"भारत का त्रिचरण नाभिकीय कार्यक्रम": अवतरणों में अंतर

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भारतीय नाभिकीय विद्युत उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत एक तीन चरणीय कार्यक्रम (चरण 1, चरण 2, चरण 3) का समावेश है। यह योजना [[होमी जहांगीर भाभा]] द्वारा १९५० के दशक में बनायी गयी थी। इसका उद्देश्य दक्षिण भारत के समुद्रतटीय क्षेत्रों में पाये जाने वाले [[मोनाजाइट]] रेत में पाये जाने वाले [[यूरेनियम]] तथा [[थोरियम]] का उपयोग करते हुए दीर्घ अवधि में भारत को ऊर्जा क्षेत्र में स्वावलम्बी बनाना था। ध्यात्व्य है कि भारत के पास थोरियम के भारी भण्डार हैं।
भारतीय नाभिकीय विद्युत उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत एक तीन चरणीय कार्यक्रम (चरण 1, चरण 2, चरण 3) का समावेश है। यह योजना [[होमी जहांगीर भाभा]] द्वारा १९५० के दशक में बनायी गयी थी। इसका उद्देश्य दक्षिण भारत के समुद्रतटीय क्षेत्रों में पाये जाने वाले [[मोनाज़ाइट|मोनाजाइट]] रेत में पाये जाने वाले [[यूरेनियम]] तथा [[थोरियम]] का उपयोग करते हुए दीर्घ अवधि में भारत को ऊर्जा क्षेत्र में स्वावलम्बी बनाना था। ध्यात्व्य है कि भारत के पास थोरियम के भारी भण्डार हैं।
[[File:BARC nuclear reactor.JPG|thumb|भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र स्थित एक परमाणु रिएक्टर]]
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भारत के नाभिकीय कार्यक्रम के तीन चरण ये हैं-
भारत के नाभिकीय कार्यक्रम के तीन चरण ये हैं-


*(१) '''पहला चरण''' - [[दाबित जल रिऐक्टर|दाबित भारी पानी रिएक्टर]] का निर्माण एवं उससे विद्युत उत्पादन ; इसमें [[नाभिकीय ईंधन]] के रूप में [[प्राकृतिक यूरेनियम]] (unriched Uranium) का उपयोग किया जा रहा है।
*(१) '''पहला चरण''' - [[दाबित जल रिऐक्टर|दाबित भारी पानी रिएक्टर]] का निर्माण एवं उससे विद्युत उत्पादन ; इसमें [[नाभिकीय ईन्धन|नाभिकीय ईंधन]] के रूप में [[प्राकृतिक यूरेनियम]] (unriched Uranium) का उपयोग किया जा रहा है।


*(२) '''दूसरा चरण''' - उपरोक्त प्रथम चरण से प्राप्त प्लुटोनियम-239 (Pu-239) का [[तीव्र प्रजनक रिएक्टर]] (एफबीआर FBR) मुख्य [[नाभिकीय ईंधन|ईंधन]] के रूप में उपयोग होगा। ऊर्जा उत्पादन के साथ ही इससे यूरेनियम-238 (U-238) बदलकर Pu-239 बन जाएगा तथा थोरियम-232 (Th-232) बदलकर '''U-233 ''' में बन जाएगा।
*(२) '''दूसरा चरण''' - उपरोक्त प्रथम चरण से प्राप्त प्लुटोनियम-239 (Pu-239) का [[प्रजनक रिऐक्टर|तीव्र प्रजनक रिएक्टर]] (एफबीआर FBR) मुख्य [[नाभिकीय ईन्धन|ईंधन]] के रूप में उपयोग होगा। ऊर्जा उत्पादन के साथ ही इससे यूरेनियम-238 (U-238) बदलकर Pu-239 बन जाएगा तथा थोरियम-232 (Th-232) बदलकर '''U-233 ''' में बन जाएगा।


* '''तृतीय चरण''' - इस चरण में भी प्रजनक रिएक्टर का उपयोग किया जाएगा जिसमें उपरोक्त द्वितीय चरण से प्राप्त U-233 इसमें मुख्य ईंधन बनेगा। साथ ही इस रिएक्टर में Th-232 का समाच्छद (बलिंकेट) रहेगा जो नाभिकीय अभिक्रिया द्वारा बदलकर U-233 बन जाएगा, जो पुनः ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
* '''तृतीय चरण''' - इस चरण में भी प्रजनक रिएक्टर का उपयोग किया जाएगा जिसमें उपरोक्त द्वितीय चरण से प्राप्त U-233 इसमें मुख्य ईंधन बनेगा। साथ ही इस रिएक्टर में Th-232 का समाच्छद (बलिंकेट) रहेगा जो नाभिकीय अभिक्रिया द्वारा बदलकर U-233 बन जाएगा, जो पुनः ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
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जिसमें निम्नलिखित का उपयोग होता है :
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* ईंधन मौट्रिक्स के रूप में प्राकृतिक यूरेनियम डाई-ऑक्साइड
* ईंधन मौट्रिक्स के रूप में प्राकृतिक यूरेनियम डाई-ऑक्साइड
* [[विमंदक]] एवं शीतलक के रूप में [[भारी पानी]]
* [[न्यूट्रॉन विमन्दक|विमंदक]] एवं शीतलक के रूप में [[भारी जल|भारी पानी]]


प्राकृतिक यूरेनियम का संयोजन इस प्रकार है - 0.7% विखण्डनीय U-235 तथा शेष U-238
प्राकृतिक यूरेनियम का संयोजन इस प्रकार है - 0.7% विखण्डनीय U-235 तथा शेष U-238
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* U-238 (n, γ, -) Pu- 239
* U-238 (n, γ, -) Pu- 239


पहले दो संयंत्र [[क्वथन जल रिएक्टर]] (ब्वायलिंग वाटर रिएक्टर) थे जो कि आयातित प्रौद्योगिकी पर आधारित थे। बाद वाले संयंत्र स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास प्रयासों द्वारा बनाए गये PHWR प्रकार के हैं। भारत ने इस प्रौद्योगिकी में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है और कार्यक्रम का यह चरण औद्योगिक डोमेन में है।
पहले दो संयंत्र [[क्वथन जल रिऐक्टर|क्वथन जल रिएक्टर]] (ब्वायलिंग वाटर रिएक्टर) थे जो कि आयातित प्रौद्योगिकी पर आधारित थे। बाद वाले संयंत्र स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास प्रयासों द्वारा बनाए गये PHWR प्रकार के हैं। भारत ने इस प्रौद्योगिकी में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है और कार्यक्रम का यह चरण औद्योगिक डोमेन में है।


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== दूसरा चरण - तीव्र प्रजनक रिएक्टर ==
== दूसरा चरण - तीव्र प्रजनक रिएक्टर ==


भारत के नाभिकीय विद्युत उत्पादन के द्वितीय चरण में रिएक्टर प्रचालन के प्रथम चरण से प्राप्त Pu-239 का मुख्य ईंधन के रूप में [[तीव्र प्रजनक रिएक्टर]] (एफबीआर FBR) में उपयोग करने पर विचार किया गया है।
भारत के नाभिकीय विद्युत उत्पादन के द्वितीय चरण में रिएक्टर प्रचालन के प्रथम चरण से प्राप्त Pu-239 का मुख्य ईंधन के रूप में [[प्रजनक रिऐक्टर|तीव्र प्रजनक रिएक्टर]] (एफबीआर FBR) में उपयोग करने पर विचार किया गया है।


* एफबीआर में Pu-239 मुख्य विखण्डन तत्व के रूप में कार्य करता है।
* एफबीआर में Pu-239 मुख्य विखण्डन तत्व के रूप में कार्य करता है।
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==इन्हें भी देखें==
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*[[दाबित जल रिऐक्टर]]
*[[दाबित जल रिऐक्टर]]
*[[तीव्र प्रजनक परीक्षण रिएक्टर]]
*[[द्रुत प्रजनक परीक्षण रिएक्टर|तीव्र प्रजनक परीक्षण रिएक्टर]]
*[[तीव्र प्रजनक रिएक्टर]]
*[[प्रजनक रिऐक्टर|तीव्र प्रजनक रिएक्टर]]
*[[भारत में परमाणु ऊर्जा]]
*[[भारत में परमाणु ऊर्जा]]
*[[थोरियम]]
*[[थोरियम]]

15:40, 4 मार्च 2020 का अवतरण

मोनाजाइट पाउडर । यही विश्व के थोरियम का मुख्य स्रोत है। भारत में इसके विशाल भण्डार हैं (केरल के समुद्रतटीय रेत में)।

भारतीय नाभिकीय विद्युत उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत एक तीन चरणीय कार्यक्रम (चरण 1, चरण 2, चरण 3) का समावेश है। यह योजना होमी जहांगीर भाभा द्वारा १९५० के दशक में बनायी गयी थी। इसका उद्देश्य दक्षिण भारत के समुद्रतटीय क्षेत्रों में पाये जाने वाले मोनाजाइट रेत में पाये जाने वाले यूरेनियम तथा थोरियम का उपयोग करते हुए दीर्घ अवधि में भारत को ऊर्जा क्षेत्र में स्वावलम्बी बनाना था। ध्यात्व्य है कि भारत के पास थोरियम के भारी भण्डार हैं।

भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र स्थित एक परमाणु रिएक्टर

भारत के नाभिकीय कार्यक्रम के तीन चरण ये हैं-

  • (२) दूसरा चरण - उपरोक्त प्रथम चरण से प्राप्त प्लुटोनियम-239 (Pu-239) का तीव्र प्रजनक रिएक्टर (एफबीआर FBR) मुख्य ईंधन के रूप में उपयोग होगा। ऊर्जा उत्पादन के साथ ही इससे यूरेनियम-238 (U-238) बदलकर Pu-239 बन जाएगा तथा थोरियम-232 (Th-232) बदलकर U-233 में बन जाएगा।
  • तृतीय चरण - इस चरण में भी प्रजनक रिएक्टर का उपयोग किया जाएगा जिसमें उपरोक्त द्वितीय चरण से प्राप्त U-233 इसमें मुख्य ईंधन बनेगा। साथ ही इस रिएक्टर में Th-232 का समाच्छद (बलिंकेट) रहेगा जो नाभिकीय अभिक्रिया द्वारा बदलकर U-233 बन जाएगा, जो पुनः ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।

पहला चरण - दाबित भारी पानी रिएक्टर

जिसमें निम्नलिखित का उपयोग होता है :

  • ईंधन मौट्रिक्स के रूप में प्राकृतिक यूरेनियम डाई-ऑक्साइड
  • विमंदक एवं शीतलक के रूप में भारी पानी

प्राकृतिक यूरेनियम का संयोजन इस प्रकार है - 0.7% विखण्डनीय U-235 तथा शेष U-238

  • U-235 (n, f) अनेक रेडियो सक्रिय विखंडन उत्पाद + ऊर्जा की बड़ी मात्रा
  • U-238 (n, γ, -) Pu- 239

पहले दो संयंत्र क्वथन जल रिएक्टर (ब्वायलिंग वाटर रिएक्टर) थे जो कि आयातित प्रौद्योगिकी पर आधारित थे। बाद वाले संयंत्र स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास प्रयासों द्वारा बनाए गये PHWR प्रकार के हैं। भारत ने इस प्रौद्योगिकी में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है और कार्यक्रम का यह चरण औद्योगिक डोमेन में है।

भावी योजना में निम्नलिखित का समावेश है -
  • विद्युत उत्पादन बढ़ाने हेतु रूसी प्रौद्योगिकी पर आधारित VVER प्रकार के संयंत्रों का स्थापन प्रगति पर है।
  • मॉक्स ईंधन (मिश्रित आक्साइड) का विकास किया गया है और तारापुर में ईंधन के संरक्षण तथा नई ईंधन प्रौद्योगिकी विकसित करने हेतु इसका प्रयोग किया गया है।

भुक्तशेष ईंधन का पुनर्संसाधन ==> विवृत्त अथवा संवृत चक्र की विधि द्वारा

विवृत चक्र का संदर्भ अपशिष्ट उपचार के बाद सम्पूर्ण अपशिष्ट निपटान से है। इसके परिणामस्वरुप यूरेनियम की ऊर्जा क्षमता का बृहत् उपयोग दिखाई पड़ता है। (लगभग 2% का उपयोग होता है)

संवृत चक्र का संदर्भ U-238 एवं Pu-239 के रासायनिक पृथक्करण और आगे पुनश्चक्रण से जबकि अन्य रेडियो सक्रिय विखण्डन पदार्थों का उनकी अर्धायु एवं सक्रियता के अनुसार पृथक्करण किया गया तथा छंटाई की गई तथा उनकी न्यूनतम पर्यावरणीय असामान्यताओं का समुचित प्रकार से निपटान किया गया।

  • दोनों प्रकार के विकल्प प्रयोग में लाये जाते हैं।
  • दीर्घकालीन ऊर्जा नीति के एक भाग के रूप में, जापान और फ्रांस ने संवृत चक्र को चुना है।
  • भारत में संवृत चक्र विधि पसन्द की गई है द्वितीय और तृतीय चरणों के माध्यम से नाभिकीय विद्युत उत्पादन के चरणबद्ध विस्तार कार्यक्रम को देखते हुए संसाधन एवं अपशिष्ट प्रबंधन हेतु स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का विकास तथा पुनर्संसाधन संयंत्रों का स्थापन किया गया है। ये संयंत्र प्रचालनरत हैं तथा इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भरता प्राप्त हुई है।

राजस्थान परमाणु ऊर्जा संयंत्र 2011-1

दूसरा चरण - तीव्र प्रजनक रिएक्टर

भारत के नाभिकीय विद्युत उत्पादन के द्वितीय चरण में रिएक्टर प्रचालन के प्रथम चरण से प्राप्त Pu-239 का मुख्य ईंधन के रूप में तीव्र प्रजनक रिएक्टर (एफबीआर FBR) में उपयोग करने पर विचार किया गया है।

  • एफबीआर में Pu-239 मुख्य विखण्डन तत्व के रूप में कार्य करता है।
  • ईंधन कोर के चारों ओर U-238 के समाच्छद से नाभिकीय तत्वांतरण के कारण नये Pu-239 पैदा होंगे तथा प्रचालन के दौरान अधिक से अधिक Pu-239 की खपत होगी।
  • इसके अलावा एफबीआर के चारों ओर उपस्थित Th-232 का समाच्छद भी न्यूट्रानग्राही अभिक्रिया करेगा जिससे U-233 का निर्माण होगा। U-233 भारत के नाभिकीय विद्युत कार्यक्रम के तृतीय चरण के लिए नाभिकीय रिएक्टर ईंधन है।
  • तकनीकी रूप से एफबीआर से सतत रूप से 420 GWe ऊर्जा का उत्पादन करना संभव है।
  • 500 MWe विद्युत उत्पादन Pu-239 ईंधन से चालित तीव्र प्रजनक रिएक्टर का स्थापन कार्य प्रगति पर है। इसके साथ-साथ प्रगत भारी पानी रिएक्टरों में प्लूटोनियम - आधारित ईंधन के थोड़ी मात्रा में निवेश के साथ थोरियम आधारित ईंधन के उपयोग का प्रस्ताव है। आशा की जाती है कि प्रगत भारी पानी रिएक्टरों से थोरियम के बृहत् उपयोग वाले चरण तक पहुंचने में लगने वाली अवधि में कमी आयेगी।

तृतीय चरण - प्रजनक रिएक्टर

भारत के नाभिकीय विद्युत उत्पादन कार्यक्रम के तृतीय चरण में प्रजनक रिएक्टरों में U-233 ईंधन का प्रयोग किया जाना है। भारत में थोरियम के विशाल भंडारों को देखते हुए U-233 ईंधन के प्रयोग से संचालित होने वाले प्रजनक रिएक्टरों का अभिकल्पन एवं प्रचालन संभव है।

  • U- 233 को Th-232 जिसका उपयोग द्वितीय चरण वाले Pu- 239 ईंधन द्वारा चालित तीव्र प्रजनक रिएक्टर में समाच्छद के रूप में होता है, के नाभिकीय तत्वांतरण से प्राप्त किया जाता है।
  • इसके अलावा U-233 ईंधन से संचालित प्रजनक रिएक्टरों में U-233 रिएक्टर के चारों ओर Th-232 का समाच्छद होता है जिससे रिएक्टर के प्रचालन के दौरान और अधिक U-233 उत्पादित होते हैं। इससे लम्बे समय तक विद्युत उत्पादन हेतु ईंधन की आवश्यकता पूरी होती रहती है।
  • U-233/Th-232 आधारित प्रजनक रिएक्टर विकासाधीन हैं और भारत के नाभिकीय कार्यक्रम के थोरियम के उपयोग वाले अंतिम चरण में इन्हीं की प्रधानता रहेगी। भारत का वर्तमान ज्ञात थोरियम भंडार 3,58,000 GWe-yr विद्युत ऊर्जा देने की क्षमता रखता है तथा इससे बड़ी आसानी के साथ अगली सदी या और उससे आगे की ऊर्जा आवश्यकतायें पूरी की जा सकती हैं।

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