अमेठी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
अमेठी
Amethi
{{{type}}}
अमेठी रेलवे स्टेशन
अमेठी रेलवे स्टेशन
Amethii
Amethii
अमेठी
उत्तर प्रदेश में स्थिति
Amethii
Amethii
अमेठी
अमेठी (भारत)
Amethii
Amethii
अमेठी
अमेठी (एशिया)
निर्देशांक: 26°09′18″N 81°48′36″E / 26.155°N 81.810°E / 26.155; 81.810निर्देशांक: 26°09′18″N 81°48′36″E / 26.155°N 81.810°E / 26.155; 81.810
देश भारत
प्रान्त उत्तर प्रदेश
ज़िलाअमेठी ज़िला
जिला गठन2010 जुलाई 1; 13 वर्ष पूर्व (1-07-2010)
मुख्यालयगौरीगंज
शासन
 • सांसदस्मृति ईरानी
ऊँचाई100 मी (300 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल13,849
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
 • क्षेत्रीयअवधी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड227405
दूरभाष कोड+91-5368
वाहन पंजीकरणUP-36
लिंगानुपात1000 / 908
साक्षरता59.14
वेबसाइटwww.amethi.nic.in

अमेठी (Amethi) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य एक प्रमुख शहर एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। नगरकेन्द्र में प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मन्दिर स्थित है।[1][2]

विवरण[संपादित करें]

अमेठी एक प्रमुख शहर एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। अमेठी उत्तर प्रदेश का 72वां जिला है जिसे B.S.P. सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 1 जुलाई 2010 को अस्तित्व में लाया गया था। अमेठी में सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज तथा रायबरेली जिले की दो तहसील सलोन और तिलोई को मिला कर एक जिले का रूप दिया गया है। गौरीगंज शहर अमेठी जिले का मुख्यालय है। शुरुआत में इसका नाम छत्रपति साहूजी महाराज नगर था परन्तु इसे पुनः बदलकर अमेठी कर दिया गया है। अमेठी जिले का एक महत्वपूर्ण शहर और नगर पंचायत क्षेत्र है। इसे रायपुर-अमेठी भी कहा जाता है। यह भारत के गांधी परिवार की कर्मभूमि है। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु उनके पोते संजय गाँधी, राजीव गाँधी तथा उनकी पत्नी सोनिया गाँधी ने इस जिले का प्रतिनिधित्व किया है। 2014 आम चुनाव में राहुल गाँधी यहाँ से साँसद चुने गए। कोरवा अमेठी में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की एक इकाई है जो भारतीय वायु सेना के लिए विमान बनाती है। अमेठी में इंडो गल्फ फर्टीलाइशर्स की एक खाद बनाने की इकाई भी मौजूद है।

ज़िला[संपादित करें]

अमेठी उत्तर प्रदेश का 72वां जिला है जिसे बीएसपी सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 1 जुलाई 2010 को अस्तित्व में लाया गया था मूल रूप से अमेठी की स्थापना 1 जुलाई 2010 को हुई लेकिन अमेठी रियासत का इतिहास एक हजार वर्ष से भी पुराना है। अमेठी को सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज तथा रायबरेली जिले की दो तहसील सलोन और तिलोई को मिला कर एक जिले का रूप दिया गया है। गौरीगंज शहर अमेठी जिले का मुख्यालय है।|[3][4]

स्थल[संपादित करें]

  • LBA MUSIC PRODUCTION GAURIGANJ AMETHI
  • महर्षि पिप्पलाद आश्रम : पीपरपुर ग्राम सभा में मनोरमा नदी के पूर्वी तट पर महर्षि पिप्पलाद का पावन पौराणिक आश्रम स्थित है। यहाँ शाखा शारदा नहर से निकले चिलबिला रजबहा मार्ग द्वारा फतुहवा नामक गाँव से होते हुए पहुँचा जा सकता है। आश्रम में महर्षि की मूर्ति एवम् प्राण प्रतिष्ठित शिव लिंग स्थापित है।
  • माँ अहोरवा भवानी देवी धाम सिंघपुर ब्लाक ,माँ हिंगलज देवी धाम दादरा मुसाफिरखाना ब्लॉक,माँ दुर्गनभवानी देवी धाम सैठा रोड गौरीगंज ब्लाक,अमेठी जिले में स्थित प्रमुख तीर्थस्थल है, माँ कालिकन देवी धाम अमेठी जिले में स्थित एक तीर्थस्थल है, जो च्यवन मुनि की तपस्थली के रूप में ख्यात है।
  • कादूनाला- मुसाफिर खाना तहसील में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान जहाँ पर १८५७ई० में "भालेसुल्तान क्षत्रियों" द्वारा अंग्रेजो के साथ लड़ाई हुई,जिसमे सैकड़ो क्षत्रियों ने अपने प्राणों कि आहुति दी! जिसके याद में मुसाफिर खाना तहसील से ५ किमी० पश्चिम में कादुनाला पुल के आगे थौरी मार्ग पर एक विशाल शहीद स्मारक का निर्माण हुआ,और प्रत्येक वर्ष कार्तिक एकादशी के दिन यहाँ मेला का आयोजन होता है!

इतिहास[संपादित करें]

अमेठी रियासत का इतिहास एक हजार वर्ष से भी पुराना है।

  • राजा सोढ़ देव ने तुर्कों के आक्रमण के दौरान 966 ई. में इस रियासत की स्थापना की थी। तब से अब तक अमेठी रियासत ने कई झंझावातों को झेला लेकिन उसका मान-सम्मान और गरिमा बनी रही। रियासत के हर नरेश ने इसका ख्याल रखा। राजा सोढ़ देव ने 966 ई. से 1007 ई. तक रियासत पर शासन किया। तुर्कों के बाद मुगल शासकों ने भी इस रियासत पर हमले किए।
  • अंग्रेजों ने अमेठी रियासत के विलय का भी प्रयास किया, जिसमें वे असफल रहे। 1842 में राजा विशेषवर बख्श सिंह की मौत हो गई। उनकी मौत के बाद रानी पति के मृत शरीर को गोद में लेकर सती हो गईं। मान्यता के अनुसार आज भी क्षेत्र की महिलाएं प्रत्येक गुरुवार को सती महारानी मंदिर पर दुरदुरिया का आयोजन कर सुहागिन रहने का आशीर्वाद मांगती हैं।
  • राजा विशेषवर बख्श सिंह के बाद राजा लाल माधव सिंह ने 1842 में गद्दी संभाली।
  • 1891 में इनकी मृत्यु के बाद राजा भगवान बख्श सिंह अमेठी के राजा बने। राजा भगवान बख्श सिंह के चार पुत्र जंगबहादुर सिंह, रणवीर सिंह, रणंजय सिंह और शत्रुंजय सिंह थे। रणवीर सिंह की कम उम्र में मौत हो गई। जंग बहादुर सिंह और शत्रुंजय सिंह के औलाद नहीं थी। राजा रणंजय सिंह भी संतानहीन थे।
  • 1962 ई. में राजा रणंजय सिंह ने ब्लॉक भेटुआ के अमेयमाफी निवासी गयाबख्श सिंह के पुत्र संजय सिंह को अपना दत्तक पुत्र बनाया। उस समय संजय सिंह कक्षा पांच की पढ़ाई कर रहे थे।

राजनीतिक इतिहास[संपादित करें]

अमेठी क्षेत्र में इस शक्ति संपन्न राष्ट्रीय-राजनीतिक गांधी परिवार की आमद सक्रिय रूप से सर्वप्रथम 1975 में हुई, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र संजय गांधी ने अमेठी के अति पिछड़े गांव खेरौना में देशभर के चुनिंदा युवा कांग्रेसियों के साथ श्रमदान के माध्यम से सक्रिय राजनीति में आने का बिगुल बजाया। हालांकि ये बात अलग है कि आज तक उस खेरौना गांव की स्थिति जैसी कि तैसी ही बनी हुई है।

  • संजय गांधी के अमेठी में सक्रिय होने के साथ ही देश में आपातकाल घोषित हो चुका था। इसके बाद 1977 में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में संजय गांधी और इंदिरा गांधी की बुरी तरह पराजय हुई थी। इसके साथ ही उत्तर भारत में कांग्रेस बुरी तरह से पराजित हुई। यूपी, एवं बिहार में खाता ही नहीं खुला।
  • 1977 में अमेठी के ही निवासी रवींद्र प्रताप सिंह ने संजय गांधी को हराकर संसद में प्रवेश किया।
  • 1980 में संपन्न मध्यावधि चुनाव में इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस की वापसी हुई। इन्दिरा रायबरेली से पुन: निर्वाचित हुई जबकि संजय गांधी अमेठी के सांसद बने, लेकिन एक विमान दुर्घटना में संजय गांधी की मौत हो गई।

गांधी परिवार ने कुछ समय बाद इस सदमें से उबरते हुए अमेठी के सियासी परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजकुमार संजय सिंह सहित विभिन्न नेताओं के प्रयास एवं अनुरोध के फलस्वरुप राजीव गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारा और वह 1981 में अमेठी से सांसद बने तथा अपने जीवन के अंतिम समय (20 मई 1991) तक संसद में अमेठी की रहनुमाई करते रहे। इसी दौरान संजय गांधी की पत्नी मेंनका गांधी पारिवारिक विवाद के कारण इंदिरा गांधी से अलग हो गईं। इसके बाद 1984 में इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद उपजी जटिल परिस्थितियों में राजीव गांधी को प्रधानमंत्री का पद स्वीकार करना पड़ा था। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ ही महीनों के बाद संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में सहानुभूति लहर का बेहद प्रभाव रहा तथा कांग्रेस को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ और राजीव गांधी देश के पुन: प्रधानमंत्री बने। विशेष रूप से युवाओं में राजीव 'मिस्टर क्लीन' के रूप में मशहूर हुए।

देश फिर एक और चुनाव की ओर बढ़ ही रहा था कि इसी दौरान 1991 में चुनाव अभियान के दौरान ही राजीव गांधी की नृशंस हत्या कर दी गई। गांधी परिवार के लिए ये अब तक का सबसे बड़ा झटका था, क्योंकि अकेली सोनिया के साथ उनके छोटे बच्चे राहुल और प्रियंका भी थे। कांग्रेस को इसका सियासी फायदा मिला और उसकी सत्ता में वापसी हुई। वहीं राजीव गांधी की अमेठी की विरासत को उनके परिवार के बेहद करीबी कैप्टन सतीश शर्मा ने संभाला। गांधी परिवार से करीबी का सतीश शर्मा को फायदा भी मिला और वह दो बार लगातार न सिर्फ सांसद बने बल्कि केंद्र में पेट्रोलियम मंत्री का भी कार्यभार उन्हें सौंपा गया। उन्हीं के कार्यकाल में अमेठी क्षेत्र में राजीव गांधी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की आधारशिला रखी गई। वर्ष 2008 से यहां कक्षाएं संचालित हो रही हैं।

  • 1998 के लोक सभा चुनाव में अमेठी रियासत के राजकुमार डॉ. संजय सिंह ने भाजपा का दामन थामकर कैप्टन सतीश शर्मा के विजय रथ को रोक लिया। संयोगवश शीघ्र ही संसदीय चुनाव घोषित हुए और इस बार सोनिया गांधी ने अपने पति की पूर्व संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इस बीच रायबरेली की विशिष्ट सीट भी उनके 'अपनों' के ही कब्जे में रही। गांधी परिवार ने इसके बाद सियासत को खुलकर अपनाया और बाद में सोनिया गांधी ने जहां अपनी सास इंदिरा गांधी की संसदीय सीट रही रायबरेली को अपनाया वहीं उनके बेटे राहुल गांधी ने पिता की सियासत का गढ़ रहे अमेठी का नेतृत्व किया।
  • राहुल गांधी 2004 के आम चुनाव में पहली बार अमेठी से सांसद बने ,२०१४ के चुनावों में भी अमेठी की जनता ने राहुल गाँधी को चुना, जिनके प्रतिद्वंद में स्मृति ईरानी और कुमार विश्वास थे |
  • स्मृति ईरानी 2019 के आम चुनाव में पहली बार अमेठी से सांसद बनी, 2019 में राहुल गांधी को हराकर यह जीत हासिल की ।

परिवहन[संपादित करें]

अमेठी भारतीय रेल और सड़कों के माध्यम से भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, देहरादून, हरिद्वार, इलाहाबाद, वाराणसी, कोलकाता, पुरी, भोपाल, मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई से भलीभांति एवं सुगमतापूर्वक जुड़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम बसों की एक संख्या से अमेठी निर्बाध स्थानीय और राष्ट्रीय कनेक्टिविटी प्रदान करता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
  3. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  4. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975