अमेरिकी कांग्रेस

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संयुक्त राज्य अमेरिका के संघीय सरकार की द्विसदनी विधायिका को अमरीकी कांग्रेस (The United States Congress) कहते हैं। सीनेट (Senate) एवं हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव्स (House of Representatives) इसके दो सदन हैं। अमरीकी कांग्रेस की बैठकें यूएसए की राजधानी वाशिंगटन डीसी में होतीं हैं।

'कांग्रेस' लातीनी शब्द है जिसका अर्थ "साथ आना" है। कांग्रेस शब्द का प्रयोग पहली बार १७वीं शताब्दी में किया गया था। जब किसी देश के सम्राट् या उसके पूर्णशक्तिप्राप्त महादूत किसी गंभीर अंतरराष्ट्रीय समस्या का समाधान करने के लिए कृतसंकल्प होकर सम्मिलित होते हैं तब ऐसी सभा को कांग्रेस कहते हैं। विद्वानों की मंडली को भी कांग्रेस कहा जा सकता है। संयुक्त राज्य अमरीका के संघीय एवं संघांगों की व्यवस्थापिका सभाओं के लिए कांग्रेस शब्द का प्रयोग किया गया है।

परिचय[संपादित करें]

संयुक्त राज्य अमरीका का संविधान, संघीय संविधान है। इस संविधान में शक्तिसंतुलन एवं अधिकारविभाजन के सिद्धांत को मान्यता दी गई है। संविधान निर्माताओं ने संयुक्त राज्य अमरीका की विधिनिर्माण की सत्ता को एक कांग्रेस के अधीन रखा है, जिसके सिनेट और हाउस ऑव रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ नाम से दो सदन हैं। राष्ट्रीय कनवेंशन में अत्यधिक मतभेद रहा है। अंत में संविधान निर्माताओं ने अपनी व्यावहारिक कुशलता का परिचय देते हुए यह निर्णय किया कि हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ का संगठन राष्ट्रीय आधार पर किया जाए तथा सिनेट को संघांगों की स्वतंत्र अस्तित्व की भावना को बनाए रखने की दृष्टि से संगठित किया जाए। अत: सिनेट एवं हाउस ऑव रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ का सम्मिलित रूप ही कांग्रेस है। संविधान निर्माताओं ने सिनेट के संगठन में संघांगों की स्वतंत्रता की भावना को एवं हाउस ऑव रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ के संगठन में राष्ट्रीय एकता की भावना को यथायोग्य स्थान दिया है। इस प्रकार कांग्रेस के संगठन में विरोधी भावनाओं का सुंदर समन्वय दिखलाई पड़ता है। संयुक्त राज्य अमरीका ने संघीय विधानमंडल का नाम कांग्रेस इसलिए रखा कि यह शब्द संघात्मक सरकार का परिचायक है। यह सत्य है कि साधारणतया कांग्रेस के संगठन एवं अधिकारों में बहुत ही कम परिवर्तन हुआ है। संविधान निर्माताओं ने कांग्रेस के संगठन एवं अधिकारों के संबंध में जो कल्पना की थी, उसका पूर्ण आभास वर्तमान कांग्रेस में है।

सिनेट एवं हाउस ऑव रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ के प्रतिनिधियों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन से होगा। संयुक्त राज्य अमरीका के २१ वर्ष से अधिक वय के प्रत्येक स्त्री पुरुष को निर्वाचन में मतदान का अधिकार है। सिनेट के सदस्यों की योग्यता यह है : कम से कम ३० वर्ष की वय का हो, नौ बरस की संयुक्त राज्य की नागरिकता हो तथा उस राज्य का निवासी हो जिससे वह चुना जानेवाला हो। हाउस ऑव रिप्रेज़ेंटटिव्ज़ के सदस्यों के लिए यह योग्यता है : कम से कम २५ साल की वय का हो, सात वर्ष की संयुक्त राज्य की नागरिकता हो तथा उस संघांतरित राज्य का निवासी हो जहाँ से उसका निर्वाचन होनेवाला है।

सिनेट के सदस्यों का कर्यकाल छह बरस के लिए निर्धारित है। किंतु प्रति दूसरे वर्ष एक तिहाई सदस्यों का नया निर्वाचन होता है। संयुक्त राज्य की सिनेट का निर्माण प्रत्येक राज्य के दो-दो प्रतिनिधियों से होता है जो उसकी जनता द्वारा छह वर्ष के लिए चुने जो हैं। हाउस ऑव रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ संयुक्त राज्य के विधानमंडल का अधिक प्रतिनिधि सदन है। हाउस ऑव रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ के सदस्यों की संख्या संघांतरित राज्य की आबादी के अनुसार निर्धारित की गई है, अर्थात्‌ ३,००,००० व्यक्तियों के पीछे एक प्रतिनिधि चुना जाता है। परंतु यह भी शर्त है कि प्रत्येक संघांतरित राज्य का कम से कम एक प्रतिनिधि अवश्य निर्वाचित हो। इस प्रकार संघवाद के सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक संघांतरित राज्य का समान प्रतिनिधित्व आवश्यक था। अत: सिनेट के संगठन में इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया है और हाउस ऑव रिप्रेज़ेंटिव्ज़ जनतंत्र तथा संपूर्ण राष्ट्र की एकता का प्रतीक है।

साधारणतया यह कहा जा सकता है कि ऐसे राष्ट्रीय विषयों के अधिकार जिनका संविधान में उल्लेख नहीं है और जो कांग्रेस के लिए वर्जित नहीं है, कांग्रेस के दोनों सदनों को समान रूप से प्राप्त हैं। परंतु कुछ अधिकार ऐसे भी हैं जो उसके दोनों सदनों को न देकर केवल एक ही सदन को दिए गए हैं। अत: कांग्रेस के अधिकारों का अध्ययन तीन क्षेत्रों में किया जा सकता है (१) हाउस ऑव रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ के विशेषाधिकार, (२) सिनेट के विशेषाधिकार तथा (३) कांग्रेस के अधिकार।

हाउस ऑव रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ के विशेषाधिकार निम्नांकित हैं :

  • (१) आयसंबंधी विधेयकों का प्रारंभ,
  • (२) महाभियोग आरोपण,
  • (३) निर्धारित अवस्था में राष्ट्रपति का निर्वाचन।

सिनेट के विशेषाधिकार हैं:

  • (१) उपराष्ट्रपति का निर्वाचन,
  • (२) महाभियोग का निर्णयन,
  • (३) राष्ट्रपति द्वारा की गई नियुक्तियों का पुष्टीकरण,
  • (४) विदेशी राज्यों के साथ की गई संधियों का पुष्टीकरण।

कांग्रेस के दोनों सदनों के वर्णित विशेषाधिकारों के अतिरिक्त कुछ अधिकार ऐसे हैं जो दोनों सदनों को समान रूप से प्राप्त हैं और दोनों सदन मिलकर संविधान के अंतर्गत इनका प्रयोग करते हैं। ये अधिकतर निम्नलिखित हैं :

  • (१) कांग्रेस के दोनों सदनों को दो तिहाई बहुमत से संविधान में संशोधन के प्रस्ताव प्रस्तुत करने का अधिकार,
  • (२) दोनों सदनों का अपने-अपने निर्वाचनों के समय, स्थान तथा निर्वाचन के ढंग को निश्चित करना,
  • (३) संघीय कार्यपालिका के विभिन्न विभागों तथा विभिन्न संघीय पदाधिकारियों के पदों के निर्माण का अधिकार,
  • (५) न्याय संबंधी कतिपय अधिकार भी कांग्रेस के अंतर्गत हैं,
  • (६) परराष्ट्र-संबंध-संचालन तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों से संबद्ध कतिपय अधिकार,
  • (७) कांग्रेस को १३ विषयों में विधिनिर्माण का अधिकार है।

कांग्रेस के अधिकार आदेशात्मक नहीं हैं। "कांग्रेस इन विषयों पर विधि बना सकेगी' ऐसे शब्दों का प्रयोग संविधान में किया गया है। उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट ही है कि कांग्रेस केवल विधिनिर्माण की संस्था नहीं है। यह संविधाननिर्माता है तथा कार्यपालिका एवं न्यायपालिका संबंधी भी कुछ अधिकार इसे प्राप्त हैं।

मोटे तौर से देखते हुए यह ज्ञात होता है कि दोनों भवनों के अधिकार समान हैं। प्रत्येक विधेयक का दोनों भवनों में पारित होना आवश्यक है। प्रजातंत्र की भावना को जागृत रखने के लिए यह नितांत आवश्यक है कि धन विधेयकों का प्रारंभ हाउस ऑव रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ में हो। प्रजातंत्र प्रणाली में निष्ठा रखनेवाले सभी देशों में यह परंपरा है कि धन विधेयक तथा वार्षिक आय व्यय के ब्योरे के लिए प्रथम सदन ही अधिक अधिकारी हो। किंतु संसार के अन्य दूसरे सदनों की तुलना में यह कहा जा सकता है कि संयुक्त राज्य अमरीका का दूसरा सदन बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली सिद्ध हुआ है क्योंकि एक ओर यह अपनी अनुमति एवं मंत्रणा के अधिकार द्वारा राष्ट्रपति को निरंकुश होने से रोकता है और दूसरी और हाउस ऑव रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ के आवेशपूर्ण तथा कम विवेकशील विधेयकों को रोकने में सहायक होता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

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