"राणा मोकल": अवतरणों में अंतर

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राणा मोकल नेे अपनी पुत्री [[लाला मेेेवाड़ी|लाला मेेेवाड़ी]] का विवाह [[गागरौन दुर्ग|गागरोण]] के शासक [[अचलदास खींची]] सेे कर दी | उन्होंने 1428 ई. के रामपुरा युद्ध में [[नागौर]] शासक फिरोज खाँ को पराजित किया | मेवाड़ राज्य में राणा मोकल ने हिंदू परम्परा को स्थापित करने के लिए तुुुलादान पद्दति को लागू किया इस परम्परा के तहत् मंंदिरों के लिए सोना-चाँदी दान के रूप में दिया जाता था | महाराणाा मोकल ने एकलिंंगजी के मंदिर के परकोटे का निर्माण कराया | इसी प्रकार चित्तौड़ में स्थित त्रिभुवन नारायण मंदिर का पुनः निर्माण इन्ही के काल में हुुुआ ,जिसेे समधीश्ववर मंंदिर केे नाम से जाना जाता है | इसी प्रकार कुुुम्भा सेे पूूूर्व राणा मोकल ने मेवाड़ की धार्मिक आस्था को बनाए रखा |
राणा मोकल नेे अपनी पुत्री [[लाला मेेेवाड़ी|लाला मेेेवाड़ी]] का विवाह [[गागरौन दुर्ग|गागरोण]] के शासक [[अचलदास खींची]] सेे कर दी | उन्होंने 1428 ई. के रामपुरा युद्ध में [[नागौर]] शासक फिरोज खाँ को पराजित किया | मेवाड़ राज्य में राणा मोकल ने हिंदू परम्परा को स्थापित करने के लिए तुुुलादान पद्दति को लागू किया इस परम्परा के तहत् मंंदिरों के लिए सोना-चाँदी दान के रूप में दिया जाता था | महाराणाा मोकल ने एकलिंंगजी के मंदिर के परकोटे का निर्माण कराया | इसी प्रकार चित्तौड़ में स्थित त्रिभुवन नारायण मंदिर का पुनः निर्माण इन्ही के काल में हुुुआ ,जिसेे समधीश्ववर मंंदिर केे नाम से जाना जाता है | इसी प्रकार कुुुम्भा सेे पूूूर्व राणा मोकल ने मेवाड़ की धार्मिक आस्था को बनाए रखा |


राणा को स्थापत्य कला से भी प्रेम था इनके दरबार में फना , मना , विशल नामक वास्तुकार शोभा बढ़ाते थे| [[एकलिंगजी|एकलिंंग]] मंदिर के परकोटे का निर्माण किया | राणा कुंभा ने अपने पिता राणा मोकल को 1433 ईस्वी में भील प्रमुखों की सहायता से सफल किया। <Ref>{{ https://translate.googleusercontent.com/translate_c?depth=1&hl=hi&nv=1&prev=search&rurl=translate.google.com&sl=en&sp=nmt4&u=http://www.historydiscussion.net/history-of-india/achievements-of-rana-kumha-and-rana-sanga/2758&xid=17259,15700022,15700186,15700191,15700256,15700259,15700262,15700265,15700271,15700283&usg=ALkJrhjgT974lu-f28In5fMSVk59V8o9xg}}</Ref>
राणा को स्थापत्य कला से भी प्रेम था इनके दरबार में फना , मना , विशल नामक वास्तुकार शोभा बढ़ाते थे| [[एकलिंगजी|एकलिंंग]] मंदिर के परकोटे का निर्माण किया |


राणा मोकल की हत्या जिलवाडा मे राणा क्षेेेत्र सिंह के दासीपुुत्र चाचा व मेरा द्वारा किए जाने के उपरांत 1433 ई. में [[महाराणा कुम्भा]] गद्दी पर बैठे |
राणा मोकल की हत्या जिलवाडा मे राणा क्षेेेत्र सिंह के दासीपुुत्र चाचा व मेरा द्वारा किए जाने के उपरांत 1433 ई. में [[महाराणा कुम्भा]] गद्दी पर बैठे |

13:43, 26 जनवरी 2020 का अवतरण

मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश के शासक
(1326–1948 ईस्वी)
राणा हम्मीर सिंह (1326–1364)
राणा क्षेत्र सिंह (1364–1382)
राणा लखा (1382–1421)
राणा मोकल (1421–1433)
राणा कुम्भ (1433–1468)
उदयसिंह प्रथम (1468–1473)
राणा रायमल (1473–1508)
राणा सांगा (1508–1527)
रतन सिंह द्वितीय (1528–1531)
राणा विक्रमादित्य सिंह (1531–1536)
बनवीर सिंह (1536–1540)
उदयसिंह द्वितीय (1540–1572)
महाराणा प्रताप (1572–1597)
अमर सिंह प्रथम (1597–1620)
करण सिंह द्वितीय (1620–1628)
जगत सिंह प्रथम (1628–1652)
राज सिंह प्रथम (1652–1680)
जय सिंह (1680–1698)
अमर सिंह द्वितीय (1698–1710)
संग्राम सिंह द्वितीय (1710–1734)
जगत सिंह द्वितीय (1734–1751)
प्रताप सिंह द्वितीय (1751–1754)
राज सिंह द्वितीय (1754–1762)
अरी सिंह द्वितीय (1762–1772)
हम्मीर सिंह द्वितीय (1772–1778)
भीम सिंह (1778–1828)
जवान सिंह (1828–1838)
सरदार सिंह (1838–1842)
स्वरूप सिंह (1842–1861)
शम्भू सिंह (1861–1874)
उदयपुर के सज्जन सिंह (1874–1884)
फतेह सिंह (1884–1930)
भूपाल सिंह (1930–1948)
नाममात्र के शासक (महाराणा)
भूपाल सिंह (1948–1955)
भागवत सिंह (1955–1984)
महेन्द्र सिंह (1984–वर्तमान)

. राणा मोकल मेवाड़ के राणा लाखा तथा ( मारवाड़ की राजकुमारी ) रानी हंंसाबाई केे पुत्र थेे |

मेवाड़ राज्य की विषय परिस्थितियों का दौर राणा लाखा की मृत्यु के बाद प्रारंभ हो गया | राणा मोकल को परिस्थितियाँ विरासत के रूप में प्राप्त हुई, क्योंकि इनके पिता लाखा का विवाह मारवाड़ की राजकुमारी हंसाबाई से वृद्धावस्था में हुआ और बहुत जल्द ही राणा लाखा की मृत्यु हो गयी | मृत्यु के पश्चात् मेवाड़ का शासन हंसाबाई व उसके भाई राव रणमल केे हाथों में आ गया, कुुंवर चूड़ा अपने अपमान के कारण मांंडू ( मध्य प्रदेश) चला गया, राणा मोकल का शासनकाल 1421 ई.-1433 ई. के बीच माना जाता है |

राणा मोकल नेे अपनी पुत्री लाला मेेेवाड़ी का विवाह गागरोण के शासक अचलदास खींची सेे कर दी | उन्होंने 1428 ई. के रामपुरा युद्ध में नागौर शासक फिरोज खाँ को पराजित किया | मेवाड़ राज्य में राणा मोकल ने हिंदू परम्परा को स्थापित करने के लिए तुुुलादान पद्दति को लागू किया इस परम्परा के तहत् मंंदिरों के लिए सोना-चाँदी दान के रूप में दिया जाता था | महाराणाा मोकल ने एकलिंंगजी के मंदिर के परकोटे का निर्माण कराया | इसी प्रकार चित्तौड़ में स्थित त्रिभुवन नारायण मंदिर का पुनः निर्माण इन्ही के काल में हुुुआ ,जिसेे समधीश्ववर मंंदिर केे नाम से जाना जाता है | इसी प्रकार कुुुम्भा सेे पूूूर्व राणा मोकल ने मेवाड़ की धार्मिक आस्था को बनाए रखा |

राणा को स्थापत्य कला से भी प्रेम था इनके दरबार में फना , मना , विशल नामक वास्तुकार शोभा बढ़ाते थे| एकलिंंग मंदिर के परकोटे का निर्माण किया |

राणा मोकल की हत्या जिलवाडा मे राणा क्षेेेत्र सिंह के दासीपुुत्र चाचा व मेरा द्वारा किए जाने के उपरांत 1433 ई. में महाराणा कुम्भा गद्दी पर बैठे |