सामग्री पर जाएँ

गुरमुखी लिपि

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

गुरमुखी लिपि (ਗੁਰਮੁਖੀ ਲਿੱਪੀ) एक लिपि है जिसमें पंजाबी भाषा लिखी जाती है।

गुरुमुखी का अर्थ है गुरुओं के मुख से निकली हुई। अवश्य ही यह शब्द ‘वाणी’ का द्योतक रहा होगा, क्योंकि मुख से लिपि का कोई सम्बन्ध नहीं है। किन्तु वाणी से चलकर उस वाणी कि अक्षरों के लिए यह नाम रूढ़ हो गया। इस प्रकार गुरूओं ने अपने प्रभाव से पञ्जाब में एक भारतीय लिपि को प्रचलित किया। वरना सिन्ध की तरह पञ्जाब में भी फ़ारसी लिपि का प्रचलन हो रहा था और वही बना रह सकता था।

इस लिपि में ३ स्वर और ३२ व्यञ्जन हैं। स्वरों के साथ मात्राएँ जोड़कर अन्य स्वर बना लिए जाते हैं। इनके नाम हैं ऊड़ा, आया, ईड़ी, सासा, हाहा, कका, खखा इत्यादि। अन्तिम अक्षर ड़ाड़ा है। छठे अक्षर से कवर्ग आरम्भ होता है और शेष अक्षरों का (व) तक वही क्रम है जो देवनागरी वर्णमाला में है। मात्राओं के रूप और नाम इस प्रकार हैं। ट के साथ (मुक्ता), टा (कन्ना), टि (स्यारी), टी (बिहारी), ट (ऐंक ड़े), ट (दुलैंकड़े), टे (लावाँ), टै (दोलावाँ), (होड़ा), (कनौड़ा), (टिप्पी), ट: (बिदै)। इस वर्णमाला में प्राय: संयुक्त अक्षर नहीं हैं। यद्यपि अनेक संयुक्त ध्वनियाँ विद्यमान हैं।

गुरमुखी वर्णमाला

[संपादित करें]

गुरमुखी लिपि में ३५ वर्ण होते हैं। पहले तीन वर्ण विशेष हैं क्योंकि वे स्वर वर्णों के आधार होते हैं। केवल ऐड़ा को छोड़कर बाकी पहले तीन वर्ण अकेले कहीं नहीं प्रयुक्त होते। विस्तार से समझने के लिए स्वर वर्ण को देखें।

गुरमुखी-देवनागरी तुलना

[संपादित करें]

ਕ --- क
ਖ --- ख
ਗ --- ग
ਘ --- घ
ਙ --- ङ

ਚ --- च
ਛ --- छ
ਜ --- ज
ਝ --- झ
ਞ --- ञ

ਟ --- ट
ਠ --- ठ
ਡ --- ड
ਢ --- ढ
ਣ --- ण

ਤ --- त
ਥ --- थ
ਦ --- द
ਧ --- ध
ਨ --- न

ਪ --- प
ਫ --- फ
ਬ --- ब
ਭ --- भ
ਮ --- म

ਯ --- य
ਰ --- र
ਲ --- ल
ਵ --- व

ਸ਼ --- श
ਸ --- स
ਹ --- ह
ੜ --- ड़

਼ --- ़
੍ --- ्
ਾ --- ा
ਿ --- ि
ੀ --- ी
ੁ --- ु
ੂ --- ू
ੇ --- े
ੈ --- ै
ੋ --- ो
ੌ --- ौ
ਂ --- ं
ੰ --- ं

ਅ --- अ
ਆ --- आ
ਇ --- इ
ਈ --- ई
ਉ --- उ
ਊ --- ऊ
ਏ --- ए
ਐ --- ऐ
ਓ --- ओ
ਔ --- औ

੦ --- ०
੧ --- १
੨ --- २
੩ --- ३
੪ --- ४
੫ --- ५
੬ --- ६
੭ --- ७
੮ --- ८
੯ --- ९

टिप्पणी

[संपादित करें]

कृपया ध्यान दें कि अक्षर–रूप मिलने के होते हुए भी पञ्जाबी द्वारा गुरमुखी और हिन्दी द्वारा देवनागरी के प्रयोग में कुछ महत्वपूर्ण अन्तर हैं:

  • गुरमुखी में कुछ प्राचीन शब्दों की अन्तिम मात्राएँ उच्चारित नहीं होती। यदि पञ्जाबी का एक पारम्परिक अभिवादन देखा जाए - 'ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ' - तो इसका सीधा देवनागरी परिवर्तन 'सति श्री हरि अकाल' निकलता है लेकिन इसे 'सत श्री अकाल' पढ़ा जाता है।
  • महाप्राण व्यञ्जनों में श्वास प्रायः हटाया जाता है और सुर द्वारा अक्षरों में भेद दिखाया जाता है। इसलिए कहा जाता है कि पञ्जाबी एक सुरभेदी भाषा है। अक्सर अन्य हिन्द-आर्य भाषाओँ के बोलने वाले जब पञ्जाबी बोलते हैं तो उनके सुर हिन्दी-जैसे होते हैं, जिनसे पञ्जाबी मातृभाषियों को उनका बोलने का लहजा कृत्रिम लगता है। मसलन:
    • 'ਘੋੜਾ' अर्थात अश्व। इसका नागरी 'घोड़ा' है लेकिन इसका सही उच्चारण 'क्होड़ा' है जिसमें बोलते हुए सुर भारी होकर हल्का किया जाता है (यानि गिरता-उठता है)।
    • 'ਕੋੜਾ' अर्थात चाबुक। इसका नागरी 'कोड़ा' है और उच्चारण भी सुर को सामान्य रखकर 'कोड़ा' होता है।

गुरमुखी अक्षर

[संपादित करें]
नाम उच्चारण नाम उच्चारण नाम उच्चारण नाम उच्चारण नाम उच्चारण
ऊड़ा ऐड़ा ईड़ी सस्सा हाहा
कक्का खक्खा गग्गा कह्ग्गा (घग्गा) ङंङा
चच्चा छच्छा जज्जा चह्ज्ज‌‌ा (झज्ज‌ा) ञईया
टैंका ठठ्ठा डड्डा टह्ड्डा (ढड्डा) णाह्णा (णाहणा)
तत्ता थत्था दद्दा धद्दा नन्ना
पप्पा फफ्फ‌ा बब्बा पह्ब‌्बा (भब्बा) मम्मा
य‌ईआ/य‌ईया (यय्या) रारा लल्ला वाह्वा(वाहवा) राह्ड़ा ड़

गुरमुखी लिपि की यूनिकोड रेंज U+0A00 से U+0A7F तक है। गुरमुखी के लिए यूनिकोड का प्रयोग शुरु हुए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। पंजाबी के ज्यादातर जालघरों ने अभी यूनिकोड नहीं अपनाया है।

Gurmukhi[1]
Unicode.org chart (PDF)
  0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 A B C D E F
U+0A0x
U+0A1x
U+0A2x
U+0A3x ਲ਼ ਸ਼ ਿ
U+0A4x
U+0A5x ਖ਼ ਗ਼ ਜ਼ ਫ਼
U+0A6x
U+0A7x
टिप्पणी
1.^ यूनिकोड संस्करण 6.3 के अनुसार


सन्दर्भ

[संपादित करें]

इन्हें भी देखें

[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]