पंजाब केसरी
पंजाब केसरी भारत का प्रमुख दैनिक हिन्दी समाचार पत्र है। यह भारत के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों के विभिन्न नगरों से प्रकाशित होता है। बे,मौसम हुयी बरसात से फसली नुकसान की भरपाई के लिए जिलाधिकारी के त्वारित निर्देश की समीक्षा रिपोर्ट!
जनपद-गोंडा
वैश्विक महामारी के संक्रमण से बचने बचाने के लिए जूझ रही समूची मानव श्रृंखला की जीविका के लिए अन्न की आपूर्ति करने वाले किसानों के माथे पर सिकन अच्छे संकेत नही देती! 1 मई को लगातार हुयी बरसात से तमाम किसानों की खड़ी अथवा कटी गेंहू की सफलों पर बुरा असर पड़ा हालांकि अगले दिन तासीर की गर्माहट और प्रशासन द्वारा राहत पहुंचाने की घोषणा से थोड़ी तसल्ली तो हुयी मगर कुछ सवाल जो किसानों की मायूसी दूर नही कर पा रहे उन सवालों का हल तलाशने की गुरेज इसलिए है ताकि किसानों के हल उनके खेतों में चल सकें। बरसात की वजह से हुए फसली नुकसान की भरपाई के लिए जिला प्रशासन की तरफ से सभी उपजिलाधिकारियों को जारी किये निर्देश में फसली नुकसान का सर्वे करने का आदेश दिया गया है साथ ही हेल्प लाइन नम्बर भी सार्वजनिक किये हैं ताकि जिन किसान भाइयों की फसलें नष्ट हुयी हैं वे सभी अपनी शिकायतें दर्ज करा दें ताकि उनकी नष्ट हुयी फसलों की भरपाई फसल बीमा योजना के तहत कराया जा सके।विदित रहे की प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना के तहत भरपाई की जायेगी इसके लिये किसी प्रकार विशेष राहत की अफवाहों पर बिलकुल ध्यान न दिया जाय ज्ञताव्य है की फसली बीमा एक ऐसी योजना है जिसमे बीमा की किस्तें निरन्तर किसानो के खाते से काटी जा रही है इसकी न कोई रसीद दी जाती है और न ही इसके प्रीमियम की किसी को जानकारी होती है केवल बैंक के स्टेटमेंट से ये जाना जा सकता है की किसानों के खाते से बीमा की राशि काटी गयी है।सीधे तौर पर अगर लिखा जाय तो फसलों पर दैवीय प्रकोप अथवा अन्य कारणों से नुकसान होने की घटनाये कभी कभार ही होती हैं इन आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई पूर्ण नही आंशिक होती है किन्तु बीमा के नाम पर समस्त किसानों के खाते से बीमा किस्तें निरन्तर काटी जाती है!प्रशासन द्वारा जारी सर्वे आदेश के बाद अब किसान बन्धुओं के बीच एक मध्य रेखा की चर्चा समाने आ रही है।बताया जा रहा है की सर्वे में उन्ही किसानों का आंकड़ा जुटाया जा रहा है,जो के.सी.सी.के माध्यम फसली ऋण लिए हुए हैं।शेष जो मध्यम अथवा बड़े किसान है उनके नुकसान की भरपाई नही की जा सकेगी!ऐसे में जिन बड़े व मझोले किसानों की फसलें सैकड़ों क्विंटल गेंहू की सफल बर्बाद हुयी है उनकी चिंता गहराती नज़र आ रहीं है।[उद्धरण चाहिए]
प्रकाशन स्थल
[संपादित करें]यह समाचार पत्र उत्तर भारत में प्रकाशित होता है। कैथल के बूढ़ा खेड़ा गाँव मे इसकी सबसे ज्यादा माँग है। जालंधर[1] (1965), दिल्ली [2] (1983), अम्बाला (1991), लुधियाना (2004), पालमपुर (2004), जयपुर (2006), चंडीगढ़ (2009), पानीपत (2006), हिसार (2006), जम्मू (2007)
प्रमुख स्तंभकार
[संपादित करें]खुशवंत सिंह, | मेनका गांधी, | शेखर गुरेरा (कार्टूनिस्ट), | बलबीर पुंज |
कुलदीप नैय्यर, | पूनम कौशिक, | करण थापर, | नीरा चोपड़ा, |
शांता कुमार, | विनीत नारायण, | कल्याणी शंकर, | चंद्र त्रिखा, |
वीरेन्द्र कपूर, | बी जी वर्गीज, | मनमोहन शर्मा, | नीरजा चौधरी, |
महमूद शाम, | चंद्रमोहन, |
गैलरी
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विजय कुमार चोपड़ा,
प्रधानसंपादक एवं प्रबंध निदेशक पंजाब केसरी -
१९७४ : भारत में आपातकाल के दौरान, प्रेस पर अघोषित सेंसरशिप के चलते पंजाब केसरी संस्थान की बिजली आपूर्ति बंद किये जाने पर अखबार को डीजल चालित ट्रैक्टर की वैकल्पिक व्यवस्था द्वारा मुद्रित किया गया था
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१९८४-९२ : पंजाब में आतंकवाद के दौरान मीडिया कर्मचारियों पर हमले एवं धमकियों के चलते, पंजाब केसरी की उत्पादन, छपाई और वितरण प्रक्रिया सख्त पुलिस संरक्षण के तहत निर्विघन जारी रहा
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ पंजाब केसरी, जालंधर ई-पेपर PunjanKesari.in Archived 2012-11-05 at the वेबैक मशीन
- ↑ पंजाब केसरी, दिल्ली ई-पेपर PunjanKesari.com Archived 2016-03-03 at the वेबैक मशीन
- ↑ Social Media PKD online