सामग्री पर जाएँ

खुशवन्त सिंह

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
खुशवन्त सिंह

नई दिल्ली में खुशवन्त सिंह
जन्म खुशाल सिंह
2 फ़रवरी 1915
हदाली, अविभाजित भारत (वर्तमान पाकिस्तान में सरगोधा जिला)
मौत 20 मार्च 2014(2014-03-20) (उम्र 99 वर्ष)
नई दिल्ली, भारत
मौत की वजह सामान्य
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा की जगह सेंट स्टीफ़न कॉलेज, दिल्ली
किंग्स कॉलेज लन्दन
पेशा पत्रकार, लेखक, इतिहासकार
प्रसिद्धि का कारण ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर
(नियमित छपने वाला कॉलम)
जीवनसाथी कँवल मलिक
हस्ताक्षर

खुशवन्त सिंह (जन्म: 2 फ़रवरी 1915, मृत्यु: 20 मार्च 2014) भारत के एक प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, उपन्यासकार और इतिहासकार थे। एक पत्रकार के रूप में उन्हें बहुत लोकप्रियता मिली। उन्होंने पारम्परिक तरीका छोड़ नये तरीके की पत्रकारिता शुरू की। भारत सरकार के विदेश मन्त्रालय में भी उन्होंने काम किया। 1980 से 1986 तक वे राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे।[1]

खुशवन्त सिंह जितने भारत में लोकप्रिय थे उतने ही पाकिस्तान में भी लोकप्रिय थे। उनकी किताब ट्रेन टू पाकिस्तान बेहद लोकप्रिय हुई। इस पर फिल्म भी बन चुकी है। उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन एक जिन्दादिल इंसान की तरह पूरी कर्मठता के साथ जिया।

व्यक्तिगत जीवन

[संपादित करें]

खुशवन्त सिंह का जन्म 2 फ़रवरी 1915 को हदाली, पंजाब (अविभाजित भारत) में एक सिख परिवार में हुआ था। उन्होंने गवर्नमेण्ट कॉलेज, लाहौर और कैम्ब्रिज यूनीवर्सिटी लन्दन में शिक्षा प्राप्त करने के बाद लन्दन से ही क़ानून की डिग्री ली। पढ़ाई के क्षेत्र में आरम्भ से ही वे अपने स्वच्छंद स्वभाव के कारण बहुत अच्छे नहीं थे और कॉलेज तक की परीक्षाओं में उन्हें प्रायः तृतीय श्रेणी ही प्राप्त हुई।[2] कानून की डिग्री लेने के बाद उन्होंने लाहौर में वकालत शुरू की। उनके पिता सर सोभा सिंह अपने समय के प्रसिद्ध ठेकेदार थे। उस समय सोभा सिंह को आधी दिल्ली का मालिक कहा जाता था।

खुशवन्त सिंह का विवाह कँवल मलिक के साथ हुआ था। इनके पुत्र का नाम राहुल सिंह और पुत्री का नाम माला है। उनका निधन 99 साल की उम्र में 20 मार्च 2014 को नई दिल्ली में हुआ।[3][4]

एक पत्रकार के रूप में भी खुशवन्त सिंह ने बहुत ख्याति अर्जित की। 1951 में वे आकाशवाणी से जुड़े थे और 1951 से 1953 तक भारत सरकार के पत्र 'योजना' का संपादन किया। 1980 तक मुंबई से प्रकाशित प्रसिद्ध अंग्रेज़ी साप्ताहिक 'इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया' और 'न्यू डेल्ही' के संपादक रहे।

1983 तक दिल्ली के प्रमुख अंग्रेज़ी दैनिक 'हिन्दुस्तान टाइम्स' के संपादक भी वही थे। तभी से वे प्रति सप्ताह एक लोकप्रिय 'कॉलम' लिखते हैं, जो अनेक भाषाओं के दैनिक पत्रों में प्रकाशित होता है। खुशवन्त सिंह उपन्यासकार, इतिहासकार और राजनीतिक विश्लेषक के रूप में विख्यात रहे हैं।

साल 1947 से कुछ सालों तक खुशवन्त सिंह ने भारत के विदेश मंत्रालय में महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 1980 से 1986 तक वे राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे।

लेखन कार्य एवं प्रकाशन

[संपादित करें]

खुशवंत सिंह मुख्यतः कथाकार हैं। उपन्यास एवं कहानियों के क्षेत्र में उनका योगदान उनके लेखन में प्राथमिक महत्व का है। परंतु, इसके अतिरिक्त व्यंग्य-विनोद-मिश्रित विचारपरक एवं इतिहास के क्षेत्र में भी उनका योगदान महत्वपूर्ण है। संस्मरण एवं आत्मकथा लिख कर भी उन्होंने प्रसिद्धि प्राप्त की है। वर्तमान संदर्भों और प्राकृतिक वातावरण पर भी उनकी कई रचनाएँ हैं। दो खंडों में प्रकाशित 'सिक्खों का इतिहास' उनकी प्रसिद्ध ऐतिहासिक कृति है। हालाँकि इस इतिहास में अभिव्यक्त कुछ तथ्यों की प्रामाणिकता पर संदेह भी व्यक्त किया गया है।[2] साहित्य के क्षेत्र में पिछले सत्तर वर्ष में खुशवन्त सिंह का विविध आयामी योगदान महत्त्वपूर्ण रहा है।

खुशवन्त सिंह के उपन्यासों में प्रसिद्ध हैं - 'डेल्ही', 'ट्रेन टू पाकिस्तान', 'दि कंपनी ऑफ़ वूमन'। इसके अलावा उन्होंने लगभग 100 महत्वपूर्ण किताबें लिखी। अपने जीवन में सेक्स, मजहब और ऐसे ही विषयों पर की गई टिप्पणियों के कारण वे हमेशा आलोचना के केंद्र में बने रहे। उन्होंने इलेस्ट्रेटेड विकली जैसी पत्रिकाओं का संपादन भी किया।

प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें

[संपादित करें]

(हिन्दी में अनूदित)

उपन्यास-
  1. दिल्ली (किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
  2. पाकिस्तान मेल (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
  3. औरतें (राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली से)
  4. सनसेट क्लब (राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली से)
  5. टाइगर टाइगर (राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली से)
  6. बोलेगी न बुलबुल अब (राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली से)
कहानी-
  1. प्रतिनिधि कहानियाँ (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
  2. खुशवंत सिंह की सम्पूर्ण कहानियाँ (राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली से)
आत्मकथा/संस्मरण-
  1. सच, प्यार और थोड़ी सी शरारत (अनुवाद- निर्मला जैन) [राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से]
  2. मेरे मित्र : कुछ महिलाएँ, कुछ पुरुष (किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
  3. मेरी दुनिया मेरे दोस्त (राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली से)
इतिहास-
  • सिखों का इतिहास (दो खंडों में, अनुवाद- उषा महाजन) [किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली से]
अन्य-
  • मेरा लहूलुहान पंजाब (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से)

भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें 1974 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. "श्री खुशवंत सिंह के निधन पर उप-राष्‍ट्रपति का शोक संदेश". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार. 20 मार्च 2014. Archived from the original on 20 मार्च 2014. Retrieved 20 मार्च 2014.
  2. "खुशवंत सिंह पाॅलिटिकली इनकरेक्ट थे।". Archived from the original on 12 जून 2018. Retrieved 14 जून 2020.
  3. "औरत, स्कॉच और इतिहास पर लिखने वाला सबसे मजेदार सरदार खुशवंत सिंह हुआ 99 पर आउट". आज तक. 20 मार्च 2014. Archived from the original on 20 मार्च 2014. Retrieved 20 मार्च 2014.
  4. "ख़ुशवंत सिंह का 99 साल की उम्र में निधन". बीबीसी हिन्दी. २० मार्च २०१४. Archived from the original on 21 मार्च 2014. Retrieved २० मार्च २०१४. {{cite web}}: Check date values in: |accessdate= and |date= (help)

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]