of sedition,' Amit Shah introduces 3 bills in Parliament". mint.
- ↑ "The 3 Bills That Will Soon Replace British-Era Criminal Laws. Their Aim Explained". NDTV.com.
- ↑ पोद्दार, उमंग (17 Aug 2023). "भारतीय न्याय संहिता पुरुषों, ट्रांसजेंडरों के ख़िलाफ़ रेप और मैरिटल रेप के मामलों को कैसे प्रभावित करेगी". BBC NEWS (Hindi में).सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ नए कानून में हिंदी शब्दों का समावेश, आसानी से समझ सकते हैं परिभाषा
- ↑ अब 45 दिनों के भीतर फैसला!
- ↑ The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 Archived 11 अगस्त 2023 at the वेबैक मशीन, PSR India, 10 August 2023
- ↑ "The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023". मूल से 9 March 2024 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 March 2024.
8. President gives assent to Bharatiya Nyaya Sanhita, Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita and Bharatiya Sakshya Bill 2023 Law Monitor