लज्जा (फ़िल्म)
लज्जा | |
---|---|
लज्जा का पोस्टर | |
निर्देशक | राजकुमार संतोषी |
लेखक |
रंजीत कपूर, राजकुमार संतोषी (संवाद) |
पटकथा |
अशोक रावत, राजकुमार संतोषी |
कहानी | राजकुमार संतोषी |
निर्माता | राजकुमार संतोषी |
अभिनेता |
मनीषा कोइराला, रेखा, अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ, माधुरी दीक्षित, अजय देवगन, महिमा चौधरी |
कथावाचक | भरत शाह |
छायाकार | मधु अंबट |
संपादक | वी एन मयेकर |
संगीतकार |
इलैयाराजा अनु मलिक |
वितरक | संतोषी प्रोडक्षंस |
प्रदर्शन तिथियाँ |
31 अगस्त, 2001 |
लम्बाई |
202 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिंदी |
लागत | ₹22 करोड़ (US$3.21 मिलियन)[1] |
कुल कारोबार | ₹15.23 करोड़ (US$2.22 मिलियन) घरेलू[1] |
लज्जा 2001 में बनी हिन्दी भाषा की सामाजिक नाट्य फिल्म है। इसका निर्देशन राजकुमार संतोषी द्वारा किया गया। यह फिल्म भारत में महिलाओं की दुर्दशा पर आधारित है। तथ्य यह है कि फिल्म में सभी मुख्य चार महिलाओं के नाम (मैथिली, जानकी, रामदुलारी और वैदेही) आदर्श हिंदू महिला सीता के नाम के संस्करण हैं। मनीषा कोइराला इस फिल्म की मुख्य नायिका है। अन्य प्रमुख भूमिकाओं में माधुरी दीक्षित, रेखा, महिमा चौधरी, अनिल कपूर और अजय देवगन शामिल हैं। जारी होने पर यह फिल्म भारत के बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप थी लेकिन भारत के बाहर व्यावसायिक सफलता रही थी।
संक्षेप
[संपादित करें]वैदेही (मनीषा कोइराला) अपने पति रघु (जैकी श्रॉफ) के साथ रहती है। बाहर से, वह एक परिष्कृत जीवन जीती है, लेकिन बंद दरवाजे के पीछे, उसका पति अभद्र है और विवाहेतर सबंधों में है। जब वह खुद की इस दुर्दशा पर सवाल उठाती है, तो उसे घर से निकाल दिया जाता है। वह अपने माता-पिता के घर वापस जाती है लेकिन वे भी उसे अस्वीकार करते हैं। वैदेही को जल्द ही पता चलता है कि वह गर्भवती है।
रघु एक कार दुर्घटना में घायल हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप वह कभी पिता नहीं बन सकता। जब उसे पता चलता है कि वैदेही गर्भवती है, तो वह उसे फोन करता है, पछतावे का ढोंग करता है और उसे वापस लौटने के लिए कहता है। वैदेही सहमत होती है, सोचती है कि रघु बदल गया है। रघु और उसके पिता ने बच्चे को उत्तराधिकारी बनाने की साजिश की हैं और अगर वैदेही हस्तक्षेप केरेगी तो उसे मार दिया जाएगा। इस बीच, वैदेही के एक दोस्त ने रघु के सच्चे इरादों के बारे में उसे सूचित किया और इसलिए वह उसके गुर्गे से बच निकलती है। राजू (अनिल कपूर), एक छोटा लेकिन दयालु चोर द्वारा उसकी मदद की जाती है। वह वैदेही की कहानी सुनता है और मदद करने के लिए उसे अपने पैसे देता है। रघु और उसके गुंडों से छिपने के लिए, वैदेही एक शादी के जशन में घुस जाती है।
शादी में, वह मैथिली (महिमा चौधरी) से मिलती है। वह मध्यम वर्गीय परिवार से दुल्हन होती है। मैथिली एक ऐसे आदमी से शादी कर रही है जो एक समृद्ध पृष्ठभूमि से है। दोनों महिलाएं साक्षी बनती हैं कि मैथिली के पिता को भव्य शादी की मांग से परेशान किया जा रहा है, जितनी उनकी हैसियत नहीं है। साथ ही उन्हें दहेज का भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। वैदेही ने राजू को चोरी के अपने पैसे देने के लिए मनाने की कोशिश की। वह शुरू में इनकार करता है लेकिन बाद में वो अपना फैसला बदलता है और अपना पैसा देने के लिये वापिस आता है। दूल्हे का दोस्त मैथिली से बलात्कार करने का प्रयास करता है। जैसे ही विवाह समारोह प्रगति पर होता है, अतिथियों में से एक अतिथि पैसे को पहचानता है जो उसी से चोरी किये गए थे। इसके अलावा, दूल्हे का दोस्त दूल्हे के परिवार को बताता है कि उसने मैथिली के कमरे में एक आदमी (राजू) को देखा था। मैथिली पर राजू के साथ पैसे के बदले यौन संबंध रखने का आरोप लगता है, जिससे राजू अपनी चोरी को स्वीकार कर लेता है क्योंकि स्थिति खराब होने लगती है। पर्याप्त सहन करने के बाद, मैथिली दूल्हे के परिवार का अपमान करती है और वे शादी से भाग जाते हैं।
इस बीच, वैदेही को रघु ने पाया, और उसे उसके साथ जाने को मजबूर होना पड़ा। रास्ते में वे विरोध प्रदर्शन का सामना करते हैं। रघु कार से बाहर निकलता है, जो वैदेही को भागने का मौका देता है। वह एक छोटे से शहर हरिपुर में आती है, जहां वह अपने सहयोगी के साथ प्यार में पड़ी मंच अभिनेत्री जानकी (माधुरी दीक्षित) से मिलती है। जानकी गर्भवती है, लेकिन विवाहित नहीं है। वह समाज के मानदंडों की परवाह नहीं करती है। थिएटर निर्देशक पुरुषोत्तम (टिन्नू आनन्द), जो कि एक बूढ़ा आदमी है उसपर लालसा रखता है। वह अपनी पत्नी लता (जया भट्टाचार्य) को अपने घर तक ही सीमित रखता है। पुरुषोत्तम जानकी के प्रेमी से उसके खिलाफ बातचीत करता है, जो उनके बीच अनबन पैदा करता है। उसे उसके प्रेमी द्वारा बच्चे का गर्भपात करने के लिए कहा जाता है, क्योंकि उसे संदेह है कि वह उसका असली पिता नहीं हो सकता है। वह अप्रत्यक्ष रूप से थियेटर निदेशक के साथ यौन संबंध रखने के लिए जानकी पर आरोप लगा रहा है। जानकी क्रोधित होती है और रामायण के प्रदर्शन के दौरान एक दृश्य में गड़बड़ कर देती है। यह दर्शकों में चिल्लाहट पैदा करता है और उस पर श्रोताओं द्वारा हमला किया जाता है, जिससे उसका गर्भपात हो जाता है। वैदेही ने पुरुषोत्तम से इस बात पर मुकाबला किया, जो उसके पति को फोन करने की धमकी देता है। हालांकि, लता हस्तक्षेप करती है और स्टेशन पर वैदेही को ले जाती है और उसे ट्रेन में बैठाती है।
ट्रेन को डाकुओं द्वारा लूट लिया जाता है लेकिन यात्रियों को स्थानीय डाकू बुलवा (अजय देवगन) द्वारा बचाया जाता है। वैदेही रक्त को देखने से बेहोश हो जाती है, और बुलवा उसे स्थानीय दाई, रामदुलारी (रेखा) के पास ले जाता है। रामदुलारी बहादुरी से गाँव के नेताओं वीरेंद्र (गुलशन ग्रोवर) और गजेंद्र (डैनी डेन्ज़ोंपा) का विरोध करती है, जो निर्दोष महिलाओं, युवा और बूढ़े लोगों का शोषण करते हैं। जब उसका शिक्षित पुत्र प्रकाश (शर्मन जोशी), जो कि वीरेंद्र और गजेंद्र की इच्छाओं के खिलाफ ग्रामीणों को शिक्षित करने की कोशिश कर रहा है, गजेंद्र की बेटी सुषमा (आरती छाबड़िया) से प्यार करता है, बहुत बवाल हो जाता है। गजेंद्र ने उसके घर में रामदुलारी को चुपचाप ताला लगाया और प्रकाश को खोजने के लिए तैयार हो गया। जब प्रकाश सुषमा के साथ भाग जाता है, वीरेंद्र और गजेंद्र अपने गुंडों के साथ रामदुलारी का बलात्कार करते हैं और उसे जिंदा जला देते हैं। क्रोध के रूप में, बुलवा और उसके आदमियों ने वीरेंद्र और उसके गुंडों को मार दिया। वैदेही सुषमा और प्रकाश के साथ बच निकले।
गजेंद्र राजनीति में कदम उठा रहा है। इसलिए जब स्थानीय अधिकारियों द्वारा उसकी सराहना की जाती है, वैदेही ने हस्तक्षेप किया और गजेंद्र को एक दिल दहलाने वाला भाषण के माध्यम से बलात्कारी और धोखेबाज के रूप में उजागर किया। इससे दर्शकों की सभी महिलाएँ गजेंद्र पर हमला करने के लिए प्रेरित होती हैं, जिसे बाद में बुलवा ने मार दिया। भाषण वैदेही के प्रति रघु का रवैया बदलता है और वह अपने तरीकों को सुधारने का फैसला करता है। दोनों उचित विवाहित जोड़े के रूप में न्यूयॉर्क लौट आए। वैदेही एक बेटी को जन्म देती है जिसका नाम रामदुलारी रखा जाता है। वह फिर से राजू से मिलती है, जो अब एक टैक्सी चालक है और मैथिली से विवाहित है। उन्होंने उसे जानकी की मुख्य भूमिका वाले एक चैरिटी नृत्य शो में आमंत्रित किया। उसके शो से सभी पैसे भारत में महिलाओं के संगठनों को जाते हैं।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- मनीषा कोइराला - वैदेही, प्रमुख पात्र
- जैकी श्रॉफ - रघुवीर "उर्फ़" रघु
- माधुरी दीक्षित - जानकी
- अजय देवगन - बुलवा
- रेखा - रामदुलारी
- अनिल कपूर - राजू
- महिमा चौधरी - मैथिली
- डैनी डेंजोंगपा - गजेंद्र
- सुरेश ओबेरॉय - रघु के पिता
- गुलशन ग्रोवर - वीरेंद्र
- टिन्नू आनन्द - पुरुषोत्तम
- बीना बैनर्जी - वैदेही की माँ
- शर्मन जोशी - प्रकाश, रामदुलारी का पुत्र
- गोविन्द नामदेव - हजारीलाल
- अंजान श्रीवास्तव - नेकचंद, मैथिली के पिता
- फरीदा ज़लाल - सरोज, मैथिली की माँ
- रोहिणी हट्टंगड़ी - श्रीमती हजारीलाल
- रितु शिवपुरी - अनिता
- रज़ाक ख़ान - फ़्रांसिस, रघुवीर का आदमी
- विजू खोटे - दामोदर
- जॉनी लीवर - फखरुद्दीन, रघुवीर का आदमी
- दीना पाठक - बुआ
- असरानी - गुलाबचंद
- उर्मिला मातोंडकर - नृत्यांगना, "आइए आइए" गाने में
- सोनाली बेंद्रे - नृत्यांगना, "मुझे साजन के घर जाना है" गाने में
- जगदीप - बंसीधर चक्कीवाला
- आरती छाबड़िया - सुषमा, गजेंद्र की बेटी
- जगदीप - बँसीधर चक्कीवाला
- समीर सोनी - मनीष
संगीत
[संपादित करें]गाने | |||||
---|---|---|---|---|---|
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | संगीतकार | गायक | अवधि |
1. | "आइए आजाइए आ ही जाइए" | समीर | अनु मलिक | अनुराधा श्रीराम | 6:42 |
2. | "कलियुग की सीता" | समीर | अनु मलिक | अनुराधा पौडवाल | 5:48 |
3. | "कलियुग की सीता" (II) | समीर | अनु मलिक | शुभा मुद्गल | 7:17 |
4. | "कौन डगर कौन शहर" | प्रसून जोशी | इलैयाराजा | लता मंगेशकर | 6:07 |
5. | "जियो जियो" | समीर | अनु मलिक | केके | 6:32 |
6. | "बडी मुश्किल" | समीर | अनु मलिक | अलका याज्ञनिक | 6:03 |
7. | "साजन के घर जाना है" | समीर | अनु मलिक | अलका याज्ञनिक, सोनू निगम, ऋचा शर्मा | 6:16 |
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
---|---|---|---|
2002 | माधुरी दीक्षित | जी सिने पुरस्कार - सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री | जीत |
माधुरी दीक्षित | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार | नामित | |
रेखा | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार | नामित |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ "लज्जा - मुख्य कलाकार". आईबौस नेटवर्क. मूल से 18 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित.