पोद्दार

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'वैश्य पोद्दार' पोत+दार नाविक+व्यापारी भारत और नेपाल देश के बनिया समाज के अंतर्गत आता है। हमारे ऋग्वेद में चार जाति का वर्णन है – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। यूँ तो वैश्य समाज मे 56 वर्ग हैं, जिनमें "वैश्य पोद्दार" का स्थान सबसे ऊपर है। जो भारत के लगभग सभी राज्यों और नेपाल के मधेश और कोशी प्रदेश में निवास करते हैं। ये मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, नेपाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, दिल्ली मुंबई, राजस्थान, पंजाब क्षेत्र और भी राज्यों में पाए जाते हैं। ये समाज अधिकांशतः व्यापार, व्यवसाय के लिए जाना जाता है। देश भर में अधिकांश व्यवसाय में बनिया समाज का अहम योगदान है, या यूँ कहें तो बनिया समाज देश की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है। भारत के इतिहास में बनिया समाज का विशेष उल्लेख है। बनिया समाज का व्यवसाय देश के बाहर तक विदेशों में तब भी फैल हुआ था और आज भी। ये लोग विदेशों में व्यापार व्यवसाय करते आ रहे हैं। देश के आज़ादी में भी बनिया समाज़ का योगदान उल्लेखनीय है, महात्मा गांधी, महावीर पोद्दार,-पुत्र कृत्यनन्द पोद्दार जो [बिहारी नारायणपुर]के निवासी आदि थे जो अंग्रेजी सरकार से खूब लड़े, महात्मा गाँधी, अमित शाह " भी "वैश्य बनिया" हैं। हनुमान प्रसाद पोद्दार गोरखपुर गीता प्रिंटिंग प्रेस पोद्दार "वैश्य बनिया" जनेऊधारी सवर्ण वैश्य हैं।

उपजाति का उपनाम[संपादित करें]

पोद्दार, गाँधी, मित्तल, गोयल, बरनवाल, अग्रहरि या अग्रहरी, महेश्वरी, अग्रवाल, देव, (तेली)-साहू वैश्य, मोदी, गुप्ता, साह, साहा, लाल, मगधी, सोनार, कसौधन, वर्णवाल, मधेशिया, कानू, कांदू वैश्य, जयसवाल जाति का उपनाम होता है। ये लोग जमींदार, तहसीलदार, खरीद-व्यापार, उद्योग, फैक्ट्री, सोना-चाँदी के व्यापार आदि के लिए प्रसिद्ध हैं। ये जातियाँ अधिकतर बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र राज्यों में पाए जाते है। ये जातियाँ पूजा-पाठ, धर्म के प्रति अग्रसर रहती हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

Dharmik poddar