"हिन्दू धर्म की आलोचना": अवतरणों में अंतर

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हिन्दू धर्म की कई रीतियाँ जिनका समय समय पर विरोध किया जाता रहा है, उनमें से प्रमुख हैं-
हिन्दू धर्म की कई रीतियाँ जिनका समय समय पर विरोध किया जाता रहा है, उनमें से प्रमुख हैं-
* [[जाति प्रथा]] के फलस्वरूप उपजी छुआछूत जैसी कुरीतियाँ, लगभग बीस करोड़ से अधिक दलित लोगों के साथ असमानता का अनुचित व्यवहार व ब्राह्मणों को समाज में अनुपयुक्त विशेषाधिकृत स्थान। <ref name=hindouisime>Madeleine Biardeau, ''L'hindouisme, anthropologie d'une civilisation'', Flammarion</ref>
* [[जाति प्रथा]] के फलस्वरूप उपजी छुआछूत जैसी कुरीतियाँ, लगभग बीस करोड़ से अधिक दलित लोगों के साथ असमानता का अनुचित व्यवहार व ब्राह्मणों को समाज में अनुपयुक्त विशेषाधिकृत स्थान। <ref name=hindouisime>Madeleine Biardeau, ''L'hindouisme, anthropologie d'une civilisation'', Flammarion</ref>
* [[अस्पृश्यता]] (छुआ-छुत/न छूना) –किसी अछूत/दलित/अस्पृश्य व्यक्ती या समूह के सभी लोगों के शरीर को सीधे छूने से बचना या रोकना। अस्पृश्य या अछूत लोगों से छूने, यहाँ तक कि उनकी परछाई भी पड़ने से उच्च जाति के लोग 'अशुद्ध' हो जाते है और अपनी शुद्धता वापस पाने के लिये उन्हें पवित्र गंगा-जल में स्नान करना पड़ता है, ये मान्यता है।
* [[अस्पृश्यता]] (छुआछुत) –
* [[सती प्रथा]] - हिन्दू विधवाओं द्वारा मृत पति की चिता के साथ जीवित जल जाने की प्रथा
* [[सती प्रथा]] - हिन्दू विधवाओं द्वारा मृत पति की चिता के साथ जीवित जल जाने की प्रथा
* बाल विवाह
* बाल विवाह

19:58, 10 अक्टूबर 2019 का अवतरण

चित्रित: सती प्रथा के अनुसार हिन्दू विधवा अपना पति की लाश से उसका अपना शरीर को भी जीवित होने पर जलाया जाता है - अतः उसकी आत्महत्या करायी गयी

हिन्दू धर्म की आलोचना से तात्पर्य हिन्दू धर्म के अनुयायियों द्वारा आयोजित प्रथाओं तथा विश्वासों की आलोचना से है। यह आलोचना दोनों हिन्दू एवं ग़ैर-हिन्दू विचारकों द्वारा की गई है। धार्मिक आलोचना एक संवेदनशील मुद्दा है तथा धर्म के अनुयायी इससे असहमत भी होते हैं किंतु गौरतलब है कि आलोचनाओं के फलस्वरूप ही कई सामाजिक सुधार संभव हो पाए। प्रारंभिक हिन्दू सुधारकों ने भी भेदभाव व कुरीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाई तथा कई हिन्दू समाजसुधारक आंदोलन भी चलाए गए। [1][2][3][4][5]

आलोचना के मुख्य बिन्दु

हिन्दू धर्म की कई रीतियाँ जिनका समय समय पर विरोध किया जाता रहा है, उनमें से प्रमुख हैं-

  • जाति प्रथा के फलस्वरूप उपजी छुआछूत जैसी कुरीतियाँ, लगभग बीस करोड़ से अधिक दलित लोगों के साथ असमानता का अनुचित व्यवहार व ब्राह्मणों को समाज में अनुपयुक्त विशेषाधिकृत स्थान। [6]
  • अस्पृश्यता (छुआ-छुत/न छूना) –किसी अछूत/दलित/अस्पृश्य व्यक्ती या समूह के सभी लोगों के शरीर को सीधे छूने से बचना या रोकना। अस्पृश्य या अछूत लोगों से छूने, यहाँ तक कि उनकी परछाई भी पड़ने से उच्च जाति के लोग 'अशुद्ध' हो जाते है और अपनी शुद्धता वापस पाने के लिये उन्हें पवित्र गंगा-जल में स्नान करना पड़ता है, ये मान्यता है।
  • सती प्रथा - हिन्दू विधवाओं द्वारा मृत पति की चिता के साथ जीवित जल जाने की प्रथा
  • बाल विवाह
  • अनुष्ठान व बलिदान की प्रथाओं में निर्दोष पशुओं की हत्या
  • दहेज प्रथा - इस प्रथा के अत्यंत दुरुपयोग के कारण सरकार ने दहेज प्रतिबंध अधिनियम, १९६१ लागू करके इसे ग़ैर-क़ानूनी घोषित कर दिया।[7]
  • मूर्तियों की पूजा की जाती है[6]

प्रमुख आलोचक/सुधारक आंदोलन

सन्दर्भ

  1. Axel Michaels, Hinduism: Past and Present 188-97 (Princeton 2004) ISBN 0-691-08953-1
  2. Nitin Mehta (2006-12-08). "Caste prejudice has nothing to do with the Hindu scriptures". द गार्डियन. अभिगमन तिथि 2006-12-08.
  3. M V Nadkarni (2003-11-08). "Is Caste System Intrinsic to Hinduism? Demolishing a Myth". Economic and Political Weekly. मूल से 2007-03-12 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2006-12-08.
  4. "suttee." Encyclopædia Britannica. 2004 Encyclopædia Britannica Premium Service.
  5. Euthanasia and Hinduism - ReligionFacts
  6. Madeleine Biardeau, L'hindouisme, anthropologie d'une civilisation, Flammarion
  7. Amnesty International : La dot met en danger les femmes indiennes