वसंत
वसंत उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं[क] में से एक ऋतु है, जो फरवरी मार्च और अप्रैल के मध्य इस क्षेत्र में अपना सौंदर्य बिखेरती है। ऐसा माना गया है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है।[1] फाल्गुन और चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं। फाल्गुन वर्ष का अंतिम मास है और चैत्र पहला। इस प्रकार हिंदू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारंभ वसंत में ही होता है। इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है, मौसम सुहावना हो जाता है, पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं I अतः राग रंग और उत्सव मनाने के लिए यह ऋतु सर्वश्रेष्ठ मानी गई है[2] और इसे ऋतुराज कहा गया है।[3]
वसन्त ऋतु वर्ष की एक ऋतु है जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः सुखद रहता है। भारत में यह फरवरी से मार्च तक होती है। अन्य देशों में यह अलग समयों पर हो सकती है। इस ऋतु की विशेष्ता है मौसम का गरम होना, फूलो का खिलना, पौधो का हरा भरा होना और बर्फ का पिघलना। भारत का एक मुख्य त्योहार है होली जो वसन्त ऋतु में मनाया जाता है। यह एक सन्तुलित (Temperate) मौसम है। इस मौसम में चारों ओर हरियाली होती है। पेडो पर नये पत्ते उग्ते है। इस ऋतु मैं कई लोग उद्यानों, तालाबों आदि में घूमने जाते हैं।

'पौराणिक कथाओं के अनुसार वसंत को कामदेव का पुत्र कहा गया है। कवि देव ने वसंत ऋतु का वर्णन करते हुए कहा है कि रूप व सौंदर्य के देवता कामदेव के घर पुत्रोत्पत्ति का समाचार पाते ही प्रकृति झूम उठती है, पेड़ उसके लिए नव पल्लव का पालना डालते है, फूल वस्त्र पहनाते हैं पवन झुलाती है और कोयल उसे गीत सुनाकर बहलाती है।[ख] भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है ऋतुओं में मैं वसंत हूँ।[ग]
वसंत ऋतु में वसंत पंचमी, शिवरात्रि तथा होली नामक पर्व मनाए जाते हैं। भारतीय संगीत, साहित्य और कला में इसे महत्वपूर्ण स्थान है। संगीत में एक विशेष राग वसंत के नाम पर बनाया गया है जिसे राग बसंत कहते हैं। वसंत राग पर चित्र भी बनाए गए हैं।
टीका टिप्पणी
उत्तर भारत में ६ ऋतुएँ होती हैं- वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर और हेमंत।
डारि द्रुम पलना बिछौना नव पल्लव के सुमन झंगूला सौहै तन छवि भारी दै पवन झुलावै, केकी कीर बतरावै देव
प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम्। मृगाणां च मृगेन्द्रोअहं वैनतेयश्च पक्षिणाम्।। १०.३०।।
वसंत ऋतु में स्वास्थ्य सुरक्षा
वसंत ऋतु के दौरान जब कफ दोष बढ़ जाता है | अतिरिक्त कफ के प्रभावों को कम करने के लिए, अपने आहार में अदरक, दालचीनी और काली मिर्च जैसे गर्म मसाले शामिल करने पर ध्यान दें। हल्के, आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि उबली हुई सब्जियाँ, दाल और अनाज का सेवन करें, जबकि भारी, तैलीय खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें। नियमित व्यायाम, विशेष रूप से जॉगिंग या साइकिल चलाने जैसी जोरदार गतिविधियाँ, रक्त संचार को उत्तेजित करने और ठहराव को दूर करने में मदद करती हैं। इसके अतिरिक्त, गर्म तिल या बादाम के तेल से रोजाना खुद की मालिश करने से कंजेशन को कम करने और लसीका प्रवाह को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। वसंत ऋतु के दौरान कफ को शांत करने वाली जीवनशैली अपनाने से पूरे मौसम में सामंजस्य और जीवन शक्ति बनी रहती है।[4]
वसंत और गर्मियों के शुरुआती महीनों में आत्महत्या की दर सबसे ज़्यादा होती है, और इस दौरान कई लोगों में अवसाद और चिंता बढ़ जाती है। वसंत ऋतु में लोगों के अधिक उदास और चिंतित महसूस करने का एक मुख्य कारण केवल परिवर्तन है। कुछ लोगों के लिए, परिवर्तन एक रोमांचक अवसर की तरह लगता है, जबकि अन्य अपने जीवन में तीव्र अस्थिरता महसूस कर सकते हैं। [5]
सन्दर्भ
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- ↑ "ऋतुराज वसंत". वेबदुनिया. Archived from the original (एचटीएम) on 6 सितंबर 2008. Retrieved ७ फरवरी २००८.
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(help) - ↑ "वसंत पर पतंग की उड़ान" (एसएचटीएमएल). बीबीसी. Archived from the original on 13 अप्रैल 2005. Retrieved ७ फरवरी २००८.
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(help) - ↑ "वसंत पंचमी पर विशेष" (एएसपी). अमर उजाला. Retrieved ७ फरवरी २००८.
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(help)[मृत कड़ियाँ] - ↑ "वसंत ऋतु में स्वास्थ्य को अपनाना: वसंत ऋतु में खुशहाली के लिए सुझाव".
- ↑ "वसंत ऋतु और मानसिक स्वास्थ्य".