सेतगंगा

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सेतगंगा / श्वेतगंगा
Setganga
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सेतगंगा is located in छत्तीसगढ़
सेतगंगा
सेतगंगा
छत्तीसगढ़ में स्थिति
निर्देशांक: 22°17′N 81°44′E / 22.28°N 81.73°E / 22.28; 81.73निर्देशांक: 22°17′N 81°44′E / 22.28°N 81.73°E / 22.28; 81.73
देश भारत
प्रान्तछत्तीसगढ़
ज़िलामुंगेली ज़िला
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी, छत्तीसगढ़ी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड495334

सेतगंगा भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के मुंगेली ज़िले मे स्थित एक प्राचीन एवं धार्मिक नगर है। दक्षिण कौशल छत्तीसगढ़ धर्म संस्कृति, पर्यटन कला, संगीत और इतिहास के संबंध में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है। यहाँ अनेक ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक महत्व के तीर्थ हैं। जिनमें से एक है सेतगंगा। वस्तुतः इसका प्राचीन नाम है- श्वेतगंगा, जिसका अर्थ है सफ़ेद गंगा। कई शताब्दियों पूर्व यहाँ एक कुंड का प्राकट्य हुआ, जिसका जल गंगा की तरह शीतल, स्वच्छ तथा निर्मल था। इसे तपस्वी, साधुओं ने माँ गंगा के नाम पर श्वेतगंगा कहा। जन श्रुति के अनुसार फणीनागवंशी राजा को स्वप्न आया की मैं विष्णुपदाब्ज संभूत, त्रिपथगामिनी गंगा तुम्हारे राज्य की पश्चिमी सीमा मे प्रकट होकर प्रवाहित हो रही हूँ। वहाँ मेरे कुंड व मंदिर स्थापित करो। 10वीं 11वीं शताब्दी में राजा ने वहाँ श्रीराम जानकी मंदिर व श्वेतगंगा कुंड का निर्माण कराया। ग्राम सेतगंगा के धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक ग्राम होने का गौरव प्राप्त है। [1][2]

तीर्थस्थल[संपादित करें]

श्वेतगंगा (सेतगंगा) एक हिन्दू तीर्थस्थल है। यहाँ का श्रीरामजानकी मन्दिर 9वीं 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। सेतगंगा का प्राचीन नाम श्वेतगंगा है। यह मुंगेली से 15 कि.मी. की दुरी पर स्थित है।

सेतगंगा माघी पूर्णिमा मेला[संपादित करें]

  • मुंगेली ज़िला
  • सेतगंगा जिला मुख्यालय मुंगेली से महज 16 कि.मी. दूर बिलासपुर जबलपुर राजकीय मार्ग पर टेसुवा नदी के तट पर अद्वितीय पौराणीक पुरा तात्वीक रमणीय मनोरम ऐतिहासीक प्राचीन श्री राम जानकी मंदिर स्थित है जहां माघ पूर्णीमा के पावन बेला पर तीन दिवसीय मेले का अयोजन किया जाता है मेले का अयोजन ग्राम-पंचायत और जपनद पंचायत मुंगेली सयुक्त रूप करती है आस पास के ग्राम से बड़ी संख्या में व्यवसायी आते है पर्व पर दुर-दूर से श्रध्दालु कुण्ड में आस्था रूपी डूबकी लगाने व देवी-देवताओं की पूजा अर्चना कर मन्नते मागने आते रहते है किवंदति है कि पण्डरिया के तत्कालीन राजा बहुत ही दयालु और धार्मिक प्रवित्ती के थे वे अमकंटक स्थित मां नर्मदा कुण्ड स्नान व पूजन करने अनेक पर्व पर जाया करते थे, जब वे वृध्द हो गये तब वे पर्वओं पर पवित्र व निर्मल कुण्ड मे स्नान करने व देवी- देवताओं का पूजन करने में असमर्थ हो गये तब उनका मन व्याकुल होने लगा एक दिन आधि रात को राजन को स्वपन आदेश हुआ कि हे राजन मै तुम्हारे श्रध्दा भक्ती से बहुत प्रशन हुँ मै तुम्हारे ही राज्य के पूर्वी तट पर उद्गम हो रही हूँ तुम वहा जाओ एक मंदिर कुण्ड का निर्माण करो राजन भोर काल में दल बल सहित अपने ही राज्य के पूर्वी तट पर निकल पडे राज्य के अंतिम छोर मे विशाल जल स्रोत्र का उद्गम मिला राजा ने कुछ समय पश्चात एक भव्य श्रीराम जनकी मंदिर और कुण्ड की स्थापना की धीरे-धीरे वहा एक बस्ती बस गई कालान्तर में जिसकी पहचान सेतगंगा के रूप मे हुई सेतगंगा का शाब्दिक अर्थ निर्मल पवित्र जल है सेतगंगा स्थित श्रीराम जानकी मंदिर का निर्माण 11 वी शताबदी में अर्धरात्रि में छैमासी रात मे हुई थी मंदिर के आंत्रिक भाग में राधा कृष्ण और श्रीराम जानकी का मनोरम मुर्ति है चारो ओर अनेक देवी देवताओं का मुर्तिया स्थिपित की गई है मंदिर के ब्राहय भाग में खजुराहो के सामान अनेक मुर्तिया भी उकेरी गई है मंदिर के मुख्य द्वार पर पद्माशन मुद्रा में रावण विराजीत है जो कि विश्व दुर्लभ है

सन्दर्भ[संपादित करें]