"गोचर": अवतरणों में अंतर
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===गोचर से जन्म कुन्डली का फ़लादेश=== |
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जन्म कुन्डली मे उपस्थित ग्रह गोचर के ग्रहों के साथ जब युति करते हैं,तो उनका फ़लादेश अलग अलग ग्रहों के साथ अलग होता है,वे अपना प्रभाव जातक पर जिस प्रकार से देते हैं,वह इस प्रकार से है:- |
जन्म कुन्डली मे उपस्थित ग्रह '''गोचर''' के ग्रहों के साथ जब युति करते हैं,तो उनका फ़लादेश अलग अलग ग्रहों के साथ अलग होता है,वे अपना प्रभाव जातक पर जिस प्रकार से देते हैं,वह इस प्रकार से है:- |
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*[[सूर्य]] का व्यास १,३९,२००० किलोमीटर है,यह पृथ्वी पर प्रकाश और ऊर्जा देता है,और जीवन भी इसी ग्रह के द्वारा सम्भव हुआ है,यह ८’-२०" में अपना प्रकाश धरती पर पहुंचा पाता है,पृथ्वी से सूर्य की दूरी १५० मिलिअन किलोमीटर है,राशि चक्र से पृथ्वी सूर्य ग्रह की परिक्रमा एक साल में पूर्ण करती है,सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और कभी वक्री नही होता है. जन्म कुन्डली में ग्रहों के साथ जब यह गोचर करता है,उस समय जातक के जीवन में जो प्रभाव प्रतीत होता है,वह इस प्रकार से है. |
*[[सूर्य]] का व्यास १,३९,२००० किलोमीटर है,यह पृथ्वी पर प्रकाश और ऊर्जा देता है,और जीवन भी इसी ग्रह के द्वारा सम्भव हुआ है,यह ८’-२०" में अपना प्रकाश धरती पर पहुंचा पाता है,पृथ्वी से सूर्य की दूरी १५० मिलिअन किलोमीटर है,राशि चक्र से पृथ्वी सूर्य ग्रह की परिक्रमा एक साल में पूर्ण करती है,सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और कभी वक्री नही होता है. जन्म कुन्डली में ग्रहों के साथ जब यह गोचर करता है,उस समय जातक के जीवन में जो प्रभाव प्रतीत होता है,वह इस प्रकार से है. |
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*सूर्य का सूर्य पर:-पिता को बीमार करता है,जातक को भी बुखार और सिर दर्द मिलता है,दिमागी खिन्नता से मन अप्रसन्न रहता है. |
*सूर्य का सूर्य पर:-पिता को बीमार करता है,जातक को भी बुखार और सिर दर्द मिलता है,दिमागी खिन्नता से मन अप्रसन्न रहता है. |
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*सूर्य का गुरु पर:-सूर्य आत्मा है तो गुरु जीव,दोनो के मिलने पर आत्मा और जीव का मिलन माना जाता है,जातक का प्रभाव ऊपरी शक्तियों के प्रति काफ़ी हद तक बढ जाता है,किसी महान आत्मा से मिलन का योग होता है. |
*सूर्य का गुरु पर:-सूर्य आत्मा है तो गुरु जीव,दोनो के मिलने पर आत्मा और जीव का मिलन माना जाता है,जातक का प्रभाव ऊपरी शक्तियों के प्रति काफ़ी हद तक बढ जाता है,किसी महान आत्मा से मिलन का योग होता है. |
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*इसी प्रकार से अन्य ग्रहों का सभी ग्रहों से आपसी संयोग होने पर फ़लादेश किया जाता है. |
*इसी प्रकार से अन्य ग्रहों का सभी ग्रहों से आपसी संयोग होने पर फ़लादेश किया जाता है. |
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[[श्रेणी:ज्योतिष]] |
[[श्रेणी:ज्योतिष]]{{वैदिक साहित्य}} |
06:06, 28 अगस्त 2010 का अवतरण
गोचर से जन्म कुन्डली का फ़लादेश
जन्म कुन्डली मे उपस्थित ग्रह गोचर के ग्रहों के साथ जब युति करते हैं,तो उनका फ़लादेश अलग अलग ग्रहों के साथ अलग होता है,वे अपना प्रभाव जातक पर जिस प्रकार से देते हैं,वह इस प्रकार से है:-
- सूर्य का व्यास १,३९,२००० किलोमीटर है,यह पृथ्वी पर प्रकाश और ऊर्जा देता है,और जीवन भी इसी ग्रह के द्वारा सम्भव हुआ है,यह ८’-२०" में अपना प्रकाश धरती पर पहुंचा पाता है,पृथ्वी से सूर्य की दूरी १५० मिलिअन किलोमीटर है,राशि चक्र से पृथ्वी सूर्य ग्रह की परिक्रमा एक साल में पूर्ण करती है,सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और कभी वक्री नही होता है. जन्म कुन्डली में ग्रहों के साथ जब यह गोचर करता है,उस समय जातक के जीवन में जो प्रभाव प्रतीत होता है,वह इस प्रकार से है.
- सूर्य का सूर्य पर:-पिता को बीमार करता है,जातक को भी बुखार और सिर दर्द मिलता है,दिमागी खिन्नता से मन अप्रसन्न रहता है.
- सूर्य क चन्द्र पर:-पिता को अपमान सहना पडता है,सरकार के प्रति या कोर्ट केशों के प्रति यात्रायें करने पडती है,
- सूर्य का मंगल पर:-खून मे कमी और खून की बीमारियों का प्रभाव पडता है,पित्त मे वृद्धि होने से उल्टी और सिर मे गर्मी पैदा होती है.
- सूर्य का बुध पर:-जातक को या पिता को भूमि का लाभ करवाता है,नये मित्रों से मिलन होता है,व्यापारिक कार्य में सफ़लता देता है.
- सूर्य का गुरु पर:-सूर्य आत्मा है तो गुरु जीव,दोनो के मिलने पर आत्मा और जीव का मिलन माना जाता है,जातक का प्रभाव ऊपरी शक्तियों के प्रति काफ़ी हद तक बढ जाता है,किसी महान आत्मा से मिलन का योग होता है.
- इसी प्रकार से अन्य ग्रहों का सभी ग्रहों से आपसी संयोग होने पर फ़लादेश किया जाता है.