"रानी दुर्गावती": अवतरणों में अंतर

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== ऐतिहासिक परिचय==
== ऐतिहासिक परिचय==
दुर्गावती का जन्म [[महोबा]] साम्राज्य के [[गोंड]] महाराज कीर्तिवर्मन द्वितीय चन्देल, जिन्हें भैरववर्मन या शालिवाहन के नाम से भी जाना जाता है, उनके पुत्री रूप में 5 अक्टूबर 1524 को [[कालिंजर]] के किले में हुआ था।<ref name="akbarnama">{{cite book |last1=Beveridge |first1=H. |title=The Akbarnama Of Abul Fazl : Vol. II |date=1907 |page=323-333 |url=http://www.new.dli.ernet.in/handle/2015/55649 |archive-url=https://web.archive.org/web/20161229074346/http://www.new.dli.ernet.in/handle/2015/55649 |archive-date=29 दिसंबर 2016 |language=en |chapter=Conquest of the country of Gadha Katanga by the sword of the genius of Khwaja Abdul Majid Asaf Khan |access-date=1 नवंबर 2023 |url-status=dead }}</ref>
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1542 में, उनकी शादी [[दलपत शाह]] से हुई, जो [[गढ़ा साम्राज्य]] के गोंड राजा [[संग्राम शाह]] के दत्तक पुत्र थे।<ref>{{Cite book|last=Dikshit|first=R. K.|url=https://books.google.com/books?id=a9j9ZJGJOV0C&pg=PA130|title=The Candellas of Jejākabhukti|date=1976|publisher=Abhinav Publications|isbn=978-81-7017-046-4|pages=8|quote=According to Abu Fazl however, Durgavati husband, Dalpat Shah was the son of a Kachavaha Rajput, who had been adopted by the raja of Gadha Mandla|language=en}}</ref><ref name="akbarnama"/> [[चन्देल|महोबा के चन्देल]] और [[गोंडवाना]] इस विवाह के माध्यम से सहयोगी बन गए।<ref name="women of India">{{cite book |author1=Archana Garodia Gupta |title=The Women Who Ruled India- Leaders. Warriors. Icons. |date=20 April 2019 |publisher=Hachette India |isbn=9789351951537 |url=https://books.google.com/books?id=4XuLDwAAQBAJ&dq=Dalpat+Shah&pg=PT67 |language=English |format=Ebook}}</ref> अबुल फजल कृत समकालीन ग्रंथ अकबरनामा के अनुसार गोंडवाना के गोंड राजा संग्राम शाह, जो नि:संतान थे, अपने एक कर्मचारी, गोविंद दास को अपनी पत्नी को महल में बच्चे को जन्म देने के लिए मना लिया। बच्चा होने के बाद संग्राम शाह को सौप दिया जिसे बाद में उसने अपना बच्चा होने का दावा किया, जबकि दलपतशाह एक आदिवासी थे।<ref>{{Cite book |last=Dikshit |first=R. K. |url=https://books.google.co.in/books?id=a9j9ZJGJOV0C&pg=PA8&dq=Dalpat+shah+rajput+akbarnama&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&sa=X&ved=2ahUKEwim_M6r2aOCAxVUcWwGHZ7RDcMQ6AF6BAgLEAM#v=onepage&q=Dalpat%20shah&f=false |title=The Candellas of Jejākabhukti |date=1976 |publisher=Abhinav Publications |isbn=978-81-7017-046-4 |language=en}}</ref>
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'''रानी दुर्गावती चन्देल''' के राज्य गोंडवाना पर [[मालवा]] के अफगान शासक बाजबहादुर ने कई बार हमला किया, पर हर बार वह पराजित हुआ। मुगल शासक अकबर भी राज्य को जीतकर रानी को अपने [[हरम]] में डालना चाहता था। उसने विवाद प्रारम्भ करने हेतु रानी के प्रिय सफेद हाथी (सरमन) और उनके विश्वस्त वजीर आधारसिंह को भेंट के रूप में अपने पास भेजने को कहा। रानी ने यह मांग ठुकरा दी। इस पर अकबर ने अपने एक रिश्तेदार आसफ खां के नेतृत्व में गोण्डवाना साम्राज्य पर हमला कर दिया आदिवासी सैनिक रानी दुर्गावती के लिए अपनी जान दे दी। एक बार तो आसफ खां पराजित हुआ, पर अगली बार उसने दुगनी सेना और तैयारी के साथ हमला बोला। दुर्गावती के पास उस समय बहुत कम सैनिक थे। उन्होंने जबलपुर के पास नरई नाले के किनारे मोर्चा लगाया तथा स्वयं पुरुष वेश में युद्ध का नेतृत्व किया। इस युद्ध में 3,000 मुगल सैनिक मारे गये लेकिन रानी की भी अपार क्षति हुई थी।
'''रानी दुर्गावती चन्देल''' के राज्य गोंडवाना पर [[मालवा]] के अफगान शासक बाजबहादुर ने कई बार हमला किया, पर हर बार वह पराजित हुआ। मुगल शासक अकबर भी राज्य को जीतकर रानी को अपने [[हरम]] में डालना चाहता था। उसने विवाद प्रारम्भ करने हेतु रानी के प्रिय सफेद हाथी (सरमन) और उनके विश्वस्त वजीर आधारसिंह को भेंट के रूप में अपने पास भेजने को कहा। रानी ने यह मांग ठुकरा दी। इस पर अकबर ने अपने एक रिश्तेदार आसफ खां के नेतृत्व में गोण्डवाना साम्राज्य पर हमला कर दिया आदिवासी सैनिक रानी दुर्गावती के लिए अपनी जान दे दी। एक बार तो आसफ खां पराजित हुआ, पर अगली बार उसने दुगनी सेना और तैयारी के साथ हमला बोला। दुर्गावती के पास उस समय बहुत कम सैनिक थे। उन्होंने जबलपुर के पास नरई नाले के किनारे मोर्चा लगाया तथा स्वयं पुरुष वेश में युद्ध का नेतृत्व किया। इस युद्ध में 3,000 मुगल सैनिक मारे गये लेकिन रानी की भी अपार क्षति हुई थी।

05:28, 19 नवम्बर 2023 का अवतरण

रानी दुर्गावती
वास्तव में शासक और गढ़ मंडला की महारानी
जन्म5 अक्टूबर 1524
कालिंजर दुर्ग
निधन24 जून 1564(1564-06-24) (उम्र 39)
नरराई नाला, जबलपुर, मध्य प्रदेश
जीवनसंगीदलपत शाह कछवाहा
संतानवीर नारायण कछवाहा
घरानाहैहयकुल, चन्द्रवंशी
राजवंशचन्देल
पिताकीर्तिवर्मन चन्देल (द्वितीय)
धर्महिंदू

रानी दुर्गावती चन्देल (ENG: Rani Durgavati, शा.क.; 1550 से 1564 तक) गढ़ा राज्य की शासक महारानी थीं। उनका विवाह गढ़ा राज्य के राजपूत राजा दलपत शाह कछवाहा से हुआ था, जिसे गोंड राजा संग्राम शाह ने गोद लिया था। उन्हें मुगल साम्राज्य के खिलाफ अपने राज्य की रक्षा के लिए याद किया जाता है।

ऐतिहासिक परिचय

दुर्गावती का जन्म महोबा साम्राज्य के राजपूत महाराज कीर्तिवर्मन द्वितीय चन्देल, जिन्हें भैरववर्मन या शालिवाहन के नाम से भी जाना जाता है, उनके पुत्री रूप में 5 अक्टूबर 1524 को कालिंजर के किले में हुआ था।[1]

1542 में, उनकी शादी दलपत शाह कछवाहा से हुई, जो गढ़ा साम्राज्य के गोंड राजा संग्राम शाह के दत्तक पुत्र थे।[2][1] महोबा के चन्देल और गोंडवाना इस विवाह के माध्यम से सहयोगी बन गए।[3] अबुल फजल कृत समकालीन ग्रंथ अकबरनामा के अनुसार गोंडवाना के गोंड राजा संग्राम शाह, जो नि:संतान थे, अपने एक कर्मचारी, कछवाहा राजपूत, गोविंद दास को अपनी पत्नी को महल में बच्चे को जन्म देने के लिए मना लिया। बच्चा होने के बाद संग्राम शाह को सौप दिया जिसे बाद में उसने अपना बच्चा होने का दावा किया, जबकि दलपतशाह एक राजपुत थे।[4]

रानी दुर्गावती चन्देल के राज्य गोंडवाना पर मालवा के अफगान शासक बाजबहादुर ने कई बार हमला किया, पर हर बार वह पराजित हुआ। मुगल शासक अकबर भी राज्य को जीतकर रानी को अपने हरम में डालना चाहता था। उसने विवाद प्रारम्भ करने हेतु रानी के प्रिय सफेद हाथी (सरमन) और उनके विश्वस्त वजीर आधारसिंह को भेंट के रूप में अपने पास भेजने को कहा। रानी ने यह मांग ठुकरा दी। इस पर अकबर ने अपने एक रिश्तेदार आसफ खां के नेतृत्व में गोण्डवाना साम्राज्य पर हमला कर दिया आदिवासी सैनिक रानी दुर्गावती के लिए अपनी जान दे दी। एक बार तो आसफ खां पराजित हुआ, पर अगली बार उसने दुगनी सेना और तैयारी के साथ हमला बोला। दुर्गावती के पास उस समय बहुत कम सैनिक थे। उन्होंने जबलपुर के पास नरई नाले के किनारे मोर्चा लगाया तथा स्वयं पुरुष वेश में युद्ध का नेतृत्व किया। इस युद्ध में 3,000 मुगल सैनिक मारे गये लेकिन रानी की भी अपार क्षति हुई थी।

अगले दिन 24 जून 1564 को मुगल सेना ने फिर हमला बोला। आज रानी का पक्ष दुर्बल था, अतः रानी ने अपने पुत्र नारायण को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया। तभी एक तीर उनकी भुजा में लगा, रानी ने उसे निकाल फेंका। दूसरे तीर ने उनकी आंख को बेध दिया, रानी ने इसे भी निकाला पर उसकी नोक आंख में ही रह गयी। तभी तीसरा तीर उनकी गर्दन में आकर धंस गया।

रानी ने अंत समय निकट जानकर वजीर आधारसिंह से आग्रह किया कि वह अपनी तलवार से उनकी गर्दन काट दे, पर वह इसके लिए तैयार नहीं हुआ। अतः रानी अपनी कटार स्वयं ही अपने पेट में भोंककर आत्म बलिदान के पथ पर बढ़ गयीं, रानी मर गई लेकिन किसी और की सत्ता के कदम नहीं छुआ। महारानी दुर्गावती चन्देल ने अकबर के सेनापति आसफ़ खान से लड़कर अपनी जान गंवाने से पहले पंद्रह वर्षों तक शासन किया था।

जबलपुर के पास जहां यह ऐतिहासिक युद्ध हुआ था, उस स्थान का नाम बरेला है, जो मंडला रोड पर स्थित है, वही रानी की समाधि बनी है, जहां गोण्ड जनजाति के लोग जाकर अपने राज्य की चन्देल राजपूत रानी को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। जबलपुर में स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय भी इन्ही रानी के नाम पर बनी हुई है।

रानी दुर्गावती के सम्मान में 1983 में  जबलपुर विश्वविद्यालय का नाम बदलकर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय कर दिया गया | भारत सरकार ने 24 जून 1988 रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर एक डाक टिकट जारी कर रानी दुर्गावती को याद किया। जबलपुर में स्थित संग्रहालय का नाम भी रानी दुर्गावती  के नाम पर रखा गया | मंडला जिले के शासकीय महाविद्यालय का नाम भी आदिवासी रानी दुर्गावती के नाम पर ही रखा गया है। रानी दुर्गावती की याद में कई जिलों में रानी दुर्गावती की प्रतिमाएं लगाई गई हैं और कई शासकीय इमारतों का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर रखा गया है।

इन्हें भी देखें

ग्रन्थसूची

  • पुस्तक: यशस्विनी रानी दुर्गावती, आईएसबीएन: 81-7011-808-5, प्रकाशक:सी.बी.टी. प्रकाशन, लेखिका: कमला शर्मा।
  • पुस्तक: 606 रानी दुर्गावती, आईएसबीएन : 81-7508-473-1, प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस लिमिटेड, लेखक: अनन्त पई।
  • पुस्तक: दुर्गावती: गढ़ा की पराक्रमी रानी 978-81-954320-1-1 लेखक: राजगोपाल सिंह वर्मा, प्रकाशक: शतरंग प्रकाशक, लखनऊ-226 001.

बाहरी कड़ियाँ

Archived 2020-05-19 at the वेबैक मशीन

  1. Beveridge, H. (1907). "Conquest of the country of Gadha Katanga by the sword of the genius of Khwaja Abdul Majid Asaf Khan". The Akbarnama Of Abul Fazl : Vol. II (अंग्रेज़ी में). पृ॰ 323-333. मूल से 29 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 नवंबर 2023.
  2. Dikshit, R. K. (1976). The Candellas of Jejākabhukti (अंग्रेज़ी में). Abhinav Publications. पृ॰ 8. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7017-046-4. According to Abu Fazl however, Durgavati husband, Dalpat Shah was the son of a Kachavaha Rajput, who had been adopted by the raja of Gadha Mandla
  3. Archana Garodia Gupta (20 April 2019). The Women Who Ruled India- Leaders. Warriors. Icons (Ebook) (English में). Hachette India. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789351951537.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  4. Dikshit, R. K. (1976). The Candellas of Jejākabhukti (अंग्रेज़ी में). Abhinav Publications. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7017-046-4.