हिण्डौन तहसील

हिण्डौन उपजिला | |||||||
— उपजिला — | |||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||
देश | ![]() | ||||||
राज्य | राजस्थान | ||||||
ज़िला | करौली जिला | ||||||
मुख्यालय | हिण्डौन
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सबसे बड़ा नगर | हिण्डौन | ||||||
उपजिला कलेक्टर | कैलाशचन्द्र शर्मा | ||||||
जनसंख्या • घनत्व |
4,42,690[1] (2011 के अनुसार [update]) • 634/किमी2 (1,642/मील2) (2011 के अनुसार [update]) | ||||||
लिंगानुपात | M-50.6%/F-49.4% ♂/♀ | ||||||
आधिकारिक भाषा(एँ) | हिंदी, राजस्थानी | ||||||
क्षेत्रफल | 698 km² (269 sq mi) | ||||||
जलवायु तापमान • ग्रीष्म • शीत |
• 26.0 °C (79 °F) • 49.6 °C (121 °F) • 2.8 °C (37 °F) | ||||||
Central location: | 26°73′N 77°03′E / 27.217°N 77.050°E निर्देशांक: latitude minutes >= 60 {{#coordinates:}}: invalid latitude | ||||||
विभिन्न कोड
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निर्देशांक: 26°43′41″N 77°01′59″E / 26.728°N 77.033°E
हिण्डौन भारत के राज्य राजस्थान का एक उपजिला है।
इसे हिंदौन तथा हिंडोन के नाम से भी जाना जाता है। इसका मुख्यालय हिण्डौन है। यहां मुख्यतः मीणा समुदाय के लोग रहते हैं।
प्रमुख आकर्षक स्थल
[संपादित करें]नक्कश की देवी - गोमती धाम
[संपादित करें]नक्कश की देवी - गोमती धाम को हिण्डौन सिटी का हृदय कहा जाता है। यह हिण्डौन सिटी के मध्य में स्थित है। यह माता दुर्गा के एक रूप नक्कश की देवी का मंदिर है। कहा जाता है कि जब संत श्री गोमती दास जी महाराज यहाँ पर आए थे तो उन्हें रात्रि को कैला माता ने स्वप्न में अपने एक पीपल के नीचे दवे होने की सूचना दी। अगले ही दिन वहाँ खुदाई करने पर माता की दो चमत्कारी मूर्तियां मिली जिन्हें वहीं स्थापित कर माता का मंदिर बनवाया। मंदिर के पीछे की तरफ परम पूज्य ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 गोमती दास जी महाराज का विशालकाय मंदिर उनके शिष्यों द्वारा बनाया गया। जिसमें उनकी समाधि भी स्थित है। यहाँ पर चमत्कारी शिव परिवार, पँचमुखी हनुमानजी की प्रतिमा, राम मंदिर, यमराज जी आदि के मंदिर स्थित हैं। यहाँ पर एक वाटिका स्थित है। इसे गोमती धाम के नाम जाना जाता है। इसके एक तरफ विशालकाय तालाब जलसेन स्थित है।
नरसिंह जी मंदिर
[संपादित करें]नरसिंह जी मंदिर, हिण्डौन शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर, एक गुफा के रूप में स्थित है। हिन्दू पुराणों के अनुसार नरसिंह, भगवान विष्णु के अवतार हैं, जो भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के उद्देश्य से अवतरित हुए थे।[उद्धरण चाहिए]
श्री महावीरजी मंदिर
[संपादित करें]श्री महावीर जी हिण्डौन सिटी से 17 किलोमीटर दूर महावीरजी कस्वे मे स्थित है। यह मंदिर जैन धर्म की आस्था का केन्द्र है। इस मन्दिर मे भगवान महावीर कि मूंगा वर्णी पाषाण से निर्मित प्रतिमा है, जो की पद्मासन मे विराजित है। मंदिर के पास हि गम्भीरी नदी बहती है। महावीरजी कि प्रतिमा को जमीन से खोद कर प्राप्त किया गया है, जिससे से सम्बन्धित कथा है कि एक ग्वाले कि कामधेंनु गायें प्रतिदिन एक टीले पर जा कर अपना सारा दुध उस टीले पर फैला देती थीं। इस घटना से आश्चर्य चकित होकर ग्वाले व गाँव वालो ने उस टीले कि खुदाई कि तो वहाँ से महावीरजी कि मुर्ति निकली। जोधराज दीवान पल्लीवाल महावीर स्वामी भगवान के चमत्कार से प्रभावित होकर त्रि शिखरीय जिनालय का निर्माण करवाया और जैनाचार्य महानंद सागर सूरीश्वरजी जी महाराज से प्रतिष्ठा करवाई|यहाँ प्रतिवर्ष महावीर जयंती पर (अप्रैल माह मे) मेले का आयोजन किया जाता है, जो कि पाँच दिनो तक चलता है। मेले के अंतिम दिन रथ यात्रा निकाली जाती है व कई धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन किये जाते हैं। देशभर से हजारों श्रद्धालु इसमे सम्मिलित होने आते हैं।साँचा:जुगल किशोर शर्मा की पुस्तक
पहाड़ी क्षेत्र (हिल स्टेशन)
[संपादित करें]यहाँ मुख्यालय से 8-10 किलोमीटर दूर पूर्व की ओर बहुत विशालकाय पहाड़ी क्षेत्र स्थित है। जिसे हिण्डौन का डाँग इलाका के नाम से भी जानते है। यह हिण्डौन के वन क्षेत्र का एक भाग है। यहाँ आस पास छोटे-छोटे गाँवों वसे है। यह बहुत मनोरम क्षेत्र है। यहाँ के पास में ही जगर बाँधहै।[उद्धरण चाहिए] हिंंडोन से 3 किलोमीटर दूर सिकरोदा मीना गाँव है
तिमनगढ़ किला
[संपादित करें](40 किलोमीटर)

तीमनगढ़ हिण्डौन सिटी के निकट है। इस किले का निर्माण 12वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था। अपने समय में तिमनगढ़ स्थानीय सत्ता का केंद्र था। 1196 में यहां के राजा कुंवर पाल का हराकर मोहम्मद गौरी और उनके सेनापति कुतुबुद्दीन ने इस पर अपना कब्जा कर लिया था। इसके बाद राजा कुंवर पाल को रेवा के एक गांव में शरण लेनी पड़ी। किले के मुख्य द्वार पर मुगल स्थापत्य कला का प्रभाव दिखाई पड़ता है। लेकिन किले के आंतरिक हिस्सों पर यह प्रभाव नहीं है। इसकी दीवारें, मंदिर और बाजार अपने सही रूप में देखे जा सकते हैं। किले से सागर झील का विहंगम दृश्य भी देखा जा सकता है।[उद्धरण चाहिए]
श्री कैला देवी मंदिर
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श्री कैला देवी जी मंदिर हिण्डौन सिटी से 53 किलोमीटर दूर स्थित है। यह माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 1100 ई. में हुई थी। श्री कैला देवी पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लाखों लोगों की आराध्य देवी हैं। प्रतिवर्ष करीब 60 लाख श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आते हैं। यह मंदिर देवी दुर्गा के 9 शक्तिपीठों में से एक है। चैत्र नवरात्रों में यहां मेले का आयोजन किया जाता है।[उद्धरण चाहिए]
कैला देवी अभ्यारण्य
[संपादित करें](53 किलोमीटर) यह अभ्यारण्य हिण्डौन सिटी से 53 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है। इस अभ्यारण्य की सीमा कैलादेवी मंदिर के पास से शुरु होकर करन पुर तक जाती हैं और रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान से भी मिलती हैं। कैला देवी अभ्यारण्य में नीलगाय, तेंदुए और सियार के अलावा किंगफिशर में मिलते हैं।[उद्धरण चाहिए]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "2011 Census of India
date=16 अप्रैल 2011
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publisher= Indian government".
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