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{{कॉपीराइटउल्लंघन}}कुबेरनाथ राय आठवीं कक्षा से ही ''विशाल भारत'' और ''[[माधुरी]]'' नामक पत्रिकाओं में छपने लगे थे।<ref>राजीवरंजन, रस आखेटक कुबेरनाथ राय, नवनिकष, मार्च,२०१०, पेज, २२</ref> उन्होंने छात्र-जीवन में क्विंस कालेज की ''साइंस मैग्जीन'' का सम्पादन किया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की पत्रिका ''प्रज्ञा'' में भी वे लिखते रहे।<ref>ललित निबन्ध के महाप्राज्य शिखर पुरुष: कुबेरनाथ राय, बात सामयिकी, (सम्पादक) सन्हैयालाल ओझा, कोलकाता, मार्च-१९९७, पेज २९</ref> लेकिन उनके लेखन की व्यवस्थित शुरूआत 1962 में हुई। यह एक संयोग से जुड़ा है। इसी वर्ष संसद में भारत के शिक्षामंत्री प्रो॰ हुमायुँ कबीर का भारत के इतिहास लेखन पर एक वक्तव्य आया। कुबेरनाथ राय इससे सहमत नहीं थे। इसके प्रतिवाद में उन्होंने ''इतिहास और शुक-सारिका कथा'' शीर्षक एक निबन्ध ''[[सरस्वती पत्रिका]]'' में लिख भेजा।<ref>बरमेश्वर नाथ राय, कुबेरनाथ राय: एक परिचय, भारतीय ज्ञानपीठ (मूर्ति देवी पुरस्कार,१९९२),1993</ref> उन दिनों इस पत्रिका के सम्पादक [[श्रीनारायण चतुर्वेदी]] थे। उन्होंने इस निबन्ध को प्रकाशित किया और इस बात के लिए प्रोत्साहित किया कि निरन्तर लिखते रहें। इस घटना का स्मरण करते हुए कुबेरनाथ राय ने ''प्रियानीलकंठी'' की भूमिका और ''अन्त में'' में लिखा है- "''प्रोफेसर हुमायुँ कबीर की इतिहास सम्बन्धी ऊल-जलूल मान्यताओं पर मेरे तर्कपूर्ण और क्रोधपूर्ण निबन्ध को पढ़कर पं॰ [[श्रीनारायण चतुर्वेदी]] ने मुझे घसीटकर मैदान में खड़ा कर दिया और हाथ में धनुष-बाण पकड़ा दिया। अब मैं अपने राष्ट्रीय और साहित्यिक उत्तरदायित्व के प्रति सजग था।''"<ref>और अन्त में, प्रिया नीलकण्ठी, कुबेर नाथ राय, भारतीय ज्ञानपीठ, 1969, पेज ॰80,</ref> |
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19:22, 22 अप्रैल 2016 का अवतरण
कुबेरनाथ राय | |
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जन्म | 26 मार्च 1933 मतसाँ, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश, भारत |
मौत | जून 5, 1996 मतसां, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश, भारत | (उम्र 63)
पेशा | लेखक, निबन्धकार, भारतीय-चिंतक, विद्वान, संस्कृति-पुरुष, ललित निबन्धकार |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उल्लेखनीय कामs | प्रिया नीलकंठी, गंधमादन, कामधेनु, रामायण महातीर्थम, निषाद बांसुरी . |
खिताब | मूर्तिदेवी पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा, 1993 |
कुबेरनाथ राय (२६ मार्च १९३३ - ५ जून १९९६) हिन्दी ललित निबन्ध परम्परा के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर, सांस्कृतिक निबन्धकार और भारतीय आर्ष-चिन्तन के गन्धमादन थे।[1] उनकी गिनती आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी और विद्यानिवास मिश्र जैसे ख्यातिलब्ध निबन्धकारों के साथ की जाती है।
जीवन-परिचय
जन्म, शिक्षा और आजीविका
कुबेरनाथ राय का जन्म २६ मार्च १९३३ को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मतसाँ ग्राम में हुआ।[2][3] उनके पिताजी का नाम स्व॰ बैकुण्ठ नारायण राय एवं माताजी का नाम स्व॰ लक्ष्मी राय था। उन्होंने मतसां, मलसां, क्विंस कालेज, वाराणसी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी और कलकत्ता विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की।[4]उनकी पत्नी का नाम महारानी देवी था।[1] अपने सेवाकाल के आरम्भ में उन्होंने विक्रम विद्यालय कोलकाता में अध्यापन किया[4] उसके बाद वे नलबारी, असम में अंग्रेजी के प्राध्यापक और सहजानन्द महाविद्यालय, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश में प्राचार्य रहे।
निधन
श्री राय का निधन 5 जून 1996 को हुआ को उनके पैत्रिक गांव मतसा में हुआ ।[5]
साहित्यिक अवदान
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कुबेरनाथ राय आठवीं कक्षा से ही विशाल भारत और माधुरी नामक पत्रिकाओं में छपने लगे थे।[6] उन्होंने छात्र-जीवन में क्विंस कालेज की साइंस मैग्जीन का सम्पादन किया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की पत्रिका प्रज्ञा में भी वे लिखते रहे।[7] लेकिन उनके लेखन की व्यवस्थित शुरूआत 1962 में हुई। यह एक संयोग से जुड़ा है। इसी वर्ष संसद में भारत के शिक्षामंत्री प्रो॰ हुमायुँ कबीर का भारत के इतिहास लेखन पर एक वक्तव्य आया। कुबेरनाथ राय इससे सहमत नहीं थे। इसके प्रतिवाद में उन्होंने इतिहास और शुक-सारिका कथा शीर्षक एक निबन्ध सरस्वती पत्रिका में लिख भेजा।[8] उन दिनों इस पत्रिका के सम्पादक श्रीनारायण चतुर्वेदी थे। उन्होंने इस निबन्ध को प्रकाशित किया और इस बात के लिए प्रोत्साहित किया कि निरन्तर लिखते रहें। इस घटना का स्मरण करते हुए कुबेरनाथ राय ने प्रियानीलकंठी की भूमिका और अन्त में में लिखा है- "प्रोफेसर हुमायुँ कबीर की इतिहास सम्बन्धी ऊल-जलूल मान्यताओं पर मेरे तर्कपूर्ण और क्रोधपूर्ण निबन्ध को पढ़कर पं॰ श्रीनारायण चतुर्वेदी ने मुझे घसीटकर मैदान में खड़ा कर दिया और हाथ में धनुष-बाण पकड़ा दिया। अब मैं अपने राष्ट्रीय और साहित्यिक उत्तरदायित्व के प्रति सजग था।"[9]
कुबेरनाथ राय का पहला ललित निबन्ध हेमन्त की संध्या, धर्मयुग के 15 मार्च 1964 के अंक में छपा। यह उनकी पहली कृति प्रिया नीलकंठी का पहला निबन्ध है। इसी निबन्ध-संग्रह में उनका एक निबन्ध संपाती के बेटे भी संग्रहीत है। यह निबन्ध काफी चर्चित हुआ। यहाँ उन्होंने ग्रामीण परिवेश और उसके सिवान-मथार के वर्णन के बहाने आधुनिकता और आधुनिक मनुष्य की स्थिति पर विचार किया है।[10]इस निबन्ध के माध्यम में पहले-पहल प्रकाशन के बाद कइयों ने उनसे पूछा था-कौन हो तुम जो आसाम के घने जंगलों से बैठकर भी अपने गाँव की खिड़की में बैठे मेरे उदास मन को झकझोर जाने की क्षमता रखते हो, तुम कोई भी मेरे मन का असीम प्यार स्वीकारों।[4] हेमंत की संध्या के प्रकाशन से लेकर अपने देहावसान (5 जून 1996) तक उन्होंने लगभग सवा दो-ढाई सौ निबन्ध लिखे। ये उनके बीस निबन्ध-संग्रहों में संग्रहीत है। इनके नाम हैं-प्रिया नीलकंठी, रस आखेटक, गंधमादन, निषाद बाँसुर, विषादयोग, पर्णमुकुट, महाकवि की तर्जनी, किरात नदी में चन्द्रमधु, पत्र: मणिपुतुल के नाम, मनपवन की नौका, दृष्टि-अभिसार, त्रेता का वृहत्साम, कामधेनु, मराल, उत्तरकुरू, चिन्मय भारत, अन्धकार में अग्नि शिखा, आगम की नाव, वाणी का क्षीर सागर और रामायण महातीर्थम्।[1]
कुबेरनाथ राय ने अपने लेखन के विषय में बात करते हुए इसकी पाँच दिशाएँ बतायी हैं:
- भारतीय साहित्य,
- गंगातीरी लोक जीवन और आर्येतर भारत,
- रामकथा,
- गांधी दर्शन,
- आधुनिक विश्व-चिन्तन।[11]
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रचनाएँ
निबन्ध
- प्रिया नीलकंठी, भारतीय ज्ञानपीठ, १९६९.]
- रस आखेटक, भारतीय ज्ञानपीठ, १९७१ .
- गंधमादन, भारतीय ज्ञानपीठ, १९७२.
- निषाद बांसुरी, 1973.
- विषद योग, नेशनल पब्लिशिंग हॉउस (दिल्ली), १९७४.
- पर्ण मुकुट, लोक भारती (इलाहबाद), 1978.
- महाकवि की तर्जनी, नेशनल पब्लिशिंग हाउस (दिली), 1979
- पत्र मणिपुतुल के नाम, गाँधी शांति प्रतिष्ठान (दिल्ली), (1980) (पुनः प्रकाशन २००४. विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी)
- मनपवन की नौका, प्रभात प्रकाशन (दिल्ली), 1983.
- किरात नदी में चन्द्रमधु, विश्वविद्यालय प्रकाशन (वाराणसी), 1983.
- दृष्टी अभिसार, नेशनल पब्लिशिंग हाउस (दिल्ली), 1984
- त्रेता का वृहत्साम, नेशनल पब्लिशिंग हॉउस (दिल्ली), 1986.
- कामधेनु, नेशनल पब्लिशिंग हॉउस (दिल्ली), 1990.
- मराल,भारतीय ज्ञानपीठ1993.
- आगम की नाव,
- वाणी का क्षीरसागर,
- रामायण महातीर्थम, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली2002
- उत्तर कुरु, 1993.
- चिन्मय भारत, हिंदुस्तानी अकादमी,इलाहबाद,१९९६
- अन्धकार में अग्निशिखा, प्रभात प्रकाशन, २०००
काव्य
- कंथामणि (काव्य संग्रह), विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी,1998
अन्य
- पुनर्जागरण का अंतिम शलाका पुरुष : स्वामी सहजानंद सरस्वती
प्रमुख पुरस्कार एवं उपलब्धि
- 'कामधेनु' पर मूर्तिदेवी पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा, 1992
- प्रथम कृति 'प्रिया नीलकंठी' पर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल सम्मान 1971
- 'पत्र मणिपुतुल के नाम' के लिए अभयानन्द पुरस्कार (१९८२)
- 'किरात नदी में चन्द्रमधु' पर आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार 1987
- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान 1995
कुबेरनाथ राय पर केंद्रित शोध-कार्य
- राजीवरंजन, ' भारतीयता की संकल्पना और कुबेरनाथ राय' (2009) महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र
- ललित निबन्ध परम्परा और कुबेरनाथ राय, अजय राय, पूर्वांचल विश्वविद्यालय
- संकर चांडक,`कुबेरनाथ राय के निबंध का स्वरुप और शिल्प विधान'.डिपार्टमेंट ऑफ़ हिंदी. V.B.S पूर्वांचल यूनिवर्सिटी, जौनपुर, उत्तर प्रदेश ., २००१.
- अमन मोहिन्द्र ; कुबेरनाथ राय के ललित निबंधों का सांस्कृतिक विश्लेषण, पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटिआला.2003
सन्दर्भ
- ↑ अ आ इ राजीवरंजन (2014). कुबेरनाथ राय: परिचय और पहचान (सं॰). आशिष प्रकाशन, कानपुर. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-89457-89-1.
- ↑ "Men of Letters". ghazipur.nic.in. अभिगमन तिथि २३ फ़रवरी २०१४.
- ↑ महेश्वरी, सुरेश (1999), ललित निबंधकार कुबेरनाथ राय: व्यक्तित्व-कृतित्व की ललित आलोचना। भावना प्रकाशन, पृष्ठ 192, ISBN 978-81-7667-000-5.
- ↑ अ आ इ मान्धाता राय (1997). निवेदिता:कुबेरनाथ राय विशेषांक (सम्पा॰). प्राचार्य, सहजानन्द महाविद्यालय, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश.
- ↑ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, कुबेरनाथ राय, साहित्य अकादमी पृ॰7
- ↑ राजीवरंजन, रस आखेटक कुबेरनाथ राय, नवनिकष, मार्च,२०१०, पेज, २२
- ↑ ललित निबन्ध के महाप्राज्य शिखर पुरुष: कुबेरनाथ राय, बात सामयिकी, (सम्पादक) सन्हैयालाल ओझा, कोलकाता, मार्च-१९९७, पेज २९
- ↑ बरमेश्वर नाथ राय, कुबेरनाथ राय: एक परिचय, भारतीय ज्ञानपीठ (मूर्ति देवी पुरस्कार,१९९२),1993
- ↑ और अन्त में, प्रिया नीलकण्ठी, कुबेर नाथ राय, भारतीय ज्ञानपीठ, 1969, पेज ॰80,
- ↑ समय-संवाद
- ↑ राजीवरंजन, कुबेर नाथ राय की भारतीयता, संकल्य, गोरख तिवारी (सम्पादक), हैदराबाद मई-जून,२०१०, पेज २०
कुबेरनाथ राय पर केंद्रित पुस्तकें
- कुबेरनाथ राय:रचना संचयन,हनुमानप्रसाद शुक्ल,साहित्य अकादमी, (2015)
- कुबेरनाथ राय, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, साहित्य अकादमी (2007) ISBN 81-260-2523-9.
- कुबेरनाथ राय : परिचय और पहचान, राजीवरंजन (सं.). आशिष प्रकाशन, कानपुर ISBN 978-81-89457-89-1.
- ललित निबंधकार कुबेरनाथ राय: व्यक्तित्व -कृतित्व की ललित अलोचना, सुरेश माहेश्वरी, भावना प्रकाशन ; १९९९ ISBN 81-7667-000-6.
- हिन्दी निबंध साहित्य के परिदृश्य में कुबेरनाथ राय, डॉ॰ कृष्णचंद्र गुप्त, साहित्य सहकार प्रकाशन, दिल्ली
- कुबेरनाथ राय :सांस्कृतिक-साहित्यिक दृष्टि, पी. एन. सिंह, प्रतिश्रुति प्रकाशन, कोलकाता
- निवेदिता: कुबेरनाथ राय विशेषांक, (सं) मांधाता राय
इन्हें भी देखें
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