ख़ैबर पख़्तूनख़्वा
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ख़ैबर पख़्तूनख़्वा خیبر پښتونخوا | |||
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प्रान्त | |||
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उपनाम: सरहद, उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत | |||
![]() पाकिसतान मै खैबर पख़तुनखवा को दिखाया गिया है | |||
देश | ![]() | ||
स्थापित | 14 आगसत 1947, re-established 1 जुलाई 1970 | ||
राजधानी | पेशावर | ||
बड़ा शेहर | पेशावर | ||
शासन | |||
• प्रणाली | प्रान्त | ||
• सभा | प्रांतीय विधानसभा | ||
• गवरनर | मेहताब अहमद खान अब्बासी | ||
• मुखे मंत्री | परवैज़ ख़टक ( PTI ) | ||
• चीफ़ सिकेट्री | अमजद अली ख़ान | ||
• विधानमंडल | unicameral (124 सीट) | ||
• हाईकोर्ट | पेशावर हाई कोर्ट | ||
क्षेत्रफल | |||
• कुल | 74,521 किमी2 (28,773 वर्गमील) | ||
जनसंख्या (2014) | |||
• कुल | 28,000,000 (estimate) | ||
समय मण्डल | PST (यूटीसी+5) | ||
दूरभाष कोड | 9291 | ||
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोड | PK-KP | ||
भाषा | उर्दू (राष्ट्रीय)
कोहिस्तानी | ||
प्रांतीय विधानसभा सीटें | 124 | ||
ज़िले | 26 | ||
Union Councils | 986 | ||
वेबसाइट | http://www.khyberpakhtunkhwa.gov.pk/ |
Provincial animal | Straight-horned Markhor | ![]() |
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Provincial bird | White-crested Kalij pheasant | ![]() |
Provincial tree | Indian date | |
Provincial flower | Apple of Sodom | ![]() |
Provincial sport | Pashtun archery | ![]() |
ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा पाकिस्तान का एक प्रान्त या सूबा है। जो 2018 में संविधान संशोधन उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत (NWFP) और संघ प्रशासित आदिवासी क्षेत्र (FATA) के विलय के पश्चात अस्तित्व में आया है। इसे सूबा-ए-सरहद के नाम से भी जाना जाता है जो अफ़ग़ानिस्तान की सीमा पर स्थित है।
यहाँ पर पश्तूनों की आबादी अधिक है जिन्हें स्थानीय रूप से पख़्तून भी कहते हैं। इनकी मातृभाषा पश्तो है। इस प्रांत की जनसंख्या करीब 2 करोड़ है जिसमें अफ़ग़ानिस्तान से आए शरणार्थियों की 15 लाख की आबादी सम्मिलित नहीं है।
इतिहास[संपादित करें]
इस क्षेत्र का इतिहास ईसा पूर्व २००० वर्षों का है। इस क्षेत्र में इंडो-ईरानियन शाखा आई। माना जाता है कि सातवीं सदी ईसापूर्व में हिन्दू महाजनपद गान्धार यहीं या इसी के समीप स्थित था। ईसा के 200 साल पहले बौद्ध धर्म यहाँ बहुत लोकप्रिय हुआ। मौर्यों के पतन के बाद इसपर कुषाणों का शासन आया। यह कुषाण साम्राज्य की राजधानी था और इस्लाम के आने से पहले इसपर ईरानी आकर्मण भी होते रहे है। इससे यहाँ जरथुष्ट्र के अनुयायियों की भी आबादी थी।
सातवीं सदी में चीन के पर्यटकों ने यहाँ के बौद्ध धर्म का विवरण किया है। ग्यारहवीं सदी में गज़नी के महमूद ने बौद्ध तथा जोरास्ट्री शाहों को हराकर अपना शासन स्थापित किया। गज़नी तथा गज़नी पर गोर के शासन के बाद यहाँ तुर्क तथा अरबों की जनसंख्या बढ़ती गई। दिल्ली सल्तनत के शासन में भी यहाँ इस्लाम मे धर्म परिवर्तन करवाया गया। मुग़लों तथा फ़ारस के साफ़वियों के बीच इस क्षेत्र को लेकर संघर्ष होता रहा। 1893 में अंग्रेज़ों ने अफ़गानों से यह क्षेत्र एक समझौते में ले लिया और 1947 में जब पाकिस्तान स्वतन्त्र हुआ तो यह पाकिस्तान का अंग बन गया। उत्तर पश्चिम सीमांत प्रान्त में २४ जिले हैं।