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[[File:Jilin in China (+all claims hatched).svg|thumb|230px|चीन में जीलिन प्रांत (लाल रंग में)]]
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'''जीलिन''' (<small>[[चीनी भाषा|चीनी]]: 吉林, [[अंग्रेज़ी]]: Jilin, [[मान्छु भाषा|मान्छु]]: ᡤᡳ᠍ᡵᡳ᠌ᠨ ᡠᠯᠠ</small>) [[जनवादी गणराज्य चीन]] के सुदूर पूर्वोत्तर में स्थित एक प्रांत है जो ऐतिहासिक [[मंचूरिया]] क्षेत्र का भाग है। 'जीलिन' शब्द [[मान्छु भाषा]] के 'गीरिन उला' (<small>ᡤᡳ᠍ᡵᡳ᠌ᠨ ᡠᠯᠠ, Girin Ula</small>) से आया है जिसका मतलब 'नदी के साथ' होता है। इसके [[चीनी भावचित्रों]] का अर्थ 'शुभ वन (जंगल)' है और इसका संक्षिप्त एकाक्षरी चिह्न '吉' (जी) है। जीलिन प्रान्त की सीमाएँ पूर्व में [[रूस]] और [[उत्तर कोरिया]] को लगती हैं। इस प्रान्त का क्षेत्रफल १,८७,४०० वर्ग किमी है, यानि [[भारत]] के [[कर्नाटक]] राज्य से ज़रा ज़्यादा। सन् २०१० की जनगणना में इसकी आबादी २,७४,६२,२९७ थी जो लगभग भारत के [[पंजाब]] राज्य के बराबर थी। जीलिन की राजधानी [[चांगचून]] शहर है।
'''जीलिन''' (<small>[[चीनी भाषा|चीनी]]: 吉林, [[अंग्रेज़ी]]: Jilin, [[मान्छु भाषा|मान्छु]]: ᡤᡳ᠍ᡵᡳ᠌ᠨ ᡠᠯᠠ</small>) [[जनवादी गणराज्य चीन]] के सुदूर पूर्वोत्तर में स्थित एक प्रांत है जो ऐतिहासिक [[मंचूरिया]] क्षेत्र का भाग है। 'जीलिन' शब्द [[मान्छु भाषा]] के 'गीरिन उला' (<small>ᡤᡳ᠍ᡵᡳ᠌ᠨ ᡠᠯᠠ, Girin Ula</small>) से आया है जिसका मतलब 'नदी के साथ' होता है। इसके [[चीनी भावचित्रों]] का अर्थ 'शुभ वन (जंगल)' है और इसका संक्षिप्त एकाक्षरी चिह्न '吉' (जी) है। जीलिन प्रान्त की सीमाएँ पूर्व में [[रूस]] और [[उत्तर कोरिया]] को लगती हैं। इस प्रान्त का क्षेत्रफल १,८७,४०० वर्ग किमी है, यानि [[भारत]] के [[कर्नाटक]] राज्य से ज़रा ज़्यादा। सन् २०१० की जनगणना में इसकी आबादी २,७४,६२,२९७ थी जो लगभग भारत के [[पंजाब]] राज्य के बराबर थी। जीलिन की राजधानी [[चांगचून]] शहर है।


==इतिहास==
== इतिहास ==
प्राचीनकाल में जीलिन क्षेत्र में बहुत सी जातियाँ रहती थीं, जैसे कि [[शियानबेई लोग|शियानबेई]], मोहे और वुजी, और यहाँ कई कोरियाई राज्य स्थापित हुए, जैसे कि बुयेओ, [[गोगुरयेओ]] और बालहाए। उसके बाद एक-के-बाद-एक यह [[ख़ितानी लोगों]] के [[लियाओ राजवंश]], [[जुरचेन लोगों]] के [[जिन राजवंश (१११५–१२३४)]] और [[मंगोल लोगों]] के [[युआन राजवंश]] के तहत रहा। [[मान्छु लोगों]] के [[चिंग राजवंश]] काल में यह जीलिन के सिपहसालार के अधीन था जिसका क्षेत्र आधुनिक [[रूस]] के [[प्रिमोर्स्की क्राय]] तक फैला हुआ था। उन दिनों मान्छु लोग [[हान चीनी]] लोगों को यहाँ बसने कम देते थे। १८६० में प्रिमोर्स्की क्राय पर [[रूसी साम्राज्य]] का अधिकार हो गया और चिंग सरकार ने हान चीनियों को यहाँ बसने कि इजाज़त दे दी। यहाँ बसने वाले अधिकतर चीनी [[शानदोंग]] क्षेत्र से आये। १९३२ में [[जापान]] ने यहाँ एक आज़ाद मंचूकुओ राष्ट्र का गठन किया जिसकी राजधानी [[चांगचून]] शहर को बनाया गया - उस समय चांगचून का नाम 'शिनजिंग' (<small>新京, Hsinjing</small>) रखा गया। [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] के अंत में [[सोवियत संघ]] ने इस पर क़ब्ज़ा कर लिया लेकिन फिर इसे [[माओ ज़ेदोंग]] के साम्यवादियों को दे दिया गया।<ref name="ref81cifof">[http://books.google.com/books?id=dA_QbQiZkB4C Rough guide to China], David Leffman, Simon Lewis, Jeremy Atiyah, Rough Guides, 2003, ISBN 9781843530190</ref>
प्राचीनकाल में जीलिन क्षेत्र में बहुत सी जातियाँ रहती थीं, जैसे कि [[शियानबेई लोग|शियानबेई]], मोहे और वुजी, और यहाँ कई कोरियाई राज्य स्थापित हुए, जैसे कि बुयेओ, [[गोगुरयेओ]] और बालहाए। उसके बाद एक-के-बाद-एक यह [[ख़ितानी लोगों]] के [[लियाओ राजवंश]], [[जुरचेन लोगों]] के [[जिन राजवंश (१११५–१२३४)]] और [[मंगोल लोगों]] के [[युआन राजवंश]] के तहत रहा। [[मान्छु लोगों]] के [[चिंग राजवंश]] काल में यह जीलिन के सिपहसालार के अधीन था जिसका क्षेत्र आधुनिक [[रूस]] के [[प्रिमोर्स्की क्राय]] तक फैला हुआ था। उन दिनों मान्छु लोग [[हान चीनी]] लोगों को यहाँ बसने कम देते थे। १८६० में प्रिमोर्स्की क्राय पर [[रूसी साम्राज्य]] का अधिकार हो गया और चिंग सरकार ने हान चीनियों को यहाँ बसने कि इजाज़त दे दी। यहाँ बसने वाले अधिकतर चीनी [[शानदोंग]] क्षेत्र से आये। १९३२ में [[जापान]] ने यहाँ एक आज़ाद मंचूकुओ राष्ट्र का गठन किया जिसकी राजधानी [[चांगचून]] शहर को बनाया गया - उस समय चांगचून का नाम 'शिनजिंग' (<small>新京, Hsinjing</small>) रखा गया। [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] के अंत में [[सोवियत संघ]] ने इस पर क़ब्ज़ा कर लिया लेकिन फिर इसे [[माओ ज़ेदोंग]] के साम्यवादियों को दे दिया गया।<ref name="ref81cifof">[http://books.google.com/books?id=dA_QbQiZkB4C Rough guide to China], David Leffman, Simon Lewis, Jeremy Atiyah, Rough Guides, 2003, ISBN 978-1-84353-019-0</ref>


==भूगोल==
== भूगोल ==
जीलिन में ज़मीन के नीचे प्राकृतिक सम्पदा की भरमार है। तेल, [[प्राकृतिक गैस]], [[लोहा]], [[निकल]], [[मोलिब्डेनम]], वग़ैराह की खानें हैं। प्रांत के दक्षिणपूर्वी भाग में [[चांगबाई पर्वत]] हैं। [[यालू नदी]] और [[तूमन नदी]] जीलिन की मुख्य नदियाँ हैं। सर्दियाँ लम्बी और बहुत ठंडी होती हैं, और जनवरी का औसत तापमान −२० से −१४ °सेंटीग्रेड चलता है। बारिश गर्मियों में ही ज़्यादा पड़ती है।
जीलिन में ज़मीन के नीचे प्राकृतिक सम्पदा की भरमार है। तेल, [[प्राकृतिक गैस]], [[लोहा]], [[निकल]], [[मोलिब्डेनम]], वग़ैराह की खानें हैं। प्रांत के दक्षिणपूर्वी भाग में [[चांगबाई पर्वत]] हैं। [[यालू नदी]] और [[तूमन नदी]] जीलिन की मुख्य नदियाँ हैं। सर्दियाँ लम्बी और बहुत ठंडी होती हैं, और जनवरी का औसत तापमान −२० से −१४ °सेंटीग्रेड चलता है। बारिश गर्मियों में ही ज़्यादा पड़ती है।


==जीलिन के कुछ नज़ारे==
== जीलिन के कुछ नज़ारे ==
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File:SV100353.JPG|सोंगहुआहू झील
File:SV100353.JPG|सोंगहुआहू झील
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==इन्हें भी देखें==
== इन्हें भी देखें ==
*[[चांगचून]]
* [[चांगचून]]
*[[यालू नदी]]
* [[यालू नदी]]
*[[तूमन नदी]]
* [[तूमन नदी]]
*[[मंचूरिया]]
* [[मंचूरिया]]
*[[मान्छु लोग]]
* [[मान्छु लोग]]


==सन्दर्भ==
== सन्दर्भ ==
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{{चीनी जनवादी गणराज्य के प्रान्त-स्तरीय विभाग}}


[[श्रेणी:जीलिन]]
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[[श्रेणी:चीनी जनवादी गणराज्य के प्रान्त]]
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[[श्रेणी:मंचूरिया]]
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{{चीनी जनवादी गणराज्य के प्रान्त-स्तरीय विभाग}}


[[ace:Jilin]]
[[ace:Jilin]]

17:37, 14 फ़रवरी 2013 का अवतरण

चीन में जीलिन प्रांत (लाल रंग में)

जीलिन (चीनी: 吉林, अंग्रेज़ी: Jilin, मान्छु: ᡤᡳ᠍ᡵᡳ᠌ᠨ ᡠᠯᠠ) जनवादी गणराज्य चीन के सुदूर पूर्वोत्तर में स्थित एक प्रांत है जो ऐतिहासिक मंचूरिया क्षेत्र का भाग है। 'जीलिन' शब्द मान्छु भाषा के 'गीरिन उला' (ᡤᡳ᠍ᡵᡳ᠌ᠨ ᡠᠯᠠ, Girin Ula) से आया है जिसका मतलब 'नदी के साथ' होता है। इसके चीनी भावचित्रों का अर्थ 'शुभ वन (जंगल)' है और इसका संक्षिप्त एकाक्षरी चिह्न '吉' (जी) है। जीलिन प्रान्त की सीमाएँ पूर्व में रूस और उत्तर कोरिया को लगती हैं। इस प्रान्त का क्षेत्रफल १,८७,४०० वर्ग किमी है, यानि भारत के कर्नाटक राज्य से ज़रा ज़्यादा। सन् २०१० की जनगणना में इसकी आबादी २,७४,६२,२९७ थी जो लगभग भारत के पंजाब राज्य के बराबर थी। जीलिन की राजधानी चांगचून शहर है।

इतिहास

प्राचीनकाल में जीलिन क्षेत्र में बहुत सी जातियाँ रहती थीं, जैसे कि शियानबेई, मोहे और वुजी, और यहाँ कई कोरियाई राज्य स्थापित हुए, जैसे कि बुयेओ, गोगुरयेओ और बालहाए। उसके बाद एक-के-बाद-एक यह ख़ितानी लोगों के लियाओ राजवंश, जुरचेन लोगों के जिन राजवंश (१११५–१२३४) और मंगोल लोगों के युआन राजवंश के तहत रहा। मान्छु लोगों के चिंग राजवंश काल में यह जीलिन के सिपहसालार के अधीन था जिसका क्षेत्र आधुनिक रूस के प्रिमोर्स्की क्राय तक फैला हुआ था। उन दिनों मान्छु लोग हान चीनी लोगों को यहाँ बसने कम देते थे। १८६० में प्रिमोर्स्की क्राय पर रूसी साम्राज्य का अधिकार हो गया और चिंग सरकार ने हान चीनियों को यहाँ बसने कि इजाज़त दे दी। यहाँ बसने वाले अधिकतर चीनी शानदोंग क्षेत्र से आये। १९३२ में जापान ने यहाँ एक आज़ाद मंचूकुओ राष्ट्र का गठन किया जिसकी राजधानी चांगचून शहर को बनाया गया - उस समय चांगचून का नाम 'शिनजिंग' (新京, Hsinjing) रखा गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत में सोवियत संघ ने इस पर क़ब्ज़ा कर लिया लेकिन फिर इसे माओ ज़ेदोंग के साम्यवादियों को दे दिया गया।[1]

भूगोल

जीलिन में ज़मीन के नीचे प्राकृतिक सम्पदा की भरमार है। तेल, प्राकृतिक गैस, लोहा, निकल, मोलिब्डेनम, वग़ैराह की खानें हैं। प्रांत के दक्षिणपूर्वी भाग में चांगबाई पर्वत हैं। यालू नदी और तूमन नदी जीलिन की मुख्य नदियाँ हैं। सर्दियाँ लम्बी और बहुत ठंडी होती हैं, और जनवरी का औसत तापमान −२० से −१४ °सेंटीग्रेड चलता है। बारिश गर्मियों में ही ज़्यादा पड़ती है।

जीलिन के कुछ नज़ारे

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Rough guide to China, David Leffman, Simon Lewis, Jeremy Atiyah, Rough Guides, 2003, ISBN 978-1-84353-019-0