मुहूर्त

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हिन्दू धर्म में मुहूर्त एक समय मापन इकाई है। वर्तमान हिन्दी भाषा में इस शब्द को किसी कार्य को आरम्भ करने की "शुभ घड़ी" को कहने लगे हैं।

एक मुहूर्त लगभग दो घड़ी के या 48 मिनट के बराबर होता है।

अमृत/जीव मुहूर्त और ब्रह्म मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ होते हैं ; ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से पच्चीस नाड़ियां पूर्व, यानि लगभग दो घंटे पूर्व होता है। यह समय योग साधना और ध्यान लगाने के लिये सर्वोत्तम कहा गया है।

मुहूर्त, ज्तोतिष के छः अंगों (जातक, गोल, निमित्त, प्रश्न, मुहूर्त, गणित) में से एक अंग है।

जातकगोलनिमित्तप्रश्नमुहूर्त्ताख्यगणितनामानि ।
अभिदधतीहषडङ्गानि आचार्या ज्योतिषे महाशास्त्रे ॥ (प्रश्नमार्गः)

शुभ कार्य करने के लिए वांछित समय के गुण-दोष का विचिन्तन मुहूर्त के अन्तर्गत प्रतिपादित है।

सुखदुःखकरं कर्म शुभाशुभमुहूर्त्तजं ।
जन्मान्तरेऽपि तत् कुर्यात् फलं तस्यान्वयोऽपि वा ॥

वार, नक्षत्र, तिथि, करण, नित्ययोग, ग्रह, राशि -- ये मुहूर्त्त-निर्णय के लिए आवश्यक हैं।


मुहूर्तों के नाम

क्रमांक समय मुहूर्त गुण
०६:०० - ०६:४८ रुद्र अशुभ
०६:४८ - ०७:३६ आहि अशुभ
०७:३६ - ०८:२४ मित्र शुभ
०८:२४ - ०९:१२ पितॄ अशुभ
०९:१२ - १०:०० वसु शुभ
१०:०० - १०:४८ वाराह शुभ
१०:४८ - ११:३६ विश्वेदेवा शुभ
११:३६ - १२:२४ विधि शुभ - सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर
१२:२४ - १३:१२ सतमुखी शुभ
१० १३:१२ - १४:०० पुरुहूत अशुभ
११ १४:०० - १४:४८ वाहिनी अशुभ
१२ १४:४८ - १५:३६ नक्तनकरा अशुभ
१३ १५:३६ - १६:२४ वरुण शुभ
१४ १६:२४ - १७:१२ अर्यमा शुभ - रविवार को छोड़कर
१५ १७:१२ - १८:०० भग अशुभ
१६ १८:०० - १८:४८ गिरीश अशुभ
१७ १८:४८ - १९:३६ अजपाद अशुभ
१८ १९:३६ - २०:२४ अहिर बुध्न्य शुभ
१९ २०:२४ - २१:१२ पुष्य शुभ
२० २१:१२ - २२:०० अश्विनी शुभ
२१ २२:०० - २२:४८ यम अशुभ
२२ २२:४८ - २३:३६ अग्नि शुभ
२३ २३:३६ - २४:२४ विधातॄ शुभ
२४ २४:२४ - ०१:१२ क्ण्ड शुभ
२५ ०१:१२ - ०२:०० अदिति शुभ
२६ ०२:०० - ०२:४८ जीव/अमृत बहुत शुभ
२७ ०२:४८ - ०३:३६ विष्णु शुभ
२८ ०३:३६ - ०४:२४ युमिगद्युति शुभ
२९ ०४:२४ - ०५:१२ ब्रह्म बहुत शुभ
३० ०५:१२ - ०६:०० समुद्रम् शुभ

तैत्तिरीय ब्राह्मण के अनुसार १५ मुहुर्तों के नाम इस प्रकार गिनाए गये हैं।

(१) संज्ञानं (२) विज्ञानं (३) प्रज्ञानं (४) जानद् (५) अभिजानत्
(६) संकल्पमानं (७) प्रकल्पमानम् (८) उपकल्पमानम् (९) उपकॢप्तं (१०) कॢप्तम्
(११) श्रेयो (१२) वसीय (१३) आयत् (१४) संभूतं (१५) भूतम् ।
चित्रः केतुः प्रभानाभान्त् संभान् ।
ज्योतिष्मंस्-तेजस्वानातपंस्-तपन्न्-अभितपन् ।
रोचनो रोचमानः शोभनः शोभमानः कल्याणः ।
दर्शा दृष्टा दर्शता विष्वरूपा सुर्दर्शना ।
आप्य्-आयमाणाप्यायमानाप्याया सु-नृतेरा ।
आपूर्यमाणा पूर्यमाणा पूर्यन्ती पूर्णा पौर्णमासी ।
दाता प्रदाताऽनन्दो मोदः प्रमोदः ॥ १०.१.१ ॥

शतपथ ब्राह्मण में एक दिन के पन्द्रहवें भाग (१/१५) को 'मुहूर्त' की संज्ञा दी गयी है।


मुहूर्त विषय से संबंधित पुस्तकें[संपादित करें]

  • धर्म सिन्धु
  • निर्णय सिन्धु
  • मुहूर्त गणपति (मूल संस्कृत, लेखक - श्री मद्दैवज्ञरावलहरिशंकरसूरिशुनुगणपति)
  • मुहूर्त चिन्तामणि (संस्कृत, लेखक - दैवज्ञ श्री रामाचार्य)
  • मुहूर्त पारिजात
  • मुहूर्तमार्तण्ड (मूल संस्कृत, लेखक - नारायण दैवज्ञ)
  • मुहूर्तमुक्तावली

विवाह के मुहूर्त[संपादित करें]

१) गोपाल मुहूर्त -- सूर्योदय के समय

२) दिवा मुहूर्त -- सूर्योदय से दोपहर १२ बजे तक

३) मध्यान्ह अभिजित -- दोपहर १२ बजे से सायंकाल तक

४) गोरज मुहूर्त -- सूर्यास्त के समय अथवा उसके बाद ( संध्या के समय )


सन्दर्भ[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]