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पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय

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पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय
عدالت عظمیٰ پاکستان
अदालत-ए उज़मा पाकिस्तान

فاحكم بين الناس بالحق
फ़ा'हुक़म बिन अल्'नास बा'हक़
अतः लोगों का आंकलन सत्य के आधार पर करो
(क़ुरान 38:26)
स्थापना 14 अगस्त 1947
बतौर संघीय अदालत
2 मार्च 1956; 68 वर्ष पूर्व (1956-03-02)
मौजूदा अवस्था में
अधिकार क्षेत्र पाकिस्तान
स्थान इस्लामाबाद
निर्वाचन पद्धति कर्यपालिका चयन (योग्यता आधारित)
प्राधिकृत पाकिस्तान का संविधान
निर्णय पर अपील हेतु पाकिस्तान के राष्ट्रपति , क्षमादान / निर्णय में परिवर्तन हेतु
न्यायाधीशको कार्यकाल 65 वर्ष की आयु तक
पदों की संख्या 1 मुख्य न्यायाधीश + 16 न्यायाधीश
जालस्थल www.supremecourt.gov.pk
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश
वर्तमान न्यायमूर्ति अनवर ज़हीर जमाली
कार्य प्रारम्भ 10 सितंबर 2015
मुख्य पद समाप्ति बा हाल

पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय (उर्दू: [عدالت عظمیٰ پاکستان‎; अदालत- उज़्मा पाकिस्तान] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)), इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत है और पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था का शीर्ष हिस्सा है और पाकिस्तानी न्यायिक क्रम का शिखर बिन्दु है। पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान कानूनी और संवैधानिक मामलों में फैसला करने वाली अंतिम मध्यस्थ भी है। सर्वोच्च न्यायालय का स्थायी कार्यालय पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित है, जबकि इस अदालत की कई उप-शाखाएं, पाकिस्तान के महत्वपूर्ण शहरों में कार्यशील हैं जहां मामलों की सुनवाई की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान को कई संवैधानिक व न्यायिक विकल्प प्राप्त होते हैं, जिनकी व्याख्या पाकिस्तान के संविधान में की गई है। देश में कई सैन्य सरकारों और असंवैधानिक तानाशाही सरकारों के कार्यकाल में भी सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं को स्थापित कर रखा है। साथ ही, इस अदालत ने सैन्य शक्ति पर एक वास्तविक निरीक्षक के रूप में स्वयं को स्थापित किया है और कई अवसरों में सरकारों की निगरानी की है।

इस अदालत के पास, सभी उच्च न्यायालयों(प्रांतीय उच्च न्यायालयों, जिला अदालतों, और विशेष अदालतों सहित) और संघीय अदालत के ऊपर अपीलीय अधिकार है। इसके अलावा यह कुछ प्रकार के मामलों पर मूल अधिकार भी रखता है। सुप्रीम कोर्ट एक मुख्य न्यायाधीश और एक निर्धारित संख्या के वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा निर्मित होता है, जो प्रधानमंत्री से परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है। एक बार नियुक्त न्यायाधीश को, एक निर्दिष्ट अवधि को पूरा करने और उसके बाद ही रिटायर होने की उम्मीद की जाती है, जब तक कि वे दुराचार के कारण सर्वोच्च न्यायिक परिषद द्वारा निलंबित नहीं किये जाते हैं।

न्यायालय की इमारत

पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय को 1956 के संविधान द्वारा स्थापित किया गया था। इसने 1948 में, आदेश द्वारा स्थापित, संघीय अदालत(फ़ेड्रल कोर्ट)(जो 1935 में स्थापित, भारत की संघीय अदालत का पाकिस्तानी जोड़ीदार था) का नवरूप था। 1956 में इस के गठन के समय से ही इसने अपना न्यायिक अधिकार संजोए रखा है एवं अनेक सैनी सरकारों के कार्यकाल के दौरान भी यह अपना अधिकार जताने में सफल रहा है।

1956 के संविधान के अनुसार: उच्चतम न्यायालय कराँची में स्थापित थी, परंतु 1949 में इसे लाहौर में पुनर्स्थापित कर दिया गया, जहां यह मौजूदा लाहौर उच्च न्यायालय के भवन में कार्यशील था। [भारत का संविधान| (पाकिस्तान के पास खुद का कुछ नहीं है)1973 के संविधान]] के दस्तावेज़ मैं सर्वोच्च न्यायालय को इस्लामाबाद में स्थापित करने की बात की गई है एवं यह आशा जताई गई है की सर्वोच्च न्यायालय देश की राजधानी में स्थापित हो। परंतु राशि के अभाव के कारण न्यायालय के भवन को उस समय इस्लामाबाद में नहीं निर्मित किया जा सका था। अतः 1974 में न्यायालय को लाहौर से रावलपिंडी ले आया गया। 1989 में, सरकार द्वारा इस्लामाबाद में सर्वोच्च न्यायालय के नए भवन के निर्माण के लिए धनराशि आवंटित की गई। इस्लामाबाद के कंस्टिच्यूशन ऐवेन्यू("संविधान गामिनी") पर स्थित मौजूदा भवन के निर्माण की शुरुआत केवल 1990 में ही हो सकी, परंतु मुद्रा के अभाव के कारण 1993 तक केवल मुख्य भवन का निर्माण ही किया जा सका, अतः आगे के निर्माण कार्य को 1993 में रोक दिया गया। 31 दिसंबर 1993 में नयायालय को रावलपिंडी से इस्लामाबाद मैं निर्मित भवन में पुनर्स्थापित किया गया एवं परिसर के अन्य भवनों के निर्माण को 2011 तक पूरा किया गया।

संवैधानिक प्रावधान

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पाकिस्तान के संविधान के भाग 7, अध्याय द्वितीय में अनुच्छेद 176 ता 191 में अदालत पाकिस्तान के विकल्प, लेआउट, नियमों और कर्तव्यों की पहचान की गई है। उनके लेख का सरसरी समीक्षा आभल में कहा गया है:

  • अनुच्छेद 176 - अदालत सेटिंग
  • अनुच्छेद 177 - मुख्य न्यायाधीश की योग्यता और नियुक्ति प्रक्रिया
  • अनुच्छेद 178 - मुख्य न्यायाधीश कार्यालय की शपथ
  • अनुच्छेद 179 - सेवानिवृत्ति या अलगाव के नियम
  • अनुच्छेद 180 - मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति, खाली सीट या नाकाबलयत बारे कानूनों
  • अनुच्छेद 181 - अदालत के दूसरे मनसनिन की अनुपस्थिति, खाली सीटों या नाकाबलयत बारे कानूनों
  • अनुच्छेद 182 - एड हॉक मनसनिन की नियुक्ति
  • अनुच्छेद 183 - अदालत की शारीरिक जगह या स्थान
  • अनुच्छेद 184 - सुप्रीम कोर्ट के दो या दो से अधिक सरकारों के बीच विवाद की स्थिति में अधिकार क्षेत्र
  • अनुच्छेद 185 - प्रार्थना या अपील के मामले में सुनवाई और निर्णय का अधिकार क्षेत्र
  • अनुच्छेद 186 - सुप्रीम कोर्ट के राष्ट्रपति को आवेदन में महत्वपूर्ण संवैधानिक और कानूनी मामलों पर सलाह देने का अहवाल
  • अनुच्छेद 186 ाल्फ़- जाए जांच और सुनवाई का अधिकार
  • अनुच्छेद 187 - आदेश और सोमोटो विकल्प
  • अनुच्छेद 188 - सुप्रीम कोर्ट के अपने ही निर्णयों और आदेशों बारे बदलाव और आलोचना विकल्प
  • अनुच्छेद 189 - पाकिस्तान की दूसरी सभी अदालतों में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर कायम रहने के आदेश
  • अनुच्छेद 190 - इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में तमाम उच्च प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारियों या अरबाब विकल्प न्यायालय पाकिस्तान के आदेश बजाआवरी और मदद के लिए प्रतिबद्ध हैं।

ऊपर वर्णित किए गए अवलोकन के अलावा, संविधान पाकिस्तान में जा बजा दूसरे अध्याय और वर्गों में कानूनी, संवैधानिक और घरेलू मामलों में अदालत से संपर्क करने का आदेश दिया गया है। पाकिस्तान के न्यायिक व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय का यह भूमिका स्पष्ट है कि वह पाकिस्तान के अन्य भागों में न केवल संवैधानिक और कानूनी नजर रखे बल्कि उनके सरकारी शाखाओं में विकल्प और कर्तव्यों की सही पहचान और वितरण भी अमल में लाए।

न्यायिक शक्तियाँ

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कथास्त शक्तियाँ

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संविधान की धाराएँ 176 से 190 सर्वोच्च न्यायालय को अनेक संवैधानिक अधिकार देते हैं, जिनके उपयोगन से राष्ट्रपति की कार्य स्वतंत्रता पर नियंत्रण व बाधाएँ डाली जा सकती है। उदाहरणस्वरूप: संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के पास क़ौमी असेम्ब्ली को भंग करने का अधिकार है, परंतु ऐसे किसी भी विवादास्पर भंगन को वैद्ध या अवैद्ध करार देने का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को दिया गया है। इसके अलावा राष्ट्रपति द्वारा लिये गए किसी भी निर्णय व आदेश के निरीक्षण व उसे गैर संवैधानिक व अवैध करार देने का अधिकार भी न्यायालय को दिया गया है। हालाँकि ये प्रावधान संविधान द्वारा अंकित किये गए हैं, परंतु इन्हें आमतौर पर उपयोग नहीं किया जाता है। परंतु यदि पाकिस्तान के संवैधानिक इतिहास के संदर्भ में देखा जाए तो ऐसे अधिकारों का इस्तेमाल कई अवसरों पर (विशेषतः सैन्य सरकारों के समय) किया जाता रहा है।

तथ्यास्पक शक्तियाँ

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कई विवादास्पद निर्णयों के बावजूद इस न्यायालय का पाकिस्तानी राजनीति में अहम स्थान है, अतः अनेक सैन्य सरकारों व राजनैतिक अनबन के दौरों के बाद भी इस न्यायालय ने अपना स्थान बनाए रखा है, एवं कई बार सेना के अवैध ताकतों पर लगाम डालती रही है, और यह पाकिस्तान के कुछ सबसे सम्माननीय संस्थानों में से एक है और आम जनता में इसे विश्वास की दृष्टि से देखा जाता है।

न्यायपालिका में स्थान

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पाकिस्तान
की राजनीति और सरकार

पर एक श्रेणी का भाग
संविधान

सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान की न्यायपालिका का शिकार बिंदु है, एवं पाकिस्तानी न्यायिक तंत्र का श्रेष्ठतम व उच्चतम न्यायालय है। पाकिस्तान की न्यायपालिका की श्रेणीबद्ध प्रणाली है जिसमें अदालतों के दो वर्गों है:

  • श्रेष्ठतर (या उच्च) न्यायपालिका और
  • अधीनस्थ (या निम्न) न्यायपालिका

श्रेष्ठतर न्यायपालिका में, उच्चतम न्यायालय के अतिरिक्त, संघीय शरीयत अदालत और पाँच प्रांतीय उच्च न्यायालयों आते हैं, जिसके शीर्ष पर सुप्रीम कोर्ट विराजमान है। सर्वोच्च न्यायालय के निचली स्तर पर, प्रत्येक चार प्रांतों एवं इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र के लिये गठित उच्च न्यायालय है। पाकिस्तान का संविधान, न्यायपालिका पर संविधान की रक्षा, संरक्षण व बचाव का दायित्व सौंपता है। ना उच्चतम न्यायालय, ना हीं, उच्च न्यायालय, जनजातीय क्षेत्रों(फाटा) के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग कर सकते हैं, सिवाय अन्यथा यदी प्रदान की जाय तो। आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के विवादित क्षेत्रों के लिये अलग न्यायिक प्रणाली है।

अधीनस्थ न्यायपालिका में वह न्यायालय हैं जो श्रेष्ठतर प्रणाली की अधीन आती है। इसमें, सिविल और आपराधिक जनपदीय न्यायालय व अन्य अनेक विशेष अदालतें शामिल हैं, जो, बैंकिंग, बीमा, सीमा शुल्क व उत्पाद शुल्क, तस्करी, ड्रग्स, आतंकवाद, कराधान, पर्यावरण, उपभोक्ता संरक्षण, और भ्रष्टाचार संबंधित मामलों में अधिकारिता का प्रयोग करती हैं। आपराधिक अदालतों को दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 के तहत बनाया गया था और सिविल अदालतें, पश्चिमी पाकिस्तान सिविल न्यायालय अध्यादेश, 1964 द्वारा स्थापित किए गए थे। साथ ही, राजस्व अदालतें भी हैं, जो कि पश्चिमी पाकिस्तान भू-राजस्व अधिनियम, 1967 के तहत काम कर रहे हैं।

इन सारे न्यायालयों द्वारा लिये गए निर्णय अपील-बद्ध हैं। अर्थात् निर्णय को उंची अदालतों में चुनौती दी जा सकती है। इसमें अंत्यत् निर्णयाधिकार सर्वोच्च न्यायालय का होता है।

मुख्य न्यायाधीश

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पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश, पाकिस्तान की न्यायपालिका के प्रमुख एवं उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होते हैं। वे उच्चतम न्यायालय के 16 न्यायाधीशों में वरिष्ठतम होते हैं। मुख्य न्यायाधीश पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी है एवं यह पाकिस्तान का उच्चतम न्यायालय पद है जो संघीय न्यायपालिका की नीति निर्धारण वह उच्चतम न्यायालय में न्यायिक कार्यों का कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। इस पद पर नियुक्ति के लिए नामांकन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा एवं नियुक्ति अंततः पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अदालत की सुनवाई पर अध्यक्षता करते हुए मुख्य न्यायाधीश के पास न्यायालय की नीति निर्धारण के लिए अत्यंत ताकत है। साथ ही आधुनिक परंपरा अनुसार मुख्य न्यायाधीश के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत राष्ट्रपति को शपथ दिलाने का भी महत्वपूर्ण संवैधानिक कार्य है पाकिस्तान के सर्वप्रथम मुख्य न्यायाधीश सर अब्दुल राशिद थे।

अन्य न्यायाधीश

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मौजूदा संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त, अधिकतम 16 और न्यायाधीश रह सकते हैं।

न्यायाधीशों की नियुक्ति व बर्खास्तगी

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पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य और 16 अन्य नियुक्त न्यायाधीशों के होते हैं। न्यायाधीश के रूप में अनुभव के 5 साल तक या वकील के रूप में 15 वर्षों के अनुभव वाल किसी व्यक्ति को ही सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद के लिए आवेदन करने का अधिकार है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति व्यक्तियों को अपने विवेक और कानून के विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव के आधार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई सिफारिश के बीच से न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं। सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशें को राष्ट्रपति पर बाध्यकारी है। अभ्यासतः, एक नियम के रूप में, सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है।

प्रत्येक न्यायाधीश 65 साल की उम्र तक पद धारण कर सकते हैं, जिस बीच वे जल्दी ही इस्तीफा द्वारा या संविधान के प्रावधानों के अनुसार पद से हटाया जा सकता है। अर्थात्, शारीरिक या मानसिक अक्षमता या दुराचार - जिसकी वैधता सर्वोच्च न्यायिक परिषद द्वारा निर्धारित की जाती है - के कारण कोई भी न्यायाधीश केवल संविधान द्वारा प्रदान किये गए प्रावधानों के आधार पर पद से कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व ही हटाया जा सकता है।

चिह्नशास्त्र

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ध्येयवाक्य

सर्वोच्च न्यायालय का ध्येयवाक्य क़ुरान- 38:26 से लिया गया है। इस्का सार यह है:

Insert the text of the quote here, without quotation marks.

प्रधान कार्यालय

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सर्वोच्च न्यायालय का भवन

सर्वोच्च न्यायालय भवन, सर्वोच्च न्यायालय का आधिकारिक एवं प्रधान कार्यालय है। यह इस्लामाबाद के प्रशासनिक क्षेत्र में मुख्य गामिनी, कंस्टिच्यूशन ऐवेन्यू(संविधान गामिनी) पर स्थित है। [1] यह भवन, संविधान गामिनी पर, दक्षिण स्थित प्रधानमंत्री सचिवालय व उत्तर स्थित, आईवान-ए सदर और संसद भवन के बीच विराजमान है। इसका पता: 44000 कंस्टिच्यूशन ऐवेन्यू, इस्लामाबाद, पाकिस्तान है।

इसकी रूपाकृती को, विख्यात जापानी वास्तुकार, केन्ज़ो तांगे ने पाकिस्तान पर्यावरण संरक्षण अभिकरण से मशवरे के बाद तईयार किया था। इस पूरे भवन समूह को इस्लामाबाद की राजधानी विकास प्राधिकरण की अभियंत्रिकी विभाग और पाकिस्तान की साईमेन्स इंजीनियरिंग नामक कंपनी ने बनाया था।[2]

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Google. "The address and location of the Supreme Court of Pakistan". Google. Google map inc. अभिगमन तिथि 5 January 2014.
  2. Govt. Pakistan. "Supreme Court Building". Govt. Pakistan. Supreme Court of Pakistan press. मूल से 1 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 January 2014.

बाहरी कड़ियाँ

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निर्देशांक: 33°43′41″N 73°05′55″E / 33.72806°N 73.09861°E / 33.72806; 73.09861