गढ़वाली लोग
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विशेष निवासक्षेत्र | |
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प्रमुख जनसंख्या क्षेत्र:
जनसंख्याएँ: अन्य: | |
भाषाएँ | |
गढ़वाली | |
धर्म | |
हिन्दू | |
सम्बन्धित सजातीय समूह | |
हिन्द-आर्य, राजपूत, ब्राह्मण | |
ब्रिटिश इण्डियन प्रणाली में लड़ाका नस्ल के रूप में वर्गीकृत |
गढ़वाली लोग भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल मण्डल के निवासियों को कहते हैं। इसमें वे सभी लोग सम्मिलित हैं जो गढ़वाली भाषा या सम्बन्धित उपभाषाएँ बोलते हैं और जो उत्तराखण्ड के गढ़वाल मण्डल के उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी, देहरादून, पौड़ी, रूद्रप्रयाग मनिगुह गांव गढ़वाल का एक थाती गांव है जहाँ पर कुंवर परिवार रहता है आज भी वहां पर पानी के धारे है और हरिद्वार जिलों में रहते हैं। यह लोग कई सदियों से यहाँ के मूल निवासी हैं। यह धैर्यवान लोग तथा पुरानी संस्कृिती से मेल खाते हैं। दस्तावेज साक्ष्य कहता है गढ़वाल क्षेत्र में मानव जाति का निवास कम से कम वैदिक काल से है, आज के गढ़वाल के लोग कई सदियों से प्रवासी हिन्द-आर्य लोगों के विभिन्न तरंगों के वंशज हैं. गढ़वाली मूल के लोग बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश में रहते हैं। इसके अतिरिक्त दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में भी गढ़वाली लोग रहते हैं।
संस्कृति एवं परम्परायें
[संपादित करें]इन्हें भी देखें
[संपादित करें]यह भी गढ़वाली जैसे लोग ही होते है और दोनों भाषाएँ लगभग मेल खा जाती है जहाँ बाहर के लोग को गढ़वाली समझने मे दिक्कत होगी वही कुमाऊँनी लोग बड़ी आसानी से समझ जाते है और गढ़वाली लोग भी कुमाउनियों से ज्यादा अलग नही है। उत्तराखंड भले 2 डिविजन मे बँटा हो पर यहाँ के लोग खुद को पहाड़ी कहना ज्यादा पसंद करते हैं चाहे गढ़वाली हो या कुमाऊँनी।
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