सामग्री पर जाएँ

सुखलाल सांघवी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(सुखलालजी सांघवी से अनुप्रेषित)
पण्डित सुखलाल संघवी

पंडित सुखलाल्जी
जन्म 8 दिसम्बर 1880
लिम्बदी, (सौराष्ट्र, गुजरात
मौत 2 मार्च 1978(1978-03-02) (उम्र 97 वर्ष)
गुजरात
पेशा लेखक, दार्शनिक, सम्पादक, भाषाशास्त्री एवं विद्वान

पण्डित सुखलाल संघवी (1880–1978) जैन विद्वान एवं दार्शनिक थे। वे जैन धर्म के स्थानकवासी सम्प्रदाय से सम्बन्धित थे।[1] इनके द्वारा रचित एक दार्शनिक निबंध दर्शन अने चिंतन के लिये उन्हें सन् १९५८ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (गुजराती) से सम्मानित किया गया।[2]

उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७४ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

सोलह वर्ष की अल्पायु में ही चेचक के कारण सुखलालजी की आँखें चलीं गयीं। इसके बावजूद भी उन्होने अपने दृढ संकल्प और लगन से जैन न्याय में विद्वता प्राप्त की और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नियुक्त हुए। पॉल दुंदास (Paul Dundas) उनको जैन दर्शन के सर्वश्रेष्ठ आधुनिक व्याख्याताओं में एक मानते हैं।[3]


सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. Jaini, Padmanabh (2000). Collected Papers on Jaina Studies. Delhi: Motilal Banarsidass Publ. ISBN 81-208-1691-9. Preface p. vi
  2. "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 11 सितंबर 2016.
  3. Dundas, Paul; John Hinnels ed. (2002). The Jains. London: Routledge. ISBN 0-415-26606-8. {{cite book}}: |author2= has generic name (help) p. 228