बेलिंघम दंगे
बेलिंघम दंगे (Bellingham riots) संयुक्त राज्य अमेरिका के वॉशिन्गटन राज्य में बेलिंघम शहर के पास ४ सितम्बर १९०७ को हुए दंगों का नाम है। इसमें ४००-५०० श्वेतवर्णी आदिमयों की भीड़ ने भारतीय-मूल के घरों पर हमला बोल दिया। हमलावरों का ध्येय भारतीयों को स्थानीय लकड़ी मिलों में काम करने से रोकने का था। यह भारतीय अधिकतर सिख थे, हालांकि अमेरिकी अख़बारों में उन्हें 'हिन्दू' कहा गया था। उनपर हमला करने वालों में से बहुत से 'एशिऐटिक ऍक्सक्लूझ़न लीग' के सदस्य थे, जिनका मक़सद एशियाई लोगों को अमेरिका में न बसने देना था।[1]
भीड़ ने भारतीयों को घरों से निकालकर सड़कों पर फेंका, उन्हें पीटा और उनकी मूल्यवान संपत्तियाँ छीन ली। पुलिस ने पीड़ितों की सहायता करने की बजाए भारतीयों को घेरकर ज़बरदस्ती नगरपालिका गृह में यह कहकर बंद कर दिया कि यह उनकी अपनी सुरक्षा के लिए है। ६ भारतीयों का अस्पताल में उपचार हुआ और ४१० को बेलिंघम जेल में बंद कर दिया गया। दलील फिर यही थी कि यह उनकी अपनी सुरक्षा के लिए है। हमला करने वालों में से किसी को भी नहीं पकड़ा गया।
दंगे-पीड़ितों में से कुछ बेलिंघम छोड़कर वॉशिन्गटन राज्य के ही ऍवरेट (Everett) इलाक़े चले गए, लेकिन दो महीने बाद वहाँ भी उनके विरुद्ध हमले हुए। कैलिफ़ोर्निया राज्य में और कनाडा के वैनकूवर क्षेत्र में भी उस काल में ऐसे दंगे हुए।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ 1907 Bellingham Riots Archived 2012-11-28 at the वेबैक मशीन, Seattle Civil Rights and Labor History Project