"जहाँगीर": अवतरणों में अंतर
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[[श्रेणी:मुग़ल साम्राज्य]] |
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नूरुद्दीन सलीम जहाँगीर | |
---|---|
४ मुगल सम्राट | |
शासनावधि | १५ अक्टूबर १६०५ - ८ नवम्बर १६२७ ( 22 वर्ष, 24 दिन) |
राज्याभिषेक | 24 अक्टूबर 1605, आगरा |
पूर्ववर्ती | अकबर |
उत्तरवर्ती | शाहजहाँ |
जन्म | सलीम 30 अगस्त 1569[1] फ़तेहपुर सीकरी |
निधन | 8 नवम्बर 1627 चिंगारी सिरी | (उम्र 58)
समाधि | |
जीवनसंगी | नूर जहाँ शाह बेगम |
संतान | निसार बेगम खुसरौ मिर्ज़ा परवेज़ बहार बनू बगुम शाह जहाँ शहरयार जहाँदार |
घराना | तिमुरिड |
राजवंश | मुग़ल |
पिता | अकबर |
माता | मरियम उज़-ज़मानी |
धर्म | इस्लाम |
अकबर के तीन लड़के थे। सलीम, मुराद और दानियाल (मुग़ल परिवार)। मुराद और दानियाल पिता के जीवन में शराब पीने की वजह से मर चुके थे। सलीम अकबर की मृत्यु पर नुरुद्दीन मोहम्मद जहांगीर के उपनाम से सुल्तान बना। १६०५ ई. में कई उपयोगी सुधार लागू किए। कान और नाक और हाथ आदि काटने की सजा रद्द कीं। शराब और अन्य नशा हमलावर वस्तुओं का हकमा बंद। कई अवैध महसूलात हटा दिए। प्रमुख दिनों में जानवरों का ज़बीहह बंद. फ़्रीआदीं की दाद रस्सी के लिए अपने महल की दीवार से जंजीर लटका दी। जिसे जंजीर संतुलन कहा जाता था। १६०६ ई. में उसके सबसे बड़े बेटे ख़ुसरो ने विद्रोह कर दिया। और आगरे से निकलकर पंजाब तक जा पहुंचा। जहांगीर ने उसे हराया. सिखों के 5वें गुरु अर्जुन देव जो ख़ुसरो की मदद कर रहे थे, को फांसी दे दी गयी। १६१४ ई. में राजकुमार खुर्रम शाहजहां ने मेवाड़ के राणा अमर सिंह को हराया। १६२० ई. में कानगड़ह स्वयं जहांगीर ने जीत लिया। १६२२ ई. में कंधार क्षेत्र हाथ से निकल गया। जहांगीर ही समय में अंग्रेज सर 'टामस रो' राजदूत द्वारा, पहली बार भारतीय व्यापारिक अधिकार करने के इरादे से आया। १६२३ ई. में खुर्रम ने विद्रोह कर दिया। क्योंकि नूरजहाँ अपने दामाद शहरयार को वली अहद बनाने की कोशिश कर रही थी। अंत 1625 ई. में बाप और बेटे में सुलह हो गई। सम्राट जहांगीर अपनी आत्मकथा 'तुजुक-ए-जहाँगीरी'में लिखते हैं कि गुलाब से इत्र निकलने की विधि नूरजहां बेगम की मां (अस्मत बेगम) ने आविष्कार किया था। जहांगीर चित्रकारी और कला का बहुत शौकीन था। उसने अपने हालात एक किताब तज्जुके जहांगीर में लिखे हैं। उसे शिकार से भी प्रेरित थी। शराब पीने के कारण अंतिम दिनों में बीमार रहता था। 28 अक्टूबर 1627 ई. में कश्मीर से वापस आते समय रास्ते में ही भीमवार नामक स्थान पर निधन हो गया। लाहौर के पास शहादरा में रावी नदी के किनारे दफनाया गया। जहांगीर के समय को चित्रकला का स्वर्णकाल कहा जाता है।
गेलरी
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जहाँगीर
मुग़ल सम्राटों का कालक्रम
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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