विषकपि

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विषकपि भगवान शिव और भगवान विष्णु का मिश्रित अवतार है। इस अवतार का स्वरूप कपि अर्थात् वानर का और शरीर आधा शिव और आधा विष्णु का था।

कथा[संपादित करें]

एक बार महाशनी नामक एक अत्यन्त शक्तिशाली असुर था। उस असुर ने ब्रह्मदेव को प्रसन्न कर अनाकेनेक वरदान प्राप्त किए। उसकी जटा में विद्युत की शक्ति थी। उसने समस्त देवलोक पर अधिकार कर लिया और देवराज इन्द्र को बन्दी बना लिया और इन्द्र के छोटे भाई वरुण की कन्या से बलपूर्वक विवाह कर लिया। इसके बाद देवराज इन्द्र और उनकी पत्नी शची ने भगवान शंकर और भगवान विष्णु की तपस्या की जिससे उन्होंने विषकपि अवतार लिया। उनका आधा शरीर भगवान महादेव का था तथा आधा भगवान विष्णु का और वे वानर स्वरूप में थे। एक ही छलांग में वे पाताल लोक पहुंच गए और अपने सुदर्शन चक्र से महाशनी का सिर काट दिया और अपने त्रिशूल से उसका वक्ष स्थल भेद दिया। जिससे वह तुरन्त धराशाही हो गया।

अगला जन्म[संपादित करें]

अगले जन्म में भगवान विषकपि ने महाबली भगवान हनुमान के रूप में जन्म लिया और अधर्मियों का विनाश कर पुनः धर्म की स्थापना की।